सिरसा जिले के रोडी में नशा तस्कर को पकड़ने के लिए पुलिस ने अपना जाल बिछाया लेकिन कामयाब नहीं हो सकी। पुलिस ने नाकाबंदी करके तस्कर को पकड़ने की कोशिश की लेकिन आरोपी नाका के पास से ही दूसरे रास्ते की तरफ अपनी गाड़ी मोड़ कर फरार हो गया। जब तक पुलिस उस रास्ते पहुंची, तब तक आरोपी पुलिस की पहुंच से दूर निकल चुका था। दरअसल रोडी में एक 22 वर्षीय युवक की उपचार के दौरान मौत हो गई। पिछले 5 साल से वह नशे का आदी था। 4-5 दिन पहले उसे बेहोशी की हालत में बठिंडा के एम्स अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। जहां पर उसकी मंगलवार रात को उपचार के दौरान मौत हो गई। बुधवार को युवक का नागरिक अस्पताल में पोस्टमॉर्टम करवाया जाएगा। वहीं, जहां गांव में मातम छाया हुआ था। इसी दौरान रोडी के सूरतिया रोड पर बसे आबादी क्षेत्र में एक घर से चिट्टा खरीदने के लिए एक गाड़ी चालक आया। इसकी सूचना ग्रामीणों को लग गई। ग्रामीणों ने उसका पीछा कर नाका पुलिस को सूचित किया। नाका पुलिस ने उसे रोकने के लिए अवरोधक लगा दिए। गाड़ी चालक ने तेज गति से नाके से पहले एक गली में गाड़ी मोड़ दी। पुलिस कर्मचारी भागकर दूसरी ओर चौक पर पहुंचे तो युवक तेजी से गाड़ी लेकर फरार हो गया। पुलिस मुस्तैदी भी काम नहीं आई। सिरसा जिले के रोडी में नशा तस्कर को पकड़ने के लिए पुलिस ने अपना जाल बिछाया लेकिन कामयाब नहीं हो सकी। पुलिस ने नाकाबंदी करके तस्कर को पकड़ने की कोशिश की लेकिन आरोपी नाका के पास से ही दूसरे रास्ते की तरफ अपनी गाड़ी मोड़ कर फरार हो गया। जब तक पुलिस उस रास्ते पहुंची, तब तक आरोपी पुलिस की पहुंच से दूर निकल चुका था। दरअसल रोडी में एक 22 वर्षीय युवक की उपचार के दौरान मौत हो गई। पिछले 5 साल से वह नशे का आदी था। 4-5 दिन पहले उसे बेहोशी की हालत में बठिंडा के एम्स अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। जहां पर उसकी मंगलवार रात को उपचार के दौरान मौत हो गई। बुधवार को युवक का नागरिक अस्पताल में पोस्टमॉर्टम करवाया जाएगा। वहीं, जहां गांव में मातम छाया हुआ था। इसी दौरान रोडी के सूरतिया रोड पर बसे आबादी क्षेत्र में एक घर से चिट्टा खरीदने के लिए एक गाड़ी चालक आया। इसकी सूचना ग्रामीणों को लग गई। ग्रामीणों ने उसका पीछा कर नाका पुलिस को सूचित किया। नाका पुलिस ने उसे रोकने के लिए अवरोधक लगा दिए। गाड़ी चालक ने तेज गति से नाके से पहले एक गली में गाड़ी मोड़ दी। पुलिस कर्मचारी भागकर दूसरी ओर चौक पर पहुंचे तो युवक तेजी से गाड़ी लेकर फरार हो गया। पुलिस मुस्तैदी भी काम नहीं आई। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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बीरेंद्र सिंह के गढ़ में दुष्यंत चौटाला का पत्ता साफ:भाजपा को भी हार मिली, पूर्व मंत्री की विधानसभा चुनाव के लिए तैयारी
बीरेंद्र सिंह के गढ़ में दुष्यंत चौटाला का पत्ता साफ:भाजपा को भी हार मिली, पूर्व मंत्री की विधानसभा चुनाव के लिए तैयारी हरियाणा की हिसार लोकसभा सीट के तहत आते उचाना कलां में कांग्रेस की जीत से चौधरी बीरेंद्र सिंह का कद कांग्रेस में बढ़ा है। उचाना में कांग्रेस के जयप्रकाश जेपी की अच्छे वोटों से लीड मिली। जिसके कारण वह हिसार से जीतने में कामयाब हो सके। उचाना कलां से जयप्रकाश को 82204 वोट मिले, जबकि रणजीत चौटाला को 44885 वोट ही मिल पाए। जयप्रकाश को यहां से 37,309 वोट की लीड मिली। वहीं उचाना के विधायक पूर्व डिप्टी CM दुष्यंत चौटाला की मां नैना चौटाला को यहां से मात्र 4210 वोट मिले। उचाना की जनता ने एक तरफा होकर कांग्रेस के पक्ष में वोट डाले। बीरेंद्र सिंह और उनका परिवार इस चुनाव से पहले भाजपा में था, लेकिन चुनाव से ठीक पहले पाला बदल लिया। बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह हिसार लोकसभा सीट से 2019 में भाजपा के टिकट पर सांसद बने थे। बृजेंद्र सिंह कांग्रेस में जाने के बाद हिसार से लोकसभा से टिकट मांग रहे थे, लेकिन कांग्रेस ने जयप्रकाश को उम्मीदवार बनाया। इस बात से बीरेंद्र सिंह, भूपेंद्र सिंह हुड्डा व उनकी करीबी जयप्रकाश से खफा थे। कांग्रेस के पक्ष में मतदान करवाया
उचाना में चौधरी बीरेंद्र सिंह ने कांग्रेस कैंडिडेट जयप्रकाश के लिए प्रचार नहीं किया। मगर अपने कार्यकर्ताओं को कांग्रेस के ही पक्ष में मतदान करने की अपील की। जयप्रकाश से नाराजगी के बावजूद बीरेंद्र ने अपने समर्थकों से कांग्रेस के पक्ष में मतदान करवाया। इसका फायदा आगामी विधानसभा में बीरेंद्र सिंह को मिलेगा। इसका कारण यह है कि जजपा अब पूरी तरह से कमजोर हो चुकी है और भाजपा के पास कोई स्थानीय चेहरा उचाना कलां में नहीं है। बीरेंद्र सिंह अपने बेटे बृजेंद्र सिंह को विधानसभा का टिकट देकर अपनी हरियाणा में भविष्य की राजनीति में अपने पांव जमाना चाह रहे हैं। 2009 से 2014 तक रहा इनेलो का वर्चस्व
वर्ष 2009 से 2014 तक लोकसभा चुनावों में यहां इनेलो का वर्चस्व रहा। 2009 में इनेलो के संपत सिंह को 47 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। इसके बाद 2014 में हिसार से इनेलो कैंडिडेट रहे दुष्यंत चौटाला को 87,243 वोट मिले थे। उस दौरान कांग्रेस, हजकां, बसपा समेत सभी उम्मीदवारों को मिले कुल वोटों की संख्या भी दुष्यंत के वोटों से कम थी। कुल मतदान के 57 प्रतिशत वोट दुष्यंत को मिले थे। मगर दुष्यंत द्वारा भाजपा सरकार को समर्थन के बाद से ही उनकी पकड़ हलके में कमजोर होती गई। वहीं बाकी कसर किसान आंदोलन और सत्ता विरोधी लहर ने पूरी कर दी। जानिए, इस चुनाव में उचाना में कैसे हुआ उलटफेर 1. नैना चौटाला को 77 बूथों पर मिले 10 से कम वोट
हिसार संसदीय क्षेत्र के उचाना विधानसभा क्षेत्र को पहले इनेलो, उसके बाद बीरेंद्र सिंह और अब तक दुष्यंत चौटाला का गढ़ माना जा रहा था, लेकिन अब दुष्यंत के इस गढ़ में जयप्रकाश उर्फ जेपी ने सेंधमारी कर डाली है। वर्तमान में विधायक दुष्यंत चौटाला की पार्टी से प्रत्याशी उनकी मां नैना चौटाला को 77 बूथों पर तो 10 वोट भी नहीं मिल पाए हैं। बूथ नंबर 83 और 181 पर तो जजपा का खाता भी नहीं खुला। 102 नंबर बूथ पर केवल एक वोट आया। विधानसभा के 66 गांवों में से 59 गांवों में जयप्रकाश और छह गांवों में रणजीत सिंह को बढ़त मिली। वहीं डूमरखां कलां में दोनों कैंडिडेट बराबरी पर रहे। हलके के गांव खांडा के बूथ नंबर 192 और 194 को छोड़ दें तो बाकी किसी भी बूथ पर जेपी के वोटों की संख्या 100 से नीचे नहीं आई। 2. खांडा समेत छह गांवों में ही रणजीत को मिली लीड, 59 में जेपी आगे
भाजपा उम्मीदवार रणजीत सिंह चौटाला को हलके के केवल छह गांवों खांडा, बिघाना, भगवानपुरा, उचाना मंडी, कसूहन और जीवनपुर में ही लीड मिली। बाकी 59 गांवों में जेपी को ज्यादा वोट मिले। वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के गांव डूमरखां कलां में मुकाबला बराबरी पर रहा। जयप्रकाश की सबसे बड़ी जीत छात्तर गांव में 2700 से अधिक मतों से रही तो रणजीत चौटाला की सबसे अधिक जीत खांडा गांव में 1061 मतों की रही। 3. दुष्यंत चौटाला के लिए वोट रिकवरी बनेगी चुनौती
वर्ष 2019 में हुए विधानसभा चुनावों में दुष्यंत सिंह चौटाला ने 47 हजार वोटों की रिकॉर्ड जीत प्राप्त की थी। विधानसभा चुनाव में दुष्यंत चौटाला को 92 हजार वोट मिले थे। अब आगामी विधानसभा चुनावों में वोटों की रिकवरी करना दुष्यंत चौटाला के लिए बड़ी चुनौती रहेगी। क्योंकि इस बार भी दुष्यंत चौटाला का सामना बीरेंद्र सिंह के परिवार से ही होगा। अगर बीरेंद्र परिवार कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ता है तो फिर उनका खुद का वोट बैंक के अलावा कांग्रेस से जुड़े वोटों का साथ रहेगा। हालांकि जयप्रकाश उर्फ जेपी के समर्थन में बीरेंद्र सिंह खुलकर नहीं आए थे, इसके बावजूद जेपी को क्षेत्र के हर गांव से अच्छे मत मिले।
हरियाणा के पूर्व गृहमंत्री बोले- कांग्रेस ओवर कॉन्फिडेंस में थी:भाजपा ने जमीन पर काम किया; सुभाष बत्रा ने EVM की बैटरी का भी जिक्र किया
हरियाणा के पूर्व गृहमंत्री बोले- कांग्रेस ओवर कॉन्फिडेंस में थी:भाजपा ने जमीन पर काम किया; सुभाष बत्रा ने EVM की बैटरी का भी जिक्र किया हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की हार के बाद वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व गृहमंत्री सुभाष बत्तरा ने हार के कारणों का जिक्र करते हुए कहा कि ओवर कांफिडेंट में गलती हुई। कांग्रेस ओवर कांफिडेंस में रही और भाजपा ग्राउंड पर काम करती रही। वहीं भाजपा सोशल इंजीनियरिंग में सफल रही और कांग्रेस इस ओर ध्यान नहीं दे पाई। उन्होंने कांग्रेस हाई कमान पर भी सवाल उठाए। सीट बंटवारे पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि ठीक से बंटवारा नहीं हुआ। सीटिंग विधायकों को टिकट देने के निर्णय को भी गलत बताया और कहा कि जहां सरकार के खिलाफ एंटी इंकंबेंसी होती है, तो विधायकों के खिलाफ भी होती है। पूर्व गृह मंत्री एवं कांग्रेसी वरिष्ठ नेता सुभाष बत्तरा से बातचीत प्रश्न : हार का क्या कारण मानते हैं?
सुभाष बत्तरा : पहली बात तो यह कि मैं इस चुनाव को निष्पक्ष चुनाव भी नहीं मानता। साढ़े 9 बजे तक जब तक बैलेट पेपर की काउंटिंग हो रही थी, तो हम 73-74 पर लीड कर रहे थे। जैसे ही ईवीएम की गिनती शुरू हुई तो पासा एक दम पलट गया। मेरा मानना है कि 20-30 विधानसभा में, जहां जीटी बेल्ट के हल्के जिनमें ईवीएम में 99 प्रतिशत बैटरी चार्ज थी। वहां-वहां एक तरफा बीजेपी की जीत दिखाई। जहां 60-65 प्रतिशत बैटरी थी, वहां कांग्रेस है। दूसरा, सोशल इंजीनियरिंग में भाजपा कामयाब रही है। हम थोड़ा-सा ओवर कांफिडेंस में थे, हमने इस पर गौर नहीं किया और वर्किंग नहीं की। ओबीसी व एससी कार्ड को अपने पक्ष में करने में भाजपा कामयाब रही। उन्होंने कुमारी सैलजा के नाम को भी कैच करने की कोशिश की। हम थोड़ा-सा ओवर कांफिडेंस में रहे और भाजपा ग्राउंड लेवल पर काम करती रही। यह भाजपा को भी उम्मीद नहीं थी कि इतनी सीटें उनकी आ जाएंगी। उन्होंने कहा कि जो जाट मतदाता है, उन्होंने तो कई इलाकों में बहुत कम प्रतिशत वोट पोल की। सोनीपत जाट बहुल्य एरिया है, वहां 6 में से 5 सीट हम हमने हारी है। बहादुरगढ़ की सीट बड़े मार्जन से हारी है। इसका मतलब है कि कहीं ना कहीं, यह कहने में कोई हानि नहीं कि (राहुल जी ने भी यह कहा कि ऐसा लगता है कि) पार्टी हित से ज्यादा अपने निजी हितों को साधा गया है। कांग्रेस लीडरशिप को इस पर मंथन करना पड़ेगा। प्रश्न : टिकट बंटवारे को लेकर काफी चर्चा थी कि पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपने चहेतों को भी टिकट दिलाई है? सुभाष बत्तरा : मैं एक बात से बिल्कुल स्पष्ट हूं कि अगर 5 साल किसी राज हो तो हम उसे भी एंटी इनकंबेंसी करते हैं। कोई भी सरकार व पार्टी लोगों उम्मीदों पर 100 प्रतिशत काम नहीं कर पाती। इसी तरह से जो एमएलए 2 बार बन गया, उसकी भी एंटी इनकंबेंसी होती है। आपने सर्वेयर किस लिए रखे और सीटिंग गेटिंग (सीटिंग विधायकों को टिकट देना) का मतलब क्या रहा। सर्वे रिपोर्ट को फेंक दें। जो 2-3 बार विधायक बना है और लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है तो उसका सीटिंग का क्या मतलब। यह बहुत गलत निर्णय था। कांग्रेस की टिकट मिलने वाले सीटिंग विधायकों में से आधे से ज्यादा हारे हैं। यह फार्मूला गलत था और पार्टी आलाकमान को मंथन करना पड़ेगा और सोचना पड़ेगा। गलत लोगों को टिकट दी गई, इसके पीछे कारण क्या रहे। प्रश्न : चुनाव के दौरान भाजपा ने कुमारी सैलजा के मुद्दे को उठाया, वह चाहे उनके खिलाफ अभद्र टिप्पणी करने का मामला हो या फिर सीएम बनाने का। इसका कितना असर पड़ा है? सुभाष बत्तरा : भाजपा एससी वोटबैंक को कैच करने में सफल रही। हम उस मुद्दे को डैमेज कंट्रोल नहीं कर पाए। सैलजा बहनजी ने तो यह बयान दिया था कि “मेरे पिताजी भी तिरंगे में गए और मैं भी तिरंगे में जाऊंगी”। उन्होंने स्पष्टीकरण भी दिए। लेकिन देर हो चुकी थी। इसलिए एससी वोटबैंक वह डायवर्सिफाई हो गया था। बीजेपी इस मुद्दे को कैच करने में कामयाब रही। प्रश्न : हरियाणा में पहली दफा ऐसा हुआ है कि कोई भी पार्टी लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में सफल रही और भाजपा की जीत का कारण क्या मानते हैं? सुभाष बत्तरा : इसका कारण पर तो क्या कह सकता हैं। प्रजातंत्र है और लोगों का जनमत है। जो जीता वह सिकंदर। अब हम कुछ भी कहते रहे, लेकिन जो खामिया हैं, उनको ढूंढना पड़ेगा। असली हार तो कार्यकर्ता की हुई है। जो जमीनी व बूथ लेवल पर लड़ता है। यह मंथन का विषय है। प्रश्न : रिजल्ट से पहले हर कोई कह रहा था कि कांग्रेस बहुमत से आ रही है और तैयारियां भी उसी तरह से चल रही थी। क्या कारण रहा कि रिजल्ट में इतना फेरबदल हुआ? सुभाष बत्तरा : भाजपा वाले भी 30 से ऊपर सीट नहीं मान रहे थे। यह तो आश्चर्यचकित नतीजे हैं। कुछ-ना-कुछ इन्होंने 20-30 सीटों पर ईवीएम को सेट व हैक किया है। इसके लिए कांग्रेस पार्टी तैयारी में हैं। मैं भी इस पर विधि वक्ताओं से सलाह कर रहा हूं। प्रश्न : जातिगत बात करें तो सबसे बड़ा वोट बैंक जाटों का माना जाता है, उसको भी साधने में क्यों सफल नहीं रहे? सुभाष बत्तरा : सीटिंग गेटिंग का फार्मूला। कर्ण दलाल 25 हजार से ज्यादा से हार आए, इसका मतलब क्या है। बहादुरगढ़ की सीट पर तीन बार के विधायक राजेंद्र जून 40 हजार से अधिक मार्जन कैसे हो गया। गन्नौर की सीट पर क्या हाल हुआ। उन्होंने राज्यसभा सांसद किरण चौधरी का जिक्र करते हुए कहा कि किरण चौधरी को निपटाने के लिए पता नहीं क्या-क्या व्यूह रचना की। किरण चौधरी के जाने से भिवानी की सभी सीटों पर क्या हाल हुआ। उस पर मंथन की जरूरत है। हरियाणा एक छोटा राज्य जरूर है, लेकिन इसका असर पूरे देश में हैं। एक माह के बाद महाराष्ट्र के चुनाव हैं, वहां भी इसका असर पड़ेगा। उत्तर प्रदेश साथ लगता राज्य हैं, वहां भी उपचुनाव में इसका असर पड़ेगा। पंजाब राज्य की भी सीमा लगती है। दिल्ली भी बॉर्डर स्टेट है, उसके भी दो माह बाद चुनाव हैं। इसलिए आज पार्टी लीडरशिप आज तिलमिला रही है और गुस्से में है कि पार्टी हित से ज्यादा निजी हितों को तवज्जो दी। यह पहले समझ नहीं आ रही थी। लोकसभा में टिकटों का बंटवारा कैसे किया। खुद कर रहे हैं कि 90 में से 72 सीटें एक सिस्टम के तहत दी, आपको उस समय सोचने का मौका नहीं थी। क्यों विचार नहीं किया। उन्होंने कहा कि वे कांग्रेस के सच्चे सिपाही है और इस हार से दुखी है। आलाकमान को पहले भी समझाने की कोशिश की, लेकिन उनके समझ में नहीं आई। हम भी हताश होकर बैठ गए।
कांग्रेस जॉइन करते ही गैंगस्टर संग फोटोज वायरल:गोकुल सेतिया ने दी सफाई- कॉलेज में साथ पढ़े अब कोई लिंक नहीं, कांडा मुझे मरवाना चाहते हैं
कांग्रेस जॉइन करते ही गैंगस्टर संग फोटोज वायरल:गोकुल सेतिया ने दी सफाई- कॉलेज में साथ पढ़े अब कोई लिंक नहीं, कांडा मुझे मरवाना चाहते हैं हरियाणा में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही राजनीति गरमा गई है। सिरसा से पूर्व विधायक लक्ष्मण दास अरोड़ा के नाती के कांग्रेस में शामिल होते ही उनके गैंगस्टर गोल्डी बराड़ के साथ फोटोज भी वायरल हो गए। इन फोटोज के वायरल होते ही गोकुल सेतिया ने सिरसा के विधायक गोपाल कांडा पर जमकर हमला बोला है। गोकुल सेतिया ने कहा कि विधायक कांडा यह बौखलाहट के चलते कर रहा है इसने अपना सारा तंत्र मेरे पीछे लगा दिया है। गोकुल सेतिया ने खुलासा करते हुए बताया कि सिरसा के विधायक गोपाल कांडा ने मुझे मरवाने के लिए गैंगस्टरों को अुंगली लगाई थी। जब गैंगस्टर पकड़े गए थे मुझसे रंगदारी भी मांगी गई थी। गोपाल कांडा मेरी छवि प्रयास करने का काम कर रहे हैं। मेरी टिकट कटाने का प्रयास कर रहे हैं। कभी इनके चैनल ने यह खबर नहीं डाली की इन पर बलात्कार का केस था। बता दें कि गोकुल सेतिया ने आज ही दिल्ली में कांग्रेस पार्टी जॉइन की थी और आज की गोकुल सेतिया के गैंगस्टर संग फोटोज वायरल हो गए। खट्टर संग गोल्डी बराड़ की फोटो दिखाई
गोकुल सेतिया ने सोशल मीडिया पर सफाई देते हुए खट्टर के साथ भी गोल्डी बराड़ की फोटो दिखाई। गोकुल सेतिया ने मोबाइल पर एक फोटो भी सोशल मीडिया में दिखाई और कहा कि जब मैं खट्टर साहब के साथ फोटो खिंचवा रहा था तो उस समय गोल्डी बराड़ भी पीछा खड़ा था। गोकुल सेतिया ने कहा कि अगर गोल्डी बराड़ 10 साल पहले गैंगस्टर होते तो क्या सीएम हाउस के नजदीक भी आ सकते थे। इसके बाद गोल्डी के भाई का निधन हुआ। जब इसके भाई की मौत हुई तो वह इन (गैंगस्टर बन गया) चीजों में पड़ गया। इसमें गोकुल सेतिया का क्या लेना देना है। कांग्रेस नेता की लॉरेंस बिश्नोई संग दिखाई ईमेज बीरेंद्र सिंह ढिल्लो यूथ कांग्रेस पंजाब प्रेजिडेंट के साथ फोटो दिखाते हुए गोकुल सेतिया ने कहा कि रोपड़ से इनको दो बार कांग्रेस का टिकट मिला है और चुनाव लड़े हैं। इनके साथ लॉरेंस बिश्नोई के फोटो हैं। इनको क्या पता था आने वाले समय में क्या होगा। गोकुल ने कहा कि विधायक जी मेरी तो चीजें स्पष्ट हैं और गूगल पर सर्च कर सकते हैं। मेरी फोटो पुरानी ऐसी ही मिलेंगी। मेरी अब तो दाढ़ी भी सफेद आ गई है। सब देख के बता देंगे कि यह 10-12 साल पुरानी फोटो निकालकर आ रहे हैं। गोकुल ने उठाया सवाल इस चुनाव में फोटो वायरल क्यों?
गोकुल सेतिया ने कहा कि मैंने पिछला चुनाव भी कांडा के सामने लड़ा था मगर तब इस तरह के फोटो वायरल नहीं किए गए थे। यह इसलिए क्योंकि आज यह बौखला गए हैं। गोकुल सेतिया ने कहा कि गोपाल कांडा कहता था कि गोकुल सेतिया हमारे आगे क्या है। मगर अब चुनाव आ गए हैं। सिरसा में एक महीना खूब खेलने को मिलेगा। करीब एक साल पहले गोकुल सेतिया को मिली थी धमकी
हरियाणा के पूर्व मंत्री लक्ष्मण दास अरोड़ा के नाती और सिरसा से इनलो के समर्थन से विधानसभा चुनाव लड़ चुके गोकुल सेतिया को करीब एक साल पहले धमकी मिली थी। विदेश से कॉल करने वाले ने अपने आप को नामी गैंगस्टर बताते हुए 1 करोड़ की रंगदारी मांगी थी। पैसे न देने पर जान से मारने की धमकी दी थी। गोकुल ने इसके बाद सिरसा एसपी को पूरे मामले की जानकारी दी थी और परिवार की सुरक्षा बढ़ाने की मांग की थी। धमकी मिलने के बाद सिरसा पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज करके जांच शुरू कर दी थी। एक साल पहले गोकुल सेतिया पर हमला करने की प्लानिंग कर रहे तीन गुर्गों को सिरसा में पकड़ा था। इन गुर्गों को पंजाब की एंटी टास्क फोर्स ने सिरसा में दबिश देकर पकड़ा था। पूछताछ में इन्होंने गोकुल सेतिया को मारने के लिए सिरसा आने का खुलासा किया था। पंजाब पुलिस ने यह इनपुट हरियाणा पुलिस से सांझा किया। इसके बाद सिरसा पुलिस ने इनपुट के आधार पर उसे तीन सुरक्षा कर्मचारी दे दिए थे।