ब्रह्मोस बनने लगीं, यूपी हथियारों का सबसे बड़ा सप्लायर होगा:कानपुर में ड्रोन, आगरा में रडार बनेंगे; डिफेंस कॉरिडोर में शामिल हैं 6 शहर तारीख- 1 फरवरी, 2018
तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट 2018-19 में देश में दो डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर की घोषणा की। पहला तमिलनाडु, दूसरा यूपी के लिए। यूपी में डिफेंस कॉरिडोर के लिए 6 शहर- अलीगढ़, आगरा, कानपुर, चित्रकूट, झांसी और लखनऊ को चुना गया। तारीख- 11 मई, 2025
वित्त मंत्री की घोषणा के 7 साल 3 महीने बाद लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइल यूनिट का इनॉगरेशन किया गया है। दिल्ली से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह वर्चुअली जुड़े। सीएम योगी आदित्यनाथ यूनिट में रहे। राजनाथ ने कहा, ब्रह्मोस की धमक रावलपिंडी तक सुनाई दी। ये दो तारीखें यूपी के डिफेंस सेक्टर के लिए काफी अहम हैं। हम डिफेंस सेक्टर के दूसरे चरण में पहुंच गए हैं। लखनऊ से लेकर चित्रकूट तक में एक्सप्रेस-वे के किनारे बने रहे डिफेंस कॉरिडोर के लिए जमीनों का अधिग्रहण का काम तेजी से चल रहा है। डिफेंस कंपनियां एक के बाद एक यूनिटें तैयार कर रही हैं। कानपुर में तो ड्रोन और हल्के हथियार बनने शुरू हो गए हैं। दैनिक भास्कर की स्पेशल रिपोर्ट में पढ़िए, कहां पर क्या बन रहा है? 10 सालों में डिफेंस सेक्टर में यूपी सबसे बड़ा गेमचेंजर कैसे साबित होगा? कहां कितनी नौकरी और राेजगार मिलेगा? सबसे पहले जानिए अब तक क्या हुआ और आगे क्या यूपी सरकार के मुताबिक, जनवरी 2025 तक डिफेंस कॉरिडोर के लिए यूपी सरकार ने 169 कंपनियों के साथ करीब 28 हजार 4 सौ 75 करोड़ रुपए के समझौते (MOU) किए हैं। इनमें से 57 कंपनियों को जमीन अलॉट की जा चुकी हैं। 87 कंपनियों को जमीन अलॉटमेंट की प्रक्रिया चल रही है। कुल 1649 हेक्टेयर जमीन एक्वायर की जा चुकी है। सभी यूनिट लग जाने के बाद करीब 46 हजार 667 लोगों को रोजगार मिलेगा। डिफेंस एक्सपर्ट के मुताबिक, अगले चार वर्ष में सिर्फ यूपी से 25 हजार करोड़ के रक्षा उत्पादों का निर्यात होगा। मिसाइल, ड्रोन, गोला-बारूद और छोटे हथियारों की सप्लाई में सबसे बड़ा सप्लायर होगा। अब जानिए 6 शहरों में क्या बनेगा, क्या बन रहा? 1- कानपुर: हल्के एयरक्राफ्ट, ड्रोन, राइफल
कानपुर में पहले से ही फील्ड गन फैक्ट्री में धनुष तोप बन रही है। रिवॉल्वर बनाने की फैक्ट्री भी है। पिछले साल यहां अडाणी ग्रुप की डिफेंस कॉरिडोर की पहली यूनिट 250 एकड़ में बनकर तैयार हुई। ग्रुप ने इसमें 1500 करोड़ रुपए इन्वेस्ट किया है। फैक्ट्री में हल्के एयरक्राफ्ट, तोप, AK-47, कार्बाइन, पिस्टल, ड्रोन और स्नाइपर राइफल जैसे 41 तरह हथियार बनाए जाएंगे। यह एशिया का सबसे बड़ा एम्युनिशन कॉम्प्लेक्स (अस्त्र-शस्त्र निर्माण क्षेत्र) है। यहां से दुनियाभर में हथियार और कारतूस की सप्लाई की जाएगी। अडाणी ग्रुप के मुताबिक, कानपुर में और 2 यूनिट भी बनाई जा रही हैं। इनका भी निर्माण तेजी से चल रहा है। निवेश अगले 5 साल में 3 हजार करोड़ रुपए तक पहुंचेगा। अडाणी डिफेंस एंड एयरोस्पेस ने भारतीय सेना के लिए 7 तरह के UAV ड्रोन तैयार किए हैं। ये ड्रोन मानव रहित हैं। ये दुर्गम पहाड़ियों पर सैकड़ों फीट की ऊंचाई से दुश्मन के मूवमेंट की वीडियो-फोटो भेज सकते हैं। वक्त पड़ने पर मिसाइल अटैक कर सकते हैं। इनकी टेस्टिंग सेना कर रही है। इसके अलावा राइफल में यूज होने वाली गोलियां और टैंक के गोले बन रहे हैं। रोजगार: 4 हजार लोगों को डायरेक्ट और 20 हजार लोगों को इन-डायरेक्ट तरीके से रोजगार मिलेगा। 2- झांसी: मिसाइल और गोला-बारूद
यहां पूर्व सीडीएस जनरल विपिन रावत के नाम पर डिफेंस कॉरिडोर आकार ले रहा है। झांसी में अब तक 16 कंपनियों को 531 हेक्टेयर जमीन दी जा चुकी है। भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL) ने 140 करोड़ रुपए की लागत से अपनी यूनिट के निर्माण का काम शुरू कर दिया है। BDL यहां 400 करोड़ का निवेश कर मिसाइलें बनाएगी। इसके अलावा स्वीडन की कंपनी साब एबी को भी यहां जमीन आवंटित की जा चुकी है। विजयन त्रिशूल डिफेंस कंपनी को जमीन मिल गई है। कंपनी छोटे कैलिबर के हथियारों और गोला-बारूद का निर्माण करेगी। साथ ही एक अन्य कंपनी लॉरेंको डिफेंस प्राइवेट लिमिटेड को भी जमीन दी गई है। रोजगार: यहां 5 हजार से अधिक लोगों को नौकरियां मिलेंगी। 3- आगरा: रडार और कम्युनिकेशन इक्विपमेंट्स बनेंगे
यहां 123 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण हो चुका है। भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड (BHEL) 400 करोड़ रुपए से रडार बनाने की फैक्ट्री लगा रही है। जमीन के सर्वे काम पूरा हो चुका है। अभी कोई यूनिट तैयार नहीं हुई है। 4- लखनऊ: ब्रह्मोस मिसाइल
लखनऊ में 12 कंपनियों को जमीन दी गई है। यहां ब्रह्मोस मिसाइल की यूनिट का शुभारंभ हो चुका है। शुरू में 100 से अधिक मिसाइलों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया गया है। ब्रह्मोस मिसाइल के अलावा गोला-बारूद और ड्रोन का निर्माण होगा। इसके अलावा कॉमन टेस्टिंग फैसिलिटी सेंटर बनेगा, जहां मॉडर्न हथियारों की टेस्टिंग होगी। रोजगार: प्रत्यक्ष तौर पर 3 हजार नौकरियां मिलेंगी, जबकि अप्रत्यक्ष रूप से 10 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। 5- अलीगढ़: ड्रोन और काउंटर ड्रोन का हब
अलीगढ़ में 24 कंपनियों को जगह मिल गई है। यहां ड्रोन, काउंटर ड्रोन सिस्टम और रडार निर्माण का हब बन रहा है। वेरीविन डिफेंस प्राइवेट लिमिटेड और अमेरिकी कंपनी स्मिथ एंड वेसन रिवॉल्वर-पिस्टल बनाने लगी हैं। अमित इंडस्ट्रीज यहां रडार बना रही है। रोजगार: यहां 5600 लोगों को डायरेक्ट नौकरी और 12 हजार को रोजगार मिलेगा। 6- चित्रकूट: ड्रोन, मिसाइल
अब तक परियोजना के लिए 85% भूमि का अधिग्रहण हो चुका है, जबकि शेष भूमि अधिग्रहण का कार्य तेजी से चल रहा है। यहां पर ड्रोन और मिसाइल के अलावा हेलिकॉप्टर, स्पेशल गाड़ियां, रोबोटिक, मिसाइल, फायरिंग रेंज उपकरण, हथियार, टैंक, मोटर इंजन बनाने की यूनिट लगेंगी। अंशुल मेटल एंड पॉलीमर्स कंपनी यहां 6000 करोड़ रुपए का निवेश कर रही है। रोजगार: सभी यूनिट लग जाने के बाद यहां डायरेक्ट 5 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। क्यों इन्हीं 6 शहरों को चुना गया?
ये सभी शहर एक्सप्रेस-वे के पास है। इसलिए इनकी कनेक्टिविटी बेहतर है। लखनऊ, कानपुर, आगरा में एयरपोर्ट हैं। चित्रकूट और झांसी में एयरपोर्ट प्रस्तावित हैं। अलीगढ़ के पास जेवर एयरपोर्ट बन रहा है। क्या होता है डिफेंस कॉरिडोर और क्यों जरूरी है?
डिफेंस कॉरिडोर का मतलब एक ऐसा रूट होता है, जहां सेना की जरूरत का सामान बनाया जाता है। इसमें जवानों की वर्दी से लेकर बड़े-बड़े हथियार, ग्रेनेड, टैंक, आर्मी ट्रक, ऐम्बुलेंस, हेलमेट आदि शामिल हैं। भारत अब तक हथियारों और रक्षा उपकरणों के लिए बड़ी हद तक विदेशों पर निर्भर रहा है। इसे दूर करने के लिए देश में ही रक्षा उपकरणों को निर्माण किया जा रहा है। डिफेंस कॉरिडोर के माध्यम से देश में ही रक्षा उपकरणों का निर्माण होगा, जिससे आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम होगा। डिफेंस इंपोर्ट-एक्सपोर्ट में भारत की हिस्सेदारी ग्राफिक्स से समझिए… ————————– ये भी पढ़ें…. राजनाथ बोले- ऑपरेशन सिंदूर ने आतंक पीड़ितों को इंसाफ दिलाया:कहा- इस मिसाइल की धमक रावलपिंडी तक सुनाई दी
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइल यूनिट का वर्चुअली इनॉगरेशन किया। इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान को चेतावनी दी, कहा- भारतीय सेना ने पराक्रम दिखा दिया है। आतंकवाद के लिए सरहद पार की जमीन भी सुरक्षित नहीं रहेगी। हमने केवल सीमा से सटे सैन्य ठिकानों पर ही कार्रवाई नहीं की, बल्कि भारत की सेनाओं की धमक उस रावलपिंडी तक सुनी गई, जहां पाकिस्तानी फौज का हेडक्वार्टर मौजूद है। पूरी खबर पढ़ें…