<p style=”text-align: justify;”><strong>Jaipur Holi: </strong>बहुत कम लोगों को पता होगा कि मथुरा, वृंदावन की होली ‘छोटी काशी’ के बिना अधूरी है. दुनिया भर में चर्चित मथुरा वृंदावन की होली को रंगीली और खुशबूदार बनाने में जयपुर का भी बड़ा योगदान है. रंग और गुलाल से भरे होली के इस त्योहार में हर साल जयपुर की खुशबूदार गुलाल से भरे गुलाल गोटे सबसे पहले पहुंचते हैं तब शुरू होती है ब्रज की होली.</p>
<p style=”text-align: justify;”>खास बात ये कि ये गुलाल गोटे सालों से जयपुर के मुस्लिम परिवार बनाते हैं जो मनीहार हैं जो चूड़ी बनाने का काम करते हैं. सालों से इनकी पीढ़िया होली के मौके पर ग़ुलाल गोटे बनाते हैं जिनकी इस होली पर जबरदस्त डिमांड है. जयपुर ही नहीं दूसरे राज्यों से भी जयपुर के गुलाल गोटों की डिमांड आ रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>देश में मथुरा और वृंदावन की होली सबसे ज्यादा चर्चित रहती है क्योंकि यहां ये त्यौहार भगवान कृष्ण और राधा संग जुड़ा हुआ है. त्यौहारों के शहर ‘छोटी काशी’ जयपुर से जब गुलाल गोटे मथुरा वृंदावन पहुंचते हैं तभी ब्रज की होली के असली रंग शुरू होते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>पूरे भारत में रंगों के त्यौहार होली के लिए देश तैयार है. जयपुर की ओल्ड सिटी में मौजूद मनीहारों के रास्ते में जबरदस्त रौनक है. यहां लोग गुलाल गोटे खरीदने के लिए पहुंच रहे हैं. गुलाल गोटे बनाने वाले कलाकार अमजद खान बताते हैं कि ये उनकी सातवीं पीढ़ी है जो गुलाल गोटे बना रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>पहले राजा-महाराजाओं के लिए और फिर जयपुर की पहचान को जिंदा रखने के लिए वो गुलाल गोटे तैयार करते थे लेकिन पिछले कुछ सालों से गुलाल गोटे की जबरदस्त डिमांड बढ़ी है जिसके बाद 6 पीस के ग़ुलाल गोटे का पैकेट 400 से 700 रुपये तक बाजार में बिक रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>राजा मानसिंह ने गुलाल गोटे बनाने वाले मनिहारों को जयपुर बसाया था</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>गुलाल गोटे का इतिहास करीब चार सौ साल पुराना बताया जाता है. पहले जयपुर के राजघराने के राजा मानसिंह ने गुलाल गोटे बनाने वाले मनिहारों को जयपुर लाकर बसाया था. इनको काम करने के लिए राजमहल के पास ही जगह दी तभी से उस जगह का नाम मनिहारों का रास्ता पड़ा. तब से अब तक हर साल गुलाल से बनने वाला गुलाल गोटा हर होली पर लोगों की होली में शामिल होता है. जयपुर के राजा सबसे पहले जयपुर के मुख्य बाजार में हाथी पर सवार होकर निकलते थे और प्रजा पर गुलाल गोटे फेंकते थे इसी के बाद जयपुर की जनता होली खेलना शुरू करती थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें- <a title=”राजस्थान हाई कोर्ट ने नाबालिग रेप पीड़िता को गर्भपात को दी मंजूरी, ‘माता-पिता खतरों से अवगत'” href=”https://www.abplive.com/states/rajasthan/rajasthan-high-court-gives-permission-to-a-rape-survivor-for-termination-of-27-weeks-pregnancy-2902664″ target=”_self”>राजस्थान हाई कोर्ट ने नाबालिग रेप पीड़िता को गर्भपात को दी मंजूरी, ‘माता-पिता खतरों से अवगत'</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Jaipur Holi: </strong>बहुत कम लोगों को पता होगा कि मथुरा, वृंदावन की होली ‘छोटी काशी’ के बिना अधूरी है. दुनिया भर में चर्चित मथुरा वृंदावन की होली को रंगीली और खुशबूदार बनाने में जयपुर का भी बड़ा योगदान है. रंग और गुलाल से भरे होली के इस त्योहार में हर साल जयपुर की खुशबूदार गुलाल से भरे गुलाल गोटे सबसे पहले पहुंचते हैं तब शुरू होती है ब्रज की होली.</p>
<p style=”text-align: justify;”>खास बात ये कि ये गुलाल गोटे सालों से जयपुर के मुस्लिम परिवार बनाते हैं जो मनीहार हैं जो चूड़ी बनाने का काम करते हैं. सालों से इनकी पीढ़िया होली के मौके पर ग़ुलाल गोटे बनाते हैं जिनकी इस होली पर जबरदस्त डिमांड है. जयपुर ही नहीं दूसरे राज्यों से भी जयपुर के गुलाल गोटों की डिमांड आ रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>देश में मथुरा और वृंदावन की होली सबसे ज्यादा चर्चित रहती है क्योंकि यहां ये त्यौहार भगवान कृष्ण और राधा संग जुड़ा हुआ है. त्यौहारों के शहर ‘छोटी काशी’ जयपुर से जब गुलाल गोटे मथुरा वृंदावन पहुंचते हैं तभी ब्रज की होली के असली रंग शुरू होते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>पूरे भारत में रंगों के त्यौहार होली के लिए देश तैयार है. जयपुर की ओल्ड सिटी में मौजूद मनीहारों के रास्ते में जबरदस्त रौनक है. यहां लोग गुलाल गोटे खरीदने के लिए पहुंच रहे हैं. गुलाल गोटे बनाने वाले कलाकार अमजद खान बताते हैं कि ये उनकी सातवीं पीढ़ी है जो गुलाल गोटे बना रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>पहले राजा-महाराजाओं के लिए और फिर जयपुर की पहचान को जिंदा रखने के लिए वो गुलाल गोटे तैयार करते थे लेकिन पिछले कुछ सालों से गुलाल गोटे की जबरदस्त डिमांड बढ़ी है जिसके बाद 6 पीस के ग़ुलाल गोटे का पैकेट 400 से 700 रुपये तक बाजार में बिक रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>राजा मानसिंह ने गुलाल गोटे बनाने वाले मनिहारों को जयपुर बसाया था</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>गुलाल गोटे का इतिहास करीब चार सौ साल पुराना बताया जाता है. पहले जयपुर के राजघराने के राजा मानसिंह ने गुलाल गोटे बनाने वाले मनिहारों को जयपुर लाकर बसाया था. इनको काम करने के लिए राजमहल के पास ही जगह दी तभी से उस जगह का नाम मनिहारों का रास्ता पड़ा. तब से अब तक हर साल गुलाल से बनने वाला गुलाल गोटा हर होली पर लोगों की होली में शामिल होता है. जयपुर के राजा सबसे पहले जयपुर के मुख्य बाजार में हाथी पर सवार होकर निकलते थे और प्रजा पर गुलाल गोटे फेंकते थे इसी के बाद जयपुर की जनता होली खेलना शुरू करती थी.</p>
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सात पीढ़ियों से बना रहे गुलाल गोटा, मथुरा-वृंदावन में भारी डिमांड, जयपुर में राजा मानसिंह ने इन्हें बसाया था
