किसी सुहागिन का सिंदूर मिटता है, तो कलेजा कांप उठता है। अब दया दिखाने का समय नहीं है। पाकिस्तान को पूरी तरह से मिट्टी में मिलाने का है। हमारी सेना अब किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेगी। आतंकवादियों को चुन-चुनकर मारेगी। पाकिस्तान की ओर से हो रहीं आतंकी साजिशें। सीमा पार से गोलीबारी और अब ड्रोन-मिसाइल से हमला। इन सबके बीच भारत का ‘ऑपरेशन सिंदूर’। परमवीर चक्र विजेता शहीद कैप्टन मनोज पांडेय के पिता गोपी चंद पांडेय ने इसे सटीक और अपरिहार्य करार दिया। उन्होंने कहा- अब पाकिस्तान को समझ लेना चाहिए की भारत चुप नहीं बैठेगा।
पहलगाम में हुए आतंकी हमले को याद करते हुए उन्होंने कहा- बच्चों को उनके मां-बाप के सामने गोलियों से भून दिया गया। नवविवाहिताओं के पतियों को उनके सामने मार दिया गया। यह खौफनाक मंजर पूरा देश नहीं भूला सकता है। उन्होंने यह बातें दैनिक भास्कर से कहीं। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की दिल खोलकर सराहना करते हुए समय की जरूरत बताई। पढ़िए पूरा इंटरव्यू…। नाम नहीं वेदना की पुकार है ‘ऑपरेशन सिंदूर’ गोपी चंद पांडेय ने भारत सरकार के जवाबी हमले को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ कहे जाने पर भावुक प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा-ये नाम ही उस वेदना की पुकार है, जो एक सैनिक की पत्नी, मां, बहन के सिर से सिंदूर मिटने पर उठती है। यही वजह है कि मोदी सरकार का ये जवाब हर भारतवासी की भावनाओं का जवाब है। मैं इस निर्णय की भूरी-भूरी प्रशंसा करता हूं। संयम की नीति को कमजोरी न समझे पाकिस्तान गोपी चंद पांडेय ने कहा- भारत की संयम नीति को पाकिस्तान कमजोरी समझने की भूल न करे। हमारी सबसे बड़ी कमजोरी दया है। जो आतंकवादियों को नहीं मिलनी चाहिए। अब समय है, उन्हें ढूंढ-ढूंढ कर खत्म करने का। ताकि हमारे बच्चे देश में निडर होकर जी सकें। केंद्र सरकार ने इस ओर कदम बढ़ा दिया है। अब आतंकवादियों का सफाया करके की कदम रुकने चाहिए। हताश है पाकिस्तान, सीधे लड़ाई नहीं लड़ सकता गोपी चंद ने कहा- एलओसी पर हो रही गोलाबारी पाकिस्तान की हताशा है। वह सीधे लड़ाई नहीं जीत सकते, तो अब सिविलियंस को निशाना बना रहे हैं। भारत अब ये अन्याय नहीं सहेगा। जब तक एक-एक आतंकी खत्म नहीं हो जाता, हमारी सेना पीछे नहीं हटेगी। उन्हें मिट्टी में मिला देगी। पूरे भारत की एक आवाज- अब बस बहुत हुआ गोपी चंद पांडेय ने कहा- इससे अच्छा मौका भारत को नहीं मिलेगा। पूरा देश एकजुट है। अब सरकार को आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार रहना चाहिए और पाकिस्तान से आतंक की जड़ें हमेशा के लिए खत्म करनी चाहिए। मनोज ने जान देकर साबित किया कि भारत हारता नहीं है 1999 की कारगिल लड़ाई को याद करते हुए उन्होंने कहा- दुनिया ने देखा, दुश्मन पहाड़ की चोटी पर थे, हमारी सेना नीचे से चढ़ी। और तब भी जीती। ये हमारे जवानों की काबिलीयत है। मनोज जैसे बेटे ने देश के लिए जो किया, उस पर हमें गर्व है। पढ़िए कैप्टन मनोज पांडेय का पराक्रम… पहली तैनाती कश्मीर में हुई थी कैप्टन मनोज पांडे का जन्म 25 जून 1975 को उत्तर प्रदेश के सीतापुर के रुधा गांव में हुआ था। उन्होंने बचपन में ही ठान लिया था कि सेना में जाना है। उनके इस फैसले में उनके परिवार ने भी खूब साथ दिया। कारगिल युद्ध में अपने अदम्य साहस और नेतृत्व का परिचय देने वाले कैप्टन मनोज पांडे को मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। कैप्टन मनोज पांडे ने पुणे के पास खड़कवासला स्थित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में प्रशिक्षण लिया था। 1997 में 11 गोरखा रायफल्स रेजिमेंट की पहली वाहनी के अधिकारी बने। उनकी पहली तैनाती कश्मीर में हुई और सियाचिन में भी उन्होंने अपनी सेवाएं दीं। उन्होंने कुछ ही समय में पहाड़ों पर चढ़ने और घात लगाकर दुश्मन पर हमला करने की महारथ हासिल कर ली थी। पांडे सियाचिन में तैनात थे। अचानक उनकी बटालियन को करगिल में बुला लिया गया। यहां पाकिस्तान घुसपैठ कर चुका था। मनोज ने आगे बढ़ कर अपनी बटालियन का नेतृत्व किया था और पाकिस्तानी सैनिकों को धूल चटा दी। …………………………… यह खबर भी पढ़ें “अडानी से बिजली खरीद कर जनता को बेचेगी सरकार”:लखनऊ में कर्मचारियों का अनशन, बोले- टेंडर में घपला, बिल का बोझ बढ़ेगा
यूपी कैबिनेट की बैठक में अडानी पावर से 1500 मेगावाट बिजली खरीद के करार पर मुहर लग गई। इसके बाद विभागीय कर्मचारी और उपभोक्ता इसकी खिलाफत में उतर आए हैं। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति और राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इसके खिलाफ लखनऊ शक्ति भवन में क्रमिक अनशन शुरू कर दिया है। यह खबर भी पढ़ें किसी सुहागिन का सिंदूर मिटता है, तो कलेजा कांप उठता है। अब दया दिखाने का समय नहीं है। पाकिस्तान को पूरी तरह से मिट्टी में मिलाने का है। हमारी सेना अब किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेगी। आतंकवादियों को चुन-चुनकर मारेगी। पाकिस्तान की ओर से हो रहीं आतंकी साजिशें। सीमा पार से गोलीबारी और अब ड्रोन-मिसाइल से हमला। इन सबके बीच भारत का ‘ऑपरेशन सिंदूर’। परमवीर चक्र विजेता शहीद कैप्टन मनोज पांडेय के पिता गोपी चंद पांडेय ने इसे सटीक और अपरिहार्य करार दिया। उन्होंने कहा- अब पाकिस्तान को समझ लेना चाहिए की भारत चुप नहीं बैठेगा।
पहलगाम में हुए आतंकी हमले को याद करते हुए उन्होंने कहा- बच्चों को उनके मां-बाप के सामने गोलियों से भून दिया गया। नवविवाहिताओं के पतियों को उनके सामने मार दिया गया। यह खौफनाक मंजर पूरा देश नहीं भूला सकता है। उन्होंने यह बातें दैनिक भास्कर से कहीं। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की दिल खोलकर सराहना करते हुए समय की जरूरत बताई। पढ़िए पूरा इंटरव्यू…। नाम नहीं वेदना की पुकार है ‘ऑपरेशन सिंदूर’ गोपी चंद पांडेय ने भारत सरकार के जवाबी हमले को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ कहे जाने पर भावुक प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा-ये नाम ही उस वेदना की पुकार है, जो एक सैनिक की पत्नी, मां, बहन के सिर से सिंदूर मिटने पर उठती है। यही वजह है कि मोदी सरकार का ये जवाब हर भारतवासी की भावनाओं का जवाब है। मैं इस निर्णय की भूरी-भूरी प्रशंसा करता हूं। संयम की नीति को कमजोरी न समझे पाकिस्तान गोपी चंद पांडेय ने कहा- भारत की संयम नीति को पाकिस्तान कमजोरी समझने की भूल न करे। हमारी सबसे बड़ी कमजोरी दया है। जो आतंकवादियों को नहीं मिलनी चाहिए। अब समय है, उन्हें ढूंढ-ढूंढ कर खत्म करने का। ताकि हमारे बच्चे देश में निडर होकर जी सकें। केंद्र सरकार ने इस ओर कदम बढ़ा दिया है। अब आतंकवादियों का सफाया करके की कदम रुकने चाहिए। हताश है पाकिस्तान, सीधे लड़ाई नहीं लड़ सकता गोपी चंद ने कहा- एलओसी पर हो रही गोलाबारी पाकिस्तान की हताशा है। वह सीधे लड़ाई नहीं जीत सकते, तो अब सिविलियंस को निशाना बना रहे हैं। भारत अब ये अन्याय नहीं सहेगा। जब तक एक-एक आतंकी खत्म नहीं हो जाता, हमारी सेना पीछे नहीं हटेगी। उन्हें मिट्टी में मिला देगी। पूरे भारत की एक आवाज- अब बस बहुत हुआ गोपी चंद पांडेय ने कहा- इससे अच्छा मौका भारत को नहीं मिलेगा। पूरा देश एकजुट है। अब सरकार को आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार रहना चाहिए और पाकिस्तान से आतंक की जड़ें हमेशा के लिए खत्म करनी चाहिए। मनोज ने जान देकर साबित किया कि भारत हारता नहीं है 1999 की कारगिल लड़ाई को याद करते हुए उन्होंने कहा- दुनिया ने देखा, दुश्मन पहाड़ की चोटी पर थे, हमारी सेना नीचे से चढ़ी। और तब भी जीती। ये हमारे जवानों की काबिलीयत है। मनोज जैसे बेटे ने देश के लिए जो किया, उस पर हमें गर्व है। पढ़िए कैप्टन मनोज पांडेय का पराक्रम… पहली तैनाती कश्मीर में हुई थी कैप्टन मनोज पांडे का जन्म 25 जून 1975 को उत्तर प्रदेश के सीतापुर के रुधा गांव में हुआ था। उन्होंने बचपन में ही ठान लिया था कि सेना में जाना है। उनके इस फैसले में उनके परिवार ने भी खूब साथ दिया। कारगिल युद्ध में अपने अदम्य साहस और नेतृत्व का परिचय देने वाले कैप्टन मनोज पांडे को मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। कैप्टन मनोज पांडे ने पुणे के पास खड़कवासला स्थित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में प्रशिक्षण लिया था। 1997 में 11 गोरखा रायफल्स रेजिमेंट की पहली वाहनी के अधिकारी बने। उनकी पहली तैनाती कश्मीर में हुई और सियाचिन में भी उन्होंने अपनी सेवाएं दीं। उन्होंने कुछ ही समय में पहाड़ों पर चढ़ने और घात लगाकर दुश्मन पर हमला करने की महारथ हासिल कर ली थी। पांडे सियाचिन में तैनात थे। अचानक उनकी बटालियन को करगिल में बुला लिया गया। यहां पाकिस्तान घुसपैठ कर चुका था। मनोज ने आगे बढ़ कर अपनी बटालियन का नेतृत्व किया था और पाकिस्तानी सैनिकों को धूल चटा दी। …………………………… यह खबर भी पढ़ें “अडानी से बिजली खरीद कर जनता को बेचेगी सरकार”:लखनऊ में कर्मचारियों का अनशन, बोले- टेंडर में घपला, बिल का बोझ बढ़ेगा
यूपी कैबिनेट की बैठक में अडानी पावर से 1500 मेगावाट बिजली खरीद के करार पर मुहर लग गई। इसके बाद विभागीय कर्मचारी और उपभोक्ता इसकी खिलाफत में उतर आए हैं। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति और राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इसके खिलाफ लखनऊ शक्ति भवन में क्रमिक अनशन शुरू कर दिया है। यह खबर भी पढ़ें उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
‘सिंदूर मिटता है, तो कलेजा कांप उठता है’:कारगिल में शहीद मनोज पांडेय के पिता बोले- पाकिस्तान को मिट्टी में मिलाने का वक्त आ गया
