हरियाणा के लोक कलाकारों का रोहतक में अनोखा प्रदर्शन:ढोल की थाप पर नाच गाकर पहुंचे डीसी कार्यालय, बोले- जल्द मांग हो पूरी

हरियाणा के लोक कलाकारों का रोहतक में अनोखा प्रदर्शन:ढोल की थाप पर नाच गाकर पहुंचे डीसी कार्यालय, बोले- जल्द मांग हो पूरी

हरियाणा के लोक कलाकारों ने बुधवार को रोहतक में अनोखा प्रदर्शन किया। लोक कलाकार रोहतक के अंबेडकर चौक पर इकट्ठा हुए। यहां से सोनीपत स्टैंड होते हुए ढोल की थाप पर नाचते गाते हुए डीसी कार्यालय तक पहुंचे। जहां पर उन्होंने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा और कहा कि जल्द से जल्द उनकी मांगों को पूरा किया जाए। हरियाणा लोक कलाकार संगठन के चेयरमैन प्रदीप धामी, चीफ एडवाइजर राकेश सांवरिया, चीफ सेक्रेटरी नरेश कुंडू ने कहा कि हरियाणा की लोक संस्कृति ने देश-विदेश में प्रदेश का नाम रोशन किया है। अनेक लोक कलाकार अपनी कला को संरक्षित करने में लगे हुए हैं। लेकिन लोक कलाकारों को मुख्य धारा से सदा दूर रखने के कारण आज लोक कलाकार अपनी विद्याओं को छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं। इसका परिणाम यह हो रहा है कि बुजुर्ग लोक कलाकार अपनी विद्याओं को युवाओं को नहीं दे रहे। युवा इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर नहीं होने के कारण लोक कला को नहीं अपना रहे। उन्होंने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपते हुए मांग की कि लोक कलाकारों की इस अनदेखी को दूर किया जाए। घोषणा की गई पेंशन लागू हो
उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बुजुर्ग लोक कलाकारों की स्थिति को देखते हुए 10000 रुपए प्रतिमाह पेंशन लागू करने की घोषणा की थी, लेकिन यह केवल मात्र घोषणा बनकर रह गई, अभी तक लागू नहीं हुई। युवा लोक कलाकार आस छोड़ यह टकटकी लगाए बैठे हैं कि हमारे लिए भी कोई योजना आए, जिससे रोजगार की गारंटी मिले। उन्होंने कहा कि अगर सरकार लोक कलाकारों के लिए योजनाएं बनती है तो सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने को तैयार हैं। ये रखी मांग
उन्होंने मुख्यमंत्री के नाम दिए ज्ञापन में मांग की कि साँग विद्या के कलाकारों का मेहनताना 15 हजार से बढ़कर 50 हजार किया जाए। लोक कला को शिक्षा में विषय के रूप में शामिल किया जाए। 60 वर्ष से ऊपर के लोक कलाकारों की पेंशन लागू की जाए। 100 दिन की रोजगार गारंटी लागू की जाए। सांस्कृतिक विभागों के किसी भी कार्यक्रम का मेहनताना एक सप्ताह के अंदर दिया जाए। हरियाणा कला परिषद द्वारा प्रदेश के कलाकारों को दिया जाने वाला कार्य उनके मंडलों के माध्यम से दिया जाए। कलाकारों का रुका हुआ गीता जयंती व अन्य कार्यक्रमों का मेहनताना भुगतान किया जाए। सांस्कृतिक विभागों द्वारा कराए जाने वाले कार्यक्रमों में सांस्कृतिक दलों की प्रस्तुतियां ऑडियो पर ना करवाकर लाइव करवाई जाए, ताकि वाद्य यंत्र वादकों को भी विभागों से कम मिलता रहे। हरियाणा के लोक कलाकारों ने बुधवार को रोहतक में अनोखा प्रदर्शन किया। लोक कलाकार रोहतक के अंबेडकर चौक पर इकट्ठा हुए। यहां से सोनीपत स्टैंड होते हुए ढोल की थाप पर नाचते गाते हुए डीसी कार्यालय तक पहुंचे। जहां पर उन्होंने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा और कहा कि जल्द से जल्द उनकी मांगों को पूरा किया जाए। हरियाणा लोक कलाकार संगठन के चेयरमैन प्रदीप धामी, चीफ एडवाइजर राकेश सांवरिया, चीफ सेक्रेटरी नरेश कुंडू ने कहा कि हरियाणा की लोक संस्कृति ने देश-विदेश में प्रदेश का नाम रोशन किया है। अनेक लोक कलाकार अपनी कला को संरक्षित करने में लगे हुए हैं। लेकिन लोक कलाकारों को मुख्य धारा से सदा दूर रखने के कारण आज लोक कलाकार अपनी विद्याओं को छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं। इसका परिणाम यह हो रहा है कि बुजुर्ग लोक कलाकार अपनी विद्याओं को युवाओं को नहीं दे रहे। युवा इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर नहीं होने के कारण लोक कला को नहीं अपना रहे। उन्होंने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपते हुए मांग की कि लोक कलाकारों की इस अनदेखी को दूर किया जाए। घोषणा की गई पेंशन लागू हो
उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बुजुर्ग लोक कलाकारों की स्थिति को देखते हुए 10000 रुपए प्रतिमाह पेंशन लागू करने की घोषणा की थी, लेकिन यह केवल मात्र घोषणा बनकर रह गई, अभी तक लागू नहीं हुई। युवा लोक कलाकार आस छोड़ यह टकटकी लगाए बैठे हैं कि हमारे लिए भी कोई योजना आए, जिससे रोजगार की गारंटी मिले। उन्होंने कहा कि अगर सरकार लोक कलाकारों के लिए योजनाएं बनती है तो सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने को तैयार हैं। ये रखी मांग
उन्होंने मुख्यमंत्री के नाम दिए ज्ञापन में मांग की कि साँग विद्या के कलाकारों का मेहनताना 15 हजार से बढ़कर 50 हजार किया जाए। लोक कला को शिक्षा में विषय के रूप में शामिल किया जाए। 60 वर्ष से ऊपर के लोक कलाकारों की पेंशन लागू की जाए। 100 दिन की रोजगार गारंटी लागू की जाए। सांस्कृतिक विभागों के किसी भी कार्यक्रम का मेहनताना एक सप्ताह के अंदर दिया जाए। हरियाणा कला परिषद द्वारा प्रदेश के कलाकारों को दिया जाने वाला कार्य उनके मंडलों के माध्यम से दिया जाए। कलाकारों का रुका हुआ गीता जयंती व अन्य कार्यक्रमों का मेहनताना भुगतान किया जाए। सांस्कृतिक विभागों द्वारा कराए जाने वाले कार्यक्रमों में सांस्कृतिक दलों की प्रस्तुतियां ऑडियो पर ना करवाकर लाइव करवाई जाए, ताकि वाद्य यंत्र वादकों को भी विभागों से कम मिलता रहे।   हरियाणा | दैनिक भास्कर