राम रहीम के डेरा सच्चा सौदा के साढ़े 7 साल बाद सिरसा स्थित हेडक्वार्टर आने की बड़ी वजह सामने आई है। डेरे के टॉप सोर्सेज के मुताबिक राम रहीम डेरे की गद्दी को लेकर चल रहे विवाद के निपटारे के लिए यहां पहुंचा है। यह विवाद पहले राम रहीम के परिवार और मुख्य शिष्या हनीप्रीत के बीच चल रहा था। जिसके बाद परिवार विदेश चला गया। अब हनीप्रीत और डेरा मैनेजमेंट कमेटी के बीच विवाद चल रहा था। सूत्रों के मुताबिक विवाद को खत्म करने के लिए राम रहीम अपनी मुख्य शिष्या और मुंहबोली बेटी हनीप्रीत को डेरे की पावर दे सकता है। इसके लिए डेरे के मैनेजमेंट से लेकर फाइनेंस वगैरह तक की पावर ऑफ अटॉर्नी हनीप्रीत को दी जा सकता है। हालांकि डेरा मैनेजमेंट फिलहाल इसकी पुष्टि नहीं कर रहा है। हनीप्रीत को पावर ऑफ अटॉर्नी देने की जरूरत क्यों पड़ रही?
डेरे से जुड़े सोर्सेज के मुताबिक डेरे की गतिविधियों को लेकर किसी बात पर तुरंत फैसला लेना होता है तो उसमें काफी परेशानी होती है। इसके लिए डेरा मैनेजमेंट कमेटी को राम रहीम के पैरोल पर आने का इंतजार करना पड़ता है। ज्यादा देरी होने पर डेरा कमेटी को जेल में राम रहीम से मिलना पड़ता है। हालांकि इसमें उन्हें काफी परेशानी होती है। हनीप्रीत को राम रहीम का सबसे करीबी और राजदार माना जाता है। ऐसे में डेरे में आंतरिक तौर पर भी यह चर्चा है कि हनीप्रीत को डेरे की कमान सौंपी जा सकती है। डेरे की गद्दी को लेकर हनीप्रीत का दावा सबसे मजबूत क्यों, 5 वजहें 1. सभी कागजों में हनीप्रीत मुख्य शिष्य
राम रहीम हनीप्रीत को मुख्य शिष्य बना चुका है। राम रहीम जब फरवरी 2022 में पहली बार पैरोल पर आया था तो उसने अपने आधार कार्ड से लेकर परिवार पहचान पत्र में पिता और परिवार के नाम कटवा दिए थे। पिता के नाम के आगे अपने गुरु सतनाम सिंह का नाम अंकित करवा दिया और खुद को उनका मुख्य शिष्य अंकित करवाया। वहीं परिवार पहचान पत्र में अपनी पत्नी और मां के नाम ना लिखवाकर केवल हनीप्रीत का ही मुख्य शिष्य के तौर पर नाम दर्ज करा दिया। 2. मुख्य शिष्य को ही सौंपी जाती है गद्दी
डेरा सच्चा सौदा में परंपरा है कि गद्दी उसे ही सौंपी जाती है जो मौजूदा गद्दीनशीन का मुख्य शिष्य हो। चूंकि अभी राम रहीम गद्दीनशीन है और हनीप्रीत मुख्य शिष्या है तो ऐसी सूरत में परंपरा के हिसाब से वही गद्दी के अगले वारिस होने के कयास लगाए जा रहे हैं। 3. हनीप्रीत से अनबन के बाद ही लंदन गया परिवार
राम रहीम के बच्चे विदेश में बस चुके हैं। इनमें उसकी बेटी अमरप्रीत और चरणप्रीत कौर के अलावा बेटा जसमीत भी शामिल है। डेरा प्रमुख की मां नसीब कौर और पत्नी हरजीत कौर देश में ही हैं लेकिन कागजात में उनके नाम नहीं हैं। डेरे के सूत्रों के मुताबिक हनीप्रीत से ही उनका विवाद हुआ था। परिवार डेरा मैनेजमेंट पर भरोसा कर रहा था लेकिन हनीप्रीत इसमें इंटरफेयर कर रहीं थी। 4. हनीप्रीत को पॉलिटिकल फैसले का अधिकार मिल चुका
डेरे के सोर्सेज के मुताबिक राम रहीम के परिवार के विदेश जाने के बाद हनीप्रीत की दखलअंदाजी काफी बढ़ चुकी थी। राम रहीम की मुख्य शिष्या होने की वजह से वह डेरे के कई अहम फैसले ले रही थी। इसके अलावा राम रहीम ने डेरे से जुड़े पॉलिटिकल फैसले लेने का अधिकार भी हनीप्रीत को ही दे रखा था। परिवार और मैनेजमेंट से विवाद की वजह भी हनीप्रीत का नेताओं से मीटिंग करना रहा था। 5. हनीप्रीत का नाम भी बदल चुका राम रहीम
राम रहीम ने अक्टूबर 2022 में हनीप्रीत का नाम भी बदल दिया था। राम रहीम ने हनीप्रीत का नाम रूहानी दीदी (रुह दी) रख दिया था। तब राम रहीम 40 दिन की पैरोल पर आया था। इससे भी कयास तेज हुए थे कि डेरे का अधिकार देने से पहले राम रहीम हनीप्रीत के सांसारिक नाम की जगह कोई ऐसा नाम दे रहा है, जिससे वह डेरे के गद्दीनशीन के तौर पर जाहिर हो सके। ********************** राम रहीम से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें.. राम रहीम की सुरक्षा में 200 पुलिसकर्मी तैनात:हनीप्रीत रोहतक से सिरसा डेरे लाई, फोटो-वीडियो पर रोक; दिल्ली चुनाव से पहले पैरोल मिली डेरा सच्चा सौदा का मुखी राम रहीम साढ़े 7 साल बाद सिरसा डेरे में पहुंच गया है। 5 फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव की वोटिंग से करीब एक हफ्ते पहले उसे 30 दिन की पैरोल मिली (पढ़ें पूरी खबर) राम रहीम पैरोल पर सिरसा डेरे क्यों आया:डेरा सच्चा सौदा की अरबों की प्रॉपर्टी, डेरा मैनेजमेंट–परिवार और हनीप्रीत में विवाद समेत 4 वजहें मर्डर–यौन शोषण केस में कैद काट रहे राम रहीम ने मंगलवार को डेरा सच्चा सौदा के हेडक्वार्टर सिरसा आकर सबको चौंका दिया (पढ़ें पूरी खबर) राम रहीम के डेरा सच्चा सौदा के साढ़े 7 साल बाद सिरसा स्थित हेडक्वार्टर आने की बड़ी वजह सामने आई है। डेरे के टॉप सोर्सेज के मुताबिक राम रहीम डेरे की गद्दी को लेकर चल रहे विवाद के निपटारे के लिए यहां पहुंचा है। यह विवाद पहले राम रहीम के परिवार और मुख्य शिष्या हनीप्रीत के बीच चल रहा था। जिसके बाद परिवार विदेश चला गया। अब हनीप्रीत और डेरा मैनेजमेंट कमेटी के बीच विवाद चल रहा था। सूत्रों के मुताबिक विवाद को खत्म करने के लिए राम रहीम अपनी मुख्य शिष्या और मुंहबोली बेटी हनीप्रीत को डेरे की पावर दे सकता है। इसके लिए डेरे के मैनेजमेंट से लेकर फाइनेंस वगैरह तक की पावर ऑफ अटॉर्नी हनीप्रीत को दी जा सकता है। हालांकि डेरा मैनेजमेंट फिलहाल इसकी पुष्टि नहीं कर रहा है। हनीप्रीत को पावर ऑफ अटॉर्नी देने की जरूरत क्यों पड़ रही?
डेरे से जुड़े सोर्सेज के मुताबिक डेरे की गतिविधियों को लेकर किसी बात पर तुरंत फैसला लेना होता है तो उसमें काफी परेशानी होती है। इसके लिए डेरा मैनेजमेंट कमेटी को राम रहीम के पैरोल पर आने का इंतजार करना पड़ता है। ज्यादा देरी होने पर डेरा कमेटी को जेल में राम रहीम से मिलना पड़ता है। हालांकि इसमें उन्हें काफी परेशानी होती है। हनीप्रीत को राम रहीम का सबसे करीबी और राजदार माना जाता है। ऐसे में डेरे में आंतरिक तौर पर भी यह चर्चा है कि हनीप्रीत को डेरे की कमान सौंपी जा सकती है। डेरे की गद्दी को लेकर हनीप्रीत का दावा सबसे मजबूत क्यों, 5 वजहें 1. सभी कागजों में हनीप्रीत मुख्य शिष्य
राम रहीम हनीप्रीत को मुख्य शिष्य बना चुका है। राम रहीम जब फरवरी 2022 में पहली बार पैरोल पर आया था तो उसने अपने आधार कार्ड से लेकर परिवार पहचान पत्र में पिता और परिवार के नाम कटवा दिए थे। पिता के नाम के आगे अपने गुरु सतनाम सिंह का नाम अंकित करवा दिया और खुद को उनका मुख्य शिष्य अंकित करवाया। वहीं परिवार पहचान पत्र में अपनी पत्नी और मां के नाम ना लिखवाकर केवल हनीप्रीत का ही मुख्य शिष्य के तौर पर नाम दर्ज करा दिया। 2. मुख्य शिष्य को ही सौंपी जाती है गद्दी
डेरा सच्चा सौदा में परंपरा है कि गद्दी उसे ही सौंपी जाती है जो मौजूदा गद्दीनशीन का मुख्य शिष्य हो। चूंकि अभी राम रहीम गद्दीनशीन है और हनीप्रीत मुख्य शिष्या है तो ऐसी सूरत में परंपरा के हिसाब से वही गद्दी के अगले वारिस होने के कयास लगाए जा रहे हैं। 3. हनीप्रीत से अनबन के बाद ही लंदन गया परिवार
राम रहीम के बच्चे विदेश में बस चुके हैं। इनमें उसकी बेटी अमरप्रीत और चरणप्रीत कौर के अलावा बेटा जसमीत भी शामिल है। डेरा प्रमुख की मां नसीब कौर और पत्नी हरजीत कौर देश में ही हैं लेकिन कागजात में उनके नाम नहीं हैं। डेरे के सूत्रों के मुताबिक हनीप्रीत से ही उनका विवाद हुआ था। परिवार डेरा मैनेजमेंट पर भरोसा कर रहा था लेकिन हनीप्रीत इसमें इंटरफेयर कर रहीं थी। 4. हनीप्रीत को पॉलिटिकल फैसले का अधिकार मिल चुका
डेरे के सोर्सेज के मुताबिक राम रहीम के परिवार के विदेश जाने के बाद हनीप्रीत की दखलअंदाजी काफी बढ़ चुकी थी। राम रहीम की मुख्य शिष्या होने की वजह से वह डेरे के कई अहम फैसले ले रही थी। इसके अलावा राम रहीम ने डेरे से जुड़े पॉलिटिकल फैसले लेने का अधिकार भी हनीप्रीत को ही दे रखा था। परिवार और मैनेजमेंट से विवाद की वजह भी हनीप्रीत का नेताओं से मीटिंग करना रहा था। 5. हनीप्रीत का नाम भी बदल चुका राम रहीम
राम रहीम ने अक्टूबर 2022 में हनीप्रीत का नाम भी बदल दिया था। राम रहीम ने हनीप्रीत का नाम रूहानी दीदी (रुह दी) रख दिया था। तब राम रहीम 40 दिन की पैरोल पर आया था। इससे भी कयास तेज हुए थे कि डेरे का अधिकार देने से पहले राम रहीम हनीप्रीत के सांसारिक नाम की जगह कोई ऐसा नाम दे रहा है, जिससे वह डेरे के गद्दीनशीन के तौर पर जाहिर हो सके। ********************** राम रहीम से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें.. राम रहीम की सुरक्षा में 200 पुलिसकर्मी तैनात:हनीप्रीत रोहतक से सिरसा डेरे लाई, फोटो-वीडियो पर रोक; दिल्ली चुनाव से पहले पैरोल मिली डेरा सच्चा सौदा का मुखी राम रहीम साढ़े 7 साल बाद सिरसा डेरे में पहुंच गया है। 5 फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव की वोटिंग से करीब एक हफ्ते पहले उसे 30 दिन की पैरोल मिली (पढ़ें पूरी खबर) राम रहीम पैरोल पर सिरसा डेरे क्यों आया:डेरा सच्चा सौदा की अरबों की प्रॉपर्टी, डेरा मैनेजमेंट–परिवार और हनीप्रीत में विवाद समेत 4 वजहें मर्डर–यौन शोषण केस में कैद काट रहे राम रहीम ने मंगलवार को डेरा सच्चा सौदा के हेडक्वार्टर सिरसा आकर सबको चौंका दिया (पढ़ें पूरी खबर) हरियाणा | दैनिक भास्कर