हरियाणा की पूर्व आईपीएस अधिकारी भारती अरोड़ा को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 2005 के नारकोटिक्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (एनडीपीएस) मामले में बरी कर दिया है। उनकी जांच में पाया गया था कि एनडीपीएस के तहत गिरफ्तार एक व्यक्ति निर्दोष था और उसे कुछ अन्य लोगों ने गलत तरीके से फंसाया था। न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने मामले से जुड़े तथ्यों की जांच करते हुए नोटिस और उसके बाद की सभी कार्रवाई को रद्द कर दिया है। अरोड़ा की अपील को स्वीकार करते हुए पीठ ने कहा, “यह स्पष्ट है कि विशेष न्यायाधीश ने प्राकृतिक न्याय के सभी सिद्धांतों को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा, “विशेष न्यायाधीश द्वारा एनडीपीएस अधिनियम की धारा 58 के तहत अपीलकर्ता (भारती) को 26 फरवरी, 2007 को जारी किया गया नोटिस और विद्वान विशेष न्यायाधीश द्वारा 30 मई, 2008 को लिखे और टाइप किए गए आदेश सहित सभी बाद की कार्यवाही को रद्द और अलग रखा जाएगा।” सिलसिलेवार पढ़िए भारती से जुड़ा पूरा केस 1. जनवरी 2005 में शुरू हुआ विवाद अरोड़ा जब 21 मई 2004 से 18 मार्च 2005 तक कुरुक्षेत्र में पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात रहीं। इस बीच विवाद 6 जनवरी 2005 को तब पैदा हुआ जब पुलिस टीम ने रण सिंह नामक व्यक्ति को 8.7 किलोग्राम अफीम के साथ गिरफ्तार किया। अरोड़ा ने जांच का आदेश दिया, जिसमें पाया गया कि रण सिंह को झूठा फंसाया गया था और पुलिस ने कुरुक्षेत्र के विशेष न्यायाधीश के समक्ष एक आवेदन प्रस्तुत कर उसे बरी करने की मांग की। हालांकि, कुरुक्षेत्र के विशेष न्यायाधीश ने 22 फरवरी, 2007 को रण सिंह को दोषी ठहराया और उन तीन लोगों (सुरजीत सिंह, अंग्रेज सिंह और मेहर दीन) को बरी कर दिया, जिन्होंने कथित तौर पर उस पर अफीम रखी थी। 2. कोर्ट ने भारती को नोटिस जारी किया विशेष न्यायाधीश ने भारती और कुछ अन्य पुलिस अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा कि उनके खिलाफ एनडीपीएस अधिनियम की धारा 58 के तहत कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए। पानीपत में स्थानांतरित होने के बाद भी, न्यायाधीश ने आदेश लिखवाया, उसे सीलबंद लिफाफे में रखा और मामले को 4 जून 2008 तक के लिए स्थगित कर दिया। पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने 14 अक्टूबर, 2010 को निर्देश दिया कि कुरुक्षेत्र की विशेष अदालत 27 अक्टूबर, 2010 को सीलबंद लिफाफा खोलेगी और वहीं आदेश सुनाएगी तथा कानून के अनुसार आगे की कार्यवाही करेगी। इस आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई जिसने 14 अक्टूबर, 2010 के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी। 3. कोर्ट के फैसले पर पीठ ने उठाए सवाल पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति पीके मिश्रा और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन भी शामिल थे – ने कहा, “जब हमने 24 अक्टूबर 2024 को सीलबंद लिफाफा खोला और विद्वान विशेष न्यायाधीश द्वारा पारित 30 मई 2008 के आदेश का अवलोकन किया, तो हमारे लिए यह स्पष्ट हो गया कि विद्वान विशेष न्यायाधीश ने पूर्वनिर्धारित तरीके से काम किया था।” उन्होंने आगे कहा कि यह “पूरी तरह से विवेक का प्रयोग न करने को दर्शाता है।” VRS के बाद कृष्ण भक्ति कर रहीं भारती अंबाला रेंज में तैनात आईजी और वरिष्ठ आईपीएस अफसर भारती अरोड़ा नौकरी के आखिरी दिन भगवा वेशभूषा में अपने दफ्तर पहुंची थीं। जहां उन्होंने तत्कालीन डीजीपी पीके अग्रवाल से मुलाकात कर विदा ली थी। उस दौरान वृंदावन में भक्तिमार्ग पर चलने वाली भारती अरोड़ा ने कहा था कि हरियाणा में आने के बाद ही उनके जीवन में हरि का आना हुआ, एक दिव्य संत के माध्यम से इसकी लो जगी। इस क्रम में उन्होंने संत कबीरदास जी और कईं संतों की वाणी का जिक्र करते हुए कहा कि प्रेम पियाला जो पिए, सिस दक्षिणा देय, लोभी शीश न दे सके, नाम प्रेम का लेय. भारती अरोड़ा वहां से सीधा वृंदावन चली गई थीं। कबूतरबाजों के खिलाफ की थी बड़ी कार्रवाई भारती अरोड़ा ने अपने पुलिसिंग के कार्यकाल के दौरान राज्य में कबूतरबाजी के नाम पर लोगों का जीवन और पैसा हड़पने वाले 550 लोगों को हमने गिरफ्तार किया था। इसके साथ ही पैसे की रिकवरी भी की। उनके काम को देखते हुए पूर्व गृहमंत्री अनिल विज और पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कबूतरबाजों द्वारा की जा रही ठगी के मामलों में एक्शन लेने के लिए एसआईटी का मुखिया बनाया था। अंबाला करनाल में रहते हुए भारती अरोड़ा ने बड़े बड़े कबूतरबाजों को गिरफ्तार कर जेल में भेजा। इतना ही नहीं, उनसे रिकवरी कर उन गरीब युवाओं के परिवारों की मदद का बड़ा काम हुआ, जिनका सारा कुछ बर्बाद हो गया था, साथ ही बिना किसी कुसूर के बाहर के देशों में जेलों में रहना पड़ा था। इसी तरह से गौवंश को बचाने के लिए भी भारती अरोड़ा ने गौ तस्करी वाले इलाकों में खास अभियान चलाए। उसमें भी उन्हें काफी सफलता मिली, लोगों का साथ भी मिला। हरियाणा की पूर्व आईपीएस अधिकारी भारती अरोड़ा को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 2005 के नारकोटिक्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (एनडीपीएस) मामले में बरी कर दिया है। उनकी जांच में पाया गया था कि एनडीपीएस के तहत गिरफ्तार एक व्यक्ति निर्दोष था और उसे कुछ अन्य लोगों ने गलत तरीके से फंसाया था। न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने मामले से जुड़े तथ्यों की जांच करते हुए नोटिस और उसके बाद की सभी कार्रवाई को रद्द कर दिया है। अरोड़ा की अपील को स्वीकार करते हुए पीठ ने कहा, “यह स्पष्ट है कि विशेष न्यायाधीश ने प्राकृतिक न्याय के सभी सिद्धांतों को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा, “विशेष न्यायाधीश द्वारा एनडीपीएस अधिनियम की धारा 58 के तहत अपीलकर्ता (भारती) को 26 फरवरी, 2007 को जारी किया गया नोटिस और विद्वान विशेष न्यायाधीश द्वारा 30 मई, 2008 को लिखे और टाइप किए गए आदेश सहित सभी बाद की कार्यवाही को रद्द और अलग रखा जाएगा।” सिलसिलेवार पढ़िए भारती से जुड़ा पूरा केस 1. जनवरी 2005 में शुरू हुआ विवाद अरोड़ा जब 21 मई 2004 से 18 मार्च 2005 तक कुरुक्षेत्र में पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात रहीं। इस बीच विवाद 6 जनवरी 2005 को तब पैदा हुआ जब पुलिस टीम ने रण सिंह नामक व्यक्ति को 8.7 किलोग्राम अफीम के साथ गिरफ्तार किया। अरोड़ा ने जांच का आदेश दिया, जिसमें पाया गया कि रण सिंह को झूठा फंसाया गया था और पुलिस ने कुरुक्षेत्र के विशेष न्यायाधीश के समक्ष एक आवेदन प्रस्तुत कर उसे बरी करने की मांग की। हालांकि, कुरुक्षेत्र के विशेष न्यायाधीश ने 22 फरवरी, 2007 को रण सिंह को दोषी ठहराया और उन तीन लोगों (सुरजीत सिंह, अंग्रेज सिंह और मेहर दीन) को बरी कर दिया, जिन्होंने कथित तौर पर उस पर अफीम रखी थी। 2. कोर्ट ने भारती को नोटिस जारी किया विशेष न्यायाधीश ने भारती और कुछ अन्य पुलिस अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा कि उनके खिलाफ एनडीपीएस अधिनियम की धारा 58 के तहत कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए। पानीपत में स्थानांतरित होने के बाद भी, न्यायाधीश ने आदेश लिखवाया, उसे सीलबंद लिफाफे में रखा और मामले को 4 जून 2008 तक के लिए स्थगित कर दिया। पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने 14 अक्टूबर, 2010 को निर्देश दिया कि कुरुक्षेत्र की विशेष अदालत 27 अक्टूबर, 2010 को सीलबंद लिफाफा खोलेगी और वहीं आदेश सुनाएगी तथा कानून के अनुसार आगे की कार्यवाही करेगी। इस आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई जिसने 14 अक्टूबर, 2010 के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी। 3. कोर्ट के फैसले पर पीठ ने उठाए सवाल पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति पीके मिश्रा और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन भी शामिल थे – ने कहा, “जब हमने 24 अक्टूबर 2024 को सीलबंद लिफाफा खोला और विद्वान विशेष न्यायाधीश द्वारा पारित 30 मई 2008 के आदेश का अवलोकन किया, तो हमारे लिए यह स्पष्ट हो गया कि विद्वान विशेष न्यायाधीश ने पूर्वनिर्धारित तरीके से काम किया था।” उन्होंने आगे कहा कि यह “पूरी तरह से विवेक का प्रयोग न करने को दर्शाता है।” VRS के बाद कृष्ण भक्ति कर रहीं भारती अंबाला रेंज में तैनात आईजी और वरिष्ठ आईपीएस अफसर भारती अरोड़ा नौकरी के आखिरी दिन भगवा वेशभूषा में अपने दफ्तर पहुंची थीं। जहां उन्होंने तत्कालीन डीजीपी पीके अग्रवाल से मुलाकात कर विदा ली थी। उस दौरान वृंदावन में भक्तिमार्ग पर चलने वाली भारती अरोड़ा ने कहा था कि हरियाणा में आने के बाद ही उनके जीवन में हरि का आना हुआ, एक दिव्य संत के माध्यम से इसकी लो जगी। इस क्रम में उन्होंने संत कबीरदास जी और कईं संतों की वाणी का जिक्र करते हुए कहा कि प्रेम पियाला जो पिए, सिस दक्षिणा देय, लोभी शीश न दे सके, नाम प्रेम का लेय. भारती अरोड़ा वहां से सीधा वृंदावन चली गई थीं। कबूतरबाजों के खिलाफ की थी बड़ी कार्रवाई भारती अरोड़ा ने अपने पुलिसिंग के कार्यकाल के दौरान राज्य में कबूतरबाजी के नाम पर लोगों का जीवन और पैसा हड़पने वाले 550 लोगों को हमने गिरफ्तार किया था। इसके साथ ही पैसे की रिकवरी भी की। उनके काम को देखते हुए पूर्व गृहमंत्री अनिल विज और पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कबूतरबाजों द्वारा की जा रही ठगी के मामलों में एक्शन लेने के लिए एसआईटी का मुखिया बनाया था। अंबाला करनाल में रहते हुए भारती अरोड़ा ने बड़े बड़े कबूतरबाजों को गिरफ्तार कर जेल में भेजा। इतना ही नहीं, उनसे रिकवरी कर उन गरीब युवाओं के परिवारों की मदद का बड़ा काम हुआ, जिनका सारा कुछ बर्बाद हो गया था, साथ ही बिना किसी कुसूर के बाहर के देशों में जेलों में रहना पड़ा था। इसी तरह से गौवंश को बचाने के लिए भी भारती अरोड़ा ने गौ तस्करी वाले इलाकों में खास अभियान चलाए। उसमें भी उन्हें काफी सफलता मिली, लोगों का साथ भी मिला। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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पूर्व केंद्रीय मंत्री की विपक्ष को नसीहत:बीरेंद्र सिंह बोले- सारे इकट्ठा होकर राज्यसभा उम्मीदवार उतारें, रोहतक से दीपेंद्र हुड्डा की सीट खाली हुई जींद के उचाना हलके के दौरे पर वीरवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेस नेता बीरेंद्र सिंह ने हरियाणा में खाली हुई राज्यसभा की सीट को लेकर विपक्ष को नसीहत देते हुए कहा कि भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ विपक्ष मिलकर अपना राज्यसभा उम्मीदवार उतारे। सेढ़ा माजरा में पत्रकारों से बातचीत करते हुए बीरेंद्र सिंह ने कहा कि अभी जो लोकसभा के चुनाव हुए है, उसमें 10 राज्यसभा के सदस्य चुनाव जीते हैं। इसलिए उन्होंने राज्यसभा से त्याग पत्र दे दिए। ऐसे में दस सीटें राज्यसभा में रिक्त हुई है। हरियाणा में कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा थे और उनके सांसद बनने के बाद अब यह सीट खाली हो गई है। मैं ये समझता हूं कि विपक्ष को मिलकर अपना एक उम्मीदवार राज्यसभा के लिए खड़ा करना चाहिए। भाजपा में भी बहुत से ऐसे विधायक है, जो भाजपा की आर्थिक नीति या हरियाणा के संदर्भ में किसानों के प्रति जो भाजपा का रवैया रहा है, उससे नाखुश हैं। सरकार का युवाओं के प्रति जो रवैया रहा है, डेढ़ से दो लाख नौकरी आज भी खाली हैं। अनेकों ऐसे विषय है, जिनको आधार बनाकर हम मिलकर प्रत्याशी खड़ा करें तो भाजपा को हरा सकते हैं। बीरेंद्र सिंह ने ये भी कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले भी ऐसी स्थिति बनी थी कि भाजपा सरकार हरियाणा में अपना बहुमत खो बैठी थी, इसलिए निर्दलीय विधायक भी उनकी यानी विपक्ष की मदद कर सकते हैं। इस दौरान उनके साथ कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
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करनाल के युवक की कनाडा में मौत:स्विमिंग पूल में नहाते वक्त हुआ हादसा, 23 लाख खर्च करके पिता ने विदेश भेजा था बेटा कनाडा में करनाल के नोमित गोस्वामी की पूल पार्टी के दौरान स्विमिंग पूल में नहाते वक्त डूबने से मौत हो गई। 8 महीने पहले पिता ने अपने बेटे को प्लॉट बेचकर कनाडा में स्टडी वीजा पर भेजा था। वह ओंटारियो सिटी में होटल मैनेजमेंट का कोर्स कर रहा था और वहीं पढ़ाई के साथ एक रेस्टोरेंट में जॉब भी कर रहा था। बीती 11 अगस्त की रात नोमित पुत्र सुभाष कनाडा में ही अपने किसी दोस्त की पूल पार्टी में गया था। परिजनों के मुताबिक, रात करीब साढ़े 8 बजे नोमित अकेले ही स्विमिंग पूल में नहाने के लिए उतर गया। पहले वह कम गहराई में था, लेकिन अचानक से ज्यादा गहराई में पहुंच गया और डूबने लगा, घटना के वक्त उसके अन्य दोस्त हॉल के अंदर पार्टी में थे। किसी दोस्त का ध्यान नोमित पर गया। नोमित पानी में डूब गया था। जिसके बाद उसके दोस्तों ने पानी में छलांग लगा दी और उसे बाहर निकालकर ले आए। तुरंत ही एंबुलेंस भी पहुंच गई। एंबुलेंस में ही नोमित को सीपीआर दिया गया, उसके पेट से पानी तो निकला, लेकिन उसके शरीर में कोई हरकत नहीं थी, जिससे मौके पर ही नोमित की मौत हो गई। 23 लाख रुपए खर्च करके भेजा था कनाडा पिता सुभाष ने अपने बड़े बेटे नोमित को कनाडा में पढ़ने के लिए भेजा था। वह वहां पर होटल मैनेजमेंट का कोर्स कर रहा था। नोमित के ताऊ के लड़के विशु ने बताया कि मेरे चाचा ने अपना प्लॉट बेचकर नोमित को कनाडा भेजा था और करीब 23 लाख रुपए खर्च किए थे। करीब डेढ़ महीने पहले ही नोमित को ओंटारियो में ही एक रेस्टोरेंट पर जॉब भी मिल गई थी। वह पढ़ाई के साथ-साथ जॉब भी कर रहा था। परिवार में है छोटा भाई परिजनों के मुताबिक, नोमित के पिता साबुन की एक फैक्ट्री में सेल्समैन का काम करते हैं। नोमित का छोटा भाई गगन करनाल में 10वीं कक्षा का छात्र है। 12 अगस्त को कनाडा से किसी दूर के रिश्तेदार ने हमें नोमित की डेथ की सूचना दी, तो परिवार में मातम पसर गया। नोमित एक सीधा साधा लड़का था। वह सिर्फ अपने काम और पढ़ाई पर ध्यान देता था। पोस्टमार्टम के बाद रिपोर्ट आएगी। रिपोर्ट आने के बाद शव को भारत लाने की आगामी प्रक्रिया शुरू की जाएगी। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर परिजनों ने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है, क्योंकि पिता ने अपना प्लॉट बेचा था और उसके बाद बेटे को स्टडी वीजा पर कनाडा भेजा था। नोमित के शव को भारत लाया जा सके, इसके लिए गो फंड मी वेबसाइट के माध्यम से फंड एकत्रित किया जा रहा है, ताकि 20 साल के नोमित को उसके परिवार के हाथों अंतिम विदाई दी जा सके।
विनेश फोगाट बोलीं- भारतीय दल ने कोई मदद नहीं की:पेरिस ओलिंपिक में कानूनी विकल्प नहीं बताए; BJP ने मेरा मेडल देश का नहीं समझा
विनेश फोगाट बोलीं- भारतीय दल ने कोई मदद नहीं की:पेरिस ओलिंपिक में कानूनी विकल्प नहीं बताए; BJP ने मेरा मेडल देश का नहीं समझा हरियाणा की रेसलर विनेश फोगाट ने पहली बार पेरिस ओलिंपिक में 100 ग्राम बढ़े वजन से मेडल से चूकने के बारे में बात की। विनेश ने दावा किया कि मेडल को लेकर उनके पास कानूनी विकल्प था, यह उन्हें भारतीय डेलिगेशन नहीं, बल्कि एक दोस्त ने बताया था। विनेश ने यह भी कहा कि BJP वालों ने ओलिंपिक मेडल को मेरा मेडल समझा। मेरी कोई मदद नहीं की गई। विनेश 6 सितंबर को ही कांग्रेस में शामिल हुई हैं। कांग्रेस ने उन्हें जींद जिले की जुलाना विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है। विनेश फोगाट भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के पूर्व अध्यक्ष भाजपा नेता बृजभूषण सिंह के खिलाफ यौन शोषण के आरोपों से जुड़े आंदोलन की अगुआई करने वालों में शामिल थीं। विनेश फोगाट ने बजरंग पूनिया के साथ 6 सितंबर को कांग्रेस जॉइन की। इससे पहले दोनों पहलवानों ने राहुल गांधी से मुलाकात की थी। विनेश बोलीं- भाजपा वाले ईगो पर बात ले गए, 4 सवालों के जवाब सवाल: पेरिस ओलिंपिक में 100 ग्राम वजन बढ़ा हुआ मिला तो आपके पास कानूनी विकल्प थे, ये किसने बताया?
विनेश: जब हम प्रोटेस्ट में थे तो एक फ्रेंड थी जो इंटरनेशनल स्पोर्ट्स में है। उन्होंने मुझे अप्रोच किया कि ऐसी चीजें हैं। सवाल: भारतीय प्रतिनिधिमंडल में जो लोग थे, उन्होंने कोई आपकी मदद नहीं की?
विनेश: नहीं, वह सब बाद में आए। केस मैंने किया। इनके वकील बाद में आए। सवाल: आपको कुछ विदेशी खिलाड़ियों ने बताया कि सही तरीके से लड़ाई लड़ी जाती तो मेडल आपका होता।
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विनेश: BJP वाले तो सोच रहे हैं कि विनेश का था। तभी इन्होंने मुझसे बदला लेने के लिए इतना कुछ किया। मुझे कोई मदद नहीं मिली। मेरे चुनाव लड़ने का फैसला कांग्रेस का- विनेश
कांग्रेस में शामिल होकर चुनाव लड़ने के बारे में विनेश फोगाट ने कहा कि बजरंग पूनिया के साथ चुनाव लड़ने को लेकर कोई बात नहीं हुई थी। हमने यह कांग्रेस पार्टी पर छोड़ा था और उन्होंने फैसला कर दिया। बजरंग को जो ऑल इंडिया किसान कांग्रेस का वर्किंग चेयरमैन बनाया गया है, वह भी हमारे दिल के करीब है। मुझे लगता है कि बजरंग के पास मुझसे ज्यादा जिम्मेदारी है।कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष भाजपा नेता बृजभूषण सिंह। बृजभूषण को थप्पड़ मारने का भी टाइम आएगा
पूर्व कुश्ती संघ अध्यक्ष बृजभूषण के छेड़छाड़ पर थप्पड़ क्यों नहीं मारने के सवाल पर विनेश ने कहा कि वही हमारी गलती रह गई। भगवान ने पहले इतनी हिम्मत नहीं दी थी, वर्ना बहुत सारी बच्चियां बच जातीं। थप्पड़ मारने का भी टाइम आएगा। वह अभी क्यों डर रहा है। इतना क्यों बौखला रहा है। बृजभूषण के एक दिन में डबल ट्रायल के आरोपों पर विनेश ने कहा कि यह सब नियमों के तहत हुआ। अगर मैं इतनी शक्तिशाली होती तो बृजभूषण को जेल के अंदर नहीं डाल देती। विनेश फोगाट मामले में क्या हुआ, सिलसिलेवार ढंग से पढ़ें… 1. पेरिस ओलिंपिक में 1 दिन में 3 पहलवानों को हराया
विनेश फोगाट ने 50 किग्रा वेट कैटेगरी में 6 अगस्त को 3 मैच खेले। प्री-क्वार्टर फाइनल में उन्होंने टोक्यो ओलिंपिक की चैंपियन यूई सुसाकी को हरा दिया। क्वार्टर फाइनल में उन्होंने यूक्रेन और सेमीफाइनल में क्यूबा की रेसलर को पटखनी दी। विनेश फाइनल में पहुंचने वालीं पहली भारतीय महिला रेसलर बनीं थीं। 2. डाइट से वजन बढ़ा, पूरी रात कोशिश बेकार गई
सेमीफाइनल तक 3 मैच खेलने के दौरान उन्हें प्रोटीन और एनर्जी के लिए खाना-पानी दिया गया। जिससे उनका वजन 52.700 kg तक बढ़ गया। भारतीय ओलिंपिक टीम के डॉक्टर डॉक्टर दिनशॉ पारदीवाला के मुताबिक विनेश का वेट वापस 50KG पर लाने के लिए टीम के पास सिर्फ 12 घंटे थे। पूरी टीम रातभर विनेश का वजन कम करने की कोशिश में लगी रही। विनेश पूरी रात नहीं सोईं और वजन को तय कैटेगरी में लाने के लिए जॉगिंग, स्किपिंग और साइकिलिंग जैसी एक्सरसाइज करती रहीं। विनेश ने अपने बाल और नाखून तक काट दिए थे। उनके कपड़े भी छोटे कर दिए गए थे। 3. वजन 100 ग्राम ज्यादा मिला, वजन घटाने को सिर्फ 15 मिनट थे
7 अगस्त की सुबह नियम के अनुसार दोबारा से विनेश के वजन की जांच की गई। उनका वजन ज्यादा निकला। उन्हें 15 मिनट मिले लेकिन आखिरी बार वजन में भी वह 100 ग्राम अधिक निकलीं। जिसके बाद उन्हें अयोग्य करार दे दिया गया। 4. विनेश ने अयोग्य करार देने के खिलाफ अपील की
इसके बाद विनेश ने अयोग्य करार देने पर खेल कोर्ट (CAS) में अपील की। जिसमें विनेश ने फाइनल मुकाबला खेलने देने की अपील की। यह संभव नहीं था तो विनेश ने अपील बदलकर कहा कि सेमीफाइनल तक उसका वजन नियमों के अनुरूप था। उसे संयुक्त सिल्वर मेडल दिया जाए। 5. विनेश ने संन्यास का ऐलान किया
विनेश फोगाट ने 8 अगस्त को कुश्ती से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया। उन्होंने सुबह 5.17 बजे सोशल मीडिया पोस्ट लिखी। विनेश ने लिखा- “मां कुश्ती मेरे से जीत गई, मैं हार गई। माफ करना आपका सपना, मेरी हिम्मत सब टूट चुके। इससे ज्यादा ताकत नहीं रही अब। अलविदा कुश्ती 2001-2024, आप सबकी हमेशा ऋणी रहूंगी। …माफी।”। 6. खेल कोर्ट ने याचिका खारिज की
विनेश फोगाट की याचिका पर खेल कोर्ट में सुनवाई चली। हालांकि पेरिस ओलिंपिक के बाद इसका फैसला आया, जिसमें उनकी याचिका खारिज कर दी गई। जिसके बाद विनेश बिना मेडल के ही देश वापस लौटी। यहां दिल्ली एयरपोर्ट से लेकर पैतृक गांव बलाली तक उनका काफिले के तौर पर स्वागत किया गया। ये खबर भी पढ़ें… बजरंग पूनिया को जान से मारने की धमकी:विदेशी नंबर से वॉट्सऐप मैसेज आया, लिखा- कांग्रेस छोड़ दो, वर्ना परिवार के लिए अच्छा नहीं होगा हरियाणा के रेसलर बजरंग पूनिया को कांग्रेस में शामिल होने के 2 दिन बाद जान से मारने की धमकी मिली है। यह धमकी उन्हें वॉट्सऐप मैसेज के जरिए मिली है। वॉट्सऐप पर उन्हें विदेशी नंबर से मैसेज आया है, जिसमें जान से मारने की धमकी दी गई है। कांग्रेस ने बजरंग पूनिया को ऑल इंडिया किसान कांग्रेस का वर्किंग चेयरमैन बनाया है। पूरी खबर पढ़ें…