हरियाणा में विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही प्रदेश के 1.20 लाख कर्मचारियों की नौकरी की सुरक्षा पर संकट मंडराने लगा है। सीएम नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में सरकारी विभागों, बोर्डों, निगमों और संस्थाओं में 5 साल से अधिक समय से कार्यरत 1.20 लाख अस्थायी कर्मचारियों को नौकरी की सुरक्षा देने के लिए अध्यादेश को मंजूरी दे दी गई। इसकी अधिसूचना 14 अगस्त को जारी कर दी गई। अगले दिन 15 अगस्त की छुट्टी थी और 16 अगस्त की शाम को आदर्श आचार संहिता लागू हो गई। इस वजह से अब 1.20 लाख कर्मचारियों को जॉब सिक्योरिटी मिलने में पेंच फंस गया है। इन 2 करणों से फंसा पेंच जॉब सिक्योरिटी फंसने के 2 कारण बताए जा रहे हैं। पहला कारण है कि अध्यादेश को कैसे लागू किया जाना था, उसको लेकर निर्देश जारी होने थे। ये अभी जारी नहीं हुए और अब अगर जारी करने होंगे तो पहले भारत निर्वाचन आयोग (ECI) से अनुमति लेनी होगी। इतनी जल्दी यह अनुमति मिलना मुश्किल होता है। दूसरा कारण यह है, कि आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद सामान्य तौर पर संबंधित अफसर इस तरह के आदेश जारी करने से बचते हैं। उन्हें पता होता है कि इस तरह के मामलों में कंट्रोवर्सी तैयार हो जाती है। एक्सटेंशन लेक्सर्च की भी जॉब सिक्योरिटी लटकी आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने के कारण सरकारी कॉलेजों में कार्यरत एक्सटेंशन लेक्चरर्स को जॉब सिक्योरिटी देने का जो अध्यादेश 17 अगस्त को होने वाली मंत्रिमंडल की बैठक में लाया जाना था , अब वह भी नहीं लाया जा सकेगा । इसलिए उनके लिए कोई एक्ट नहीं बन पाएगा। चूंकि एक्सटेंशन लेक्चरर्स के लिए एक्ट नहीं बन पाएगा तो यूनिवर्सिटीज में कार्यरत सहायक प्रोफेसरों को भी कोई भी जॉब सिक्योरिटी नहीं मिल पाएगी। हड़ताल पर चल रहे NHM के कर्मचारियों को भी अब कोई राहत सरकार नहीं दे पाएगी। हुड्डा ने 2014 में बनाई थी रेगुलराइजेशन पॉलिसी साल 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार ने जून, 2014 में रेगुलराइजेशन पॉलिसीज जारी कर दी थी, ताकि समय रहते संबंधित अफसर संबंधित पात्र कर्मचारियों को रेगुलर करने का आदेश पारित कर दें। इसके बावजूद कुछ विभागों के अधिकारियों ने आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने की तिथि तक भी आदेश जारी नहीं किए थे। जिस कारण काफी संख्या में अस्थावी कर्मचारी रेगुलर होने से रह गए थे। आज तक वे अस्थायी ही चल रहे हैं। हरियाणा में विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही प्रदेश के 1.20 लाख कर्मचारियों की नौकरी की सुरक्षा पर संकट मंडराने लगा है। सीएम नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में सरकारी विभागों, बोर्डों, निगमों और संस्थाओं में 5 साल से अधिक समय से कार्यरत 1.20 लाख अस्थायी कर्मचारियों को नौकरी की सुरक्षा देने के लिए अध्यादेश को मंजूरी दे दी गई। इसकी अधिसूचना 14 अगस्त को जारी कर दी गई। अगले दिन 15 अगस्त की छुट्टी थी और 16 अगस्त की शाम को आदर्श आचार संहिता लागू हो गई। इस वजह से अब 1.20 लाख कर्मचारियों को जॉब सिक्योरिटी मिलने में पेंच फंस गया है। इन 2 करणों से फंसा पेंच जॉब सिक्योरिटी फंसने के 2 कारण बताए जा रहे हैं। पहला कारण है कि अध्यादेश को कैसे लागू किया जाना था, उसको लेकर निर्देश जारी होने थे। ये अभी जारी नहीं हुए और अब अगर जारी करने होंगे तो पहले भारत निर्वाचन आयोग (ECI) से अनुमति लेनी होगी। इतनी जल्दी यह अनुमति मिलना मुश्किल होता है। दूसरा कारण यह है, कि आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद सामान्य तौर पर संबंधित अफसर इस तरह के आदेश जारी करने से बचते हैं। उन्हें पता होता है कि इस तरह के मामलों में कंट्रोवर्सी तैयार हो जाती है। एक्सटेंशन लेक्सर्च की भी जॉब सिक्योरिटी लटकी आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने के कारण सरकारी कॉलेजों में कार्यरत एक्सटेंशन लेक्चरर्स को जॉब सिक्योरिटी देने का जो अध्यादेश 17 अगस्त को होने वाली मंत्रिमंडल की बैठक में लाया जाना था , अब वह भी नहीं लाया जा सकेगा । इसलिए उनके लिए कोई एक्ट नहीं बन पाएगा। चूंकि एक्सटेंशन लेक्चरर्स के लिए एक्ट नहीं बन पाएगा तो यूनिवर्सिटीज में कार्यरत सहायक प्रोफेसरों को भी कोई भी जॉब सिक्योरिटी नहीं मिल पाएगी। हड़ताल पर चल रहे NHM के कर्मचारियों को भी अब कोई राहत सरकार नहीं दे पाएगी। हुड्डा ने 2014 में बनाई थी रेगुलराइजेशन पॉलिसी साल 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार ने जून, 2014 में रेगुलराइजेशन पॉलिसीज जारी कर दी थी, ताकि समय रहते संबंधित अफसर संबंधित पात्र कर्मचारियों को रेगुलर करने का आदेश पारित कर दें। इसके बावजूद कुछ विभागों के अधिकारियों ने आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने की तिथि तक भी आदेश जारी नहीं किए थे। जिस कारण काफी संख्या में अस्थावी कर्मचारी रेगुलर होने से रह गए थे। आज तक वे अस्थायी ही चल रहे हैं। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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पूर्व मंत्री बीरेंद्र सिंह बोले-देवीलाल परिवार के पल्ले कुछ नहीं:कहा- दुष्यंत चौटाला रिजेक्ट हो चुका, लोकसभा में मां को 5 हजार वोट दिला पाया हरियाणा में पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह ने कहा कि देवीलाल परिवार के पल्ले राजनीति में अब कुछ भी नहीं रहा हैं। लोकसभा चुनाव में जजपा नेता पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला हिसार से लड़ीं अपनी मां नैना चौटाला को 5 हजार वोट भी नहीं दिला पाया। जनता ने दुष्यंत चौटाला को रिजेक्ट कर दिया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इनेलो, जेजेपी के नेता उचाना हलके में हमारी ताकत को कमजोर करने आ रहे हैं। आज दुष्यंत चौटाला को उचाना में लोग नहीं मिल रहे हैं। वह दादरी, बाढड़ा, भिवानी, सिरसा से लोगों को लेकर उचाना आ रहे हैं। चौधरी बीरेंद्र सिंह ने ये बातें जींद के उचाना में एक कार्यक्रम में कहीं। 90 टिकटों के लिए 2550 आवेदन आए
बीरेंद्र सिंह ने कहा कि कांग्रेस की 90 टिकटों के लिए 2550 आवेदन आए हैं। इन सब की बात सुनी जाएगी। अब तक पार्टी के महामंत्री 1500 टिकटार्थियों से बात भी कर चुके हैं। 26 अगस्त से स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक शुरू हो जाएगी। उससे पहले हरियाणा की जो चुनाव कमेटी है। वह सभी टिकटों के नाम की स्क्रीनिंग करके पैनल बनाकर भेजेगी। उन्होंने बताया कि 30 अगस्त तक स्क्रीनिंग कमेटी अपनी सिफारिश केंद्रीय चुनाव कमेटी को भेज देगी, उसके बाद टिकट घोषणा की जाएगी। जब कांग्रेस की टिकट घोषित हो जाएगी, तब युवा, महिला, किसान, मजदूर, व्यापारी सब कांग्रेस के साथ नजर आएंगे। प्रचंड बहुमत से कांग्रेस सत्ता में आएगी। बीरेंद्र सिंह कह चुके- बेटा लड़ेगा चुनाव
बीरेंद्र सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि- ”हमारा परिवार चुनाव लड़ेगा। बेटे ने उचाना विधानसभा से चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस में आवेदन किया है। यहां से मैं 5 बार विधायक रहा। एक बार मेरी पत्नी प्रेमलता विधायक रहीं। मैं समझता हूं कि उससे उपयुक्त कैंडिडेट नहीं है। मैंने भी ये समझा कि राजनीति के इस युग में युवाओं को और पार्टिसिपेट करने का मौका मिलना चाहिए।” अब जानिए क्या है उचाना सीट का विवाद
2019 के विधानसभा चुनावों से पहले दुष्यंत चौटाला ने INLD से अलग होकर अपनी JJP पार्टी बनाई थी। जींद की उचाना विधानसभा सीट से दुष्यंत चौटाला ने चुनाव लड़ था। यहां भाजपा की प्रत्याशी पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता को उन्होंने करीब 47 हजार वोटों से मात दी थी। 2019 में भाजपा को 40 सीट मिली थी। उन्होंने 10 सीट वाली जजपा के साथ गठबंधन कर हरियाणा में सरकार बना ली थी। बीरेंद्र सिंह ने कहा था- गठबंधन रहा तो पार्टी छोड़ दूंगा
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीरेंद्र सिंह ने जींद में ‘मेरी आवाज सुनो’ कार्यक्रम किया था। जिसमें उन्होंने कहा कि यदि पार्टी ने जननायक जनता पार्टी (JJP) से गठबंधन किया तो वह BJP को छोड़ देंगे। BJP को ये गलतफहमी है कि JJP उन्हें वोट दिलाएगी, जबकि सच्चाई ये है कि JJP काे तो खुद ही वोट नहीं मिलने वाले। वह BJP को क्या दिलवाएगी। इसके बाद बीरेंद्र सिंह ने बीजेपी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। हालांकि उसके बाद भाजपा और जजपा का भी गठबंधन टूट गया। देवीलाल कुनबे के अधिकतर सदस्य राजनीति में सक्रिय ताऊ देवीलाल के 4 बेटे हैं। इसमें ओमप्रकाश चौटाला, प्रताप चौटाला, रणजीत चौटाला और जगदीश चौटाला है। चारों की ही राजनीतिक राहें अलग-अलग हैं। ओमप्रकाश चौटाला हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके हैं जबकि रणजीत चौटाला विधायक रह चुके हैं। इसी तरह, ओमप्रकाश चौटाला के छोटे बेटे अभय चौटाला विधायक हैं। ओमप्रकाश चौटाला के बड़े बेटे अजय सिंह चौटाला की पत्नी नैना चौटाला और बेटे दुष्यंत चौटाला विधायक हैं। देवीलाल के भतीजे डॉ. केवी सिंह के बेटे अमित सिहाग भी विधायक हैं।
पंचकूला में खेल मंत्री गौरव गौतम ने ली बैठक:अधिकारियों को दिए निर्देश; बोले- देश में हरियाणा का मतलब है खेल, इसको बरकरार रखें
पंचकूला में खेल मंत्री गौरव गौतम ने ली बैठक:अधिकारियों को दिए निर्देश; बोले- देश में हरियाणा का मतलब है खेल, इसको बरकरार रखें पंचकूला में खेल मंत्री गौरव गौतम ने कहा कि देश में हरियाणा का मतलब खेल है। जब भी विश्व के किसी कोने में किसी खेल का आयोजन होता है, तो देश भर की मेडल के लिए हरियाणा पर नजरें बनी रहती है। आगे भी ये स्थिति बरकरार बनाए रखने के लिए खेलों को ओर बेहतर बनाना है। बता दें कि खेल मंत्री गौरव गौतम आज पंचकूला के ताऊ देवीलाल खेल स्टेडियम में खेल विभाग के अधिकारियों की आयोजित पहली बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने विभाग की योजनाओं, सुविधाओं समेत विस्तृत जानकारी हासिल की। अधिकारियों को खेलों को बेहतर करने के सुझाव मांगे और सुधार के लिए निर्देश भी दिए। खेल मंत्री ने जिला खेल अधिकारियों को निर्देश दिए कि वो अपने जिले के सभी खेल स्टेडियमों, नर्सरियों और अन्य स्थलों का निरीक्षण करें। इन स्थानों पर जो खिलाड़ी कोचिंग ले रहे हैं, उनको मिलने वाली सुविधाओं का विशेष ध्यान रखें। खेलों की आउटपुट रिपोर्ट करें तैयार- गौतम उन्होंने कहा कि अधिकारी खेलों की आउटपुट रिपोर्ट तैयार करें। रिपोर्ट के साथ अपने सुझाव भी विभाग को भेजें। उन्होंने कहा कि रजिडेंशल अकादमी में खिलाड़ियों के रहने की सुविधा, साफ-सफाई की व्यवस्था और खाने की व्यवस्थाओं की जांच करें। उन्होंने निर्देश दिए कि इन अकादमियों का माहौल ऐसा होने चाहिए कि खिलाड़ियों को लगे कि वो अपने घर पर ही अभ्यास कर रहे हैं। गौरव गौतम ने नर्सरियों व स्टेडियमों में नियुक्त कोचों को कहा कि विभाग का आधार खिलाड़ी हैं। खिलाड़ियों और उनके परिजनों के साथ अच्छा व्यवहार होना चाहिए। शालीन भाषा से खिलाड़ियों को आगे बढ़ाएं।
सोनीपत में युवक को पीटा, कुकर्म की वीडियो बनाई:अवैध शराब पकड़वाने का शक; बेटी का डर दिखा सोसाइटी में बनाया बंधक
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