सोनीपत में बागवानी अधिकारियों-किसानों पर FIR:3000-3000 रुपए में फर्जी प्रमाण पत्र बनवाए, मिलीभगत से 2.5 लाख की सब्सिडी हड़पी

सोनीपत में बागवानी अधिकारियों-किसानों पर FIR:3000-3000 रुपए में फर्जी प्रमाण पत्र बनवाए, मिलीभगत से 2.5 लाख की सब्सिडी हड़पी

सीएम फ्लाइंग हरियाणा की करनाल टीम ने बागवानी विभाग सोनीपत में सरकारी सब्सिडी के गबन का बड़ा खुलासा किया है। बागवानी विभाग के अधिकारियों और कुछ किसानों की मिलीभगत से फर्जी प्रमाण पत्रों के जरिए 2.55 लाख रुपये का गबन करने का मामला सामने आया है। रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार द्वारा किसानों के लिए चलाई जा रही मशरूम खेती एवं संवर्धन, बांस की स्टेकिंग और प्लास्टिक टनल योजना में बड़ा घोटाला हुआ है। गुप्त सूचना के आधार पर 30 जनवरी 2025 को फ्लाइंग स्क्वायड टीम ने जिला बागवानी अधिकारी प्रमोद कुमार के कार्यालय का अचानक निरीक्षण किया। जांच के दौरान मशरूम खेती एवं संवर्धन योजना के तहत 7 किसानों को 51 हजार रुपए प्रति व्यक्ति सब्सिडी जारी की गई थी। इस योजना के तहत किसानों को प्रशिक्षण प्राप्त कर प्रमाण पत्र जमा कराना जरूरी था, लेकिन जांच में पाया गया कि सात में से 5 किसानों के प्रमाण पत्र फर्जी थे। 5 किसानों ने बिना प्रशिक्षण के बनवाएं फर्जी सर्टिफिकेट महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय, क्षेत्रीय मशरूम अनुसंधान केंद्र मुरथल से जब प्रशिक्षण प्रमाण पत्रों की जांच करवाई गई तो सामने आया कि केवल दो किसानों नवीन पुत्र जयपाल और सुरेंद्र पुत्र नंदूराम ने ही प्रशिक्षण लिया था। 5 किसानों संदीप पुत्र शेर सिंह, विकास पुत्र दयानंद, भगत सिंह पुत्र ओम प्रकाश, सुमित पुत्र भीम सिंह और सितेंद्र पुत्र हरी सिंह ने कोई प्रशिक्षण नहीं लिया था। सब्सिडी लेने के लिए बिना प्रशिक्षण के ही मिलीभगत करके फर्जी सर्टिफिकेट बनवाएं थे। कैसे हुआ घोटाला जांच में सामने आया कि बागवानी विभाग के फील्डमैन चांद राम ने इन किसानों से प्रति प्रमाण पत्र 4,000 रुपए की मांग की थी, लेकिन सौदा 3,000 रुपए प्रति प्रमाण पत्र पर तय हुआ। सियाराम नामक व्यक्ति ने अपने परिवार के पांच सदस्यों के नाम पर आवेदन कराए और चांद राम को 15,000 रुपए नकद दिए। फिर इन किसानों के आधार कार्ड, राशन कार्ड, जाति प्रमाण पत्र व बैंक अकाउंट की जानकारी चांद राम को दी गई, जिसने फर्जी दस्तावेज तैयार कर फाइलें ऑनलाइन करवाईं। फर्जी प्रमाण पत्रों से हासिल की गई सब्सिडी सरकार की मशरूम फार्मिंग एंड कल्टिवेशन योजना के तहत अनुसूचित जाति के किसानों को प्रति व्यक्ति 51,000 रुपए की सब्सिडी मिलनी थी। इस योजना में फायदा पाने के लिए किसानों को मशरूम प्रशिक्षण प्रमाण पत्र अनिवार्य रूप से जमा करना होता है। जांच के दौरान पता चला कि जिन किसानों को सब्सिडी जारी की गई थी। उनमें से पांच के दस्तावेज फर्जी तरीके से तैयार कर फायदा लिया गया। जिसमें फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए 2.55 लाख रुपए का गबन किया गया है। फर्जी प्रमाण पत्रों की महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय, क्षेत्रीय मशरूम अनुसंधान केंद्र, मुरथल से जांच कराई गई। 31 जनवरी 2025 को केंद्र की रिपोर्ट में साफ बताया गया कि उपरोक्त 5 किसानों को कोई प्रशिक्षण नहीं दिया गया था। बागवानी विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका DHO प्रमोद कुमार ने भी बिना दस्तावेजों की जांच किए टेक्निकल अप्रूवल और सेक्शन देकर बिल पास कर दिए। इसके बाद किसानों के खातों में कुल 2,55,000 रुपए की सब्सिडी ट्रांसफर कर दी गई। घोटाले के मास्टरमाइंड चांद राम ने किसानों को मिली सब्सिडी का आधा हिस्सा अपने पास और अन्य अधिकारियों के लिए रख लिया। सियाराम ने अपने स्टेट बैंक खाते से 42,000 रुपए निकालकर और 8,000 रुपए नकद देकर चांद राम को 50,000 रुपए सौंपे। इन अधिकारियों और किसानों पर गिरी गाज जांच में दोषी पाए गए निम्नलिखित व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 316(2), 316(5), 318(4), 338, 336(3), 340(2) और 61(2) के तहत मामला दर्ज करने की कार्रवाई की सिफारिश की गई है। 1. ज्वाला सिंह (HDO, बागवानी विभाग, सोनीपत, प्रमोद कुमार (DHO, बागवानी विभाग, सोनीपत), चांद राम (फील्डमैन, बागवानी विभाग, सोनीपत), सियाराम पुत्र नन्हुराम (मास्टरमाइंड, जिसने अपने परिवार के 5 लोगों के नाम पर फर्जी आवेदन करवाए), 5. संदीप पुत्र शेर सिंह, 6. विकास पुत्र दयानंद, 7. भगत सिंह पुत्र ओम प्रकाश, 8. सुमित पुत्र भीम सिंह, 9. सितेंद्र पुत्र हरी सिंह आगे की कार्रवाई जांच अधिकारियों ने सिफारिश की है कि अगर अनुसंधान के दौरान अन्य कर्मचारी, अधिकारी या व्यक्ति दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें भी इस घोटाले में शामिल कर मुकदमा दर्ज किया जाएगा। फिलहाल, पुलिस मामले की गहन जांच कर रही है और दोषियों के खिलाफ जल्द कानूनी कार्रवाई की जाएगी। सीएम फ्लाइंग हरियाणा की करनाल टीम ने बागवानी विभाग सोनीपत में सरकारी सब्सिडी के गबन का बड़ा खुलासा किया है। बागवानी विभाग के अधिकारियों और कुछ किसानों की मिलीभगत से फर्जी प्रमाण पत्रों के जरिए 2.55 लाख रुपये का गबन करने का मामला सामने आया है। रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार द्वारा किसानों के लिए चलाई जा रही मशरूम खेती एवं संवर्धन, बांस की स्टेकिंग और प्लास्टिक टनल योजना में बड़ा घोटाला हुआ है। गुप्त सूचना के आधार पर 30 जनवरी 2025 को फ्लाइंग स्क्वायड टीम ने जिला बागवानी अधिकारी प्रमोद कुमार के कार्यालय का अचानक निरीक्षण किया। जांच के दौरान मशरूम खेती एवं संवर्धन योजना के तहत 7 किसानों को 51 हजार रुपए प्रति व्यक्ति सब्सिडी जारी की गई थी। इस योजना के तहत किसानों को प्रशिक्षण प्राप्त कर प्रमाण पत्र जमा कराना जरूरी था, लेकिन जांच में पाया गया कि सात में से 5 किसानों के प्रमाण पत्र फर्जी थे। 5 किसानों ने बिना प्रशिक्षण के बनवाएं फर्जी सर्टिफिकेट महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय, क्षेत्रीय मशरूम अनुसंधान केंद्र मुरथल से जब प्रशिक्षण प्रमाण पत्रों की जांच करवाई गई तो सामने आया कि केवल दो किसानों नवीन पुत्र जयपाल और सुरेंद्र पुत्र नंदूराम ने ही प्रशिक्षण लिया था। 5 किसानों संदीप पुत्र शेर सिंह, विकास पुत्र दयानंद, भगत सिंह पुत्र ओम प्रकाश, सुमित पुत्र भीम सिंह और सितेंद्र पुत्र हरी सिंह ने कोई प्रशिक्षण नहीं लिया था। सब्सिडी लेने के लिए बिना प्रशिक्षण के ही मिलीभगत करके फर्जी सर्टिफिकेट बनवाएं थे। कैसे हुआ घोटाला जांच में सामने आया कि बागवानी विभाग के फील्डमैन चांद राम ने इन किसानों से प्रति प्रमाण पत्र 4,000 रुपए की मांग की थी, लेकिन सौदा 3,000 रुपए प्रति प्रमाण पत्र पर तय हुआ। सियाराम नामक व्यक्ति ने अपने परिवार के पांच सदस्यों के नाम पर आवेदन कराए और चांद राम को 15,000 रुपए नकद दिए। फिर इन किसानों के आधार कार्ड, राशन कार्ड, जाति प्रमाण पत्र व बैंक अकाउंट की जानकारी चांद राम को दी गई, जिसने फर्जी दस्तावेज तैयार कर फाइलें ऑनलाइन करवाईं। फर्जी प्रमाण पत्रों से हासिल की गई सब्सिडी सरकार की मशरूम फार्मिंग एंड कल्टिवेशन योजना के तहत अनुसूचित जाति के किसानों को प्रति व्यक्ति 51,000 रुपए की सब्सिडी मिलनी थी। इस योजना में फायदा पाने के लिए किसानों को मशरूम प्रशिक्षण प्रमाण पत्र अनिवार्य रूप से जमा करना होता है। जांच के दौरान पता चला कि जिन किसानों को सब्सिडी जारी की गई थी। उनमें से पांच के दस्तावेज फर्जी तरीके से तैयार कर फायदा लिया गया। जिसमें फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए 2.55 लाख रुपए का गबन किया गया है। फर्जी प्रमाण पत्रों की महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय, क्षेत्रीय मशरूम अनुसंधान केंद्र, मुरथल से जांच कराई गई। 31 जनवरी 2025 को केंद्र की रिपोर्ट में साफ बताया गया कि उपरोक्त 5 किसानों को कोई प्रशिक्षण नहीं दिया गया था। बागवानी विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका DHO प्रमोद कुमार ने भी बिना दस्तावेजों की जांच किए टेक्निकल अप्रूवल और सेक्शन देकर बिल पास कर दिए। इसके बाद किसानों के खातों में कुल 2,55,000 रुपए की सब्सिडी ट्रांसफर कर दी गई। घोटाले के मास्टरमाइंड चांद राम ने किसानों को मिली सब्सिडी का आधा हिस्सा अपने पास और अन्य अधिकारियों के लिए रख लिया। सियाराम ने अपने स्टेट बैंक खाते से 42,000 रुपए निकालकर और 8,000 रुपए नकद देकर चांद राम को 50,000 रुपए सौंपे। इन अधिकारियों और किसानों पर गिरी गाज जांच में दोषी पाए गए निम्नलिखित व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 316(2), 316(5), 318(4), 338, 336(3), 340(2) और 61(2) के तहत मामला दर्ज करने की कार्रवाई की सिफारिश की गई है। 1. ज्वाला सिंह (HDO, बागवानी विभाग, सोनीपत, प्रमोद कुमार (DHO, बागवानी विभाग, सोनीपत), चांद राम (फील्डमैन, बागवानी विभाग, सोनीपत), सियाराम पुत्र नन्हुराम (मास्टरमाइंड, जिसने अपने परिवार के 5 लोगों के नाम पर फर्जी आवेदन करवाए), 5. संदीप पुत्र शेर सिंह, 6. विकास पुत्र दयानंद, 7. भगत सिंह पुत्र ओम प्रकाश, 8. सुमित पुत्र भीम सिंह, 9. सितेंद्र पुत्र हरी सिंह आगे की कार्रवाई जांच अधिकारियों ने सिफारिश की है कि अगर अनुसंधान के दौरान अन्य कर्मचारी, अधिकारी या व्यक्ति दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें भी इस घोटाले में शामिल कर मुकदमा दर्ज किया जाएगा। फिलहाल, पुलिस मामले की गहन जांच कर रही है और दोषियों के खिलाफ जल्द कानूनी कार्रवाई की जाएगी।   हरियाणा | दैनिक भास्कर