‘रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया का अध्यक्ष बनने के लिए बृजभूषण शरण सिंह ने अपने राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल किया। कहा ये भी जाता था कि उन्होंने अपने पक्ष में वोट डालने के लिए कई बड़े नेताओं की मदद ली। मुझे नहीं पता यह कितना सच है, लेकिन यह सच है कि 2012 में फेडरेशन का अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने चुन-चुनकर अपने समर्थकों और परिवार के सदस्यों को स्टेट फेडरेशन्स में जगह दिलाई। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि हर बार नेशनल फेडरेशन का इलेक्शन वही जीते।’ ये अंश हैं रेसलिंग चैंपियन साक्षी मलिक की हाल ही में लॉन्च हुई किताब ‘विटनेस’ के…। किताब में पूरे दो चैप्टर में उन्होंने बृजभूषण के बारे में डिटेल में बताया है। एक में बृजभूषण के राजनीतिक रसूख, उनके बाहुबली और गैंगस्टर होने के चर्चे सहित उनके खिलाफ दर्ज केसों के बारे में जिक्र है। दूसरे चैप्टर ‘नो प्लेस टू हाइड’ में साक्षी मलिक ने उस घटना का जिक्र किया है, जब तत्कालीन रेसलिंग फेडरेशन अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने उनका यौन उत्पीड़न करने की कोशिश की थी। 2016 रियो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली पहली भारतीय रेसलर साक्षी मलिक ने विटनेस नाम से अपनी ऑटोबायोग्राफी लिखी है। किताब 300 पन्नों की है। इसमें बृजभूषण शरण सिंह को लेकर उन्होंने क्या खुलासे किए हैं, सिलसिलेवार पढ़िए- चैप्टर 7: बृजभूषण, पेज नंबर: 81- 87 गोंडा के वोटर्स को लुभाने के लिए बृजभूषण ने नंदिनी नगर में जूनियर नेशनल चैंपियनशिप कराना शुरू किया साक्षी मलिक बृजभूषण नाम के 7वें चैप्टर की शुरुआत बृजभूषण शरण सिंह के राजनीतिक रसूख और उनके 2012 में रेसलिंग फेडरेशन के अध्यक्ष बनने के हालातों से करती हैं। इस चैप्टर में वो आगे बताती हैं कि जब पहली बार 2009 में वो जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में हिस्सा ले रही थीं, तब बृजभूषण शरण सिंह यूपी स्टेट रेसलिंग फेडरेशन के अध्यक्ष थे। बताती हैं कि ये चैंपियनशिप तब उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में एक नंदिनी नगर नाम के एक छोटे से गांव में हो रही थी। इस जगह पर ना रेलवे स्टेशन और ना ही रहने के लिए कोई सुविधा थी। सबसे नजदीक का गोंडा रेलवे स्टेशन वहां से 40 किमी दूर था। दूर-दूर तक वहां कोई भी जरूरत का सामान खरीदने के लिए एक दुकान तक नहीं थी। वो कहती हैं कि गोंडा जिले के एक पिछड़े और दूरदराज इलाके में चैंपियनशिप कराने की सिर्फ एक वजह थी, वो थी- बृजभूषण शरण सिंह। उन्होंने जोर देकर जूनियर नेशनल चैंपियनशिप अपने संसदीय क्षेत्र में शुरू कराई। नंदिनी नगर में खेल के लिए सुविधाएं नहीं, क्षेत्र के लोगों को लड्डू और मिठाइयां बांटी जाती वो लिखती हैं कि नंदिनी नगर, गोंडा के बीचों-बीच था। गोंडा के उस गांव में पहुंचना बहुत मुश्किल था। जब खुद पहली बार मैं गई तो मुझे ट्रेन की कनफर्म टिकट नहीं मिली थी। वो बताती हैं कि कैसे बिना टिकट गोंडा पहुंचने के बाद स्टेशन पर रात गुजारने के लिए मजबूर थीं। साक्षी मलिक कहती हैं- मैं पूरी रात गोंडा स्टेशन पर वॉशरूम के पास एक कंबल पर बैठकर रात काटी, क्योंकि जब रात में हम पहुंचे तो वहां आसपास रुकने के लिए कोई जगह नहीं थी। ऐसे में, वहीं रेलवे प्लेटफॉर्म पर सोना पड़ा। वो बताती हैं कि वहां नेशनल लेवल की चैंपियनशिप कराना, टूर्नामेंट से ज्यादा एक पॉलिटिकल इवेंट होता था। ठीक वैसे ही जैसे हरियाणा में लोकल ऑर्गेनाइजर्स होड़ में दंगल का आयोजन करते हैं। बृजभूषण शरण सिंह के लिए गोंडा के नंदिनी नगर में यह आयोजन करना अपने वोटर्स के लिए संदेश होता था। कई बार सांसद रहने के नाते इस आयोजन के जरिए वह बताते कि वो कितने महत्वपूर्ण इंसान हैं। साक्षी मलिक कहती हैं- जूनियर नेशनल चैंपियनशिप एक स्कूल के ग्राउंड में चार मैट डालकर होते थे। ऊपर शामियाना लगा दिया। लेकिन बृजभूषण शरण सिंह इसके लिए आसपास के कई गांवों से लोगों को बुलाता और उन्हें मिठाई बांटी जाती। खिलाड़ियों के साथ फोटो खिंचाने के लिए मैच रुकवा देते थे साक्षी मलिक कहती हैं कि 2012 में बृजभूषण के लिए फेडरेशन का अध्यक्ष बनने के बाद रेसलिंग की जूनियर नेशनल चैंपियनशिप हर साल नंदिनी नगर में ही होने लगी। फेडरेशन का अध्यक्ष बनने के बाद वो जहां मैच होते, उसके सामने ऊंचे मंच पर सिंहासननुमा कुर्सी पर बैठते। एक हाथ में माइक पकड़े प्लेयर्स पर बीच-बीच में कमेंट किया करते। इसी में कभी-कभी गाली देने के साथ खिलाड़ियों से लेकर कोच और रेफरी तक को भला-बुरा कहते। अगर कोई जरूरी मैच है तो ऊंचे प्लेटफॉर्म से उतरकर नीचे आते और खिलाड़ियों के साथ फोटो लेते। इसके लिए वो चलते मैच को बीच में रुकवा देते। चाहे रिदम में आए खिलाड़ियों को रोकना हो या लेट हो, उन्हें इससे फर्क नहीं पड़ता था। साक्षी मलिक कहती हैं कि बृजभूषण शरण सिंह तब बहुत अमीर थे। वो चाहते तो टूर्नामेंट को और बेहतर ढंग से करा सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। तब कोई शिकायत भी नहीं करता था, क्योंकि सबको लगता नेशनल टूर्नामेंट ऐसे ही होते हैं। प्रेसिडेंट बनने पर कैंप में लड़कियां क्या कर रहीं, ये बताने के लिए फिजियो रखे साक्षी मलिक इसी चैप्टर में बृजभूषण शरण सिंह के रेसलिंग फेडरेशन का 2012 में नेशनल प्रेसिडेंट बनने के बाद के व्यवहार को बताती हैं। वो कहती हैं- प्रेसिडेंट बनने के बाद बृजभूषण इंटरनेशनल कॉम्पिटिशन के लिए नेशनल कैंप में होने वाले सिलेक्शन ट्रायल को देखने के लिए अक्सर आने लगे। लेकिन, वहां जल्द ही सभी लड़कियों को इस बात की भनक लग गई कि वहां उनका आना मात्र रेसलिंग तक सीमित नहीं था। वो मैच देखते फिर लड़कियों के साथ हद से ज्यादा घुलने-मिलने की कोशिश करते। कुछ लड़कियों को वो अपनी नजर पर चढ़ा लेते। उनके बारे में फिर वो हर बात जानना चाहते। यहां तक कि नेशनल कैंप में कुछ फिजियोथेरेपिस्ट ऐसे थे, जिनका एकमात्र काम बृजभूषण शरण सिंह को ये बताना था कि वो लड़कियां क्या कर रही हैं। क्या वो ट्रेनिंग कर रही हैं, या कैंप से बाहर ट्रैवल कर रहीं या किसी को डेट कर रही हैं। चैप्टर: 7, पेज नंबर: 86 जूनियर एशियन चैंपियनशिप ट्रायल में सिलेक्शन पर बृजभूषण की नजर मुझ पर पड़ी साक्षी मलिक बताती हैं कि कुछ लड़कियां बृजभूषण के अटेंशन को इंजॉय करती थीं। ऐसे में, बाद में बाहर के देशों में ट्रेनिंग कैंप में भेजना हो या एक्सपोजर वाले कॉम्पिटिशन में, इन लड़कियों का नाम दिखाई देने लगा। साक्षी मलिक कहती हैं- 2012 में मैंने जूनियर एशियन चैंपियनशिप का ट्रायल जीत लिया। तब बृजभूषण की नजर मुझ पर पड़ी। मेरे जीतने के बाद पास आकर कहा- यहां आओ मेरी बंदर। उसके बाद वो मुझे जब भी देखते बंदर बुलाते। मैंने उन्हें बंदर कहने से कई बार मना भी किया। ट्रायल मैच जीतने के कुछ हफ्तों के भीतर ही मेरे फोन पर उनका कॉल आया। पूछने लगे मुझे किसी चीज की जरूरत तो नहीं है। कहा- तुम अच्छी रेसलर हो, मैं तुम्हारे लिए प्रोटीन सप्लिमेंट्स भेजूंगा। साक्षी मलिक आगे बताती हैं- जब मैंने उनकी बातों को तवज्जों नहीं दी, तब उन्होंने कहा- मुझसे बात करती रहा करो। जब तक तुम मेरी बात मानोगी मैं तुम्हें बहुत आगे ले जाऊंगा। साक्षी आगे कहती हैं कि पहले तो कॉल्स कम आए, फिर वो धीरे-धीरे बढ़ने लगे। फिर वो रुके ही नहीं। कभी मेरे फोन पर कॉल करते, कभी फिजियोथेरेपिस्ट धीरेंद्र प्रताप सिंह को कॉल करते, फिर उन्हें मेरे पास बात कराने के लिए भेजते। कुछ ही समय बाद मेरी मां के फोन पर कॉल करने लगे। वो नहीं उठातीं तो बार-बार उन्हें फोन करते। मेरी मां को पता था बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। अपने इलाके के गैंगस्टर हैं। ऐसे में, मां उनसे जितना हो सकता था, विनम्र होकर बात करतीं। मां को डर लगा रहता कि कहीं वो मेरे खेल और करियर को नुकसान न पहुंचाएं। चैप्टर 8: नो प्लेस टू हाइड, पेज नंबर: 88- 94 कजाकिस्तान में एशियन जूनियर चैंपियन बनने के बाद की कहानी कजाकिस्तान के अल्माटी में 2012 में एशियन जूनियर चैंपियनशिप हुई। ये वही जगह और घटनास्थल है, जहां बृजभूषण पर साक्षी मलिक ने यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है। साक्षी मलिक किताब में इस पूरी घटना का एक अलग चैप्टर में जिक्र करती हैं। उस दिन उनके एशियन जूनियर चैंपियनशिप जीतने और उसके बाद हुए यौन उत्पीड़न का जिक्र मिनट-दर-मिनट बताती हैं। पोडियम से उतरते ही पास आकर कहा- मैंने भगवान से तुम्हें गोल्ड मेडल देने के लिए कहा था साक्षी मलिक चैप्टर की शुरुआत में ही कहती हैं- एशियन जूनियर चैंपियनशिप जीतना मेरे स्पोर्टिंग करियर का हाईलाइट होना चाहिए था, लेकिन यह मेरी जिंदगी का सबसे खौफनाक पल साबित हुआ। वो बताती हैं कि जापान-चीन, दुनिया की टॉप रेसलर्स को हराकर मैं एशियन जूनियर चैंपियन बनी थी। ये मेरे रेसलिंग करियर की तब सबसे बड़ी जीत थी। फिर मैं जैसे ही पोडियम से उतरी बृजभूषण शरण सिंह खुद खड़े थे। उनके चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान थी। वो बोले- मैंने भगवान से तुम्हें गोल्ड मेडल देने के लिए कहा था। कुछ अजीब तरह से अपने गले की लॉकेट वाली सोने की मोटी चेन दिखाते हुए कहा- इसमें हनुमान जी की तस्वीर थी, वो तुम्हारे मैच जीतते ही खो गई। भगवान ने मेरा लॉकेट ले लिया और तुम्हें गोल्ड मेडल दिया। साक्षी मलिक इस घटना को लेकर कहती हैं कि ऐसा लगा जैसे वो मुझे ये सोचने के लिए मजबूर करना चाह रहे थे कि मेरे गोल्ड मेडल जीतने में उनका कोई रोल हो। उस समय मुझे समझ नहीं आया क्या बोलूं, लेकिन ये साफ था कि वो इसी बहाने मुझसे जरूरत से ज्यादा मेल-जोल बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे। मुझे ये भी पता था कि इस समय जो होने वाला है, उसे मैं सिर्फ टाल रही हूं। मुझे पता था कि एक दिन ये मुझे अपने कमरे में बुलाकर उत्पीड़न कर सकते हैं। लड़कियों को होटल रूम में बुलाते, उन्हें मजबूर कर उत्पीड़न करने की कहानियां चर्चा में रहतीं कैंप में पहले से ये अफवाहें थी कि कैसे वो कुछ लड़कियों को होटल के कमरे में बुलाकर उन्हें मजबूर करते थे। ये सब सुनकर हमेशा से ही एक डर था, लेकिन मैं खेल पर ध्यान देकर इन बातों को भुला देती। वो लिखती हैं कि एशियन जूनियर चैंपियनशिप जीतने पर वो डर आखिरकार सामने आ ही गया। मुझे बधाई देने के बाद वो अपने कमरे में चले गए। मैं अपने रूममेट के साथ अपने कमरे में आ गई। यौन उत्पीड़न की कोशिश की, धक्का देने और रोने पर कहा- पापा जैसे पकड़ा मेरे रूम में आने के बाद उन्होंने फिजियोथेरेपिस्ट धीरेंद्र प्रताप सिंह को मेरे पास भेजकर कहलवाया कि मुझे उनके रूम में जाना चाहिए, ताकि वो मेरे पेरेंट्स को फोन कर सकें। मैं सोचने लगी क्या करूंगी, अगर वो कुछ करने की कोशिश करें। मैं खुद से कहने लगी, अगर वो ऐसा-ऐसा बोलेंगे तो मैं ये-ये जवाब दूंगी। अगर मुझे जबरदस्ती पकड़ने की कोशिश करेंगे तो उन्हें ढकेलकर घूसा मार दूंगी। जितनी चीजें हो सकती थीं, मैंने अपने दिमाग में सोच ली। फिजियो धीरेंद्र प्रताप सिंह अपने साथ मुझे उनके कमरे तक लेकर गया और वहां से चला गया। वहां, बृजभूषण शरण सिंह ने पहले मेरे पेरेंट्स को फोन किया। यहां तक सब ठीक था। लेकिन फोन रखते ही जब मैं उसके बिस्तर पर बैठी थी, उसने मुझे मोलेस्ट करने की कोशिश की। मैंने तुरंत जोर से उसे धक्का मारा और रोने लगी। इतने पर वह (बृजभूषण) पीछे हटा। साक्षी मलिक लिखती हैं- शायद उसे यह एहसास हो गया था कि जैसा वो चाहता है, मैं वैसा नहीं होने दूंगी। वो कहने लगे मैंने तुम्हे ‘पापा जैसे’ पकड़ा। लेकिन मुझे पता था ऐसा कुछ भी नहीं था। मैं उसके कमरे से रोते हुई भागी और अपने कमरे में आई। अपने कमरे में वापस आकर मैं शॉक थी। मुझे अपने से घिन आ रही थी। किसी ने मेरे साथ गलत करने की कोशिश की। इसके साथ ये भी डर बैठ गया कि मैंने मना किया, इसलिए वो मेरा रेसलिंग करियर खत्म कर सकता है। सिर्फ कुछ लोगों को बता सकी, सालों तक खुद को दोषी मानती रही साक्षी मलिक ने अपनी किताब में कजाकिस्तान के अल्माटी में हुई इस घटना के बाद उससे उबरने और सामना करने के अपने संघर्षों को बताया है। कैसे सालों तक उन्हें लगा कि इस पूरी घटना में उनका दोष है। वो नजर पर चढ़ीं, इस वजह से ऐसा हुआ। पर बाद में एहसास हुआ कि चाहे मैं कुछ भी करती, सामने वाला इंसान अगर वैसा ही है तो आपके साथ वह वही व्यवहार करेगा। वो बताती हैं कि उन्हें करीब 4 साल लग गए, इस बात को स्वीकार करने में कि कजाकिस्तान में उस रात आखिर क्या और कैसे हो गया। इस घटना के बाद कैसे वो अपने मैच और प्रैक्टिस पर फोकस नहीं कर पा रही थीं, इस बारे में भी बताया। वो बताती हैं कि उस घटना के बाद डोमेस्टिक कॉम्पिटिशन के लिए मैं फैमिली मेंबर के साथ आया-जाया करती। मुझमें अकेले कहीं जाने की हिम्मत नहीं रह गई थी। वो कहती हैं कि मुझे अब समझ आता है कि कुछ लड़कियों के पेरेंट्स क्यों उन्हें नेशनल कैंप के बाहर रखते हैं। इस घटना के बाद सालों तक मैं ये जताती रही कि सब सामान्य है, लेकिन सच्चाई ये है कि डर और घबराहट ने कई सालों तक पीछा नहीं छोड़ा। इस घटना के कई सालों बाद मैं बृजभूषण से सामान्य ढंग से बात कर पाने की स्थिति में आई। ———————— ये भी पढ़ें… बृजभूषण को पासपोर्ट में नवीनीकरण को लेकर के मिली अनुमति:यौन-शोषण मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट में हुई सुनवाई, एक गवाह को समन जारी महिला पहलवानों से जुड़े यौन शोषण मामलों को लेकर आज दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई हुई। जहां पूर्व भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह की अर्जी पर कोर्ट द्वारा पासपोर्ट में नवीनीकरण को लेकर के अनुमति दे दी गई है। नवीनीकरण की अनुमति मिलने के बाद अब बृजभूषण शरण सिंह एक साल के लिए अपना पासपोर्ट नवीनीकरण करा सकते हैं। वहीं दो पीड़ितों ने अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए एक नए वकील को नियुक्त किया है। पुराने अधिवक्ता को हटाने के लिए पीड़ितों ने एक अर्जी दी थी। अब अगली सुनवाई 14 नवंबर को होगी। पढ़ें पूरी खबर… ‘रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया का अध्यक्ष बनने के लिए बृजभूषण शरण सिंह ने अपने राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल किया। कहा ये भी जाता था कि उन्होंने अपने पक्ष में वोट डालने के लिए कई बड़े नेताओं की मदद ली। मुझे नहीं पता यह कितना सच है, लेकिन यह सच है कि 2012 में फेडरेशन का अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने चुन-चुनकर अपने समर्थकों और परिवार के सदस्यों को स्टेट फेडरेशन्स में जगह दिलाई। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि हर बार नेशनल फेडरेशन का इलेक्शन वही जीते।’ ये अंश हैं रेसलिंग चैंपियन साक्षी मलिक की हाल ही में लॉन्च हुई किताब ‘विटनेस’ के…। किताब में पूरे दो चैप्टर में उन्होंने बृजभूषण के बारे में डिटेल में बताया है। एक में बृजभूषण के राजनीतिक रसूख, उनके बाहुबली और गैंगस्टर होने के चर्चे सहित उनके खिलाफ दर्ज केसों के बारे में जिक्र है। दूसरे चैप्टर ‘नो प्लेस टू हाइड’ में साक्षी मलिक ने उस घटना का जिक्र किया है, जब तत्कालीन रेसलिंग फेडरेशन अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने उनका यौन उत्पीड़न करने की कोशिश की थी। 2016 रियो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली पहली भारतीय रेसलर साक्षी मलिक ने विटनेस नाम से अपनी ऑटोबायोग्राफी लिखी है। किताब 300 पन्नों की है। इसमें बृजभूषण शरण सिंह को लेकर उन्होंने क्या खुलासे किए हैं, सिलसिलेवार पढ़िए- चैप्टर 7: बृजभूषण, पेज नंबर: 81- 87 गोंडा के वोटर्स को लुभाने के लिए बृजभूषण ने नंदिनी नगर में जूनियर नेशनल चैंपियनशिप कराना शुरू किया साक्षी मलिक बृजभूषण नाम के 7वें चैप्टर की शुरुआत बृजभूषण शरण सिंह के राजनीतिक रसूख और उनके 2012 में रेसलिंग फेडरेशन के अध्यक्ष बनने के हालातों से करती हैं। इस चैप्टर में वो आगे बताती हैं कि जब पहली बार 2009 में वो जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में हिस्सा ले रही थीं, तब बृजभूषण शरण सिंह यूपी स्टेट रेसलिंग फेडरेशन के अध्यक्ष थे। बताती हैं कि ये चैंपियनशिप तब उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में एक नंदिनी नगर नाम के एक छोटे से गांव में हो रही थी। इस जगह पर ना रेलवे स्टेशन और ना ही रहने के लिए कोई सुविधा थी। सबसे नजदीक का गोंडा रेलवे स्टेशन वहां से 40 किमी दूर था। दूर-दूर तक वहां कोई भी जरूरत का सामान खरीदने के लिए एक दुकान तक नहीं थी। वो कहती हैं कि गोंडा जिले के एक पिछड़े और दूरदराज इलाके में चैंपियनशिप कराने की सिर्फ एक वजह थी, वो थी- बृजभूषण शरण सिंह। उन्होंने जोर देकर जूनियर नेशनल चैंपियनशिप अपने संसदीय क्षेत्र में शुरू कराई। नंदिनी नगर में खेल के लिए सुविधाएं नहीं, क्षेत्र के लोगों को लड्डू और मिठाइयां बांटी जाती वो लिखती हैं कि नंदिनी नगर, गोंडा के बीचों-बीच था। गोंडा के उस गांव में पहुंचना बहुत मुश्किल था। जब खुद पहली बार मैं गई तो मुझे ट्रेन की कनफर्म टिकट नहीं मिली थी। वो बताती हैं कि कैसे बिना टिकट गोंडा पहुंचने के बाद स्टेशन पर रात गुजारने के लिए मजबूर थीं। साक्षी मलिक कहती हैं- मैं पूरी रात गोंडा स्टेशन पर वॉशरूम के पास एक कंबल पर बैठकर रात काटी, क्योंकि जब रात में हम पहुंचे तो वहां आसपास रुकने के लिए कोई जगह नहीं थी। ऐसे में, वहीं रेलवे प्लेटफॉर्म पर सोना पड़ा। वो बताती हैं कि वहां नेशनल लेवल की चैंपियनशिप कराना, टूर्नामेंट से ज्यादा एक पॉलिटिकल इवेंट होता था। ठीक वैसे ही जैसे हरियाणा में लोकल ऑर्गेनाइजर्स होड़ में दंगल का आयोजन करते हैं। बृजभूषण शरण सिंह के लिए गोंडा के नंदिनी नगर में यह आयोजन करना अपने वोटर्स के लिए संदेश होता था। कई बार सांसद रहने के नाते इस आयोजन के जरिए वह बताते कि वो कितने महत्वपूर्ण इंसान हैं। साक्षी मलिक कहती हैं- जूनियर नेशनल चैंपियनशिप एक स्कूल के ग्राउंड में चार मैट डालकर होते थे। ऊपर शामियाना लगा दिया। लेकिन बृजभूषण शरण सिंह इसके लिए आसपास के कई गांवों से लोगों को बुलाता और उन्हें मिठाई बांटी जाती। खिलाड़ियों के साथ फोटो खिंचाने के लिए मैच रुकवा देते थे साक्षी मलिक कहती हैं कि 2012 में बृजभूषण के लिए फेडरेशन का अध्यक्ष बनने के बाद रेसलिंग की जूनियर नेशनल चैंपियनशिप हर साल नंदिनी नगर में ही होने लगी। फेडरेशन का अध्यक्ष बनने के बाद वो जहां मैच होते, उसके सामने ऊंचे मंच पर सिंहासननुमा कुर्सी पर बैठते। एक हाथ में माइक पकड़े प्लेयर्स पर बीच-बीच में कमेंट किया करते। इसी में कभी-कभी गाली देने के साथ खिलाड़ियों से लेकर कोच और रेफरी तक को भला-बुरा कहते। अगर कोई जरूरी मैच है तो ऊंचे प्लेटफॉर्म से उतरकर नीचे आते और खिलाड़ियों के साथ फोटो लेते। इसके लिए वो चलते मैच को बीच में रुकवा देते। चाहे रिदम में आए खिलाड़ियों को रोकना हो या लेट हो, उन्हें इससे फर्क नहीं पड़ता था। साक्षी मलिक कहती हैं कि बृजभूषण शरण सिंह तब बहुत अमीर थे। वो चाहते तो टूर्नामेंट को और बेहतर ढंग से करा सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। तब कोई शिकायत भी नहीं करता था, क्योंकि सबको लगता नेशनल टूर्नामेंट ऐसे ही होते हैं। प्रेसिडेंट बनने पर कैंप में लड़कियां क्या कर रहीं, ये बताने के लिए फिजियो रखे साक्षी मलिक इसी चैप्टर में बृजभूषण शरण सिंह के रेसलिंग फेडरेशन का 2012 में नेशनल प्रेसिडेंट बनने के बाद के व्यवहार को बताती हैं। वो कहती हैं- प्रेसिडेंट बनने के बाद बृजभूषण इंटरनेशनल कॉम्पिटिशन के लिए नेशनल कैंप में होने वाले सिलेक्शन ट्रायल को देखने के लिए अक्सर आने लगे। लेकिन, वहां जल्द ही सभी लड़कियों को इस बात की भनक लग गई कि वहां उनका आना मात्र रेसलिंग तक सीमित नहीं था। वो मैच देखते फिर लड़कियों के साथ हद से ज्यादा घुलने-मिलने की कोशिश करते। कुछ लड़कियों को वो अपनी नजर पर चढ़ा लेते। उनके बारे में फिर वो हर बात जानना चाहते। यहां तक कि नेशनल कैंप में कुछ फिजियोथेरेपिस्ट ऐसे थे, जिनका एकमात्र काम बृजभूषण शरण सिंह को ये बताना था कि वो लड़कियां क्या कर रही हैं। क्या वो ट्रेनिंग कर रही हैं, या कैंप से बाहर ट्रैवल कर रहीं या किसी को डेट कर रही हैं। चैप्टर: 7, पेज नंबर: 86 जूनियर एशियन चैंपियनशिप ट्रायल में सिलेक्शन पर बृजभूषण की नजर मुझ पर पड़ी साक्षी मलिक बताती हैं कि कुछ लड़कियां बृजभूषण के अटेंशन को इंजॉय करती थीं। ऐसे में, बाद में बाहर के देशों में ट्रेनिंग कैंप में भेजना हो या एक्सपोजर वाले कॉम्पिटिशन में, इन लड़कियों का नाम दिखाई देने लगा। साक्षी मलिक कहती हैं- 2012 में मैंने जूनियर एशियन चैंपियनशिप का ट्रायल जीत लिया। तब बृजभूषण की नजर मुझ पर पड़ी। मेरे जीतने के बाद पास आकर कहा- यहां आओ मेरी बंदर। उसके बाद वो मुझे जब भी देखते बंदर बुलाते। मैंने उन्हें बंदर कहने से कई बार मना भी किया। ट्रायल मैच जीतने के कुछ हफ्तों के भीतर ही मेरे फोन पर उनका कॉल आया। पूछने लगे मुझे किसी चीज की जरूरत तो नहीं है। कहा- तुम अच्छी रेसलर हो, मैं तुम्हारे लिए प्रोटीन सप्लिमेंट्स भेजूंगा। साक्षी मलिक आगे बताती हैं- जब मैंने उनकी बातों को तवज्जों नहीं दी, तब उन्होंने कहा- मुझसे बात करती रहा करो। जब तक तुम मेरी बात मानोगी मैं तुम्हें बहुत आगे ले जाऊंगा। साक्षी आगे कहती हैं कि पहले तो कॉल्स कम आए, फिर वो धीरे-धीरे बढ़ने लगे। फिर वो रुके ही नहीं। कभी मेरे फोन पर कॉल करते, कभी फिजियोथेरेपिस्ट धीरेंद्र प्रताप सिंह को कॉल करते, फिर उन्हें मेरे पास बात कराने के लिए भेजते। कुछ ही समय बाद मेरी मां के फोन पर कॉल करने लगे। वो नहीं उठातीं तो बार-बार उन्हें फोन करते। मेरी मां को पता था बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। अपने इलाके के गैंगस्टर हैं। ऐसे में, मां उनसे जितना हो सकता था, विनम्र होकर बात करतीं। मां को डर लगा रहता कि कहीं वो मेरे खेल और करियर को नुकसान न पहुंचाएं। चैप्टर 8: नो प्लेस टू हाइड, पेज नंबर: 88- 94 कजाकिस्तान में एशियन जूनियर चैंपियन बनने के बाद की कहानी कजाकिस्तान के अल्माटी में 2012 में एशियन जूनियर चैंपियनशिप हुई। ये वही जगह और घटनास्थल है, जहां बृजभूषण पर साक्षी मलिक ने यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है। साक्षी मलिक किताब में इस पूरी घटना का एक अलग चैप्टर में जिक्र करती हैं। उस दिन उनके एशियन जूनियर चैंपियनशिप जीतने और उसके बाद हुए यौन उत्पीड़न का जिक्र मिनट-दर-मिनट बताती हैं। पोडियम से उतरते ही पास आकर कहा- मैंने भगवान से तुम्हें गोल्ड मेडल देने के लिए कहा था साक्षी मलिक चैप्टर की शुरुआत में ही कहती हैं- एशियन जूनियर चैंपियनशिप जीतना मेरे स्पोर्टिंग करियर का हाईलाइट होना चाहिए था, लेकिन यह मेरी जिंदगी का सबसे खौफनाक पल साबित हुआ। वो बताती हैं कि जापान-चीन, दुनिया की टॉप रेसलर्स को हराकर मैं एशियन जूनियर चैंपियन बनी थी। ये मेरे रेसलिंग करियर की तब सबसे बड़ी जीत थी। फिर मैं जैसे ही पोडियम से उतरी बृजभूषण शरण सिंह खुद खड़े थे। उनके चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान थी। वो बोले- मैंने भगवान से तुम्हें गोल्ड मेडल देने के लिए कहा था। कुछ अजीब तरह से अपने गले की लॉकेट वाली सोने की मोटी चेन दिखाते हुए कहा- इसमें हनुमान जी की तस्वीर थी, वो तुम्हारे मैच जीतते ही खो गई। भगवान ने मेरा लॉकेट ले लिया और तुम्हें गोल्ड मेडल दिया। साक्षी मलिक इस घटना को लेकर कहती हैं कि ऐसा लगा जैसे वो मुझे ये सोचने के लिए मजबूर करना चाह रहे थे कि मेरे गोल्ड मेडल जीतने में उनका कोई रोल हो। उस समय मुझे समझ नहीं आया क्या बोलूं, लेकिन ये साफ था कि वो इसी बहाने मुझसे जरूरत से ज्यादा मेल-जोल बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे। मुझे ये भी पता था कि इस समय जो होने वाला है, उसे मैं सिर्फ टाल रही हूं। मुझे पता था कि एक दिन ये मुझे अपने कमरे में बुलाकर उत्पीड़न कर सकते हैं। लड़कियों को होटल रूम में बुलाते, उन्हें मजबूर कर उत्पीड़न करने की कहानियां चर्चा में रहतीं कैंप में पहले से ये अफवाहें थी कि कैसे वो कुछ लड़कियों को होटल के कमरे में बुलाकर उन्हें मजबूर करते थे। ये सब सुनकर हमेशा से ही एक डर था, लेकिन मैं खेल पर ध्यान देकर इन बातों को भुला देती। वो लिखती हैं कि एशियन जूनियर चैंपियनशिप जीतने पर वो डर आखिरकार सामने आ ही गया। मुझे बधाई देने के बाद वो अपने कमरे में चले गए। मैं अपने रूममेट के साथ अपने कमरे में आ गई। यौन उत्पीड़न की कोशिश की, धक्का देने और रोने पर कहा- पापा जैसे पकड़ा मेरे रूम में आने के बाद उन्होंने फिजियोथेरेपिस्ट धीरेंद्र प्रताप सिंह को मेरे पास भेजकर कहलवाया कि मुझे उनके रूम में जाना चाहिए, ताकि वो मेरे पेरेंट्स को फोन कर सकें। मैं सोचने लगी क्या करूंगी, अगर वो कुछ करने की कोशिश करें। मैं खुद से कहने लगी, अगर वो ऐसा-ऐसा बोलेंगे तो मैं ये-ये जवाब दूंगी। अगर मुझे जबरदस्ती पकड़ने की कोशिश करेंगे तो उन्हें ढकेलकर घूसा मार दूंगी। जितनी चीजें हो सकती थीं, मैंने अपने दिमाग में सोच ली। फिजियो धीरेंद्र प्रताप सिंह अपने साथ मुझे उनके कमरे तक लेकर गया और वहां से चला गया। वहां, बृजभूषण शरण सिंह ने पहले मेरे पेरेंट्स को फोन किया। यहां तक सब ठीक था। लेकिन फोन रखते ही जब मैं उसके बिस्तर पर बैठी थी, उसने मुझे मोलेस्ट करने की कोशिश की। मैंने तुरंत जोर से उसे धक्का मारा और रोने लगी। इतने पर वह (बृजभूषण) पीछे हटा। साक्षी मलिक लिखती हैं- शायद उसे यह एहसास हो गया था कि जैसा वो चाहता है, मैं वैसा नहीं होने दूंगी। वो कहने लगे मैंने तुम्हे ‘पापा जैसे’ पकड़ा। लेकिन मुझे पता था ऐसा कुछ भी नहीं था। मैं उसके कमरे से रोते हुई भागी और अपने कमरे में आई। अपने कमरे में वापस आकर मैं शॉक थी। मुझे अपने से घिन आ रही थी। किसी ने मेरे साथ गलत करने की कोशिश की। इसके साथ ये भी डर बैठ गया कि मैंने मना किया, इसलिए वो मेरा रेसलिंग करियर खत्म कर सकता है। सिर्फ कुछ लोगों को बता सकी, सालों तक खुद को दोषी मानती रही साक्षी मलिक ने अपनी किताब में कजाकिस्तान के अल्माटी में हुई इस घटना के बाद उससे उबरने और सामना करने के अपने संघर्षों को बताया है। कैसे सालों तक उन्हें लगा कि इस पूरी घटना में उनका दोष है। वो नजर पर चढ़ीं, इस वजह से ऐसा हुआ। पर बाद में एहसास हुआ कि चाहे मैं कुछ भी करती, सामने वाला इंसान अगर वैसा ही है तो आपके साथ वह वही व्यवहार करेगा। वो बताती हैं कि उन्हें करीब 4 साल लग गए, इस बात को स्वीकार करने में कि कजाकिस्तान में उस रात आखिर क्या और कैसे हो गया। इस घटना के बाद कैसे वो अपने मैच और प्रैक्टिस पर फोकस नहीं कर पा रही थीं, इस बारे में भी बताया। वो बताती हैं कि उस घटना के बाद डोमेस्टिक कॉम्पिटिशन के लिए मैं फैमिली मेंबर के साथ आया-जाया करती। मुझमें अकेले कहीं जाने की हिम्मत नहीं रह गई थी। वो कहती हैं कि मुझे अब समझ आता है कि कुछ लड़कियों के पेरेंट्स क्यों उन्हें नेशनल कैंप के बाहर रखते हैं। इस घटना के बाद सालों तक मैं ये जताती रही कि सब सामान्य है, लेकिन सच्चाई ये है कि डर और घबराहट ने कई सालों तक पीछा नहीं छोड़ा। इस घटना के कई सालों बाद मैं बृजभूषण से सामान्य ढंग से बात कर पाने की स्थिति में आई। ———————— ये भी पढ़ें… बृजभूषण को पासपोर्ट में नवीनीकरण को लेकर के मिली अनुमति:यौन-शोषण मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट में हुई सुनवाई, एक गवाह को समन जारी महिला पहलवानों से जुड़े यौन शोषण मामलों को लेकर आज दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई हुई। जहां पूर्व भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह की अर्जी पर कोर्ट द्वारा पासपोर्ट में नवीनीकरण को लेकर के अनुमति दे दी गई है। नवीनीकरण की अनुमति मिलने के बाद अब बृजभूषण शरण सिंह एक साल के लिए अपना पासपोर्ट नवीनीकरण करा सकते हैं। वहीं दो पीड़ितों ने अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए एक नए वकील को नियुक्त किया है। पुराने अधिवक्ता को हटाने के लिए पीड़ितों ने एक अर्जी दी थी। अब अगली सुनवाई 14 नवंबर को होगी। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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Mukesh Sahani Father Murder: ‘घर में सोये लोग सुरक्षित नहीं’, बिहार में सुशासन के दावे पर दीपंकर भट्टाचार्य क्या बोले? <p style=”text-align: justify;”><strong>Mukesh Sahani Father Murder:</strong> दरभंगा जिले में सोमवार की देर रात विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी के पिता जीतन सहनी की हत्या कर दी गई. इस घटना के बाद विपक्ष के तमाम नेता नीतीश सरकार पर हमलावर हैं. इसी बीच बुधवार को विपक्ष के कई नेताओं ने मुकेश सहनी के पैतृक आवास पर पहुंचकर उनसे मुलाकात की. मुकेश सहनी से मुलाकात के बाद भाकपा (माले) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने नीतीश सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि पिछले चुनाव के दौरान से ही बिहार में आपराधिक घटनाओं में काफी वृद्धि हुई है. इस तरह की घटना से बिहार के लोग असुरक्षित हैं. </p>
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