सहारनपुर में 8 मार्च को किसान वेद प्रकाश ने खुद पर ज्वलनशील पदार्थ उड़ेलकर आग लगा ली। ये घटना विवादित जमीन की पैमाइश के दौरान प्रशासनिक अमले के सामने हुई। झगड़ा सिख परिवार और जैन समाज के बीच एक 550 वर्गमीटर के टुकड़े का है। जिस पर सिख परिवार का कब्जा है, लेकिन जैन समाज मंदिर की जमीन होने का दावा पेश कर रहा है। सिख परिवार 2012 में कोर्ट से मुकदमा जीतने का हवाला दे रहा है, हालांकि वो अभी कोई दस्तावेज नहीं दिखा पाए। लेकिन जैन समाज के लोग भी कोर्ट से मुकदमा जीतने का दावा कर रहे हैं। इसके कागजात होने का दावा किया जा रहा है। दैनिक भास्कर की टीम इस पूरे घटनाक्रम को जानने के लिए सहारनपुर से करीब 30 किलोमीटर दूर गांव सुल्तानपुर में पहुंची। पढ़िए…पूरा घटनाक्रम 8 मार्च दोपहर करीब एक बजे एसडीएम अंकुर वर्मा राजस्व टीम और पुलिस बल के साथ धारा-24 के तहत विवादित जमीन की पैमाइश करने पहुंचे थे। सब कुछ ठीक चल रहा था, पैमाइश सरदार वेदप्रकाश का भाई लाजपत एसडीएम के साथ नक्शे के हिसाब से करा रहे थे। तभी घर पीछे खेत से किसान वेद प्रकाश अपने शरीर पर ज्वलनशील पदार्थ उड़ेल और आग लगाकर पहुंचा। तभी प्रशासनिक अधिकारियों सकते में आ गए। किसान जलते हुए वह खेत में इधर-उधर भागने लगा। पुलिसकर्मी भी दौड़कर कंबल, बोरी से आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन आग नहीं बुझी। पेड़ की टहनियों और घास-फूस से किसी तरह आग बुझाई। किसान करीब 5 मिनट तक जलता रहा। पुलिस तुरंत किसान को राजकीय मेडिकल कॉलेज में लेकर गई। वहां से गंभीर हालत देखते हुए दिल्ली के सफदरगंज हॉस्पिटल में भेज दिया गया। जहां पर किसान वेद प्रकाश जिंदगी-मौत की जंग लड़ रहे हैं। पढ़िए…पीड़ित परिवार और पड़ोसियों ने क्या कहा? 2012 में कोर्ट से जीते थे केस
किसान वेद प्रकाश की पत्नी ममता ने बताया- जमीन को लेकर विवाद चल रहा है। जब ये लोग आते हैं, तब घर पर कोई नहीं होता है। आरोप लगाया है कि प्रशासन और जैन समाज के लोग 8 मार्च को अचानक ही आ गए। न तो कोई नोटिस भेजा। मैं बच्चों को स्कूल में लेने गई थी, तभी मुझे रास्ते में ही पुलिस पकड़कर ले गई। थाने न ले जाकर किसी के घर पर बैठा दिया। पति और देवर को कब्जे में लिया। ममता का आरोप है-परिवार की महिलाओं और बच्चों को भी कमरे में बंद कर दिया। वो आरोप लगा रही है कि मिट्टी का तेल छिड़कर पति को जिंदा जलाया है। जो हुआ अच्छा नहीं हुआ। दो बार पहले भी आ चुके हैं। ये हमारी जमीन ही है। जैन समाज हमें परेशान कर रहा है। हम केस भी जीते थे 2012 में। सभी कागजात है। लेकिन जैन समाज के लोग परेशान कर रहे हैं। बेटी बोली- 5 मिनट में 10 बार पापा से बात की
किसान वेद प्रकाश की कोई बच्चे नहीं है। उनके भाई के बच्चों को ही अपना समझते हैं। बेटी खुशी ने कहा- वो उस समय स्कूल में थी। मुझे जब पता चला तो मैं घर आ रही थी। तब मुझे भी घर आने नहीं दिया। लेकिन मैं किसी तरह आ गई। जब घर पहुंची तो पता चला मेरी मम्मी को पुलिस पकड़कर ले गई। चाची को घर में बंद कर रखा था। मम्मी के बारे में पूछा तो चाची ने पता न होने की बात कही। खुशी ने बताया- पापा वेद प्रकाश खेत में पीछे काम कर रहे थे। छतों पर पुलिस फोर्स खड़ी थी। छावनी में घर तब्दील था। ऊपर पहुंची तो अपने पापा से 5 मिनट में करीब 10 बार फोन पर बात की। पुलिस आने-जाने नहीं दे रही थी। उनका हाल पूछा, मम्मी के बारे में पूछा तो पापा ने बताया कि मुझे नहीं पता। फोन करते-करते पापा आग में झुलसे हुए ही दिखाई दिए। बेटी खुशी का आरोप है कि मैंने छत से देखा कि जैन समाज के 2 लोग हाथ में केरोसिन लिए हुए थे और माचिस भी थी। आरोप है कि जैन समाज के लोगों ने ही मेरे पिता को आग लगाई है। जेठ नहीं पीते बीड़ी-सिगरेट, माचिस कहां से आई?
किसान वेदप्रकाश के भाई लाजपत की पत्नी रीता रानी का कहना है- मुझे बुखार था, कमरे में लेटी हुई थी। पति खाना खाकर खाट पर लेटे हुए थे। पुलिस आई तो पति को पकड़ लिया। जेठ छत पर खाना खा रहे थे। उन्हें भी पकड़ लिया। सब जगह पुलिस थी। जेठानी ममता बच्चों को लाने की बात कहकर निकली। रास्ते में ही दो लेडीज पुलिस साथ-साथ जा रही थी। उन्हें पकड़कर ले गई। पैमाइश चल रही थी। जेठ खेत पर काम कर रहे थे। तभी जेठ के चिल्लाने की आवाज आई। हम भागने लगे। हम केरोसिन का यूज नहीं करते हैं। मेरे जेठ बीडी-सिगरेट नहीं पीते हैं। माचिस कहां से आई? सही से जांच होनी चाहिए। पड़ोसन बोली-सारा खेल भाजपा विधायक का
पड़ोसी सुषमा का कहना है- 2 महीने से इस मामले को तूल दिया जा रहा है। 8 मार्च को ये लोग आए और किसी को पास में भी आने नहीं दिया। महिला का कहना है कि इन्होंने उसे कैसे जलाया और कैसे नहीं ये किसी को दिखाई नहीं दिया। लेकिन जलता हुई दिखाई दिया। जमीन सरदार सिंह की होने का दावा महिला भी कर रही है। ये तीन भाई है। जैन समाज के लोगों की जमीन इससे अलग है। करीब 40 साल से इसका कब्जा है। आरोप है कि जैन समाज ने सैनी समाज की जमीन पर भी कब्जा कर लिया है। महिला ने भाजपा विधायक मुकेश चौधरी पर पूरे घटनाक्रम का आरोप लगाया है। बोली- उन्होंने गुंडे पाल रखे हैं। भांजा बोला-मेरे मामा उग्रवादी नहीं है, जो इतनी पुलिस आई
किसान के भांजे मुकेश कुमार का कहना है- मेरे मामा पर सारी जमीन के डॉक्यूमेंट्स है। 2012 में इस जमीन का केस भी कोर्ट से जीते थे। उसकी डिग्री भी है। पहले भी तीन बार आए। ना नोटिस दिखाते हैं और ना कोई कागजात दिखाते हैं। किसी ने कोई डिग्री चेक नहीं की। थाने के बहाने मामी को लेकर गए और किसी ओर के घर बैठाए रखा। किडनैपिंग की गई मामी की। मुकेश का कहना है- 8 मार्च को करीब 250 पुलिसकर्मी थे। इतनी बड़ी संख्या में पुलिस वाले क्यों बुलाए गए? ये कोई उग्रवादी नहीं थे। सब जगह प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस थी। मामा पीछे से आग लगे हुए आए। नाकाबंदी की हुई थी। किसी को आने नहीं दिया। आग किसने लगाए, कोई नहीं जानते हैं। मेडिकल कॉलेज ले गए उन्हें। सभी अधिकारी थे। मामा का बयान किसी ने दर्ज नहीं किया। मामा गवाही देने की बात कह रहे थे। हम चंडीगढ़ के लिए रेफर कह रहे थे, लेकिन इन्होंने दिल्ली भेज दिया। आरोप है कि दो घंटे एम्बुलेंस आने में लगे, यहां कोई एम्बुलेंस नहीं थी। शामली से मंगवाई। मामा तड़प रहे थे। मामा करीब 5 घंटे में तड़पते हुए दिल्ली पहुंचे। रास्ते में जाम था। जैन समाज ने फिर कब्जा क्यों करने दिया
सरसावा के रहने वाले गुरबाज सिंह का कहना है- जब हमें पता चला तो हम मौके पर पहुंचे। तब तक सरदार वेद प्रकाश जल चुके थे। पुलिस मेडिकल कॉलेज ले जा रही थी। जैन समाज अपनी और सरदार जी अपनी जमीन होने का दावा करते हैं। ये मामला भाजपा विधायक मुकेश चौधरी के यहां भी था। दोनों पक्षों को बुलाकर ये कहा था कि हम इसको अपने आप निपटा देंगे। प्रशासन को भी मना किया था। सरदार जी के साथ अन्याय हुआ है। प्रत्यक्ष रूप में सरदारजी की जमीन देखने में लग रही है। जब जैन समाज की जमीन थी तो क्यों कब्जा करने दिया? कोर्ट से केस जीते थे। जबरदस्ती है, ये ज्यादा लोग है और सरदारजी अकेले हैं। पढ़िए…जैन समाज ने कोर्ट से जीतने का किया दावा
पूरे मामले में पीड़ित पक्ष से बात करने के बाद दैनिक भास्कर की टीम जैन समाज का पक्ष जानने के लिए पहुंची। लेकिन उन्होंने किसी भी प्रकार की बात करने से मना कर दिया। हालांकि उनका कहना है कि इस पूरे मामले में वे सच के साथ खड़े हैं। ये जमीन हमारे भगवान श्रीजी के मंदिर की है। जिस पर सिख परिवार के लोगों ने कब्जा कर रखा है। सभी दस्तावेज प्रशासन के पास भी है, वहां से देख सकते हैं। पढ़िए…एसडीएम कोर्ट द्वारा की गई कार्रवाई
खेत से सटी गांव के जैन मंदिर की 14 बीघा जमीन है। इस जमीन में 550 वर्गमीटर की कमी होने के चलते वेद प्रकाश और जैन मंदिर प्रबंध समिति के बीच SDM कोर्ट में मुकदमा चल रहा है। अक्टूबर 2024 में कोर्ट ने जैन मंदिर प्रबंध समिति के पक्ष में फैसला सुनाया। इसके बाद, 2 जनवरी, 2025 को राजस्व टीम फोर्स के साथ कब्जा दिलाने पहुंची थी, तब वेद प्रकाश अपने घर की तीसरी मंजिल पर चढ़कर जान देने की धमकी देने लगा। पुलिस ने उसे समझाकर नीचे उतारा था, इसके बाद राजस्व टीम लौट गई थी। 31 जनवरी को राजस्व टीम ने दोबारा पैमाइश करने पहुंची। उस समय घर के पुरुष बाहर थे। महिलाओं ने पैमाइश का विरोध किया। इसके बाद पुलिस और प्रशासन की टीम को लौटना पड़ा था। लेकिन 8 मार्च को प्रशासनिक और पुलिस टीम की आंखों में धूल झोंककर सरदार वेदप्रकाश ने खुद को आग लगा ली। लेकिन पीड़ित परिवार का आरोप है कि उन्होंने खुद आग नहीं लगाई है, उनको षड़यंत्र के तहत जलाया गया है। पढ़िए…एसडीएम किस आधार पहुंचे थे पैमाइश करने
एसडीएम सदर अंकुर वर्मा का कहना है-जैन समाज के पदाधिकारी राकेश जैन ने 14 नवबंर 2022 को तहसीलदार को प्रार्थना पत्र दिया था। जमीन को कब्जामुक्त कराने के लिए। 21 नवंबर 2022 को पैमाइश कर जांच आख्या मांगी थी। राजस्व निरीक्षक 6 जनवरी 2023 को तहसीलदार की संतुति पर 11 जनवरी 2023 को प्रस्तुत की। तीन मार्च को टीम जमीन की पैमाइश करने के लिए पहुंची थी। लेकिन तब भी सिख परिवार ने हंगामा किया था। जिसके बाद टीम को बैरंग ही लौटना पड़ा था। लेकिन 8 मार्च को जब कोर्ट के आदेश का पालन कराने के लिए वहां राजस्व टीम और पुलिस बल के साथ पहुंची तो हंगामे के आसार को देखते हुए और कोई घटना न हो और पैमाइश सकुशल निपट जाए। क्योंकि ये परिवार तीन बार पहले भी इस प्रकार की हरकत कर चुका है। इसके लिए महिला ममता को थाने में बैठाया गया। लेकिन अचानक से सरदार वेद प्रकाश पीछे खेत में लगे ट्यूबवैल में रखी एक कैन से ज्वलनशील पदार्थ अपने ऊपर उड़ेल कर और आग लगा ली। विधायक के बयान से प्रशासन बैकफुट पर पहुंची
दरअसल, विधायक मुकेश चौधरी इस मामले को दोनों पक्षों को बैठाकर निपटाने का दावा कर रहे थे। इसके लिए प्रशासनिक अधिकारियों से बात करने का दावा भी कर रहे थे। लेकिन सूत्रों के अनुसार, पीड़ित परिवार विधायक पर ही गंभीर आरोप लगा रहा है और पूरी घटना का जिम्मेदार होने का दावा भी कर रहा है। हालांकि विधायक इस मामले को शांतिपूर्ण तरीके से बातचीत कर निपटाने की बात करने का दावा कर रहे हैं। विधायक ने 8 मार्च को मीटिंग कर दोनों पक्षों को समझाने का दावा भी किया है। लेकिन पीड़ित परिवार का आरोप है कि ऐसी कोई मीटिंग की बात उनके सामने नहीं की गई। सहारनपुर में 8 मार्च को किसान वेद प्रकाश ने खुद पर ज्वलनशील पदार्थ उड़ेलकर आग लगा ली। ये घटना विवादित जमीन की पैमाइश के दौरान प्रशासनिक अमले के सामने हुई। झगड़ा सिख परिवार और जैन समाज के बीच एक 550 वर्गमीटर के टुकड़े का है। जिस पर सिख परिवार का कब्जा है, लेकिन जैन समाज मंदिर की जमीन होने का दावा पेश कर रहा है। सिख परिवार 2012 में कोर्ट से मुकदमा जीतने का हवाला दे रहा है, हालांकि वो अभी कोई दस्तावेज नहीं दिखा पाए। लेकिन जैन समाज के लोग भी कोर्ट से मुकदमा जीतने का दावा कर रहे हैं। इसके कागजात होने का दावा किया जा रहा है। दैनिक भास्कर की टीम इस पूरे घटनाक्रम को जानने के लिए सहारनपुर से करीब 30 किलोमीटर दूर गांव सुल्तानपुर में पहुंची। पढ़िए…पूरा घटनाक्रम 8 मार्च दोपहर करीब एक बजे एसडीएम अंकुर वर्मा राजस्व टीम और पुलिस बल के साथ धारा-24 के तहत विवादित जमीन की पैमाइश करने पहुंचे थे। सब कुछ ठीक चल रहा था, पैमाइश सरदार वेदप्रकाश का भाई लाजपत एसडीएम के साथ नक्शे के हिसाब से करा रहे थे। तभी घर पीछे खेत से किसान वेद प्रकाश अपने शरीर पर ज्वलनशील पदार्थ उड़ेल और आग लगाकर पहुंचा। तभी प्रशासनिक अधिकारियों सकते में आ गए। किसान जलते हुए वह खेत में इधर-उधर भागने लगा। पुलिसकर्मी भी दौड़कर कंबल, बोरी से आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन आग नहीं बुझी। पेड़ की टहनियों और घास-फूस से किसी तरह आग बुझाई। किसान करीब 5 मिनट तक जलता रहा। पुलिस तुरंत किसान को राजकीय मेडिकल कॉलेज में लेकर गई। वहां से गंभीर हालत देखते हुए दिल्ली के सफदरगंज हॉस्पिटल में भेज दिया गया। जहां पर किसान वेद प्रकाश जिंदगी-मौत की जंग लड़ रहे हैं। पढ़िए…पीड़ित परिवार और पड़ोसियों ने क्या कहा? 2012 में कोर्ट से जीते थे केस
किसान वेद प्रकाश की पत्नी ममता ने बताया- जमीन को लेकर विवाद चल रहा है। जब ये लोग आते हैं, तब घर पर कोई नहीं होता है। आरोप लगाया है कि प्रशासन और जैन समाज के लोग 8 मार्च को अचानक ही आ गए। न तो कोई नोटिस भेजा। मैं बच्चों को स्कूल में लेने गई थी, तभी मुझे रास्ते में ही पुलिस पकड़कर ले गई। थाने न ले जाकर किसी के घर पर बैठा दिया। पति और देवर को कब्जे में लिया। ममता का आरोप है-परिवार की महिलाओं और बच्चों को भी कमरे में बंद कर दिया। वो आरोप लगा रही है कि मिट्टी का तेल छिड़कर पति को जिंदा जलाया है। जो हुआ अच्छा नहीं हुआ। दो बार पहले भी आ चुके हैं। ये हमारी जमीन ही है। जैन समाज हमें परेशान कर रहा है। हम केस भी जीते थे 2012 में। सभी कागजात है। लेकिन जैन समाज के लोग परेशान कर रहे हैं। बेटी बोली- 5 मिनट में 10 बार पापा से बात की
किसान वेद प्रकाश की कोई बच्चे नहीं है। उनके भाई के बच्चों को ही अपना समझते हैं। बेटी खुशी ने कहा- वो उस समय स्कूल में थी। मुझे जब पता चला तो मैं घर आ रही थी। तब मुझे भी घर आने नहीं दिया। लेकिन मैं किसी तरह आ गई। जब घर पहुंची तो पता चला मेरी मम्मी को पुलिस पकड़कर ले गई। चाची को घर में बंद कर रखा था। मम्मी के बारे में पूछा तो चाची ने पता न होने की बात कही। खुशी ने बताया- पापा वेद प्रकाश खेत में पीछे काम कर रहे थे। छतों पर पुलिस फोर्स खड़ी थी। छावनी में घर तब्दील था। ऊपर पहुंची तो अपने पापा से 5 मिनट में करीब 10 बार फोन पर बात की। पुलिस आने-जाने नहीं दे रही थी। उनका हाल पूछा, मम्मी के बारे में पूछा तो पापा ने बताया कि मुझे नहीं पता। फोन करते-करते पापा आग में झुलसे हुए ही दिखाई दिए। बेटी खुशी का आरोप है कि मैंने छत से देखा कि जैन समाज के 2 लोग हाथ में केरोसिन लिए हुए थे और माचिस भी थी। आरोप है कि जैन समाज के लोगों ने ही मेरे पिता को आग लगाई है। जेठ नहीं पीते बीड़ी-सिगरेट, माचिस कहां से आई?
किसान वेदप्रकाश के भाई लाजपत की पत्नी रीता रानी का कहना है- मुझे बुखार था, कमरे में लेटी हुई थी। पति खाना खाकर खाट पर लेटे हुए थे। पुलिस आई तो पति को पकड़ लिया। जेठ छत पर खाना खा रहे थे। उन्हें भी पकड़ लिया। सब जगह पुलिस थी। जेठानी ममता बच्चों को लाने की बात कहकर निकली। रास्ते में ही दो लेडीज पुलिस साथ-साथ जा रही थी। उन्हें पकड़कर ले गई। पैमाइश चल रही थी। जेठ खेत पर काम कर रहे थे। तभी जेठ के चिल्लाने की आवाज आई। हम भागने लगे। हम केरोसिन का यूज नहीं करते हैं। मेरे जेठ बीडी-सिगरेट नहीं पीते हैं। माचिस कहां से आई? सही से जांच होनी चाहिए। पड़ोसन बोली-सारा खेल भाजपा विधायक का
पड़ोसी सुषमा का कहना है- 2 महीने से इस मामले को तूल दिया जा रहा है। 8 मार्च को ये लोग आए और किसी को पास में भी आने नहीं दिया। महिला का कहना है कि इन्होंने उसे कैसे जलाया और कैसे नहीं ये किसी को दिखाई नहीं दिया। लेकिन जलता हुई दिखाई दिया। जमीन सरदार सिंह की होने का दावा महिला भी कर रही है। ये तीन भाई है। जैन समाज के लोगों की जमीन इससे अलग है। करीब 40 साल से इसका कब्जा है। आरोप है कि जैन समाज ने सैनी समाज की जमीन पर भी कब्जा कर लिया है। महिला ने भाजपा विधायक मुकेश चौधरी पर पूरे घटनाक्रम का आरोप लगाया है। बोली- उन्होंने गुंडे पाल रखे हैं। भांजा बोला-मेरे मामा उग्रवादी नहीं है, जो इतनी पुलिस आई
किसान के भांजे मुकेश कुमार का कहना है- मेरे मामा पर सारी जमीन के डॉक्यूमेंट्स है। 2012 में इस जमीन का केस भी कोर्ट से जीते थे। उसकी डिग्री भी है। पहले भी तीन बार आए। ना नोटिस दिखाते हैं और ना कोई कागजात दिखाते हैं। किसी ने कोई डिग्री चेक नहीं की। थाने के बहाने मामी को लेकर गए और किसी ओर के घर बैठाए रखा। किडनैपिंग की गई मामी की। मुकेश का कहना है- 8 मार्च को करीब 250 पुलिसकर्मी थे। इतनी बड़ी संख्या में पुलिस वाले क्यों बुलाए गए? ये कोई उग्रवादी नहीं थे। सब जगह प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस थी। मामा पीछे से आग लगे हुए आए। नाकाबंदी की हुई थी। किसी को आने नहीं दिया। आग किसने लगाए, कोई नहीं जानते हैं। मेडिकल कॉलेज ले गए उन्हें। सभी अधिकारी थे। मामा का बयान किसी ने दर्ज नहीं किया। मामा गवाही देने की बात कह रहे थे। हम चंडीगढ़ के लिए रेफर कह रहे थे, लेकिन इन्होंने दिल्ली भेज दिया। आरोप है कि दो घंटे एम्बुलेंस आने में लगे, यहां कोई एम्बुलेंस नहीं थी। शामली से मंगवाई। मामा तड़प रहे थे। मामा करीब 5 घंटे में तड़पते हुए दिल्ली पहुंचे। रास्ते में जाम था। जैन समाज ने फिर कब्जा क्यों करने दिया
सरसावा के रहने वाले गुरबाज सिंह का कहना है- जब हमें पता चला तो हम मौके पर पहुंचे। तब तक सरदार वेद प्रकाश जल चुके थे। पुलिस मेडिकल कॉलेज ले जा रही थी। जैन समाज अपनी और सरदार जी अपनी जमीन होने का दावा करते हैं। ये मामला भाजपा विधायक मुकेश चौधरी के यहां भी था। दोनों पक्षों को बुलाकर ये कहा था कि हम इसको अपने आप निपटा देंगे। प्रशासन को भी मना किया था। सरदार जी के साथ अन्याय हुआ है। प्रत्यक्ष रूप में सरदारजी की जमीन देखने में लग रही है। जब जैन समाज की जमीन थी तो क्यों कब्जा करने दिया? कोर्ट से केस जीते थे। जबरदस्ती है, ये ज्यादा लोग है और सरदारजी अकेले हैं। पढ़िए…जैन समाज ने कोर्ट से जीतने का किया दावा
पूरे मामले में पीड़ित पक्ष से बात करने के बाद दैनिक भास्कर की टीम जैन समाज का पक्ष जानने के लिए पहुंची। लेकिन उन्होंने किसी भी प्रकार की बात करने से मना कर दिया। हालांकि उनका कहना है कि इस पूरे मामले में वे सच के साथ खड़े हैं। ये जमीन हमारे भगवान श्रीजी के मंदिर की है। जिस पर सिख परिवार के लोगों ने कब्जा कर रखा है। सभी दस्तावेज प्रशासन के पास भी है, वहां से देख सकते हैं। पढ़िए…एसडीएम कोर्ट द्वारा की गई कार्रवाई
खेत से सटी गांव के जैन मंदिर की 14 बीघा जमीन है। इस जमीन में 550 वर्गमीटर की कमी होने के चलते वेद प्रकाश और जैन मंदिर प्रबंध समिति के बीच SDM कोर्ट में मुकदमा चल रहा है। अक्टूबर 2024 में कोर्ट ने जैन मंदिर प्रबंध समिति के पक्ष में फैसला सुनाया। इसके बाद, 2 जनवरी, 2025 को राजस्व टीम फोर्स के साथ कब्जा दिलाने पहुंची थी, तब वेद प्रकाश अपने घर की तीसरी मंजिल पर चढ़कर जान देने की धमकी देने लगा। पुलिस ने उसे समझाकर नीचे उतारा था, इसके बाद राजस्व टीम लौट गई थी। 31 जनवरी को राजस्व टीम ने दोबारा पैमाइश करने पहुंची। उस समय घर के पुरुष बाहर थे। महिलाओं ने पैमाइश का विरोध किया। इसके बाद पुलिस और प्रशासन की टीम को लौटना पड़ा था। लेकिन 8 मार्च को प्रशासनिक और पुलिस टीम की आंखों में धूल झोंककर सरदार वेदप्रकाश ने खुद को आग लगा ली। लेकिन पीड़ित परिवार का आरोप है कि उन्होंने खुद आग नहीं लगाई है, उनको षड़यंत्र के तहत जलाया गया है। पढ़िए…एसडीएम किस आधार पहुंचे थे पैमाइश करने
एसडीएम सदर अंकुर वर्मा का कहना है-जैन समाज के पदाधिकारी राकेश जैन ने 14 नवबंर 2022 को तहसीलदार को प्रार्थना पत्र दिया था। जमीन को कब्जामुक्त कराने के लिए। 21 नवंबर 2022 को पैमाइश कर जांच आख्या मांगी थी। राजस्व निरीक्षक 6 जनवरी 2023 को तहसीलदार की संतुति पर 11 जनवरी 2023 को प्रस्तुत की। तीन मार्च को टीम जमीन की पैमाइश करने के लिए पहुंची थी। लेकिन तब भी सिख परिवार ने हंगामा किया था। जिसके बाद टीम को बैरंग ही लौटना पड़ा था। लेकिन 8 मार्च को जब कोर्ट के आदेश का पालन कराने के लिए वहां राजस्व टीम और पुलिस बल के साथ पहुंची तो हंगामे के आसार को देखते हुए और कोई घटना न हो और पैमाइश सकुशल निपट जाए। क्योंकि ये परिवार तीन बार पहले भी इस प्रकार की हरकत कर चुका है। इसके लिए महिला ममता को थाने में बैठाया गया। लेकिन अचानक से सरदार वेद प्रकाश पीछे खेत में लगे ट्यूबवैल में रखी एक कैन से ज्वलनशील पदार्थ अपने ऊपर उड़ेल कर और आग लगा ली। विधायक के बयान से प्रशासन बैकफुट पर पहुंची
दरअसल, विधायक मुकेश चौधरी इस मामले को दोनों पक्षों को बैठाकर निपटाने का दावा कर रहे थे। इसके लिए प्रशासनिक अधिकारियों से बात करने का दावा भी कर रहे थे। लेकिन सूत्रों के अनुसार, पीड़ित परिवार विधायक पर ही गंभीर आरोप लगा रहा है और पूरी घटना का जिम्मेदार होने का दावा भी कर रहा है। हालांकि विधायक इस मामले को शांतिपूर्ण तरीके से बातचीत कर निपटाने की बात करने का दावा कर रहे हैं। विधायक ने 8 मार्च को मीटिंग कर दोनों पक्षों को समझाने का दावा भी किया है। लेकिन पीड़ित परिवार का आरोप है कि ऐसी कोई मीटिंग की बात उनके सामने नहीं की गई। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
सहारनपुर में किसान के आग लगाने पर ग्राउंड रिपोर्ट:पीड़ित पक्ष बोला-क्या वो उग्रवादी थी, जो इतनी फोर्स लाए
