गुरुग्राम समेत हरियाणा में भाजपा ने 10 में से 9 नगर निगमों में जीत दर्ज की, लेकिन मानेसर में पार्टी की अप्रत्याशित हार ने सभी को चौंका दिया है। इस हार ने भाजपा के सामने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल और प्रदेश सरकार में कद्दावर मंत्री राव नरबीर सिंह अपने मेयर प्रत्याशियों के साथ ही पार्षदों को भी जिताने में सफल नहीं हो पाए। चुनाव से पहले डॉ. इंद्रजीत ने कहा था कि अगर वे जीतती हैं तो सरकार के साथ मिलकर काम करेंगी। अब जीत के बाद सवाल यह है कि क्या वे भाजपा में शामिल होंगी या फिर निर्दलीय के तौर पर काम करेंगी। हालांकि उन्होंने भास्कर से कहा कि इस बारे में वे अभी कोई जवाब नहीं दे सकतीं और समय आने पर बताएंगी। खामोश रहे राव इंद्रजीत केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का अहिरवाल क्षेत्र में अच्छा प्रभाव माना जाता है। उनके अपने वोट बैंक की ताकत को देखते हुए बीजेपी को उनसे बड़ी उम्मीदें थीं। लेकिन टिकट वितरण में उनकी पसंद को नजरअंदाज किया गया, जिसके बाद वह चुनाव प्रचार से दूर हो गए। राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप नरूला का कहना है कि बेशक केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के समर्थकों को टिकट नहीं दी गई, लेकिन उनकी खामोशी ने भाजपा की बाजी पलट दी। अहिरवाल में राव इंद्रजीत का दबदबा उन्होंने बताया कि शुरू से ही खुद को राव इंद्रजीत का कार्यकर्ता बताने वाली निर्दलीय प्रत्याशी डॉक्टर इंद्रजीत ने बीजेपी के उम्मीदवार को 2293 वोटों के अंतर से हराकर मेयर की कुर्सी हासिल की। इसके साथ-साथ जो पार्षद जीते हैं, उनमें भी अधिकतर राव इंद्रजीत के कार्यकर्ता हैं। ऐसे में एक तरह से केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत की जीत मानी जा सकती है। इस चुनाव से ये साबित हो गया कि अहिरवाल क्षेत्र में फिलहाल उनके कद का दूसरा कोई नेता नहीं है, जो खामोश रहकर भी जीत हासिल करने की ताकत रखता हों। मानेसर का पहला चुनाव मानेसर नगर निगम का गठन साल 2020 में हुआ था, लेकिन पहला चुनाव 2025 में हुआ है। पहले चुनाव को लेकर स्थानीय लोगों में उत्साह रहा और यहां गुरुग्राम से ज्यादा 65% वोटिंग हुई थी। डा. इंद्रजीत पहले से ही धरातल पर काम कर रही थी, जिसका उसको ज्यादा फायदा मिला। जबकि बीजेपी के प्रत्याशी का नाम नामांकन से कुछ दिन पहले घोषित किया गया था, जिसके कारण वे ज्यादा समय प्रचार में नहीं दें पाए। हालांकि उनकी जीत के लिए मुख्यमंत्री नायब सैनी और पूर्व सीएम व केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर, प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली और कैबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह ने ताबड़तोड़ जनसभाएं की, लेकिन जीत नहीं दिला पाए। सभी राउंड में डा. इंद्रजीत जीती मतगणना के पहले राउंड में ही डॉ. इंद्रजीत यादव ने 1638 वोटों की बढ़त हासिल कर ली थी। दूसरे राउंड में यह अंतर थोड़ा कम होकर 200 वोटों तक पहुंचा, लेकिन इसके बाद हर राउंड में उनकी लीड बढ़ती गई। पांचवें राउंड तक यह अंतर 5000 वोटों के करीब पहुंच गया और आखिरी राउंड में कुछ कमी के बाद वह 2293 वोटों से जीत गई। गुरुग्राम समेत हरियाणा में भाजपा ने 10 में से 9 नगर निगमों में जीत दर्ज की, लेकिन मानेसर में पार्टी की अप्रत्याशित हार ने सभी को चौंका दिया है। इस हार ने भाजपा के सामने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल और प्रदेश सरकार में कद्दावर मंत्री राव नरबीर सिंह अपने मेयर प्रत्याशियों के साथ ही पार्षदों को भी जिताने में सफल नहीं हो पाए। चुनाव से पहले डॉ. इंद्रजीत ने कहा था कि अगर वे जीतती हैं तो सरकार के साथ मिलकर काम करेंगी। अब जीत के बाद सवाल यह है कि क्या वे भाजपा में शामिल होंगी या फिर निर्दलीय के तौर पर काम करेंगी। हालांकि उन्होंने भास्कर से कहा कि इस बारे में वे अभी कोई जवाब नहीं दे सकतीं और समय आने पर बताएंगी। खामोश रहे राव इंद्रजीत केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का अहिरवाल क्षेत्र में अच्छा प्रभाव माना जाता है। उनके अपने वोट बैंक की ताकत को देखते हुए बीजेपी को उनसे बड़ी उम्मीदें थीं। लेकिन टिकट वितरण में उनकी पसंद को नजरअंदाज किया गया, जिसके बाद वह चुनाव प्रचार से दूर हो गए। राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप नरूला का कहना है कि बेशक केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के समर्थकों को टिकट नहीं दी गई, लेकिन उनकी खामोशी ने भाजपा की बाजी पलट दी। अहिरवाल में राव इंद्रजीत का दबदबा उन्होंने बताया कि शुरू से ही खुद को राव इंद्रजीत का कार्यकर्ता बताने वाली निर्दलीय प्रत्याशी डॉक्टर इंद्रजीत ने बीजेपी के उम्मीदवार को 2293 वोटों के अंतर से हराकर मेयर की कुर्सी हासिल की। इसके साथ-साथ जो पार्षद जीते हैं, उनमें भी अधिकतर राव इंद्रजीत के कार्यकर्ता हैं। ऐसे में एक तरह से केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत की जीत मानी जा सकती है। इस चुनाव से ये साबित हो गया कि अहिरवाल क्षेत्र में फिलहाल उनके कद का दूसरा कोई नेता नहीं है, जो खामोश रहकर भी जीत हासिल करने की ताकत रखता हों। मानेसर का पहला चुनाव मानेसर नगर निगम का गठन साल 2020 में हुआ था, लेकिन पहला चुनाव 2025 में हुआ है। पहले चुनाव को लेकर स्थानीय लोगों में उत्साह रहा और यहां गुरुग्राम से ज्यादा 65% वोटिंग हुई थी। डा. इंद्रजीत पहले से ही धरातल पर काम कर रही थी, जिसका उसको ज्यादा फायदा मिला। जबकि बीजेपी के प्रत्याशी का नाम नामांकन से कुछ दिन पहले घोषित किया गया था, जिसके कारण वे ज्यादा समय प्रचार में नहीं दें पाए। हालांकि उनकी जीत के लिए मुख्यमंत्री नायब सैनी और पूर्व सीएम व केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर, प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली और कैबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह ने ताबड़तोड़ जनसभाएं की, लेकिन जीत नहीं दिला पाए। सभी राउंड में डा. इंद्रजीत जीती मतगणना के पहले राउंड में ही डॉ. इंद्रजीत यादव ने 1638 वोटों की बढ़त हासिल कर ली थी। दूसरे राउंड में यह अंतर थोड़ा कम होकर 200 वोटों तक पहुंचा, लेकिन इसके बाद हर राउंड में उनकी लीड बढ़ती गई। पांचवें राउंड तक यह अंतर 5000 वोटों के करीब पहुंच गया और आखिरी राउंड में कुछ कमी के बाद वह 2293 वोटों से जीत गई। हरियाणा | दैनिक भास्कर
