हरियाणा की ऐसी सीट जहां कभी नहीं जीती BJP:यहां निर्दलीय भी जीते; इस बार बाहरी पर दांव लगाया, पूर्व सांसद का बेटा कैंडिडेट

हरियाणा की ऐसी सीट जहां कभी नहीं जीती BJP:यहां निर्दलीय भी जीते; इस बार बाहरी पर दांव लगाया, पूर्व सांसद का बेटा कैंडिडेट

हरियाणा में पानीपत जिले की 4 विधानसभाओं में एक सीट ऐसी भी है, जिसने प्रदेश की राजनीति में सबसे पहले दलबदलू नेता दिए हैं। इस सीट पर इतिहास में अब तक एक भी बार भाजपा का उम्मीदवार नहीं जीता है। पार्टी हमेशा स्थानीय चेहरों पर दांव लगाती आ रही है, इसके बाद भी कोई भला नहीं हो सका। इस बार भाजपा ने इस सीट से बाहरी चेहरे को टिकट दिया है। समालखा सीट पर भाजपा ने इस बार फरीदाबाद के रहने वाले पूर्व सांसद करतार सिंह भड़ाना के बेटे मनमोहन भड़ाना को टिकट दिया है। भाजपा को उम्मीद है कि जो कभी नहीं हुआ, वह इस बार होगा, क्योंकि करतार सिंह दूसरी पार्टियों के टिकट पर समालखा से 2 बार विधायक चुने जा चुके हैं। इसलिए, भाजपा को लगता है कि मनमोहन भड़ाना ही यह सीट दिला सकते हैं। करतार भड़ाना ने गिराई थी चौधरी बंसीलाल की सरकार
उत्तर भारत में कोल्हू के पार्ट और चारा काटने वाली मशीन के निर्माण के लिए प्रसिद्ध समालखा आया राम गया राम की राजनीति के लिए हरियाणा भर में चर्चाओं का केंद्र रहा है। समालखा विधानसभा में 1967 में राव बीरेंद्र सिंह और 1996 में चौधरी बंसीलाल की सरकार के पतन के दौरान तत्कालीन विधायक पर दलबदल की उंगली उठी थी। करतार सिंह भड़ाना को तो चौधरी बंसीलाल की सरकार गिराने का सबसे बड़ा सूत्रधार माना गया। वहीं, 2009 में हरियाणा जनहित कांग्रेस में विधायक बने धर्म सिंह छौक्कर रातों-रात हुड्‌डा की सरकार में मंत्री बनने की लालसा के लिए कांग्रेसी बन गए थे, लेकिन उनके मंत्री बनने का सपना पूरा नहीं हो पाया। 1990 से पहले करनाल का हिस्सा था समालखा
साल 1990 से पहले समालखा, करनाल जिले का हिस्सा हुआ करता था। देवीलाल सरकार ने साल 1991 में नया समालखा बनाया, जो पानीपत जिले में शामिल हुआ। समालखा हरियाणा की जनरल विधानसभा सीट है। इस निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस और बीजेपी मुख्य दल हैं। 2019 के विधानसभा में कांग्रेस के धर्म सिंह छौक्कर ने 14,942 वोटों के अंतर से इस सीट पर जीत हासिल की थी। उन्हें 52.16% वोट शेयर के साथ 81,898 वोट मिले थे। उन्होंने BJP के शशिकांत कौशिक को हराया था, जिन्हें 66,956 वोट (42.64%) मिले थे। 2014 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय रविंद्र मछरौली ने कांग्रेस के धर्म सिंह छौक्कर को हराया था। समालखा में 5 बार जीत चुकी कांग्रेस
इस सीट पर सबसे ज्यादा 5 बार कांग्रेस जीती है। यहां निर्दलीय तक जीत चुके हैं, लेकिन BJP को पहली जीत के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ रही है। जनता पार्टी के मूलचंद जैन, इनेलो के सचदेव त्यागी एक-एक बार और हरियाणा विकास पार्टी व इनेलो से करतार सिंह भड़ाना 2 बार विधायक चुने जा चुके हैं। साल 2009 में धर्म सिंह छौक्कर हजकां से जीते थे। 2014 में राजनीतिक समीकरणों को किनारे रखते हुए जाट बिरादरी बाहुल समालखा हलके से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में रविंदर मछरौली विधायक बने। वहीं, 2019 में कांग्रेस के टिकट पर धर्म सिंह छौक्कर विधायक बने। हरियाणा में पानीपत जिले की 4 विधानसभाओं में एक सीट ऐसी भी है, जिसने प्रदेश की राजनीति में सबसे पहले दलबदलू नेता दिए हैं। इस सीट पर इतिहास में अब तक एक भी बार भाजपा का उम्मीदवार नहीं जीता है। पार्टी हमेशा स्थानीय चेहरों पर दांव लगाती आ रही है, इसके बाद भी कोई भला नहीं हो सका। इस बार भाजपा ने इस सीट से बाहरी चेहरे को टिकट दिया है। समालखा सीट पर भाजपा ने इस बार फरीदाबाद के रहने वाले पूर्व सांसद करतार सिंह भड़ाना के बेटे मनमोहन भड़ाना को टिकट दिया है। भाजपा को उम्मीद है कि जो कभी नहीं हुआ, वह इस बार होगा, क्योंकि करतार सिंह दूसरी पार्टियों के टिकट पर समालखा से 2 बार विधायक चुने जा चुके हैं। इसलिए, भाजपा को लगता है कि मनमोहन भड़ाना ही यह सीट दिला सकते हैं। करतार भड़ाना ने गिराई थी चौधरी बंसीलाल की सरकार
उत्तर भारत में कोल्हू के पार्ट और चारा काटने वाली मशीन के निर्माण के लिए प्रसिद्ध समालखा आया राम गया राम की राजनीति के लिए हरियाणा भर में चर्चाओं का केंद्र रहा है। समालखा विधानसभा में 1967 में राव बीरेंद्र सिंह और 1996 में चौधरी बंसीलाल की सरकार के पतन के दौरान तत्कालीन विधायक पर दलबदल की उंगली उठी थी। करतार सिंह भड़ाना को तो चौधरी बंसीलाल की सरकार गिराने का सबसे बड़ा सूत्रधार माना गया। वहीं, 2009 में हरियाणा जनहित कांग्रेस में विधायक बने धर्म सिंह छौक्कर रातों-रात हुड्‌डा की सरकार में मंत्री बनने की लालसा के लिए कांग्रेसी बन गए थे, लेकिन उनके मंत्री बनने का सपना पूरा नहीं हो पाया। 1990 से पहले करनाल का हिस्सा था समालखा
साल 1990 से पहले समालखा, करनाल जिले का हिस्सा हुआ करता था। देवीलाल सरकार ने साल 1991 में नया समालखा बनाया, जो पानीपत जिले में शामिल हुआ। समालखा हरियाणा की जनरल विधानसभा सीट है। इस निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस और बीजेपी मुख्य दल हैं। 2019 के विधानसभा में कांग्रेस के धर्म सिंह छौक्कर ने 14,942 वोटों के अंतर से इस सीट पर जीत हासिल की थी। उन्हें 52.16% वोट शेयर के साथ 81,898 वोट मिले थे। उन्होंने BJP के शशिकांत कौशिक को हराया था, जिन्हें 66,956 वोट (42.64%) मिले थे। 2014 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय रविंद्र मछरौली ने कांग्रेस के धर्म सिंह छौक्कर को हराया था। समालखा में 5 बार जीत चुकी कांग्रेस
इस सीट पर सबसे ज्यादा 5 बार कांग्रेस जीती है। यहां निर्दलीय तक जीत चुके हैं, लेकिन BJP को पहली जीत के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ रही है। जनता पार्टी के मूलचंद जैन, इनेलो के सचदेव त्यागी एक-एक बार और हरियाणा विकास पार्टी व इनेलो से करतार सिंह भड़ाना 2 बार विधायक चुने जा चुके हैं। साल 2009 में धर्म सिंह छौक्कर हजकां से जीते थे। 2014 में राजनीतिक समीकरणों को किनारे रखते हुए जाट बिरादरी बाहुल समालखा हलके से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में रविंदर मछरौली विधायक बने। वहीं, 2019 में कांग्रेस के टिकट पर धर्म सिंह छौक्कर विधायक बने।   हरियाणा | दैनिक भास्कर