हरियाणा के दिव्यांग युवक ने हिंद महासागर में स्थित 30 किलोमीटर के रामसेतु को महज साढ़े 8 घंटे में पार कर एक नया रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है। बचपन से ही एक पैर से लगभग 70 प्रतिशत दिव्यांग राजवीर (34) के लिए ये कीर्तिमान रचना आसान नहीं था, उसकी जिंदगी में काफी उतार चढ़ाव आए लेकिन उसने हमेशा हिम्मत से काम लिया और मेहनत जारी रखी। स्विमिंग की शुरुआत भी उसने अपने ही गांव के जोहड़ से की थी। जुनून और लगन की बदौलत आज उसने इतना बड़ा कीर्तिमान रच दिया है। हालांकि राजवीर की मुश्किलें अभी भी खत्म नहीं हुई हैं। हमेशा की तरह इस बार भी उसके और उसके सपनों के बीच खड़ी है आर्थिक तंगी। दरअसल, हिंद महासागर में रिकॉर्ड बनाने के बाद अब राजवीर को अटलांटिक महासागर में दूसरी प्रतियोगिता के लिए जाना है, लेकिन पैसों की किल्लत आड़े आ रही है। राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में दिखाया दम
इसी साल 18 अप्रैल को भारतीय तैराकी फेडरेशन की ओर से हिंद महासागर में राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता आयोजित करवाई गई थी, जिसमें महेंद्रगढ़ के गांव बाघोत के गरीब किसान गजे सिंह के बेटे राजवीर ने भी हिस्सा लिया। प्रतियोगिता में 30 किलोमीटर के रामसेतु को पार करना था। अभी तक इसे पार करने का सबसे कम समय था साढ़े 11 घंटे, लेकिन राजवीर ने इसे महज साढ़े 8 घंटे में पार कर लिया। अटलांटिक का तापमान राजवीर के लिए चुनौती
अब 5 जून को राजवीर को लंदन जाना है, जहां पर उसे इंग्लिश चैनल मैं तैराकी करनी है, ये चैनल अटलांटिक महासागर में है। इसके लिए राजवीर लगातार अभ्यास कर रहा है, चूंकी वहां पर तापमान 12 से 14 डिग्री के बीच होता है ऐसे में राजवीर के लिए ये प्रतियोगिता आसान नहीं होगी। 1 महीने का समय बाकी अभी तक वीजा नहीं मिला
राजवीर के पास अभी लगभग एक महीने का समय है, लेकिन पैसों की कमी के कारण वो अभी तक अपना वीजा तक नहीं बनवा पाया है। इसके अलावा विदेश में प्रैक्टिस के लिए, रहने और खाने के लिए 5 से 10 लाख रुपए की आवश्यकता है। वह भी उसके पास नहीं हैं। ऐसे में उसने सरकार से मदद की गुहार भी लगाई है। अब जानिए राजवीर की पूरी कहानी… बचपन में था कुश्ती का शौक, मास्टर ने दी सलाह
राजवीर बचपन से ही दिव्यांग है। वह 5 भाई बहनों में सबसे छोटा है और अविवाहित है। गांव में कुश्ती का काफी क्रेज था, इसलिए राजवीर को कुश्ती में काफी दिलचस्पी थी। कई बार वह गांव में आयोजित होने वाली कुश्ती के मुकाबलों में भी हिस्सा लेता था। 2008 में राजवीर चरखी दादरी के एक गांव में कुश्ती के मुकाबले में शामिल हुआ था, इस मैच को देखने के लिए वहां पर मास्टर सुखबीर सिंह भी मौजूद थे, राजवीर की फुर्ती देख मास्टर काफी प्रभावित हुए और उन्होंने सुखबीर को कुश्ती की जगर तैराकी में किस्मत आजमाने की सलाह दी गांव के जोहड़ से शुरू किया अभ्यास
मास्टर की सलाह को राजवीर ने माना और कुश्ती की जगह ज्यादा टाइम तैराकी को देना शुरू किया। इसके लिए उसने सबसे पहले गांव के जोहड़ में ही स्विमिंग शुरू की। तैराकी में थोड़ा अभ्यास हुआ तो इस खेल में खुद को और बेहतर करने के लिए उसने मास्टर सुखबीर सिंह के ही सहयोग से भिवानी के स्विमिंग पूल में अभ्यास शुरू किया। पैसों की जरूरत थी, लेकिन बच्चों को फ्री में सिखाया
राजवीर अपनी कड़ी मेहनत के बदौलत कुछ महीनों बाद हुई राष्ट्रीय स्तर की तैराकी प्रतियोगिता में चौथे स्थान पर रहा था। इस खेल में उसकी रुचि और बढ़ने लगी लेकिन घर की कमजोर आर्थिक स्थिति उसे हर चीज सोचने को मजबूर करती थी। उसे पैसों की सख्त जरूरत थी, लेकिन फिर भी उसने भिवानी में बच्चों को फ्री में स्विमिंग सिखाई। 2016 में डॉक्टरों ने दी तैराकी छोड़ने की सलाह
साल 2016 में राजवीर को लिगामेंट में प्रॉब्लम हो गई थी। डॉक्टरों ने ऑपरेशन करवाने या फिर तैराकी छोड़ने की सलाह दी। ऑपरेशन के लिए लगभग 5 लाख रुपए की आवश्यकता थी। इतने पैसे नहीं होने की वजह से उसने लगभग 3 साल तैराकी छोड़ दी। बाद में उसने फिर से तैराकी का अभ्यास शुरू कर दिया और आज उनके जुनून और जज्बे को हर कोई सलाम कर रहा है। हरियाणा के दिव्यांग युवक ने हिंद महासागर में स्थित 30 किलोमीटर के रामसेतु को महज साढ़े 8 घंटे में पार कर एक नया रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है। बचपन से ही एक पैर से लगभग 70 प्रतिशत दिव्यांग राजवीर (34) के लिए ये कीर्तिमान रचना आसान नहीं था, उसकी जिंदगी में काफी उतार चढ़ाव आए लेकिन उसने हमेशा हिम्मत से काम लिया और मेहनत जारी रखी। स्विमिंग की शुरुआत भी उसने अपने ही गांव के जोहड़ से की थी। जुनून और लगन की बदौलत आज उसने इतना बड़ा कीर्तिमान रच दिया है। हालांकि राजवीर की मुश्किलें अभी भी खत्म नहीं हुई हैं। हमेशा की तरह इस बार भी उसके और उसके सपनों के बीच खड़ी है आर्थिक तंगी। दरअसल, हिंद महासागर में रिकॉर्ड बनाने के बाद अब राजवीर को अटलांटिक महासागर में दूसरी प्रतियोगिता के लिए जाना है, लेकिन पैसों की किल्लत आड़े आ रही है। राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में दिखाया दम
इसी साल 18 अप्रैल को भारतीय तैराकी फेडरेशन की ओर से हिंद महासागर में राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता आयोजित करवाई गई थी, जिसमें महेंद्रगढ़ के गांव बाघोत के गरीब किसान गजे सिंह के बेटे राजवीर ने भी हिस्सा लिया। प्रतियोगिता में 30 किलोमीटर के रामसेतु को पार करना था। अभी तक इसे पार करने का सबसे कम समय था साढ़े 11 घंटे, लेकिन राजवीर ने इसे महज साढ़े 8 घंटे में पार कर लिया। अटलांटिक का तापमान राजवीर के लिए चुनौती
अब 5 जून को राजवीर को लंदन जाना है, जहां पर उसे इंग्लिश चैनल मैं तैराकी करनी है, ये चैनल अटलांटिक महासागर में है। इसके लिए राजवीर लगातार अभ्यास कर रहा है, चूंकी वहां पर तापमान 12 से 14 डिग्री के बीच होता है ऐसे में राजवीर के लिए ये प्रतियोगिता आसान नहीं होगी। 1 महीने का समय बाकी अभी तक वीजा नहीं मिला
राजवीर के पास अभी लगभग एक महीने का समय है, लेकिन पैसों की कमी के कारण वो अभी तक अपना वीजा तक नहीं बनवा पाया है। इसके अलावा विदेश में प्रैक्टिस के लिए, रहने और खाने के लिए 5 से 10 लाख रुपए की आवश्यकता है। वह भी उसके पास नहीं हैं। ऐसे में उसने सरकार से मदद की गुहार भी लगाई है। अब जानिए राजवीर की पूरी कहानी… बचपन में था कुश्ती का शौक, मास्टर ने दी सलाह
राजवीर बचपन से ही दिव्यांग है। वह 5 भाई बहनों में सबसे छोटा है और अविवाहित है। गांव में कुश्ती का काफी क्रेज था, इसलिए राजवीर को कुश्ती में काफी दिलचस्पी थी। कई बार वह गांव में आयोजित होने वाली कुश्ती के मुकाबलों में भी हिस्सा लेता था। 2008 में राजवीर चरखी दादरी के एक गांव में कुश्ती के मुकाबले में शामिल हुआ था, इस मैच को देखने के लिए वहां पर मास्टर सुखबीर सिंह भी मौजूद थे, राजवीर की फुर्ती देख मास्टर काफी प्रभावित हुए और उन्होंने सुखबीर को कुश्ती की जगर तैराकी में किस्मत आजमाने की सलाह दी गांव के जोहड़ से शुरू किया अभ्यास
मास्टर की सलाह को राजवीर ने माना और कुश्ती की जगह ज्यादा टाइम तैराकी को देना शुरू किया। इसके लिए उसने सबसे पहले गांव के जोहड़ में ही स्विमिंग शुरू की। तैराकी में थोड़ा अभ्यास हुआ तो इस खेल में खुद को और बेहतर करने के लिए उसने मास्टर सुखबीर सिंह के ही सहयोग से भिवानी के स्विमिंग पूल में अभ्यास शुरू किया। पैसों की जरूरत थी, लेकिन बच्चों को फ्री में सिखाया
राजवीर अपनी कड़ी मेहनत के बदौलत कुछ महीनों बाद हुई राष्ट्रीय स्तर की तैराकी प्रतियोगिता में चौथे स्थान पर रहा था। इस खेल में उसकी रुचि और बढ़ने लगी लेकिन घर की कमजोर आर्थिक स्थिति उसे हर चीज सोचने को मजबूर करती थी। उसे पैसों की सख्त जरूरत थी, लेकिन फिर भी उसने भिवानी में बच्चों को फ्री में स्विमिंग सिखाई। 2016 में डॉक्टरों ने दी तैराकी छोड़ने की सलाह
साल 2016 में राजवीर को लिगामेंट में प्रॉब्लम हो गई थी। डॉक्टरों ने ऑपरेशन करवाने या फिर तैराकी छोड़ने की सलाह दी। ऑपरेशन के लिए लगभग 5 लाख रुपए की आवश्यकता थी। इतने पैसे नहीं होने की वजह से उसने लगभग 3 साल तैराकी छोड़ दी। बाद में उसने फिर से तैराकी का अभ्यास शुरू कर दिया और आज उनके जुनून और जज्बे को हर कोई सलाम कर रहा है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
