मुझे टिकट दी जाती तो भाजपा उम्मीदवार राव इंद्रजीत सिंह को कम से कम एक लाख वोटों से हराता। जातीय समीकरण को मैं जानता हूं। इसमें राज बब्बर की कोई गलती नहीं है। टिकट दिलाने वालों की चूक है। ये बात 2 दिन पहले कांग्रेस नेता कैप्टन यादव ने कही थी, लेकिन चुनाव के रिजल्ट पर नजर दौड़ाएं तो उनके गढ़ में ही पार्टी का कैंडिडेट हार गया। हरियाणा की गुरुग्राम लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने पूर्व वित्त मंत्री और 6 बार विधायक रहे कैप्टन अजय सिंह यादव की टिकट काटकर फिल्म स्टार राज बब्बर को चुनावी मैदान में उतारा। टिकट कटने की नाराजगी पर कुछ समय के लिए कैप्टन ने विरोधी सुर भी अपनाए। बाद में राज बब्बर के चुनावी प्रचार में बेटे सहित कूद गए, लेकिन चुनावी परिणाम सामने आए तो कैप्टन के गढ़ रेवाड़ी में राज बब्बर हार गए। रेवाड़ी-बावल दोनों विधानसभा में राज बब्बर को हार का सामना करना पड़ा। जबकि बावल के मुकाबले रेवाड़ी में हार का मार्जिन ज्यादा रहा। यहां से कांग्रेस को सबसे ज्यादा उम्मीद थी, क्योंकि इस सीट पर कैप्टन के बेटे चिरंजीव राव MLA हैं। रेवाड़ी से राव इंद्रजीत को 96,938 वोट और राज बब्बर को 60,409 वोट मिले। बब्बर को सिर्फ नूंह जिले की 3 विधानसभाओं में लीड मिल पाई
वहीं कैप्टन के पैतृक गांव साहरनवास में राज बब्बर दोनों बूथ पर जीते, लेकिन शहर से लगते गांव गोकलगढ़ में 5 में से 4 बूथ पर हार का सामना करना पड़ा। गांव गोकलगढ़ में कैप्टन अजय सिंह यादव का ससुराल है। राज बब्बर को गुरुग्राम लोकसभा में नूंह जिले की तीनों विधानसभा सीट को छोड़कर किसी अन्य विधानसभा में लीड नहीं मिल पाई। हालांकि सोहना से उन्हें जितनी उम्मीद थी, उससे कहीं ज्यादा वोट मिले हैं। बावल में रामपुरा हाउस का दबदबा होने के बावजूद राज बब्बर 63 हजार से ज्यादा वोट लेने में कामयाब रहे। गुरुग्राम सीट पर बीजेपी के राव इंद्रजीत सिंह ने लगातार चौथी बार जीत दर्ज की है। राव इंद्रजीत ने राज बब्बर को इस बार 70 हजार से ज्यादा वोटों से हराया है। पिछला चुनाव कैप्टन ने लड़ा, इस बार कटी टिकट
2019 में गुरुग्राम सीट पर कैप्टन अजय सिंह यादव ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन राव इंद्रजीत सिंह के सामने कैप्टन बुरी तरह हार गए थे। इस बार भी कैप्टन ने गुरुग्राम सीट पर दावेदारी ठोकी हुई थी। एक साल पहले ही चुनाव की तैयारी भी शुरू कर दी थी, लेकिन चुनाव से ठीक पहले टिकट कटने की आशंका के बीच कैप्टन ने एक तरह से विरोधी सुर अपना लिए थे। कैप्टन को भी अभास हो गया था कि इस बार उन्हें टिकट नहीं मिलेगी। आखिर में कांग्रेस हाईकमान ने कैप्टन की टिकट काटकर राज बब्बर को चुनावी मैदान में उतारा। इसके बाद कैप्टन ने प्रदेश की लीडरशिप पर सवाल खड़ कर दिए। हालांकि राज बब्बर ने खुद कैप्टन अजय को मनाया। कैप्टन भी अपने बेटे विधायक चिरंजीव के साथ प्रचार में उतर गए। रेवाड़ी से 36 हजार से ज्यादा वोटों से हारे
कैप्टन और चिरंजीव राव ने रेवाड़ी विधानसभा सीट पर राज बब्बर के लिए काफी जनसभाएं भी की। इतना ही नहीं प्रचार के अंतिम दौर में अपने गढ़ रेवाड़ी शहर में राज बब्बर का रोड शो भी निकलवाया, लेकिन जिस तरह की उम्मीद कांग्रेस पार्टी को रेवाड़ी सीट से थी, उसके अनुरूप यहां से कांग्रेस कैंडिडेट को बढ़त नहीं मिल पाई। राज बब्बर रेवाड़ी से 36 हजार से ज्यादा वोटों से हार गए। मुझे टिकट दी जाती तो भाजपा उम्मीदवार राव इंद्रजीत सिंह को कम से कम एक लाख वोटों से हराता। जातीय समीकरण को मैं जानता हूं। इसमें राज बब्बर की कोई गलती नहीं है। टिकट दिलाने वालों की चूक है। ये बात 2 दिन पहले कांग्रेस नेता कैप्टन यादव ने कही थी, लेकिन चुनाव के रिजल्ट पर नजर दौड़ाएं तो उनके गढ़ में ही पार्टी का कैंडिडेट हार गया। हरियाणा की गुरुग्राम लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने पूर्व वित्त मंत्री और 6 बार विधायक रहे कैप्टन अजय सिंह यादव की टिकट काटकर फिल्म स्टार राज बब्बर को चुनावी मैदान में उतारा। टिकट कटने की नाराजगी पर कुछ समय के लिए कैप्टन ने विरोधी सुर भी अपनाए। बाद में राज बब्बर के चुनावी प्रचार में बेटे सहित कूद गए, लेकिन चुनावी परिणाम सामने आए तो कैप्टन के गढ़ रेवाड़ी में राज बब्बर हार गए। रेवाड़ी-बावल दोनों विधानसभा में राज बब्बर को हार का सामना करना पड़ा। जबकि बावल के मुकाबले रेवाड़ी में हार का मार्जिन ज्यादा रहा। यहां से कांग्रेस को सबसे ज्यादा उम्मीद थी, क्योंकि इस सीट पर कैप्टन के बेटे चिरंजीव राव MLA हैं। रेवाड़ी से राव इंद्रजीत को 96,938 वोट और राज बब्बर को 60,409 वोट मिले। बब्बर को सिर्फ नूंह जिले की 3 विधानसभाओं में लीड मिल पाई
वहीं कैप्टन के पैतृक गांव साहरनवास में राज बब्बर दोनों बूथ पर जीते, लेकिन शहर से लगते गांव गोकलगढ़ में 5 में से 4 बूथ पर हार का सामना करना पड़ा। गांव गोकलगढ़ में कैप्टन अजय सिंह यादव का ससुराल है। राज बब्बर को गुरुग्राम लोकसभा में नूंह जिले की तीनों विधानसभा सीट को छोड़कर किसी अन्य विधानसभा में लीड नहीं मिल पाई। हालांकि सोहना से उन्हें जितनी उम्मीद थी, उससे कहीं ज्यादा वोट मिले हैं। बावल में रामपुरा हाउस का दबदबा होने के बावजूद राज बब्बर 63 हजार से ज्यादा वोट लेने में कामयाब रहे। गुरुग्राम सीट पर बीजेपी के राव इंद्रजीत सिंह ने लगातार चौथी बार जीत दर्ज की है। राव इंद्रजीत ने राज बब्बर को इस बार 70 हजार से ज्यादा वोटों से हराया है। पिछला चुनाव कैप्टन ने लड़ा, इस बार कटी टिकट
2019 में गुरुग्राम सीट पर कैप्टन अजय सिंह यादव ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन राव इंद्रजीत सिंह के सामने कैप्टन बुरी तरह हार गए थे। इस बार भी कैप्टन ने गुरुग्राम सीट पर दावेदारी ठोकी हुई थी। एक साल पहले ही चुनाव की तैयारी भी शुरू कर दी थी, लेकिन चुनाव से ठीक पहले टिकट कटने की आशंका के बीच कैप्टन ने एक तरह से विरोधी सुर अपना लिए थे। कैप्टन को भी अभास हो गया था कि इस बार उन्हें टिकट नहीं मिलेगी। आखिर में कांग्रेस हाईकमान ने कैप्टन की टिकट काटकर राज बब्बर को चुनावी मैदान में उतारा। इसके बाद कैप्टन ने प्रदेश की लीडरशिप पर सवाल खड़ कर दिए। हालांकि राज बब्बर ने खुद कैप्टन अजय को मनाया। कैप्टन भी अपने बेटे विधायक चिरंजीव के साथ प्रचार में उतर गए। रेवाड़ी से 36 हजार से ज्यादा वोटों से हारे
कैप्टन और चिरंजीव राव ने रेवाड़ी विधानसभा सीट पर राज बब्बर के लिए काफी जनसभाएं भी की। इतना ही नहीं प्रचार के अंतिम दौर में अपने गढ़ रेवाड़ी शहर में राज बब्बर का रोड शो भी निकलवाया, लेकिन जिस तरह की उम्मीद कांग्रेस पार्टी को रेवाड़ी सीट से थी, उसके अनुरूप यहां से कांग्रेस कैंडिडेट को बढ़त नहीं मिल पाई। राज बब्बर रेवाड़ी से 36 हजार से ज्यादा वोटों से हार गए। हरियाणा | दैनिक भास्कर