रामपुर में प्रधानमंत्री जन विकास के तहत बन रहे सांस्कृतिक सद्भावना केन्द्र में बड़ा हादसा हो गया। सांस्कृतिक सद्भावना केंद्र की बिल्डिंग से गिरकर एक महिला श्रमिक की दर्दनाक मौत हो गई। जिले के सिविल लाइंस के पनवाड़िया क्षेत्र में प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के तहत सांस्कृतिक सद्भावना केन्द्र बनाया जा रहा है। करोड़ों रुपए की लागत से बन रहे सांस्कृतिक केंद्र में आज झारखंड के गटका इलाके की रहने वाली जूली पत्नी अखिलेश श्रमिक का काम कर रही थी। इस दौरान दूसरी मंजिल से वह गिर पड़ी, जिसकी उसकी मौके पर ही मौत हो गई। आसपास काम कर रहे मजदूर उसे लेकर जिला अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मृतका के पति अखिलेश ने बताया कि उसके चार छोटे बच्चे हैं। उसकी पत्नी जूली दूसरी मंजिल पर काम कर रही थी। इस दौरान उसकी नीचे गिरने से मौत हो गई। महिला श्रमिक के पंजीकरण को विभाग को नहीं पता सहायक श्रम आयुक्त राजकुमार सिंह ने बताया कि उनके संज्ञान में अब घटना आई है। घटना की पूरी जानकारी जुटाई जा रही है। पूरी जानकारी के बाद उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही महिला श्रमिक विभाग में रजिस्टर्ड थी या नहीं इस बारे में भी जानकारी नहीं मिली। सद्भावना मण्डप को कार्य दायी संस्था पीडब्ल्यूडी भवन खण्ड मुरादाबाद के द्वारा बनाया जा रहा है। रामपुर में प्रधानमंत्री जन विकास के तहत बन रहे सांस्कृतिक सद्भावना केन्द्र में बड़ा हादसा हो गया। सांस्कृतिक सद्भावना केंद्र की बिल्डिंग से गिरकर एक महिला श्रमिक की दर्दनाक मौत हो गई। जिले के सिविल लाइंस के पनवाड़िया क्षेत्र में प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के तहत सांस्कृतिक सद्भावना केन्द्र बनाया जा रहा है। करोड़ों रुपए की लागत से बन रहे सांस्कृतिक केंद्र में आज झारखंड के गटका इलाके की रहने वाली जूली पत्नी अखिलेश श्रमिक का काम कर रही थी। इस दौरान दूसरी मंजिल से वह गिर पड़ी, जिसकी उसकी मौके पर ही मौत हो गई। आसपास काम कर रहे मजदूर उसे लेकर जिला अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मृतका के पति अखिलेश ने बताया कि उसके चार छोटे बच्चे हैं। उसकी पत्नी जूली दूसरी मंजिल पर काम कर रही थी। इस दौरान उसकी नीचे गिरने से मौत हो गई। महिला श्रमिक के पंजीकरण को विभाग को नहीं पता सहायक श्रम आयुक्त राजकुमार सिंह ने बताया कि उनके संज्ञान में अब घटना आई है। घटना की पूरी जानकारी जुटाई जा रही है। पूरी जानकारी के बाद उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही महिला श्रमिक विभाग में रजिस्टर्ड थी या नहीं इस बारे में भी जानकारी नहीं मिली। सद्भावना मण्डप को कार्य दायी संस्था पीडब्ल्यूडी भवन खण्ड मुरादाबाद के द्वारा बनाया जा रहा है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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शपथ ग्रहण से पहले मोदी ने बादल को किया:बोले- NDA में उनका बड़ा योगदान, किसान आंदोलन पर टूटा था गठबंधन नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने से पहले पंजाब के पांच बार के मुख्यमंत्री रहे स्व. प्रकाश सिंह बादल को याद किया है। उन्होंने एनडीए संसदीय दल की मीटिंग में कहा कि NDA में प्रकाश सिंह बादल का योगदान काफी अहम रहा है। हालांकि किसान आंदोलन की वजह से गठबंधन टूट गया था। इस बार अकेले लड़े थे चुनाव इस बार शिरोमणि अकाली दल और भाजपा के मिलकर लाेकसभा चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी थी। दोनों दलों में मीटिंगों का दौर भी शुरू हो गया था। लेकिन चुनाव की तारीखें घोषित होने से पहले फिर से किसान आंदोलन शुरू हो गया था। इसके अलावा बंदी सिखों की रिहाई जैसे कई मुद्दे थे। जिस पर दोनों दलों में सहमति नहीं बन पाई थी। इसके बाद दोनों दलों ने अपने दम पर चुनाव लड़ने का फैसला लिया गया। दोनों दलों की तरफ से सभी 13 सीटों पर अपने-अपने उम्मीदवार उतार गए। हालांकि इससे पहले साल 2022 विधानसभा चुनाव भी दोनों ने अकेले लड़ा था। साथ लड़ते तो 5 सीटें जीत सकते थे साल 2024 के लोकसभा चुनाव में गत वर्षों की तुलना में अकाली दल और बीजेपी का परिणाम बहुत ही खराब रहा है। भाजपा एक भी सीट राज्य में नहीं जीत पाई है। जबकि शिरोमणि अकाली दल अपनी बठिंडा सीट को बचाने में कामयाब रही है। यहां से पार्टी प्रधान सुखबीर बादल की पत्नी हरसिमरत कौर चौथी बार सांसद बनी है। हालांकि चुनाव नतीजों की तरफ देखे तो अगर यह दोनों दल मिलकर चुनाव लड़ते थे, तो पांच सीटें जीते सकते थे। क्योंकि इन सीटों पर मिले वोटों की संख्या विजेता रहे उम्मीदवारों से काफी अधिक हैं। इन सीटों में गुरदासपुर, पटियाला, लुधियाना, फिरोजपुर व अमृतसर शामिल हैं। हालांकि शिरोमणि अकाली दल के नेता भी इस चीज को मान रहे हैं कि अलग चुनाव लड़ने का फैसला गलत था। अकाली नेता प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा का कहना है कि हमारी हालत तो नोटा जैसी हो गई है। गठजोड़ किया होता तो शायद जीते जाते। जबकि 2019 के चुनाव में चार सीटें दोनों दलों ने जीती थी। कौन थे प्रकाश सिंह बादल प्रकाश सिंह बादल ने साल 1947 में राजनीति शुरू की थी। उन्होंने सरपंच का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। तब वे सबसे कम उम्र के सरपंच बने थे। 1957 में उन्होंने पहला विधानसभा चुनाव लड़ा। 1969 में उन्होंने दोबारा जीत हासिल की। 1969-70 तक वे पंचायत राज, पशु पालन, डेयरी आदि मंत्रालयों के मंत्री रहे। इसके अलावा वे 1970-71, 1977-80, 1997-2002 में पंजाब के मुख्यमंत्री बने। वे 1972, 1980 और 2002 में विरोधी दल के नेता भी बने। मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्री रहते वे सांसद भी चुने गए। 2022 का पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने के बाद वे सबसे अधिक उम्र के उम्मीदवार भी बने। हालांकि चुनाव में वह हार गए थे।
Swati Maliwal Case: विभव कुमार को झटका, गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका खारिज
Swati Maliwal Case: विभव कुमार को झटका, गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका खारिज <p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi News:</strong> आप सांसद स्वाति मालीवाल (Swati Maliwal) केस में विभव कुमार (Bibhav Kumar) को दिल्ली हाई कोर्ट से झटका लगा है. गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है. जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने आदेश जारी किया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>विभव कुमार ने अपनी याचिका में कहा था कि उनकी गिरफ्तारी अवैध है. विभव के वकील ने कहा कि एफआईआर दर्ज करने में देरी हुई थी और उनकी गिरफ्तारी 18 मई को हुई है. उस दिन गिरफ्तारी हुई थी जिस दिन उन्होंने स्वेच्छा से जांच में शामिल होने को लेकर पुलिस को आवेदन दिया था. पुलिस ने विभव की याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि विभव कुमार की गिरफ्तारी जल्दबाजी में नहीं हुई थी और इसमें इसका कोई दोष नहीं है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अभी न्यायिक हिरासत में हैं विभव कुमार</strong><br />कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद विभव कुमार की याचिका पर 8 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था. विभव कुमार को न्यायिक हिरासत में रखा गया है. उनपर 13 मई को स्वाति मालीवाल पर हमला करने के आरोप हैं. उन्हें 18 मई को गिरफ्तार किया गया था. उनके खिलाफ 16 मई को भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज किया गया था. विभव की जमानत याचिका पहले ही निचली अदालत और हाई कोर्ट द्वारा खारिज कर दी गई है और सुप्रीम कोर्ट में याचिका लंबित है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>पीटीआई के मुताबिक, विभव कुमार को जमानत देने से इनकार करते हुए हाई कोर्ट ने कहा था कि आरोपी का काफी प्रभाव है और उसे राहत देने का कोई आधार नहीं बनता. कोर्ट ने कहा था कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि जमानत देने पर याचिकाकर्ता मामले में गवाहों को प्रभावित कर सकता है या सबूतों से छेड़छाड़ की जा सकती है.</p>
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<p style=”text-align: justify;”>वहीं, मंगलवार सुबह शारदा सिन्हा के बेटे ने उनके हेल्थ अपडेट को दिया था. साथ ही बताया था कि उनसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बात की और मां के स्वास्थ्य की जानकारी ली थी. उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फोन आया था. उन्होंने मां का हालचाल जाना. पीएम ने एम्स के डायरेक्टर से भी बात की. </p>