मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में कल यानि 5 अगस्त को होने वाली कैबिनेट बैठक में ग्रुप सी और ग्रुप डी के अस्थायी कर्मचारियों को नियमित करने पर चर्चा होगी। मंत्रियों से चर्चा के बाद नियमितीकरण नीति पर अंतिम फैसला लिया जाएगा। कैबिनेट तय करेगी कि 5 साल, 8 साल, 10 साल से अधिक सेवा वाले अस्थायी कर्मचारियों को नियमित किया जाए। फैसले के अनुसार ही अंतिम नीति तैयार की जाएगी। वैसे अधिकारियों ने तीन तरह की नीतियों का मसौदा तैयार कर लिया है। एक मसौदा अतिथि शिक्षकों की तर्ज पर सेवा सुरक्षा अधिनियम देने का है, जबकि दूसरा सेवा सुरक्षा अधिनियम की तर्ज पर अध्यादेश का मसौदा है। दोनों लगभग समान हैं, सिर्फ अंतर मानदेव और अस्थायी सेवा अवधि का है, परिभाषा में भी थोड़ा अंतर है। नियमितीकरण नीति का तीसरा मसौदा तैयार है। यहां पढ़ें तीनों ड्राफ्ट में क्या है… सेवा सुरक्षा प्रदान करने के लिए 3 अलग-अलग ड्राफ्ट में अस्थायी कर्मचारियों को अलग-अलग लाभ देने का प्रस्ताव है। अतिथि शिक्षकों की तर्ज पर सेवा सुरक्षा अधिनियम में बहुत कम मानदेय देने का प्रस्ताव है, जबकि अध्यादेश के ड्राफ्ट में समकक्ष नियमित कर्मचारी के न्यूनतम वेतनमान के बराबर एकमुश्त मानदेय देने का भी प्रस्ताव है। इसलिए इस पर कैबिनेट में चर्चा होगी सरकार ने एजेंडा को औपचारिक रूप से कैबिनेट बैठक में नहीं ले जाने का निर्णय लिया है। बैठक में तीनों ड्राफ्ट के बिंदुओं पर अनौपचारिक रूप से चर्चा की जाएगी और चर्चा में लिए गए निर्णय के अनुसार नीति बनाई जाए। कैबिनेट तय करेगी कि सेवा सुरक्षा अधिनियम बनाया जाए या अध्यादेश जारी कर बाद में विधानसभा में विधेयक लाकर पारित किया जाए या कैबिनेट से मंजूरी लेकर नियमितीकरण नीति जारी की जाए। अग्निवीरों के आरक्षण पर लगेगी मुहर अग्निवीरों को नौकरियों में आरक्षण देने को मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलेगी मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पिछले दिनों प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अग्निवीरों को हरियाणा सरकार की नौकरियों में आरक्षण देने की घोषणा की थी। अब कैबिनेट मीटिंग में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल सकती है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के बाद हरियाणा ऐसा तीसरा राज्य होगा, जो अग्निवीरों को सरकारी नौकरी में आरक्षण देगा। पुलिस भर्ती में 10% आरक्षण का प्रस्ताव ग्रुप सी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण, प्राइवेट इंडस्ट्री में नौकरी देने पर सरकार 60000 रुपए वार्षिक फैक्ट्री मालिक को देने, ग्रुप बी में एक फीसदी आरक्षण देने , एसपीओ भर्ती करने का फैसला किया हुआ है। पुलिस सिपाही, माइनिंग गार्ड, फॉरेस्ट गार्ड, जेल वार्डन, एसपीओ में 10 फीसदी, ग्रुप सी के सिविल पदों पर पांच फीसदी, ग्रुप बी में एक फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। तीन साल की उम्र में छूट मिलेगी, जबकि अग्निवीर के पहले बैच के जवानों को उम्र में पांच साल की छूट दी जाएगी। मंत्रिमंडल की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल सकती है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में कल यानि 5 अगस्त को होने वाली कैबिनेट बैठक में ग्रुप सी और ग्रुप डी के अस्थायी कर्मचारियों को नियमित करने पर चर्चा होगी। मंत्रियों से चर्चा के बाद नियमितीकरण नीति पर अंतिम फैसला लिया जाएगा। कैबिनेट तय करेगी कि 5 साल, 8 साल, 10 साल से अधिक सेवा वाले अस्थायी कर्मचारियों को नियमित किया जाए। फैसले के अनुसार ही अंतिम नीति तैयार की जाएगी। वैसे अधिकारियों ने तीन तरह की नीतियों का मसौदा तैयार कर लिया है। एक मसौदा अतिथि शिक्षकों की तर्ज पर सेवा सुरक्षा अधिनियम देने का है, जबकि दूसरा सेवा सुरक्षा अधिनियम की तर्ज पर अध्यादेश का मसौदा है। दोनों लगभग समान हैं, सिर्फ अंतर मानदेव और अस्थायी सेवा अवधि का है, परिभाषा में भी थोड़ा अंतर है। नियमितीकरण नीति का तीसरा मसौदा तैयार है। यहां पढ़ें तीनों ड्राफ्ट में क्या है… सेवा सुरक्षा प्रदान करने के लिए 3 अलग-अलग ड्राफ्ट में अस्थायी कर्मचारियों को अलग-अलग लाभ देने का प्रस्ताव है। अतिथि शिक्षकों की तर्ज पर सेवा सुरक्षा अधिनियम में बहुत कम मानदेय देने का प्रस्ताव है, जबकि अध्यादेश के ड्राफ्ट में समकक्ष नियमित कर्मचारी के न्यूनतम वेतनमान के बराबर एकमुश्त मानदेय देने का भी प्रस्ताव है। इसलिए इस पर कैबिनेट में चर्चा होगी सरकार ने एजेंडा को औपचारिक रूप से कैबिनेट बैठक में नहीं ले जाने का निर्णय लिया है। बैठक में तीनों ड्राफ्ट के बिंदुओं पर अनौपचारिक रूप से चर्चा की जाएगी और चर्चा में लिए गए निर्णय के अनुसार नीति बनाई जाए। कैबिनेट तय करेगी कि सेवा सुरक्षा अधिनियम बनाया जाए या अध्यादेश जारी कर बाद में विधानसभा में विधेयक लाकर पारित किया जाए या कैबिनेट से मंजूरी लेकर नियमितीकरण नीति जारी की जाए। अग्निवीरों के आरक्षण पर लगेगी मुहर अग्निवीरों को नौकरियों में आरक्षण देने को मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलेगी मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पिछले दिनों प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अग्निवीरों को हरियाणा सरकार की नौकरियों में आरक्षण देने की घोषणा की थी। अब कैबिनेट मीटिंग में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल सकती है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के बाद हरियाणा ऐसा तीसरा राज्य होगा, जो अग्निवीरों को सरकारी नौकरी में आरक्षण देगा। पुलिस भर्ती में 10% आरक्षण का प्रस्ताव ग्रुप सी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण, प्राइवेट इंडस्ट्री में नौकरी देने पर सरकार 60000 रुपए वार्षिक फैक्ट्री मालिक को देने, ग्रुप बी में एक फीसदी आरक्षण देने , एसपीओ भर्ती करने का फैसला किया हुआ है। पुलिस सिपाही, माइनिंग गार्ड, फॉरेस्ट गार्ड, जेल वार्डन, एसपीओ में 10 फीसदी, ग्रुप सी के सिविल पदों पर पांच फीसदी, ग्रुप बी में एक फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। तीन साल की उम्र में छूट मिलेगी, जबकि अग्निवीर के पहले बैच के जवानों को उम्र में पांच साल की छूट दी जाएगी। मंत्रिमंडल की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल सकती है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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पलवल में युवक ने फंदा लगाकर सुसाइड किया:भाई को भेजा सुसाइड नोट, जुए में हार गया था रुपए, आरोपी धमका रहा था पलवल में एक युवक ने फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया। मामले में अलीगढ़ (यूपी) के नंगला जैत निवासी विष्णु शर्मा ने शिकायत दी है कि उसका भाई ललतेश कुमार पलवल शहर की परशुराम कॉलोनी में रहता था। मंगलवार सुबह करीब आठ बजे उसके पास ललतेश के नंबर से वाट्सएप पर सुसाइड नोट आया। यह सुसाइड नोट देखकर उसने तुरंत ललतेश को फोन किया, मगर उसने फोन नहीं उठाया। इसके बाद उसने तुरंत अपने भांजे विकास शर्मा को ललतेश के घर भेजा। जहां विकास को ललतेश फांसी के फंदे पर झूलता हुआ मिला। इसके बाद उन्होंने मामले की सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को कब्जे में लिया और जिला नागरिक अस्पताल में पोस्टमार्टम कराया गया। जुए में हारा था रुपए
शिकायतकर्ता के अनुसार ललतेश ने सुसाइड नोट में लिखा है कि संदीप डीसी नामक युवक ने उसे शराब के नशे में जुआ खिलाया और उससे 62 हजार रुपए जीत लिए। जिसकी एवज में उसने संदीप को अलग-अलग बार में 51 हजार रुपए दे भी दिए। इनमें से उसने 40 हजार रुपए संदीप को उसके खाते में ट्रांसफर कर दिए थे। उसे संदीप को सिर्फ 11 हजार देने थे। मगर संदीप कह रहा था कि उसे खाते में पैसे नहीं मिले हैं। शिकायतकर्ता के अनुसार संदीप ने मृतक पर रोजाना की तरह ही मंगलवार सुबह भी रुपए देने के लिए दबाव बनाया, जिस कारण ललतेश ने आत्महत्या कर ली। शहर थाना के जांच अधिकारी प्रेमचंद ने बताया कि मामले में विष्णु की शिकायत पर नामजद के खिलाफ सुसाइड के लिए विवश करने का मुकदमा दर्ज कर शव को पोस्टमार्टम के बाद उसके परिजनों को सौंप दिया गया है।
हरियाणा में BJP का नायब सैनी पर दांव क्यों:सबसे ज्यादा 30% OBC वोटर पर नजर; जाट भी ज्यादा लेकिन कांग्रेस-इनेलो और जजपा में बंटे
हरियाणा में BJP का नायब सैनी पर दांव क्यों:सबसे ज्यादा 30% OBC वोटर पर नजर; जाट भी ज्यादा लेकिन कांग्रेस-इनेलो और जजपा में बंटे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को हरियाणा दौरे के दौरान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में ही विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कही। प्रदेश में 3 महीने बाद विधानसभा चुनाव है। भाजपा ने साफ कर दिया है कि उनकी नजर OBC वोट बैंक पर है। जातिगत आंकड़ों की बात करें तो OBC की आबादी सबसे ज्यादा करीब 30 प्रतिशत है। इसके बाद जाट समुदाय की आबादी करीब 22 प्रतिशत है। वहीं अनुसूचित जाति की आबादी करीब 21 प्रतिशत है। ऐसे में भाजपा ने हरियाणा में सबसे ज्यादा आबादी वाले चेहरे को प्रतिनिधित्व देकर मास्टर स्ट्रोक खेला है। हालांकि लोकसभा चुनाव में OBC फेक्टर हरियाणा में नहीं चला। तब नायब सैनी ही मुख्यमंत्री थे। भाजपा सत्ता विरोधी लहर के बावजूद 5 सीटें जीतने में कामयाब रही। लोकसभा चुनाव में जाट वोट नहीं बंटा हरियाणा में जजपा से गठबंधन टूटने के बाद भाजपा को अंदेशा था कि प्रदेश में जाट वोट कांग्रेस, इनेलो और जजपा में डिवाइड हो जाएगा। जबकि OBC और अनुसूचित जाति का वोट बैंक भाजपा की तरफ आएगा। लेकिन चुनाव में जाट वोट एक तरफा कांग्रेस की ओर गया। इसके अलावा, अनुसूचित जाति के भी अच्छे वोट कांग्रेस को मिले। हरियाणा में गैर जाट की राजनीति करेगी भाजपा
प्रदेश में करीब 78 प्रतिशत गैर जाट वोटर हैं। अमित शाह ने मुख्यमंत्री नायब सैनी को ही भाजपा का CM चेहरा घोषित कर यह संदेश दिया है कि हरियाणा में भाजपा गैर जाट की राजनीति को ही बढ़ाएगी। हरियाणा में चौधरी भजनलाल के कार्यकाल को छोड़ दिया जाए तो कई दशकों से हरियाणा में जाट समुदाय से ही मुख्यमंत्री बनता आया है। हरियाणा में भाजपा की सरकार आने के बाद उन्होंने गैर जाट को ही मुख्यमंत्री बनाया। 2014 से मार्च 2024 तक करीब साढ़े 9 साल तक पंजाबी समुदाय से मनोहर लाल खट्टर मुख्यमंत्री रहे। इसके बाद 12 मार्च 2024 को सैनी समाज से आने वाले नायब सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया। भाजपा ने पहली बार पंजाबी समाज को दिया प्रतिनिधित्व
हरियाणा में ब्राह्मण, जाट, बिश्नोई, ओबीसी और वैश्य समाज से मुख्यमंत्री बने हैं, लेकिन भाजपा ने पहली बार 2014 में पंजाबी समुदाय से मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाया। हालांकि पंजाबी आबादी हरियाणा में जाट, OBC और अनुसूचित जाति से कम है। मगर पंजाबी वोटरों का शहरी विधानसभा में अच्छा प्रभाव माना जाता है। इसके बाद 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सभी सीटें जीती। भाजपा को इस प्रयोग का फायदा भी हरियाणा में मिला। हरियाणा में गैर जाट वोटर इससे जुड़ा। हरियाणा में भाजपा लगातार 2 बार सत्ता में है। 58 साल के इतिहास में केवल 241 दिन रहा OBC सीएम
हरियाणा का गठन 1966 को हुआ। पहले मुख्यमंत्री के तौर पर पंडित भगवत दयाल शर्मा चुने गए। उनका कार्यकाल 142 दिन का रहा। इसके बाद 1967 में राव बीरेंद्र सिंह हरियाणा के दूसरे मुख्यमंत्री बने थे। उन्होंने अलग पार्टी बनाकर चुनाव लड़ा था। उनका कार्यकाल 241 दिन का रहा था। 1967 के बाद यह दूसरा मौका जब OBC समाज से हरियाणा में मुख्यमंत्री बना है।
मनमोहन चंडीगढ़ में जिस यूनिवर्सिटी से पढ़े, वहीं प्रोफेसर बने:क्लास-लेक्चररूम में यादें सहेजीं; कोठी से था लगाव; क्लासमेट बोले- बरसों बाद भी पहचाना
मनमोहन चंडीगढ़ में जिस यूनिवर्सिटी से पढ़े, वहीं प्रोफेसर बने:क्लास-लेक्चररूम में यादें सहेजीं; कोठी से था लगाव; क्लासमेट बोले- बरसों बाद भी पहचाना 2 बार देश के प्रधानमंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में गुरुवार रात निधन हो गया। मनमोहन सिंह का चंडीगढ़ से पुराना नाता रहा। उन्होंने यहां स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी (PU) से पढ़ाई की और इसी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर भी रहे। मनमोहन सिंह ने पंजाब यूनिवर्सिटी से 1952 में इकोनॉमिक्स में बैचलर और 1954 में मास्टर डिग्री हासिल की थी। इसके बाद 1957 से 1966 तक पंजाब यूनिवर्सिटी में ही इकोनॉमिक्स के सीनियर फैकल्टी के रूप में नौकरी की थी। यूनिवर्सिटी में उनकी कुर्सी और प्रोफेसर रहते लेक्चर के बाद बैठने वाले कमरे को सहेजकर रखा गया है। यूनिवर्सिटी में अलॉट हुए उनके क्वार्टर की भी रेनोवेशन कराई जा रही है। उनकी चंडीगढ़ के सेक्टर 11 में कोठी है, जिसका नंबर 727 है। इस कोठी में कोई नहीं रहता। मगर, उनके लगाव के कारण कोठी की देखभाल के लिए केयरटेकर रखा हुआ है। उनके पास की कोठी में मनमोहन सिंह के कॉलेज फ्रैंड हंसराज भी मिले। उन्होंने कहा कि स्कूल में सबसे मुश्किल सवाल वही हल करते थे। विदेश जाने के बाद मुझे लगा कि वे भूल गए होंगे लेकिन एक बार मिले तो सीधे नाम लेकर हालचाल पूछकर हैरान कर दिया। आखिरी बार मनमोहन सिंह 2018 में चंडीगढ़ आए थे। तब वह पंजाब यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के बाद दैनिक भास्कर की टीम उनकी कोठी और पंजाब यूनिवर्सिटी में पहुंची। सबसे पहले टीम कोठी में पहुंची। कोठी बंद थी। देखभाल करने वाले दंपती कोठी के पीछे बैठे हुए थे। उनसे कोठी के बारे में पूछा। उन्होंने बताया कि कमरे बंद हैं। डॉ. मनमोहन सिंह के पारिवारिक सदस्य उन्हें बीच-बीच में फोन करते रहते हैं। केयरटेकर आनंद सिंह बिष्ट ने कहा कि पूर्व PM के निधन के बारे में सुनकर दुख हुआ। मैं कोठी की देखभाल करता हूं। कोठी में फिलहाल कोई नहीं रहता है। इस दौरान टीम को देखकर पास की कोठी में रहने वाले हंसराज वहां पहुंच गए। वह भावुक हो गए। हंसराज बताते हैं कि मैं और मनमोहन सिंह पक्के दोस्त थे। हम दोनों अमृतसर में हिंदू कॉलेज में इकट्ठे पढ़े। 2 साल यानी 1952 से 1954 तक हम इकट्ठा रहे। हम दोनों क्लास में टॉपर थे। हमारी BA की क्लास में 30 स्टूडेंट थे। प्रोफेसर हम दोनों को मुश्किल सवाल देते थे
हंसराज ने आगे कहा कि क्लास में मैथमेटिक्स के प्रोफेसर हम दोनों को मुश्किल सवाल दे देते थे। प्रोफेसर कहते थे कि तुम दोनों इन सवालों को हल कर सकते हो, बाकी लड़के इन्हें हल नहीं कर सकते हैं। इसके बाद हम दोनों मिलकर सवाल हल करते थे। हल किए सवाल के बारे में प्रोफेसर को बताते तो वह बहुत खुश होते थे। इसके बाद मैं अमेरिका चला गया। संपर्क खत्म हो गया। मैं 2-3 साल में इंडिया आता था। ऐसे में कभी मुलाकात का मौका नहीं मिला। वह बिजी आदमी थे। हमने सोचा कि वह हमें कैसे पहचानेंगे, लेकिन एक बार मुझे मिले और कहा कि हंसराज क्या हाल हैं, देखा ये होता प्यार असली। ये वाक्य मुझे आज भी याद है। तनख्वाह को डोनेट करते थे
उन्होंने कहा कि मनमोहन की चंडीगढ़ के सेक्टर 11 में 727 नंबर कोठी है। कोठी की देख-रेख उनकी बेटी करती है। मैं कोठी नंबर 729 में रहता हूं। हंसराज ने कहा कि मनमोहन बेस्ट प्राइम मिनिस्टर थे। उन्होंने बेहतर काम किया। उन्हें जो तनख्वाह भारत सरकार देती थी, वह उसे डोनेट कर देते थे। कमरा नंबर-40 A में चेयर स्थापित
इसके बाद टीम पंजाब यूनिवर्सिटी में पहुंची। यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स की छुट्टियां हैं, लेकिन सभी प्रोफेसर यूनिवर्सिटी में पहुंचे थे। सभी पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को याद कर रहे थे। इसके बाद टीम इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट में पहुंची। जहां कमरा नंबर-40 A में उनकी चेयर स्थापित की गई है। वह इसी क्लासरूम में पढ़ते थे। इसके बाद वहां के प्रोफेसर उस कमरे में ले गए, जहां मनमोहन सिंह लेक्चर लगाने के बाद बैठते थे। कमरे में उनकी फोटो लगी है। आलमारियों में किताबें रखी हैं। उसके सामने ही लाइब्रेरी है, जिसमें उनसे जुड़ी किताबें रखी हैं। संदेश में लिखा- मैं भारत के भविष्य के बारे में आश्वस्त हूं
डिपार्टमेंट में ही एक मीटिंग हॉल है, जहां एक बोर्ड लगा है। उस पर उनकी फोटो लगी है। फोटो के साथ उनका संदेश लिखा हुआ मिला- मैं भारत के भविष्य के बारे में आश्वस्त हूं। मेरा दृढ़ विश्वास है कि उभरती वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख शक्ति के रूप में भारत का उदय एक ऐसा विचार है, जिसका समय आ गया है। परंपरा को आधुनिकता के साथ तथा एकता को विविधता के साथ मिलाकर यह राष्ट्र दुनिया को आगे का रास्ता दिखा सकता है। यूनिवर्सिटी में मनमोहन सिंह की ही चर्चा
इसके बाद टीम ने पंजाब यूनिवर्सिटी में डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक्स की चेयरपर्सन डॉ. समिता शर्मा से बात की। उन्होंने कहा कि रात को प्रोफेसर मनमोहन के निधन की खबर मिली। उनसे जुड़ी सारी यादें ताजा हो गईं। कल से ही हम सारे उनसे रिलेटेड बातें कर रहे हैं। सारी यूनिवर्सिटी आज उन्हीं के बारे में बात कर रही है। उन्होंने कहा कि जब हम यहां पढ़ाई करते थे तो उनका नाम सुनते थे। 1991 में देश में जो इकोनॉमिक्स रिफोर्म लाए गए, वह सारे के सारे मनमोहन सिंह ही लाए थे। इसके लिए लोग उन्हें याद रखते हैं। हमने तो उनके बारे में किताबों में ही पढ़ा है और आगे बच्चों को भी पढ़ाया है। उन्होंने कहा कि 2018 में मुझे उनसे मिलने का मौका मिला था। एक कार्यक्रम में मनमोहन सिंह आए थे। उनके साथ उनकी पत्नी भी थीं। उनकी पोलाइटनेस मुझे सबसे ज्यादा अच्छी लगी। डिपार्टमेंट की सीढ़ियां नहीं चढ़ पाए थे मनमोहन सिंह
डॉ समिता ने कहा कि तब मनमोहन सिंह डिपार्टमेंट की सीढ़ियां नहीं चढ़ पाए थे। तब उनकी उम्र 85 साल के करीब थी। नीचे ही हमने उनसे सिग्नेचर लिए थे। इस दौरान उन्होंने जो प्यार से बात की, वह हमेशा हमारे साथ रहेगी। क्वार्टर में फैमिली भी लेकर आए थे मनमोहन सिंह
इसके बाद प्रोफेसर यूनिवर्सिटी के अंदर बने उस क्वार्टर (F-15) में ले गए, जहां मनमोहन सिंह करियर की शुरुआती के दिनों में रहे थे। यहां रेनोवेशन का काम चल रहा है। प्रोफेसर बताते हैं कि यहां पर मनमोहन सिंह 3 से 4 साल रहे हैं। उनकी फैमिली भी यहां आई थी। डायरेक्टर बोले- कैंसर अस्पताल में विश्व स्तरीय सुविधाएं उपलब्ध
जिस होमी भाभा कैंसर अस्पताल की मनमोहन सिंह ने नींव रखी थी, उसके डायरेक्टर आशीष गुलिया ने कहा कि हमें उनके योगदान को याद रखना होगा। 30 दिसंबर 2013 को उन्होंने इस अस्पताल का शिलान्यास किया था। यहां पंजाब के साथ उत्तराखंड, हिमाचल, हरियाणा, जम्मू कश्मीर और राजस्थान समेत अन्य जगहों से मरीज आते हैं। यहां विश्व स्तरीय सुविधाएं उपलब्ध हैं। पिछले वर्ष यहां 18 हजार से ज्यादा नए कैंसर मरीजों का रजिस्ट्रेशन हुआ। ————————– मनमोहन सिंह से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें…. मनमोहन ने खुद बताया-इकोनॉमिक्स ही क्यों लिया:अमृतसर हिंदू कॉलेज लेता था आधी फीस पूरी दुनिया डॉ. मनमोहन सिंह की इकोनॉमिक समझ का लोहा मानती है। कॉलेज में बाकी सब्जेक्ट्स की जगह उन्होंने इकोनॉमिक्स को ही क्यों चुना? इसके पीछे दिलचस्प वाकया है जिसका खुलासा 2018 में खुद डॉ. मनमोहन सिंह ने किया जब वह अमृतसर के हिंदू कॉलेज की एलुमनी मीट और कनवोकेशन में बतौर चीफ गेस्ट शामिल आए। पढ़ाई के दौरान हिंदू कॉलेज ही उनका पहला कॉलेज रहा। पूरी खबर पढ़ें… बंटवारे में पाकिस्तान छोड़ पंजाब आए मनमोहन सिंह, पौने 16 करोड़ की प्रॉपर्टी; PU में प्रोफेसर रहे डॉ. मनमोहन सिंह का पंजाब और चंडीगढ़ से गहरा नाता रहा। मनमोहन सिंह ने अपनी शुरुआती पढ़ाई अमृतसर में ही। बाद में उन्होंने चंडीगढ़ स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी (PU) में प्रोफेसर के रूप में सेवाएं दीं। पंजाब ने जब चंडीगढ़ के पास मुल्लांपुर में न्यू चंडीगढ़ बसाना शुरू किया तो मनमोहन सिंह ने ही वहां की मेडिसिटी में होमी भाभा कैंसर अस्पताल का नींव पत्थर रखा था। पूरी खबर पढ़ें…