देहरा में बन रही सेंट्रल यूनिवर्सिटी में पीईबी स्ट्रक्चर का नई तकनीक से निर्माण हो रहा है। यह भवन भूकंप रोधी होगें। साथ ही ईको फ्रेंडली भी होगें। इसमें कंक्रीट का इस्तेमाल न के बराबर होगा। देहरा में लगभग सेंट्रल यूनिवर्सिटी के सभी ब्लॉक बनकर तैयार हो गए हैं। फाइनल टच ही बाकी रह गया है। वीसी प्रो सत्य प्रकाश बंसल ने भी कहा था कि नवंबर तक सारा काम हो जाएगा। उसके बाद 2025 में नया सेशन नए बने भवनों में शुरू किया जाएगा। सिविल इंजीनियर ने कहा कि पीईबी स्ट्रक्चर जैसी नई तकनीक का इस्तेमाल सेंट्रल यूनिवर्सिटी के भवनों में भी इस्तेमाल किया गया है। जिससे भूकंप के दौरान भवन को कोई नुकसान नहीं होगा। पीईबी स्ट्रक्चर एक स्टील स्ट्रक्चर होता है। जिसे नेट बोल्ट के माध्यम से आपस में जोड़कर एक बिल्डिंग बनाई जाती है। देहरा में सेंट्रल यूनिवर्सिटी के नए भवनों में भूकंप रोधी तकनीक (PEB structure) का इस्तेमाल किया जा रहा है। पीईबी का मतलब प्री- इंजीनियरिंग बिल्डिंग है। यह एक तरह का स्टील का ढांचा होता है, जिसे फैक्ट्री में पहले से तैयार किया जाता है और फिर निर्माण स्थल पर जोड़ दिया जाता है। इस तकनीक से भवन बनाने में कम समय लगता है और यह बहुत मजबूत भी होता है। इसका हल्का वजन होता है। पीईबी स्ट्रक्चर का वजन कंक्रीट के भवनों के मुकाबले बहुत कम होता है। इसलिए, भूकंप आने पर यह भवन कम झटके महसूस करता है। पीईबी स्ट्रक्चर लचीलापन होता है, जिसकी वजह से यह भूकंप के झटकों को सहन कर सकता है और ढहने का खतरा कम होता है। पीईबी स्ट्रक्चर में जोड़ों को बहुत मजबूती से जोड़ा जाता है, जिससे भवन की संरचना मजबूत होती है। देहरा में पीईबी स्ट्रक्चर का इस्तेमाल इसलिए जरूरी है कि कांगड़ा जिले में 1905 में आए भूकंप ने सब कुछ तहस नहस कर दिया था। उसी को देखते हुए सेंट्रल यूनिवर्सिटी जैसे बड़े प्रोजेक्ट के भवनों को भूकंप रोधी बनाना बहुत जरूरी है। देहरा में बन रही सेंट्रल यूनिवर्सिटी में पीईबी स्ट्रक्चर का नई तकनीक से निर्माण हो रहा है। यह भवन भूकंप रोधी होगें। साथ ही ईको फ्रेंडली भी होगें। इसमें कंक्रीट का इस्तेमाल न के बराबर होगा। देहरा में लगभग सेंट्रल यूनिवर्सिटी के सभी ब्लॉक बनकर तैयार हो गए हैं। फाइनल टच ही बाकी रह गया है। वीसी प्रो सत्य प्रकाश बंसल ने भी कहा था कि नवंबर तक सारा काम हो जाएगा। उसके बाद 2025 में नया सेशन नए बने भवनों में शुरू किया जाएगा। सिविल इंजीनियर ने कहा कि पीईबी स्ट्रक्चर जैसी नई तकनीक का इस्तेमाल सेंट्रल यूनिवर्सिटी के भवनों में भी इस्तेमाल किया गया है। जिससे भूकंप के दौरान भवन को कोई नुकसान नहीं होगा। पीईबी स्ट्रक्चर एक स्टील स्ट्रक्चर होता है। जिसे नेट बोल्ट के माध्यम से आपस में जोड़कर एक बिल्डिंग बनाई जाती है। देहरा में सेंट्रल यूनिवर्सिटी के नए भवनों में भूकंप रोधी तकनीक (PEB structure) का इस्तेमाल किया जा रहा है। पीईबी का मतलब प्री- इंजीनियरिंग बिल्डिंग है। यह एक तरह का स्टील का ढांचा होता है, जिसे फैक्ट्री में पहले से तैयार किया जाता है और फिर निर्माण स्थल पर जोड़ दिया जाता है। इस तकनीक से भवन बनाने में कम समय लगता है और यह बहुत मजबूत भी होता है। इसका हल्का वजन होता है। पीईबी स्ट्रक्चर का वजन कंक्रीट के भवनों के मुकाबले बहुत कम होता है। इसलिए, भूकंप आने पर यह भवन कम झटके महसूस करता है। पीईबी स्ट्रक्चर लचीलापन होता है, जिसकी वजह से यह भूकंप के झटकों को सहन कर सकता है और ढहने का खतरा कम होता है। पीईबी स्ट्रक्चर में जोड़ों को बहुत मजबूती से जोड़ा जाता है, जिससे भवन की संरचना मजबूत होती है। देहरा में पीईबी स्ट्रक्चर का इस्तेमाल इसलिए जरूरी है कि कांगड़ा जिले में 1905 में आए भूकंप ने सब कुछ तहस नहस कर दिया था। उसी को देखते हुए सेंट्रल यूनिवर्सिटी जैसे बड़े प्रोजेक्ट के भवनों को भूकंप रोधी बनाना बहुत जरूरी है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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मंडी सीट से लोकसभा चुनाव जीतने वाली कंगना रनोट को 6 जून को चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर CISF की महिला कॉन्स्टेबल कुलविंदर कौर ने थप्पड़ मार दिया। कंगना चंडीगढ़ से दिल्ली जा रही थीं। तभी एयरपोर्ट पर सिक्योरिटी चेक के दौरान महिला कॉन्स्टेबल के साथ बहस हुई और उसने थप्पड़ मार दिया। महिला कॉन्स्टेबल का उसी वक्त एक वीडियो सामने आया जिसमें वो कह रही है, ‘कंगना ने कहा था कि 100-100 रुपए की खातिर लोग किसान आंदोलन में बैठ रहे हैं। जब उसने यह बयान दिया तो मेरी मां भी वहां बैठी थी।’ कंगना का आरोप- महिला जवान ने मुझे गालियां दीं
इसके बाद कंगना ने एक वीडियो शेयर किया था। उन्होंने कहा, ‘मैं सेफ हूं। आज चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर मेरे साथ हादसा हो गया। एयरपोर्ट पर एक महिला जवान ने मुझे गालियां देनी शुरू कर दीं। उसने बताया कि वो किसान आंदोलन की सपोर्टर है। उसने साइड से आकर मुझे चेहरे पर हिट कर दिया। मैं तो सुरक्षित हूं, लेकिन मेरी चिंता पंजाब में बढ़ रहे उग्रवाद और आतंकवाद को लेकर है। इसे कैसे भी करके हैंडल करना पड़ेगा।’ वह मामला, जिसकी वजह से कंगना को थप्पड़ मारा
दिल्ली में किसान आंदोलन के वक्त कंगना ने 27 नवंबर 2020 को एक सोशल मीडिया पोस्ट की। जिसमें कंगना रनोट ने रात 10 बजे एक महिला का फोटो पोस्ट करते हुए लिखा था कि किसानों के प्रदर्शन में शामिल हुई यह महिला वही मशहूर बिलकिस दादी है, जो शाहीन बाग के प्रदर्शन में थी, जो 100 रुपए लेकर उपलब्ध है। कंगना ने जिस महिला की तस्वीर पोस्ट की, वह पंजाब में मानसा की किसान मोहिंदर कौर थीं। कंगना को बिलकिस बानो और मोहिंदर कौर को पहचानने में गलती हुई। हालांकि, कंगना ने बाद में यह पोस्ट डिलीट कर दी, लेकिन तब तक इसके स्क्रीनशॉट वायरल हो चुके थे। इसके बाद किसान मोहिंदर कौर ने कोर्ट में भी मानहानि का केस कर दिया। जिसकी सुनवाई चल रही है। कंगना रनोट की सोशल मीडिया पोस्ट… कंगना रनोट को थप्पड़ मारने वाली कुलविंदर कौर कौन हैं?
कंगना को थप्पड़ मारने वाली CISF कॉन्स्टेबल कुलविंदर कौर पंजाब के कपूरथला की रहने वाली हैं। कुलविंदर कौर की शादी लगभग 6 साल पहले जम्मू में हुई थी। उनके पति भी CISF में हैं। कुलविंदर के 2 बच्चे हैं। 6 से 7 साल की बेटी और बेटा 5 से 6 साल का है। ढाई साल से वे चंडीगढ़ में तैनात थीं। कुलविंदर के बड़े भाई शेर सिंह ने कहा कि हमें पता चला कि सिक्योरिटी को लेकर यह घटना घटी है। कुलविंदर की स्कैनर पर ड्यूटी थी, जहां बैग, पर्स, मोबाइल चेक होते हैं। यहां कंगना ने बोला कि वे MP हैं। कुलविंदर का जवाब था, हम जानते हैं। इसे लेकर दोनों के बीच तू-तू, मैं-मैं हुई है। हमें पता है, कंगना बहुत उल्टे-सीधे जवाब देती रही हैं। हमारी मां-बहनों को टके और दिहाड़ी पर आने वाली बोलती रही हैं। जबकि, हम सारे देश की लड़ाई लड़ रहे हैं। जो घटना हुई, उसमें तल्खी होना स्वाभाविक है। जो बयान कंगना देती रही हैं, ऐसी तल्खी में जो उनकी बहन ने किया, परिवार उसके साथ है।