सोनीपत मेयर चुनाव में बैंयापुर गांव में निकाय चुनाव की वोटिंग को लेकर विवाद लगातार चर्चा में है। गांव नगर निगम क्षेत्र से बाहर होने के बावजूद यहां वोटिंग कराई गई। मामला बढ़ने पर जिला प्रशासन ने खुद जांच कर रिपोर्ट राज्य चुनाव आयोग को भेज दी। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इतनी बड़ी गलती होने के बावजूद किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया। हालांकि राज्य चुनाव आयोग ने इस रिपोर्ट को ज्यादा तवज्जो नहीं दी और बैंयापुर गांव के पांच विवादित बूथों के वोटों को मतगणना से बाहर करने के आदेश दे दिए। अब यह मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है, जहां कांग्रेस प्रत्याशी कमल दीवान की याचिका पर आज सुनवाई होगी। किसी को दोषी नहीं ठहराया गया जब राज्य निर्वाचन आयोग ने इस मामले में रिपोर्ट मांगी तो जिला प्रशासन ने आनन-फानन में उन्हीं अधिकारियों से जांच करा दी जो इस अनियमितता के लिए खुद जिम्मेदार थे। जांच रिपोर्ट में कहा गया कि नगर निगम और गांव बैंयापुर की सीमा एक दूसरे से सटी होने के कारण ग्रामीणों ने भी गलती से मतदान कर दिया। लक्ष्मण कॉलोनी और मोहन नगर के मतदाताओं के लिए गांव के स्कूल में बूथ बनाया गया था, लेकिन ग्रामीणों ने भी मतदान कर दिया। दोनों कॉलोनियों और गांव के मतदाताओं को अलग करने का कोई रास्ता नहीं था, इसलिए इसमें किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। इस रिपोर्ट में किसी भी अधिकारी को दोषी नहीं ठहराया गया, जिससे साफ हो गया कि जांच महज औपचारिकता थी। इस गलती के लिए कौन जिम्मेदार? मतदाता सूची को अपडेट करने की जिम्मेदारी सेवानिवृत्त शिक्षक लक्ष्मी नारायण और कुंडली नगर पालिका के डाटा एंट्री ऑपरेटर को दी गई थी। इन कर्मचारियों ने गलती से पंचायत क्षेत्र की मतदाता सूची को नगर निगम चुनाव की सूची में शामिल कर दिया। इस गलती की निगरानी की जिम्मेदारी क्षेत्रीय कराधान अधिकारी राजेंद्र चुघ, नगर निगम आयुक्त हर्षित कुमार, आरओ अभय सिंह और जिला निर्वाचन अधिकारी डॉ. मनोज कुमार की थी। लेकिन कोई भी इस गलती को पकड़ नहीं पाया और गांव के लोगों ने गलत तरीके से मतदान कर दिया। राज्य निर्वाचन आयोग का आदेश जब मामला तूल पकड़ने लगा, तो राज्य निर्वाचन आयोग ने पांच विवादित बूथों के मतों को मतगणना से बाहर करने का आदेश दिया। वहीं राज्य निर्वाचन आयुक्त धनपत सिंह ने कहा कि पहले मतगणना पूरी कराई जाएगी, उसके बाद जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। लेकिन सवाल ये उठता है कि अगर गलती इतनी बड़ी थी, तो पहले ही इस पर ठोस कार्रवाई क्यों नहीं हुई? विपक्ष की कड़ी प्रतिक्रिया, दोषियों पर कार्रवाई की मांग कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) इस मुद्दे को लेकर लगातार सरकार और प्रशासन पर सवाल उठा रही हैं। कांग्रेस प्रत्याशी कमल दीवान ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर पांचों विवादित बूथों की मतगणना पर रोक लगाने की मांग की। कांग्रेस प्रदेश सचिव सत्यवीर निर्माण ने कहा यह लोकतंत्र के खिलाफ साजिश है। अधिकारियों ने जानबूझकर गड़बड़ी की, दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। AAP नेता देवेंद्र गौतम ने कहा कि अधिकारियों को मतदान से पहले इस गलती का पता था, लेकिन इसे रोका नहीं गया। अब सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। सोनीपत मेयर चुनाव में बैंयापुर गांव में निकाय चुनाव की वोटिंग को लेकर विवाद लगातार चर्चा में है। गांव नगर निगम क्षेत्र से बाहर होने के बावजूद यहां वोटिंग कराई गई। मामला बढ़ने पर जिला प्रशासन ने खुद जांच कर रिपोर्ट राज्य चुनाव आयोग को भेज दी। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इतनी बड़ी गलती होने के बावजूद किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया। हालांकि राज्य चुनाव आयोग ने इस रिपोर्ट को ज्यादा तवज्जो नहीं दी और बैंयापुर गांव के पांच विवादित बूथों के वोटों को मतगणना से बाहर करने के आदेश दे दिए। अब यह मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है, जहां कांग्रेस प्रत्याशी कमल दीवान की याचिका पर आज सुनवाई होगी। किसी को दोषी नहीं ठहराया गया जब राज्य निर्वाचन आयोग ने इस मामले में रिपोर्ट मांगी तो जिला प्रशासन ने आनन-फानन में उन्हीं अधिकारियों से जांच करा दी जो इस अनियमितता के लिए खुद जिम्मेदार थे। जांच रिपोर्ट में कहा गया कि नगर निगम और गांव बैंयापुर की सीमा एक दूसरे से सटी होने के कारण ग्रामीणों ने भी गलती से मतदान कर दिया। लक्ष्मण कॉलोनी और मोहन नगर के मतदाताओं के लिए गांव के स्कूल में बूथ बनाया गया था, लेकिन ग्रामीणों ने भी मतदान कर दिया। दोनों कॉलोनियों और गांव के मतदाताओं को अलग करने का कोई रास्ता नहीं था, इसलिए इसमें किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। इस रिपोर्ट में किसी भी अधिकारी को दोषी नहीं ठहराया गया, जिससे साफ हो गया कि जांच महज औपचारिकता थी। इस गलती के लिए कौन जिम्मेदार? मतदाता सूची को अपडेट करने की जिम्मेदारी सेवानिवृत्त शिक्षक लक्ष्मी नारायण और कुंडली नगर पालिका के डाटा एंट्री ऑपरेटर को दी गई थी। इन कर्मचारियों ने गलती से पंचायत क्षेत्र की मतदाता सूची को नगर निगम चुनाव की सूची में शामिल कर दिया। इस गलती की निगरानी की जिम्मेदारी क्षेत्रीय कराधान अधिकारी राजेंद्र चुघ, नगर निगम आयुक्त हर्षित कुमार, आरओ अभय सिंह और जिला निर्वाचन अधिकारी डॉ. मनोज कुमार की थी। लेकिन कोई भी इस गलती को पकड़ नहीं पाया और गांव के लोगों ने गलत तरीके से मतदान कर दिया। राज्य निर्वाचन आयोग का आदेश जब मामला तूल पकड़ने लगा, तो राज्य निर्वाचन आयोग ने पांच विवादित बूथों के मतों को मतगणना से बाहर करने का आदेश दिया। वहीं राज्य निर्वाचन आयुक्त धनपत सिंह ने कहा कि पहले मतगणना पूरी कराई जाएगी, उसके बाद जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। लेकिन सवाल ये उठता है कि अगर गलती इतनी बड़ी थी, तो पहले ही इस पर ठोस कार्रवाई क्यों नहीं हुई? विपक्ष की कड़ी प्रतिक्रिया, दोषियों पर कार्रवाई की मांग कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) इस मुद्दे को लेकर लगातार सरकार और प्रशासन पर सवाल उठा रही हैं। कांग्रेस प्रत्याशी कमल दीवान ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर पांचों विवादित बूथों की मतगणना पर रोक लगाने की मांग की। कांग्रेस प्रदेश सचिव सत्यवीर निर्माण ने कहा यह लोकतंत्र के खिलाफ साजिश है। अधिकारियों ने जानबूझकर गड़बड़ी की, दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। AAP नेता देवेंद्र गौतम ने कहा कि अधिकारियों को मतदान से पहले इस गलती का पता था, लेकिन इसे रोका नहीं गया। अब सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। हरियाणा | दैनिक भास्कर
