सिरसा में बाढ़ राहत के नाम पर करोड़ों का घोटाला:आरटीआई जांच में हुआ खुलासा, 6 वर्षों से फर्जी बिल तैयार

सिरसा में बाढ़ राहत के नाम पर करोड़ों का घोटाला:आरटीआई जांच में हुआ खुलासा, 6 वर्षों से फर्जी बिल तैयार

हरियाणा के सिरसा जिले के रानियां क्षेत्र में कहने को प्रदेश की भाजपा सरकार भ्रष्टाचार को जड़ मूल से समाप्त करने के दावे कर रही है, मगर सिरसा के सिंचाई विभाग में बाढ़ राहत के नाम पर करोड़ों रुपए की धनराशि खर्च करने में बड़ा घोटाला आरटीआई से उजागर हुआ है। जिसकी शिकायत चंडीगढ़ मुख्यालय तक भेजे जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। जिससे साफ जाहिर है कि घोटाला करने वालों के तार ऊपर तक जुड़े हुए हैं, जो कि मुख्यालय तक की गई शिकायतों में जांच के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है और दोषी को बचाया जा रहा है। ठेकेदारों के साथ मिलीभगत जानकारी के अनुसार बाढ़ राहत के नाम पर पिछले 6 वर्षों से फर्जी बिल बनाकर सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगाया गया है। वर्ष 2019 से 2023 के दौरान घग्गर नदी के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में बहने वाली घग्गर नदी के तटबंधों को मजबूत करने व इलाके को बाढ़ के इंतजाम के नाम पर नहरी विभाग के अधिकारियों ने ठेकेदारों के साथ कथित मिलीभगत करके सरकार को करोड़ों रुपए की चपत लगाई है। प्राप्त जानकारी में नहरी विभाग के अधिकारियों ने कुछ जानकारी जानबूझकर छुपाई है, लेकिन उनमें से कुछ जानकारी में करोड़ों रुपए के फर्जी लेनदेन का खुलासा हुआ है। विजिलेंस से लेकर सीएम तक शिकायत दोषी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए जिला प्रशासन से लेकर विभाग के मुख्यालय, स्टेट विजिलेंस व प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्राचार किया है। इन पत्राचारों के बाद विजिलेंस टीम ने दिखावा के तौर पर बयान दर्ज करवाए हैं, इसके बाद जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। यह मामला सीएम विंडो में दर्ज करवाया गया है। जिसकी जांच जूनियर अधिकारियों द्वारा करवा कर मामले को रफा-दफा करवा दिया है। निर्माण के एक माह बाद टूटा साइफन वहीं दूसरे मामले में ओटू हैड पर करोड़ों रुपए की लागत से बनाए एक साइफन में भ्रष्टाचार फिर से उजागर हुआ है। यह साइफन निर्माण के 1 महीने बाद ही टूट गया है। जिसकी शिकायत करने के बाद भी ठंडे बस्ते में डाल दिया है। ओटू हैड की खुदाई करके मिट्टी उठाने के मामले में भी जमकर भ्रष्टाचार हुआ है। शिकायत विभाग के उच्च अधिकारियों को दी गई, लेकिन इस बार भी मामला ठंडे बस्ते में समा गई है। ट्रैक्टर से हर साल खाली बैग सप्लाई ओटू हैड के तटबंधों को मजबूत करने में खुलासा हुआ है कि 2 वर्षों के दौरान एक वाहन ने पूरे सामान की सप्लाई की है, जो कि झज्जर का नकारा घोषित ट्रैक्टर है। इस ट्रैक्टर से हर साल खाली बैग की सप्लाई करवाई है। विभाग द्वारा कॉन्ट्रैक्ट किए ठेकेदार ने दो अलग-अलग फर्मों की कोटेशन भी दी है, जोकि फर्जीवाड़ा उजागर कर रही है। इसके अलावा कोई भी सामान खरीदने की रिपोर्ट नहीं है। इस बारे नहरी विभाग के अधीक्षक अभियंता पवन भारद्वाज ने कहा कि मामले की जांच जारी है, फिलहाल मामले को लेकर कुछ नहीं कहा जा सकता। हरियाणा के सिरसा जिले के रानियां क्षेत्र में कहने को प्रदेश की भाजपा सरकार भ्रष्टाचार को जड़ मूल से समाप्त करने के दावे कर रही है, मगर सिरसा के सिंचाई विभाग में बाढ़ राहत के नाम पर करोड़ों रुपए की धनराशि खर्च करने में बड़ा घोटाला आरटीआई से उजागर हुआ है। जिसकी शिकायत चंडीगढ़ मुख्यालय तक भेजे जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। जिससे साफ जाहिर है कि घोटाला करने वालों के तार ऊपर तक जुड़े हुए हैं, जो कि मुख्यालय तक की गई शिकायतों में जांच के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है और दोषी को बचाया जा रहा है। ठेकेदारों के साथ मिलीभगत जानकारी के अनुसार बाढ़ राहत के नाम पर पिछले 6 वर्षों से फर्जी बिल बनाकर सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगाया गया है। वर्ष 2019 से 2023 के दौरान घग्गर नदी के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में बहने वाली घग्गर नदी के तटबंधों को मजबूत करने व इलाके को बाढ़ के इंतजाम के नाम पर नहरी विभाग के अधिकारियों ने ठेकेदारों के साथ कथित मिलीभगत करके सरकार को करोड़ों रुपए की चपत लगाई है। प्राप्त जानकारी में नहरी विभाग के अधिकारियों ने कुछ जानकारी जानबूझकर छुपाई है, लेकिन उनमें से कुछ जानकारी में करोड़ों रुपए के फर्जी लेनदेन का खुलासा हुआ है। विजिलेंस से लेकर सीएम तक शिकायत दोषी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए जिला प्रशासन से लेकर विभाग के मुख्यालय, स्टेट विजिलेंस व प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्राचार किया है। इन पत्राचारों के बाद विजिलेंस टीम ने दिखावा के तौर पर बयान दर्ज करवाए हैं, इसके बाद जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। यह मामला सीएम विंडो में दर्ज करवाया गया है। जिसकी जांच जूनियर अधिकारियों द्वारा करवा कर मामले को रफा-दफा करवा दिया है। निर्माण के एक माह बाद टूटा साइफन वहीं दूसरे मामले में ओटू हैड पर करोड़ों रुपए की लागत से बनाए एक साइफन में भ्रष्टाचार फिर से उजागर हुआ है। यह साइफन निर्माण के 1 महीने बाद ही टूट गया है। जिसकी शिकायत करने के बाद भी ठंडे बस्ते में डाल दिया है। ओटू हैड की खुदाई करके मिट्टी उठाने के मामले में भी जमकर भ्रष्टाचार हुआ है। शिकायत विभाग के उच्च अधिकारियों को दी गई, लेकिन इस बार भी मामला ठंडे बस्ते में समा गई है। ट्रैक्टर से हर साल खाली बैग सप्लाई ओटू हैड के तटबंधों को मजबूत करने में खुलासा हुआ है कि 2 वर्षों के दौरान एक वाहन ने पूरे सामान की सप्लाई की है, जो कि झज्जर का नकारा घोषित ट्रैक्टर है। इस ट्रैक्टर से हर साल खाली बैग की सप्लाई करवाई है। विभाग द्वारा कॉन्ट्रैक्ट किए ठेकेदार ने दो अलग-अलग फर्मों की कोटेशन भी दी है, जोकि फर्जीवाड़ा उजागर कर रही है। इसके अलावा कोई भी सामान खरीदने की रिपोर्ट नहीं है। इस बारे नहरी विभाग के अधीक्षक अभियंता पवन भारद्वाज ने कहा कि मामले की जांच जारी है, फिलहाल मामले को लेकर कुछ नहीं कहा जा सकता।   हरियाणा | दैनिक भास्कर