हमीरपुर उपचुनाव की जंग आशीष बनाम पुष्पेंद्र:सीएम सुखविंदर ने फीडबैक को बनाया आधार, 5 दिनों से जारी थी माथापच्ची

हमीरपुर उपचुनाव की जंग आशीष बनाम पुष्पेंद्र:सीएम सुखविंदर ने फीडबैक को बनाया आधार, 5 दिनों से जारी थी माथापच्ची

हमीरपुर विधानसभा उप चुनाव के लिए कांग्रेस ने डॉक्टर पुष्पेंद्र वर्मा का नाम फाइनल कर दिया है। अब हमीरपुर में डॉ. पुष्पेंद्र वर्मा और आशीष शर्मा ही एक बार फिर आमने-सामने होंगे। पिछले विधानसभा चुनाव में भी तिकोना मुकाबला हुआ था। तब 12000 से ज्यादा मतों से आशीष जीते थे। इस बार मुकाबला सीधा होगा। इसीलिए मुकाबला दिलचस्प होगा। कुछ दिनों से कांग्रेस के भीतर मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार सुनील शर्मा को लेकर जो माहौल बना था। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने तमाम नेताओं से जो फीडबैक लिया, उसी को फिर से आधार बनाया और अब पुष्पेंद्र वर्मा को ही फिर से चुनावी जंग में उतारा गया है। डॉ. पुष्पेंद्र वर्मा ने टिकट फाइनल होने की खुद पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि दिल्ली से इस बाबत मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और वरिष्ठ नेता राजीव शुक्ला ने फोन करके उन्हें इसकी सूचना दी है कि उन्हें फाइनल कर दिया गया है। पिता रणजीत सिंह भी रह चुके विधायक पुष्पेंद्र के पिता रणजीत सिंह वर्मा भी विधायक रह चुके हैं। लंबे समय के बाद फिर से हमीरपुर में डॉ. पुष्पेंद्र वर्मा भाजपा उम्मीदवार से चुनावी जंग में उतरेंगे। पिछले विधानसभा चुनावों में आशीष शर्मा से हार जाने के बावजूद पुष्पेंद्र ने जमीनी हकीकत को समझते हुए लोगों से जुड़े रहे। उनके कार्यक्रमों का सिलसिला लगातार जारी रहा। हालांकि पिछली बार नामांकन दाखिल करने के आखिरी रोज 2 घंटे पहले उनका टिकट फाइनल हुआ था। तब कांग्रेस का सारा कुनबा इसी लेट लतीफी पर बेहद नाराज था। उसके बावजूद तिकोने मुकाबले में डॉक्टर पुष्पेंद्र ने भाजपा के उम्मीदवार को तीसरे नंबर पर धकेला था। इधर, भाजपा के उम्मीदवार और पिछले चुनाव में निर्दलीय चुनाव जीतने वाले आशीष शर्मा भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ बैठकों का आयोजन कर रहे हैं। डिनर डिप्लोमेसी का दौर जारी है।कारण यह है कि उसे समय उनकी और नाराज भाजपा की टीम में अलग-अलग थी और उन्हीं के समन्वय के करण जीत सुनिश्चित हुई थी इस बार परिस्थितियों अलग हैं। प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता है और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह का यह गृह जिला है। सुनील शर्मा पीछ रह गए इसीलिए टिकट बदलने का जोखिम जमीनी हकीकत को समझ कर नहीं लिया गया है। ग्राउंड रिपोर्ट पुष्पेंद्र के हक में गई है। इसमें सुनील शर्मा बिट्टू पीछे रह गए। हालांकि चार दिन पहले शिमला में हमीरपुर शहर के ही कई प्रमुख लोगों के प्रतिनिधि मंडल भी मुख्यमंत्री से मिले थे। इसमें भी चाहे बिट्टू पर्दे के पीछे ही रहे हों, मगर पुष्पेंद्र की जमीनी हकीकत बिट्टू पर भारी पड़ी। अब हमीरपुर में विधानसभा चुनाव की जंग बेहद रोचक मरहले में दिखेगी। क्योंकि भाजपा के कुनबे के भीतर समन्वय बनाना भी भाजपा उम्मीदवार के लिए बेहद चुनौती पूर्ण होगा। हमीरपुर विधानसभा उप चुनाव के लिए कांग्रेस ने डॉक्टर पुष्पेंद्र वर्मा का नाम फाइनल कर दिया है। अब हमीरपुर में डॉ. पुष्पेंद्र वर्मा और आशीष शर्मा ही एक बार फिर आमने-सामने होंगे। पिछले विधानसभा चुनाव में भी तिकोना मुकाबला हुआ था। तब 12000 से ज्यादा मतों से आशीष जीते थे। इस बार मुकाबला सीधा होगा। इसीलिए मुकाबला दिलचस्प होगा। कुछ दिनों से कांग्रेस के भीतर मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार सुनील शर्मा को लेकर जो माहौल बना था। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने तमाम नेताओं से जो फीडबैक लिया, उसी को फिर से आधार बनाया और अब पुष्पेंद्र वर्मा को ही फिर से चुनावी जंग में उतारा गया है। डॉ. पुष्पेंद्र वर्मा ने टिकट फाइनल होने की खुद पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि दिल्ली से इस बाबत मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और वरिष्ठ नेता राजीव शुक्ला ने फोन करके उन्हें इसकी सूचना दी है कि उन्हें फाइनल कर दिया गया है। पिता रणजीत सिंह भी रह चुके विधायक पुष्पेंद्र के पिता रणजीत सिंह वर्मा भी विधायक रह चुके हैं। लंबे समय के बाद फिर से हमीरपुर में डॉ. पुष्पेंद्र वर्मा भाजपा उम्मीदवार से चुनावी जंग में उतरेंगे। पिछले विधानसभा चुनावों में आशीष शर्मा से हार जाने के बावजूद पुष्पेंद्र ने जमीनी हकीकत को समझते हुए लोगों से जुड़े रहे। उनके कार्यक्रमों का सिलसिला लगातार जारी रहा। हालांकि पिछली बार नामांकन दाखिल करने के आखिरी रोज 2 घंटे पहले उनका टिकट फाइनल हुआ था। तब कांग्रेस का सारा कुनबा इसी लेट लतीफी पर बेहद नाराज था। उसके बावजूद तिकोने मुकाबले में डॉक्टर पुष्पेंद्र ने भाजपा के उम्मीदवार को तीसरे नंबर पर धकेला था। इधर, भाजपा के उम्मीदवार और पिछले चुनाव में निर्दलीय चुनाव जीतने वाले आशीष शर्मा भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ बैठकों का आयोजन कर रहे हैं। डिनर डिप्लोमेसी का दौर जारी है।कारण यह है कि उसे समय उनकी और नाराज भाजपा की टीम में अलग-अलग थी और उन्हीं के समन्वय के करण जीत सुनिश्चित हुई थी इस बार परिस्थितियों अलग हैं। प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता है और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह का यह गृह जिला है। सुनील शर्मा पीछ रह गए इसीलिए टिकट बदलने का जोखिम जमीनी हकीकत को समझ कर नहीं लिया गया है। ग्राउंड रिपोर्ट पुष्पेंद्र के हक में गई है। इसमें सुनील शर्मा बिट्टू पीछे रह गए। हालांकि चार दिन पहले शिमला में हमीरपुर शहर के ही कई प्रमुख लोगों के प्रतिनिधि मंडल भी मुख्यमंत्री से मिले थे। इसमें भी चाहे बिट्टू पर्दे के पीछे ही रहे हों, मगर पुष्पेंद्र की जमीनी हकीकत बिट्टू पर भारी पड़ी। अब हमीरपुर में विधानसभा चुनाव की जंग बेहद रोचक मरहले में दिखेगी। क्योंकि भाजपा के कुनबे के भीतर समन्वय बनाना भी भाजपा उम्मीदवार के लिए बेहद चुनौती पूर्ण होगा।   हिमाचल | दैनिक भास्कर