सूबे की राजनीति में राज्यसभा चुनाव के बाद सियासी घमासान के बाद सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार फिर से 40 पहुंच गई है। मगर मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू की अपने गृह जिला हमीरपुर में ही पार्टी की ‘चूलें’ पूरी तरह हिल चुकी हैं। सीएम के नारे का यहां बार बार दम क्यों फूल रहा है। पहले हमीरपुर लोकसभा और बड़सर विधानसभा उप चुनाव में हार हुई। अब हमीरपुर विधानसभा उपचुनाव में भी मुख्यमंत्री का नारा काम नहीं आया। पार्टी की जिला में तीन सीटों में से दो पर हार हुई। क्या मुख्यमंत्री और उनके सिपा सलाहकार इस पर मंथन करने की जहमत उठाएंगे? इस यक्ष प्रश्न पर कांग्रेस के भीतर चर्चा शुरू हो गई है। राजनीति के जानकारों की माने तो जिन लोगों के सहारे मुख्यमंत्री सुक्खू हमीरपुर जिला में पार्टी को मजबूत करने का दम भर रहे थे। उनकी मौजूदगी से पार्टी को फायदा नहीं मिल रहा। क्योंकि इनमें कई तो पिटे हुए चेहरे हैं और जिन पर सीएम भरोसा कर भी रहे हैं, उनका जनता के बीच प्रभाव नजर नहीं आ रहा है, छवि असरदार नहीं है। बता दें कि सीएम सुक्खू ने अपने जिला से संबंध रखने वाले कुछ नेताओं को सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती दे रखी है। पार्टी नेताओं को ऐसे नेताओं की तैनाती खटकने लगी है। हमीरपुर में कमजोर रहा कांग्रेस का संगठनात्मक ढांचा हमीरपुर जिला की राजनीति में संगठनात्मक ढांचा कांग्रेस का हमेशा ही बेहद कमजोर रहा है। उस पर कभी भी कांग्रेस के नेताओं ने ध्यान नहीं दिया। बदली हुई परिस्थितियों में भी इसे मजबूत करने की जहमत किसी ने नहीं उठाई। भाजपा के भीतरघात के भरोसे रही कांग्रेस राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि भाजपा के भीतरघात के सहारे कब तक नैया पार होगी। इसका आभास तो सत्ता में बैठे लोगों को हो ही गया होगा। अभी भी यदि यूं ही ‘अकड़’ में रहेंगे? तो फिर यही समझा जाएगा कि हमीरपुर को कांग्रेस मजबूत करने की दिशा में दिलचस्पी ही नहीं है। कांग्रेस को हमीरपुर में संगठन को मजबूत करने की जरूरत है। कांग्रेस के नेता यदि इसे समझ लेंगे, तो फिर यहां का मायूस वर्कर शायद अपने चेहरे की झुर्रियों को मिटाने में कुछ कामयाब हो सके। कांग्रेस के कई नेताओं की करनी और भरनी इस उपचुनाव में संदेह के दायरे में रही है। इसीलिए उन पर भी गाज गिरनी यकीनी मानी जा रही है। मगर क्या इसकी हिम्मत जुटा पाएंगे, खुद मुख्यमंत्री? इसका इंतजार रहेगा। हमीरपुर के नाराज MLA के कारण ही सरकार पर आया था संकट राज्यसभा चुनाव के दौरान प्रदेश सरकार पर संकट भी हमरीपुर जिला और इसी संसदीय क्षेत्र के नाराज विधायकों के कारण आया था। हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के 6 विधायकों ने कांग्रेस प्रत्याशी के बजाय बीजेपी के हर्ष महाजन को वोट किया था। बागी विधायक भी उठाते रहे सवाल कांग्रेस के जिन बागी विधायकों ने बगावत की थी, उन्होंने भी अनेकों बार यही बात कही कि चुने हुए विधायकों को नहीं पूछा जा रहा, बल्कि सीएम सुक्खू के मित्रों को ही इस सरकार में तवज्जो मिल रही है। सूबे की राजनीति में राज्यसभा चुनाव के बाद सियासी घमासान के बाद सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार फिर से 40 पहुंच गई है। मगर मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू की अपने गृह जिला हमीरपुर में ही पार्टी की ‘चूलें’ पूरी तरह हिल चुकी हैं। सीएम के नारे का यहां बार बार दम क्यों फूल रहा है। पहले हमीरपुर लोकसभा और बड़सर विधानसभा उप चुनाव में हार हुई। अब हमीरपुर विधानसभा उपचुनाव में भी मुख्यमंत्री का नारा काम नहीं आया। पार्टी की जिला में तीन सीटों में से दो पर हार हुई। क्या मुख्यमंत्री और उनके सिपा सलाहकार इस पर मंथन करने की जहमत उठाएंगे? इस यक्ष प्रश्न पर कांग्रेस के भीतर चर्चा शुरू हो गई है। राजनीति के जानकारों की माने तो जिन लोगों के सहारे मुख्यमंत्री सुक्खू हमीरपुर जिला में पार्टी को मजबूत करने का दम भर रहे थे। उनकी मौजूदगी से पार्टी को फायदा नहीं मिल रहा। क्योंकि इनमें कई तो पिटे हुए चेहरे हैं और जिन पर सीएम भरोसा कर भी रहे हैं, उनका जनता के बीच प्रभाव नजर नहीं आ रहा है, छवि असरदार नहीं है। बता दें कि सीएम सुक्खू ने अपने जिला से संबंध रखने वाले कुछ नेताओं को सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती दे रखी है। पार्टी नेताओं को ऐसे नेताओं की तैनाती खटकने लगी है। हमीरपुर में कमजोर रहा कांग्रेस का संगठनात्मक ढांचा हमीरपुर जिला की राजनीति में संगठनात्मक ढांचा कांग्रेस का हमेशा ही बेहद कमजोर रहा है। उस पर कभी भी कांग्रेस के नेताओं ने ध्यान नहीं दिया। बदली हुई परिस्थितियों में भी इसे मजबूत करने की जहमत किसी ने नहीं उठाई। भाजपा के भीतरघात के भरोसे रही कांग्रेस राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि भाजपा के भीतरघात के सहारे कब तक नैया पार होगी। इसका आभास तो सत्ता में बैठे लोगों को हो ही गया होगा। अभी भी यदि यूं ही ‘अकड़’ में रहेंगे? तो फिर यही समझा जाएगा कि हमीरपुर को कांग्रेस मजबूत करने की दिशा में दिलचस्पी ही नहीं है। कांग्रेस को हमीरपुर में संगठन को मजबूत करने की जरूरत है। कांग्रेस के नेता यदि इसे समझ लेंगे, तो फिर यहां का मायूस वर्कर शायद अपने चेहरे की झुर्रियों को मिटाने में कुछ कामयाब हो सके। कांग्रेस के कई नेताओं की करनी और भरनी इस उपचुनाव में संदेह के दायरे में रही है। इसीलिए उन पर भी गाज गिरनी यकीनी मानी जा रही है। मगर क्या इसकी हिम्मत जुटा पाएंगे, खुद मुख्यमंत्री? इसका इंतजार रहेगा। हमीरपुर के नाराज MLA के कारण ही सरकार पर आया था संकट राज्यसभा चुनाव के दौरान प्रदेश सरकार पर संकट भी हमरीपुर जिला और इसी संसदीय क्षेत्र के नाराज विधायकों के कारण आया था। हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के 6 विधायकों ने कांग्रेस प्रत्याशी के बजाय बीजेपी के हर्ष महाजन को वोट किया था। बागी विधायक भी उठाते रहे सवाल कांग्रेस के जिन बागी विधायकों ने बगावत की थी, उन्होंने भी अनेकों बार यही बात कही कि चुने हुए विधायकों को नहीं पूछा जा रहा, बल्कि सीएम सुक्खू के मित्रों को ही इस सरकार में तवज्जो मिल रही है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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PM मोदी की प्रतिक्रिया पर हिमाचल में चढ़ा सियासी पारा:कांग्रेस भाजपा आमने-सामने, हिमाचल को देश में बदनाम करने का आरोप
PM मोदी की प्रतिक्रिया पर हिमाचल में चढ़ा सियासी पारा:कांग्रेस भाजपा आमने-सामने, हिमाचल को देश में बदनाम करने का आरोप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कांग्रेस शासित राज्य सरकारों पर टिपण्णी के बाद हिमाचल में सियासत गरमा गई है। प्रदेश में भाजपा कांग्रेस आमने- सामने हो गयी है। पूर्व सीएम व नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने पीएम मोदी की प्रतिक्रिया को कांग्रेस शासित राज्यों की जमीनी हकीकत करार दी है, वहीं सीएम सुक्खू के प्रधान सलाहकार नरेश चौहान ने भाजपा नेताओं पर हिमाचल प्रदेश को देश भर में बदनाम करने का बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि भाजपा नेता प्रधानमंत्री को सही जानकारी नही दे रहे हैं। चौहान ने पीएम मोदी के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। क्या बोले नरेश चौहान?
नरेश चौहान ने शिमला में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा के नेता हिमाचल को लेकर दुष्प्रचार कर रहे हैं और देशभर में हिमाचल को बदनाम किया जा रहा है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हिमाचल को लेकर दिए गये बयान को भी उन्होंने दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया और कहा कि उन्हें सही जानकारी नहीं दी जा रही है। साथ ही उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री पूरे देश के हैं तो उन्हें इस तरह से किसी भी राज्य को लेकर बयान बाजी नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार जब सत्ता में आई तो प्रदेश पर कर्ज के बोझ के साथ कर्मचारियों की काफी ज्यादा देनदारियां थी। साथ ही बीते वर्ष प्रदेश में भारी आपदा आई थी लेकिन उस समय देश के प्रधानमंत्री ने हिमाचल के बारे में एक भी शब्द नहीं बोला और ना ही कोई राहत का पैकेज दिया था। देश के प्रधानमंत्री को यदि हिमाचल की चिंता होती, तो कुछ समय हिमाचल की मदद कर देते। हिमाचल की सरकार जनहित में काम कर रही है और जो वादे जनता से किए हैं उनमें से पांच वादों को पूरा कर दिया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार हिमाचल को कोई खास मदद नहीं कर रही है। EX सीएम जयराम ठाकुर ने दी CM सुक्खू को सलाह
वहीं हिमाचल प्रदेश के भाजपा से पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस की गारंटियां आज झूठी साबित हुई हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को सच बोलने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश की हालत को बच्चा-बच्चा जानता है। ऐसे में अब तो मुख्यमंत्री को सच बोलना चाहिए। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि सत्ता में आने से पहले कांग्रेस ने जनता को बड़ी-बड़ी गारंटियां दी थी, लेकिन सत्ता में आने के बाद इन गारंटियों को पूरा नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने से पहले कांग्रेस ने 18 साल से 59 साल की महिलाओं को हर महीने 1 हजार 500 रुपए देने का वादा किया था, लेकिन अब इसमें शर्त लगा दी गई है। राज्य की 25 हजार महिलाओं को भी 1500 की सम्मान राशि नहीं दी जा रही है, जबकि सत्ता में आने से पहले हर महिला को बिना शर्त 1500 रुपए देने का वादा किया गया था। “कांग्रेस की सरकार से आम जनता परेशान”- पूर्व सीएम
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि जिस 680 करोड़ रुपए के स्टार्ट अप फंड की बात कही जा रही है, उससे भी अब तक किसी युवा को फायदा नहीं मिला है। इसी तरह गाय और भैंस के दूध पर एमएसपी को लेकर भी बड़े-बड़े वादे किए थे, लेकिन चंद रुपए बढ़ाकर अब झूठ बोलने का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अपनी गारंटियों को लेकर झूठ बोल रही है और इसी वजह से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कांग्रेस की झूठी गारंटियों का जिक्र किया है। जयराम ठाकुर ने कहा कि आज राज्य में ऐसे हालात पैदा हो चुके हैं कि कर्मचारियों और पेंशनर्स को जब वक्त पर वेतन और पेंशन दी जाती है, तो उसके लिए मुख्यमंत्री को प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी पड़ती है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि जहां-जहां कांग्रेस की सरकार है, वहां जनता परेशान हो रही है। पीएम मोदी ने क्या कहा था ?
बता दें कि पीएम मोदी ने अपने अकाउंट पर कांग्रेस शासित राज्य सरकारों पर निशाना साधते हुए सोशल मीडिया एक्स पर लिखा है कि ”कांग्रेस पार्टी को यह बात अब समझ में आ रही है कि झूठे वादे करना तो आसान है, लेकिन उन्हें सही तरीके से लागू करना मुश्किल और नामुमकिन है। वे लगातार प्रचार अभियान के दौरान लोगों से ऐसे वादे करते रहते हैं, जिन्हें वे कभी पूरा नहीं कर पाते। अब वे लोगों के सामने पूरी तरह बेनकाब हो चुके हैं। आज कांग्रेस की सरकार वाले किसी भी राज्य को देख लीजिए- हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना। विकास की गति और वित्तीय स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। उनकी तथाकथित गारंटियां अधूरी हैं, जो इन राज्यों के लोगों के साथ एक भयानक धोखा है। ऐसी राजनीति का शिकार गरीब, युवा, किसान और महिलाएं हैं, जिन्हें न केवल इन वादों के लाभों से वंचित किया जाता है, बल्कि उनकी मौजूदा योजनाओं को भी कमजोर किया जाता है।”
हिमाचल के ऊंचे पहाड़ों पर अगले 48 घंटे बर्फबारी:ताजा हिमपात के बाद मनाली-लेह, कोकसर-लोसर और दारचा-सचरू सड़क बंद; 4 दिसंबर से साफ होगा मौसम
हिमाचल के ऊंचे पहाड़ों पर अगले 48 घंटे बर्फबारी:ताजा हिमपात के बाद मनाली-लेह, कोकसर-लोसर और दारचा-सचरू सड़क बंद; 4 दिसंबर से साफ होगा मौसम हिमाचल प्रदेश के अधिक ऊंचे पहाड़ों पर आज और कल बर्फबारी के आसार है। बीती शाम को भी रोहतांग, बारालाचा, कुंजम दर्रे में दो इंच तक ताजा बर्फबारी हुई। इसके बाद रोहतांग टॉप, शिंकुला और कुंजम दर्रा के लिए वाहनों की आवाजाही पूरी तरह रोक दी गई है। मनाली-लेह हाईवे, कोकसर-लोसर और दारचा-सचरू सड़क को भी बंद करना पड़ा है, क्योंकि बर्फ जमने की वजह से सड़कें खतरनाक हो गई है। बीते 24 घंटे के दौरान हिमपात के बाद पर्यटक भी बर्फ देखने के लिए लाहौल स्पीति के पहाड़ों पर पहुंच रहा है। मगर खराब मौसम के बीच पर्यटकों को रोहतांग टॉप, बारालाच, शिकुंला दर्रा, कुंजम दर्रा जाने की इजाजत नहीं दी जा सकती। इन क्षेत्रों में कभी भी बर्फबारी हो जाती है और फंसने की संभावना रहती है। इसी तरह सड़क पर बर्फ जमने से वाहनों की फिसलन बड़ गई है। ऊंचे क्षेत्रों में तापमान माइनस में होने से की वजह से सड़कों पर ब्लैक आइस जम रही है। बहता हुआ पानी जमकर ब्लैक आइस में तब्दील हो रहा है। इसे देखते हुए लाहौल स्पीति पुलिस ने ऊंचे क्षेत्रों की यात्रा टालने और सावधानी से गाड़ी चलाने की सलाह दी है। अगले 48 घंटे बर्फबारी मौमस विभाग की माने तो चंबा, लाहौल स्पीति, किन्नौर और कांगड़ा की ऊंची चोटियों पर अगले 48 घंटे के दौरान हल्का हिमपात हो सकता है। अन्य क्षेत्रों में मौसम साफ रहने का पूर्वानुमान है। 4 दिसंबर से पूरे प्रदेश में मौसम साफ हो जाएगा और अगले दो सप्ताह तक बारिश-बर्फबारी के आसार नहीं है। 11 जिलों में नहीं टूटा ड्राइ स्पेल बेशक, बीते दो दिनों के दौरान लाहौल स्पीति के ऊंचे पहाड़ों पर हल्का हिमपात हुआ है। मगर प्रदेश के 11 जिलों में दो महीने से ज्यादा का ड्राइ स्पेल नहीं टूट पाया। प्रदेशवासी बारिश-बर्फबारी के इंतजार में है। पहले मानसून सीजन में नॉर्मल से 19 प्रतिशत कम बारिश हुई। अक्टूबर-नवंबर के बाद अब दिसंबर भी नहीं बरस रहा अब पोस्ट मानसून सीजन में भी सामान्य से 98 प्रतिशत कम बादल दो महीने में बरसे है। अक्टूबर व नवंबर सूखे बीते है। अब दिसंबर में भी बारिश नहीं हो रही। अगले दो सप्ताह तक भी अच्छी बारिश-बर्फबारी की संभावना नहीं है। इसकी सबसे ज्यादा मार किसानों-बागवानों और टूरिज्म इंडस्ट्री पर पड़ी है।
हिमाचल में भूकंप के झटके:किन्नौर में आधी रात 3 बार कांपी धरती; 3.1 मापी गई तीव्रता, कोई जानी नुकसान नहीं
हिमाचल में भूकंप के झटके:किन्नौर में आधी रात 3 बार कांपी धरती; 3.1 मापी गई तीव्रता, कोई जानी नुकसान नहीं हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में बीती रात 1 बजकर 29 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिएक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.1 मापी गई। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, जमीन के भीतर इसकी गहराई 10 किलोमीटर रही। अब तक इससे किसी भी प्रकार के जान और माल के नुकसान की सूचना नहीं है। जिन लोगों ने झटके महसूस किए, वह घरों से बाहर निकल आए। हालांकि झटकों की तीव्रता कम होने की वजह से ज्यादातर लोग इन्हें महसूस नहीं कर पाए। किन्नौर जिले के अधिकांश क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील यानी जोन 5 में आते है। इसलिए यहां बार-बार भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं। जानिए भूकंप क्यों आता है? धरती की सतह मुख्य तौर पर 7 बड़ी और कई छोटी-छोटी टेक्टोनिक प्लेट्स से मिलकर बनी है। ये प्लेट्स लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं। टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्यादा दबाव पड़ने पर ये प्लेट्स टूटने लगती हैं। ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्ता खोजती है और इस डिस्टर्बेस के बाद भूकंप आता है।