पंजाब के श्री मुक्तसर साहिब में माघी जोर मेला सम्मेलन की तैयारी के लिए आज शिरोमणि अकाली दल के प्रधान रहे सुखबीर सिंह बादल ने नई पार्टी बना रहे बागी गुट के नेताओं को जवाब दिया। सुखबीर सिंह बादल ने कहा- विपक्ष राजनीति की दुकान चलाता है। जबकि बादल परिवार ने राजनीति को सेवा मान लिया है। लोकसभा चुनाव के दौरान यही नेता कहते थे कि हम राजनीति नहीं करेंगे और अब नई पार्टी बनाने में लगे हैं। सुखबीर सिंह बादल ने आगे कहा- अगर अकाली दल ने उप चुनाव नहीं लड़ा तो उन्होंने भी नहीं लड़ा। अकाली दल को खत्म करने की साजिश रची जा रही हैं। सरबजीत सिंह खालसा अपनी जीत के बाद निर्वाचन क्षेत्र के लोगों से मिलने तक नहीं पहुंचे। उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं को धन्यवाद देना भी जरूरी नहीं समझा। पंजाब का वर्चस्व बनाए रखने के लिए शिरोमणि अकाली दल को मजबूत किया जाना चाहिए। बादल बोले- गैंगस्टर किसी को भी फोन कर पैसे ले लेते हैं सुखबीर सिंह बादल ने आगे कहा कि कोई भी लीडर एक दिन में नहीं बनता, इसके लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ता है। पंजाब में आज गैंगस्टर जिससे चाहते हैं, फोन कर पैसे ले लेते हैं। आज कल नया चलन चला है कि थानों में बम फेंके जा रहे हैं। लोगों ने हमारे खिलाफ जमकर सियासत की, मगर हम कुछ नहीं बोले। अकाली दल गुरुओं की पार्टी है। सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि मेरे और अकाली दल के लिए श्री अकाल तख्त साहिब सुप्रीम है। जो लोग नई पार्टी बना रहे हैं, उन्हें एक बार पूछा जाना चाहिए कि वह श्री अकाल तख्त साहिब को मानते भी हैं क्या?। बादल बोले- सांसद अमृतपाल पर साधा निशाना सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि श्री अकाल तख्त साहिब हमारे कौम की सुप्रीमो है। बादल ने कहा- अब जंग शुरू हो गई है। क्योंकि हमें पंजाब और अपनी कौम को बचाना है। अगर पंजाब में तरक्की चाहिए तो सिर्फ अकाली दल कर सकता है। मुझे तो डर है कि कहीं कोई झूठ बोलने वाला न आ जाए, जो कि लोगों को भावुक कर अपनी तरफ करें। जिसके बाद फरीदकोट के एमपी खालसा पर निशाना साधा। सांसद अमृतपाल सिंह पर निशाना साधते हुए कहा कि हमारे बुजुर्गों ने 16-16 साल जेल काटी है। यहां एक साल में ही लोगों की चींखे निकली हुई हैं। चुनाव में दो साल रह गए हैं, लोगों को मन बनाना पड़ेगा। पंजाब के श्री मुक्तसर साहिब में माघी जोर मेला सम्मेलन की तैयारी के लिए आज शिरोमणि अकाली दल के प्रधान रहे सुखबीर सिंह बादल ने नई पार्टी बना रहे बागी गुट के नेताओं को जवाब दिया। सुखबीर सिंह बादल ने कहा- विपक्ष राजनीति की दुकान चलाता है। जबकि बादल परिवार ने राजनीति को सेवा मान लिया है। लोकसभा चुनाव के दौरान यही नेता कहते थे कि हम राजनीति नहीं करेंगे और अब नई पार्टी बनाने में लगे हैं। सुखबीर सिंह बादल ने आगे कहा- अगर अकाली दल ने उप चुनाव नहीं लड़ा तो उन्होंने भी नहीं लड़ा। अकाली दल को खत्म करने की साजिश रची जा रही हैं। सरबजीत सिंह खालसा अपनी जीत के बाद निर्वाचन क्षेत्र के लोगों से मिलने तक नहीं पहुंचे। उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं को धन्यवाद देना भी जरूरी नहीं समझा। पंजाब का वर्चस्व बनाए रखने के लिए शिरोमणि अकाली दल को मजबूत किया जाना चाहिए। बादल बोले- गैंगस्टर किसी को भी फोन कर पैसे ले लेते हैं सुखबीर सिंह बादल ने आगे कहा कि कोई भी लीडर एक दिन में नहीं बनता, इसके लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ता है। पंजाब में आज गैंगस्टर जिससे चाहते हैं, फोन कर पैसे ले लेते हैं। आज कल नया चलन चला है कि थानों में बम फेंके जा रहे हैं। लोगों ने हमारे खिलाफ जमकर सियासत की, मगर हम कुछ नहीं बोले। अकाली दल गुरुओं की पार्टी है। सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि मेरे और अकाली दल के लिए श्री अकाल तख्त साहिब सुप्रीम है। जो लोग नई पार्टी बना रहे हैं, उन्हें एक बार पूछा जाना चाहिए कि वह श्री अकाल तख्त साहिब को मानते भी हैं क्या?। बादल बोले- सांसद अमृतपाल पर साधा निशाना सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि श्री अकाल तख्त साहिब हमारे कौम की सुप्रीमो है। बादल ने कहा- अब जंग शुरू हो गई है। क्योंकि हमें पंजाब और अपनी कौम को बचाना है। अगर पंजाब में तरक्की चाहिए तो सिर्फ अकाली दल कर सकता है। मुझे तो डर है कि कहीं कोई झूठ बोलने वाला न आ जाए, जो कि लोगों को भावुक कर अपनी तरफ करें। जिसके बाद फरीदकोट के एमपी खालसा पर निशाना साधा। सांसद अमृतपाल सिंह पर निशाना साधते हुए कहा कि हमारे बुजुर्गों ने 16-16 साल जेल काटी है। यहां एक साल में ही लोगों की चींखे निकली हुई हैं। चुनाव में दो साल रह गए हैं, लोगों को मन बनाना पड़ेगा। पंजाब | दैनिक भास्कर
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डिंपी ढिल्लों ने SAD छोड़ा, आप में जाने की चर्चा:मनप्रीत बादल की वजह से पार्टी छोड़ी, दलजीत सिंह चीमा की सफाई
डिंपी ढिल्लों ने SAD छोड़ा, आप में जाने की चर्चा:मनप्रीत बादल की वजह से पार्टी छोड़ी, दलजीत सिंह चीमा की सफाई शिरोमणि अकाली दल (SAD) को एक और झटका लगा है। गिद्दड़बाहा के सीनियर अकाली नेता और हलका प्रभारी हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं की मीटिंग बुलाकर इस बारे में ऐलान किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने भरे मन से यह फैसला लिया है। वह करीब 39 से चालीस सालों से पार्टी जुड़े हुए थे। बादल साहब से उनकी पुरानी दोस्ती परिवारवाद की भेंट चढ़ गई। उन्होंने मनप्रीत बादल को एक वजह बताया है। वहीं, उनके आम आदमी पार्टी जॉइन करने की चर्चा है।हालांकि उनका कहना है कि वह पार्टी वर्करों से मीटिंग कर अगला फैसला लेंगे। अकाली दल ढिल्लों का करता है समर्थन दूसरी तरफ अकाली दल के सीनियर नेता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि गिद्दड़बाहा हलके में किसी अन्य पार्टी के किसी भी नेता को आगामी उपचुनाव में उम्मीदवार के रूप में उतारने का कोई इरादा नहीं है। इस तरह की सभी अटकलें झूठी और निराधार हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी ने इस तरह के किसी भी कदम के बारे में किसी से चर्चा नहीं की है। डाॅ. चीमा ने यह भी स्पष्ट किया कि आगामी उपचुनाव के लिए अकाली दल पूरी तरह से भरोसेमंद हरदीप सिंह ढिल्लों का समर्थन करती है। उन्होने ढिल्लों से अकाली दल की विरोधी ताकतों द्वारा फैलाए जा रहे दुष्प्रचार से गुमराह न होने का भी आग्रह किया है। वरिष्ठ अकाली नेता ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने मीटिंगों में खुले तौर पर कहा है कि डिंपी ढिल्लों गिद्दड़बाहा से पार्टी के लिए सबसे अच्छे उम्मीदवार हैं। उन्होंने कहा कि ढिल्लों की उम्मीदवारी की आधिकारिक घोषणा नहीं की जा सकती, क्योंकि संसदीय बोर्ड अभी भी उपचुनाव वाले सभी चार हलकों से उम्मीदवारों को मैदान में उतारने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेने की प्रक्रिया में है। पार्टी अध्यक्ष सहित पूरी पार्टी उनके साथ है और उनसे पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान करने की उम्मीद करती है। 15 मिनट में गिनाया 38 साल का सफर डिंपी ढिल्लों पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देने से पहले फेसबुक पर लाइव हुए। उन्होंने कहा जिस पार्टी से आदमी 37- 38 साल से जुड़ा हूं, उसे छोड़ने का फैसला बडे़ भावुक होकर लेने जा रहा हूं। सबसे बड़ा इमोशन मेरे स्व. पिता शिवराज सिंह ढिल्लों साहब थे। जो कि सारे परिवार काे बादल साहिब की बाजू पकड़ाकर गए थे। साथ ही कहकर गए थे अच्छा बुरा समय पार्टी पर आता है। लेकिन पार्टी का साथ नहीं छोड़ना है। 1989 से पार्टी से जुड़े थे, पीछे मुड़कर नहीं देखा डिंपी ने कहा 1989 में पार्टी में पहली बार भाई शमिंदर सिंह चुनाव लड़े थे, तो मैंने काम किया। 1992 में पार्टी ने चुनाव का बायॅकाट किया था। 1995 में पार्टी ने गिद्दड़बाहा उपचुनाव जीता था। 1997 में पार्टी की पंजाब में सरकार बनी। बादल साहब पंजाब के मुख्यमंत्री बने। 2002 तक सरकार का लाभ उठाया। 2002 में कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार की सरकार बनी। उनकी वजह से हमारा भी काफी नुकसान हुआ। लेकिन हम बादल परिवार के साथ खड़े । हमने मनप्रीत की बजाए सुखबीर बादल को चुना डिंपी ने कहा कि जब भी बादल साहब या सुखबीर जी का जो भी मैसेज आता था। हमेशा उस फैसले काे स्वीकार करते थे। पांच साल की कड़ी मशक्त बाद 2007 में अकाली दल की सरकार बनी । सब कुछ ठीक चल रहा था। 2010 में पार्टी पर संकट आया। मनप्रीत बादल ने एक और पार्टी बना ली। फिर हमारे लिए दो रास्ते बन गए। एक रास्ता मनप्रीत बादल की तरफ जाता था तो दूसरा सुखबीर सिंह बादल की तरफ जाता था। हमने सुखबीर बादल का रास्ता चुना। 2012 में ऐसा लग रहा था पीपीपी की सरकार बनेगी, मनप्रीत बादल मुख्यमंत्री बनेंगे। लेकिन हम ढोले नहीं है। लेकिन अकाली दल पार्टी की डटकर सेवा की और हमारी सरकार बनी। सरकार बनने के बाद हलके की सेवा मुझे दी गई। कभी बादल साहब की पगड़ी को दाग नहीं लगने दिया। पांच साल काम किया। 2017 में पहला चुनाव लड़ा। उस समय पार्टी का स्तर काफी नीचे गिर गया था, बेअदबी व नशों के चलते पार्टी का ग्राफ काफी नीचे था। लेकिन 49 हजार वोट मिले। चुनाव हार गया। पर्चे हुए, लेकिन पार्टी के वर्करों के साथ खड़े रहे डिंपी ने कहा कि फिर कांग्रेस की सरकार आई। कांग्रेस सरकार में बड़े पर्चे हमारे ऊपर करवाए गए। वर्करों को कभी पीठ नहीं दिखाई। 2022 के चुनाव भी डकटर चुनाव लड़े। 50 हजार के करीब वोट पड़े। आम आदमी पार्टी की हवा के बीच 1300 वोटों से चुनाव हार गए। अचानक जनवरी में बादल साहब से मैंने पूछा मनप्रीत ने गिद्दड़बाहा सरगर्मियां बढ़ा दी हैं। क्या आपके ध्यान में है। उन्होंने कहा कि वह अपनी पार्टी जॉइन करना चाहता है। उसका कहना है कि गिद्दड़बाहा से चुनाव लड़ेगा। इसके बाद बादल ने मुझे कहा कि डिंपी सियासत करनी है या नहीं। यह बात मुझे बड़ी चुबी। फिर कहा कि सियासत करनी है तो तू तलवंडी साबो चला जा। मैंने कहा कि मैं वहां नहीं जाऊंगा। मैं घर पर बैठ गया। फिर सुखबीर का फोन आया और कहा मैं तो वैसे ही मजाक किया था, तू तो सीरियस हो गया। तू मेरी किचन कैबिनेट का मेंबर हो, हलका संभाल। फिर दोबारा उपचुनाव की स्थिति बनी तो पूछा प्रधान जी क्या आदेश है। उन्होंने कहा कि तैयारियां शुरू करो। मैंने पूछा कि इलेक्शन कौन लड़ेगा,बता देंगे। एक दिन बीबा जी ने एनाउंस कर दिया कि सुखबीर बादल इलेक्शन लड़ेंगे। हालांकि अगले दिन सुखबीर बादल ने कहा कि मैं चुनाव नहीं लडूंगा। तू इलेक्शन लड़ेगा। फिर मैंने उन्हें कहा कि स्थिति साफ करो। मनप्रीत बादल बोले हम घी खिचड़ी डिंपी ने कहा कि मनप्रीत सिंह बादल साहब फिर एक्टिव हो गए। वह बीजेपी के नेता है। मनप्रीत बीजेपी में शामिल किसी को करवाते नहीं है। मेरे सारे समर्थक कहने लगे पडे़ कि धोखा न हो जाए। गांवों के प्रोग्राम बने गए हैं। फिर मैंने सुखबीर को कहा कि मनप्रीत बादल के बारे में स्थिति साफ करो। मुझे या खुद को उम्मीदवार घोषित कर दो। आखिर में मुझे लगा कि मैं दोनों भाईयों के बीच रोड़ा बन रहा हूं। मनप्रीत बादल गांवों में कहते हैं कि सुखबीर और वह घी खिचड़ी है। ऐसे में हमने तय किया कि इस सिसासत की भेंट नहीं चड़ सकता हूं। इतनी बात जरूर बता दूं कि मैंने किसी से कोई गदारी नहीं की है। मैं घर बैठने जा रहा हूं। 36 -37 साल पुरानी परिवारवाद की भेंट चढ़ गई है।बादल साहब ने मेरे से आंखे फेर ली, लेकिन मैंने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। 2022 में मात्र 1349 वोटों से हारे थे डिंपो ढिल्लों की गिदड़बाहा सीट पर अच्छी पकड़ है। दो बार चुनावों में उसे हार का मुंह देखना पड़ा है। साल 2012 से यहां से लगातार कांग्रेस नेता अमरिंदर सिंह राजा वरिंग चुनाव जीतने आ रहे है। 2017 में उन्होंने हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों को राजा वड़िंग ने हराया था। चुनाव में डिंपी को 47288 को वोट मिले थे, जबकि वड़िंग को 63500 मत मिले थे। जबकि 2022 में जब पूरे राज्य में आम आदमी पार्टी की हवा थी। लेकिन इस सीट पर शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस के बीच में ही मुकाबला था। इस दौरान राजा वड़िंग के वोट कम होकर 50998 रह गए। जबकि डिंपी को 49649 वोट मिले। दोनों में जीत का अंतर 1349 वोट का था। ऐसे में डिंपी ढिल्लों खुद को काफी मजबूत दावेदर इस सीट से मानते हैं। गिद्दड़बाहा सीट SAD का गढ़ गिद्दड़बाहा सीट 1967 में बनी थी। पहला चुनाव यहां से कांग्रेस नेता हरचरण सिंह बराड़ जीते थे। इसके बाद लगातार पांच बार 1969, 72, 77, 80 और 85 में इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल जीते। 1992 में कांग्रेस नेता रघुबीर सिंह जीते। इसके बाद 1995, 97, 2002 और 2007 में सीट से शिरोमणि अकाली दल की टिकट पर मनप्रीत बादल जीतते रहे। जबकि 2012, 2017 और 2022 में इस सीट से कांग्रेस प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग जीते हैं। लेकिन अब वह लुधियाना से लोकसभा सांसद हैं। उन्होंने इस सीट के विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है। इस वजह से यह सीट खाली हुई है।
सरकार खोले रास्ता, हमने नहीं रोका:शंभू बॉर्डर खोलने का मामला, किसानों और प्रशासन की दूसरी मीटिंग भी रही बे नतीजा
सरकार खोले रास्ता, हमने नहीं रोका:शंभू बॉर्डर खोलने का मामला, किसानों और प्रशासन की दूसरी मीटिंग भी रही बे नतीजा पिछले 6 महीने से बंद पड़े शंभू बॉर्डर को खोलने के लिए आज (रविवार) किसानों और प्रशासन के बीच एक अहम पटियाला पुलिस लाइन में दूसरी मीटिंग हुई। इस मीटिंग में कोई नतीजा नहीं निकला। मीटिंग में पंजाब व हरियाणा सरकार के पुलिस व प्रशासन के अधिकारी भी मौजूद थे। मीटिंग के बाद किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि हमने कोई रास्ता बंद नहीं किया। रास्ता हरियाणा व केंद्र सरकार की तरफ से बंद किया गया है। ऐसे में सरकार को शंभू बार्डर खोलना चाहिए। हमने प्रशासन के सामने अपनी बातें रखी है। उन्होंने कहा कि अदालत में केस हम लेकर नहीं गए हैं, यह तो सरकार गई है। हमने प्रशासन के सामने मांग रख दी है। वहीं, उन्होंने कहा कि हरियाणा चाहता है कि किसान ट्रैक्टर ट्रॉलियां लेकर दिल्ली न जाए। लेकिन वह बिना ट्रैक्टर ट्रॉली दिल्ली नहीं जाएंगे। हम पहले दिन से अपनी बात उन्हें साफ कर चुके है। इसके अलावा मीटिंग को लेकर एजेंडा नहीं था। वहीं, इस मीटिंग जगजीत सिंह डल्लेवाल शामिल नहीं हुए। इससे पहले 21 तारीख को भी इस मामले को लेकर मीटिंग हुई थी। 31 अगस्त के संघर्ष की बनाई रणनीति किसान नेता सरबजीत सिंह पंधेर और जगजीत सिंह डल्लेवाल मीटिंग में शामिल होने से पहले पटियाला में स्थित गुरुद्वारा दुख निवारण साहिब में पहुंचे थे। जहां पर किसानों की अन्य जत्थेबंदियों से वह मीटिंग की। इस दौरान उन्होंने 31 अगस्त को शंभू बार्डर समेत 3 जगह पर किए जाने वाले प्रदर्शन को लेकर रणनीति बनाई गई है। किसानों का साफ कहना है कि वह भी चाहते हैं कि रास्ता सबके लिए खोला चाहिए। रास्ता हरियाणा सरकार ने बंद किया है। इस वजह से हर वर्ग के लोगों को परेशान होना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कहा कि प्रशासन की नीयत में खोट है। प्रशासन को नहीं केंद्र को मीटिंग की पहल करनी चाहिए। वहीं, इस मामले की सुनवाई अब 2 सितंबर को शीर्ष अदालत में होनी है। इसी कड़ी में यह मीटिंग की जा रही है। SC ने मीटिंग जारी रखने के दिए थे आदेश शंभू बॉर्डर को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों सरकारों को किसानों के साथ बैठकें जारी रखने के आदेश दिए थे। वहीं, पंजाब को 3 दिन में अन्य कमेटी सदस्यों के नाम देने को भी कहा है। वहीं, इस मीटिंग की रिपोर्ट अगली मीटिंग में सुप्रीम कोर्ट में रखी जाएगी।
पंजाब सीएम को ओलंपिक में जाने से रोका:खन्ना में आप MLA और पूर्व हॉकी खिलाड़ी बोले- पेरिस जाने से रोकना निंदनीय
पंजाब सीएम को ओलंपिक में जाने से रोका:खन्ना में आप MLA और पूर्व हॉकी खिलाड़ी बोले- पेरिस जाने से रोकना निंदनीय पंजाब के सीएम भगवंत सिंह मान को पेरिस ओलंपिक में जाने की इजाजत केंद्र सरकार की तरफ से नहीं दी गई। जिसके बाद प्रदेश की सियासत गरमा गई है। आम आदमी पार्टी की तरफ से इसका विरोध शुरू किया गया। पायल विधानसभा क्षेत्र से आम आदमी पार्टी के विधायक एवं स्टेट स्तरीय हॉकी खिलाड़ी रहे मनविंदर सिंह ग्यासपुरा ने इसकी निंदा की। साथ ही भाजपा सरकार को सीधे तौर पर एक प्रकार की चुनौती भी दी। कदे दादे दीयां ते कदे पोते दीयां विधायक ग्यासपुरा ने कहा कि वे इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। क्योंकि, पेरिस ओलंपिक में पंजाब के 10 खिलाड़ी भाग ले रहे हैं। हाकी टीम का बहुत अच्छा प्रदर्शन है। वे खुद पंजाब टीम के हाकी खिलाड़ी रहे हैं। केंद्र सरकार ने गलत राजनीति करते हुए सीएम भगवंत मान को वहां जाने से रोका है। उन्होंने पंजाबी मुहावरा- “कदे दादे दीयां ते कदे पोते दीयां” का जिक्र करते हुए कहा कि हालात हमेशा एक जैसे नहीं रहते। आज नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं तो कल कोई और हो सकता है। इसलिए भाजपा को उतने ही जुल्म करने चाहिए जितने बाद में वे खुद भी झेल सकें। स्पीकर संधवां को अमेरिका से रोकना भी गैर संवैधानिक विधायक ग्यासपुरा ने कहा कि सीएम मान के अलावा पंजाब विधानसभा के स्पीकर कुलतार सिंह संधवां को भी अमेरिका जाने से रोका गया है। अमेरिका में लेजिस्टट्रेटिव इकट्ठे हो रहे हैं। वहां विभिन्न प्रकार के आइडिया पर विचार किया जाना है। इस कार्यक्रम में स्पीकर संधवां को जाने की इजाजत न देना गैर संवैधानिक फैसला है। यह राजनीति से प्रेरित है और सियासी बदलाखोरी है।