हरियाणा विधानसभा चुनाव में ड्यूटी कर रहे 18 रिटर्निंग ऑफिसर (RO) HCS ऑफिसरों को लेकर भारतीय चुनाव आयोग (ECI) अलर्ट हो गया है। हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) आईएएस पंकज अग्रवाल की ओर से इस मामले में सरकार से स्पष्टीकरण मांगा गया है। सीईओ ने कहा है कि यदि ऐसा है तो ऑफिसर्स के ट्रांसफर नियम से होने चाहिए। आरओ के अयोग्य होने की वजह उनकी 5 साल से कम HCS सर्विस का होना बताया जा रहा है। इसकी शिकायत भारतीय चुनाव आयोग (ECI) तक पहुंच गई थी। इस मामले की शिकायत प्रशासनिक मामलों के जानकार एडवोकेट हेमंत कुमार ने की थी। दरअसल, 2020 के पास आउट एचसीएस को रिटर्निंग ऑफिसर (RO) की जिम्मेदारी दी गई है। जबकि हरियाणा सरकार के एक आदेश में स्पष्ट उल्लेख है कि एसडीएम के पद के लिए 5 वर्ष से 15 वर्ष की सर्विस होनी चाहिए, या 4 वर्ष तक की सर्विस वाले आईएएस को एसडीएम लगाया जा सकता है, यानी चुनाव ड्यूटी की जिम्मेदारी देनी चाहिए। SDO(C)- SDM ही बनते हैं आरओ आज की डेट में हरियाणा में 2020 बैच के 18 HCS अर्थात 5 वर्ष से कम सर्विस वाले अधिकारियों, जो अभी सूबे के 18 उपमंडलों में बतौर SDO(C)- SDM तैनात होने के कारण उसके अंतर्गत पड़ने वाली विधानसभा सीटों के RO की जिम्मेदारी देख रहे हैं।चुनाव आयोग के प्रवक्ता का कहना है कि हमें अभी शिकायत मिल गई थी। उसके बाद ही सरकार से इस मामले कार्रवाई को कहा गया है। ये हैं वो HCS ऑफिसर जिनकी नियुक्ति पर उठ रहे सवाल जिन HCS ऑफिसर की चुनाव ड्यूटी को लेकर सवाल उठ रहे हैं उनमें मोहित कुमार (नारनौंद), हरबीर सिंह (हिसार), ज्योति (इसराना), अमित कुमार- सेकेंड (सोनीपत), मयंक भारद्वाज (बल्लभगढ़), जय प्रकाश (रादौर), रवींद्र मलिक (बेरी) ), प्रतीक हुड्डा (टोहाना), अमित मान (बड़खल), अमित (समालखा), रमित यादव (नांगल चौधरी) अमित कुमार- तृतीय (कनीना), अजय सिंह (कैथल), राजेश कुमार सोनी (घरौंडा) ), अमन कुमार (पेहोवा), गौरव चौहान (पंचकूला), नसीब कुमार (लाडवा) और विजय कुमार यादव (कोसली) के नाम शामिल हैं। इनकी तैनाती को लेकर आयोग में शिकायत भी भेजी गई है। हिसार के नए एसडीएम भी 2020 बैच के भारतीय चुनाव आयोग (ECI) के निर्देश पर हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव के कार्मिक विभाग द्वारा एक आदेश हिसार के उप-मंडल अधिकारी (नागरिक) अर्थात एसडीओ (सिविल) जिसे एसडीएम भी कहा जाता है के पद पर 2020 बैच के एचसीएस अधिकारी हरबीर सिंह की तैनाती की गई है, इससे पूर्व 2013 बैच के एचसीएस हिसार के SDM जगदीप ढांडा तैनात थे। पॉलिटिकल कनेक्शन होने के कारण उनका आयोग के निर्देश पर ट्रांसफर किया गया है। CS के इस ऑर्डर से फंसा पेंच प्रशासनिक मामलों के जानकार और हाईकोर्ट अधिवक्ता हेमंत कुमार ने बताया कि आज से करीब 4 साल पहले अक्टूबर, 2020 में प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव विजय (CS) वर्धन द्वारा HCS कैडर संख्या निर्धारण आदेश, जो मोजूदा तौर पर भी लागू है। क्योंकि आज तक इस ताज़ा आदेश जारी नहीं किया गया है। आदेश के अनुसार एसडीओ (सिविल) अर्थात एसडीएम के पदों को स्पष्ट तौर पर सीनियर स्केल और सिलेक्शन ग्रेड अर्थात 5 वर्ष से 15 वर्ष तक की एचसीएस सेवा वाले अधिकारियों के लिए दर्शाया गया है। चुनाव ड्यूटी में ट्रांसफर-पोस्टिंग जरूरी हेमंत ने बताया कि कोई संदेह नहीं कि एचसीएस अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग करने की पावर राज्य सरकार (CM) के पास होती है। लेकिन इसमें प्रशासनिक सिद्धांतों की अनुपालना आवश्यक है, ताकि ट्रांसफर-पोस्टिंग पर किसी प्रकार का कोई सवाल खड़ा न हो। यदि एचसीएस कैडर निर्धारण आदेश में स्पष्ट तौर पर मिनिमम 5 वर्ष की एचसीएस सेवा वाले अधिकारी को ही एसडीओ (सी)/एसडीएम पद के लिए योग्य माना गया है, तो इसकी सख्त अनुपालना की जानी चाहिए। विशेष तौर पर तब विधानसभा आम चुनाव के दृष्टिगत प्रदेश के उप-मंडलों में तैनात ऐसे एचसीएस अधिकारियों को भारतीय चुनाव आयोग द्वारा आरओ के तौर पर पदांकित किया गया हो। इसी के दृष्टिगत भारतीय चुनाव आयोग और मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ), हरियाणा को लिखित शिकायत भेजी गई है। हरियाणा विधानसभा चुनाव में ड्यूटी कर रहे 18 रिटर्निंग ऑफिसर (RO) HCS ऑफिसरों को लेकर भारतीय चुनाव आयोग (ECI) अलर्ट हो गया है। हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) आईएएस पंकज अग्रवाल की ओर से इस मामले में सरकार से स्पष्टीकरण मांगा गया है। सीईओ ने कहा है कि यदि ऐसा है तो ऑफिसर्स के ट्रांसफर नियम से होने चाहिए। आरओ के अयोग्य होने की वजह उनकी 5 साल से कम HCS सर्विस का होना बताया जा रहा है। इसकी शिकायत भारतीय चुनाव आयोग (ECI) तक पहुंच गई थी। इस मामले की शिकायत प्रशासनिक मामलों के जानकार एडवोकेट हेमंत कुमार ने की थी। दरअसल, 2020 के पास आउट एचसीएस को रिटर्निंग ऑफिसर (RO) की जिम्मेदारी दी गई है। जबकि हरियाणा सरकार के एक आदेश में स्पष्ट उल्लेख है कि एसडीएम के पद के लिए 5 वर्ष से 15 वर्ष की सर्विस होनी चाहिए, या 4 वर्ष तक की सर्विस वाले आईएएस को एसडीएम लगाया जा सकता है, यानी चुनाव ड्यूटी की जिम्मेदारी देनी चाहिए। SDO(C)- SDM ही बनते हैं आरओ आज की डेट में हरियाणा में 2020 बैच के 18 HCS अर्थात 5 वर्ष से कम सर्विस वाले अधिकारियों, जो अभी सूबे के 18 उपमंडलों में बतौर SDO(C)- SDM तैनात होने के कारण उसके अंतर्गत पड़ने वाली विधानसभा सीटों के RO की जिम्मेदारी देख रहे हैं।चुनाव आयोग के प्रवक्ता का कहना है कि हमें अभी शिकायत मिल गई थी। उसके बाद ही सरकार से इस मामले कार्रवाई को कहा गया है। ये हैं वो HCS ऑफिसर जिनकी नियुक्ति पर उठ रहे सवाल जिन HCS ऑफिसर की चुनाव ड्यूटी को लेकर सवाल उठ रहे हैं उनमें मोहित कुमार (नारनौंद), हरबीर सिंह (हिसार), ज्योति (इसराना), अमित कुमार- सेकेंड (सोनीपत), मयंक भारद्वाज (बल्लभगढ़), जय प्रकाश (रादौर), रवींद्र मलिक (बेरी) ), प्रतीक हुड्डा (टोहाना), अमित मान (बड़खल), अमित (समालखा), रमित यादव (नांगल चौधरी) अमित कुमार- तृतीय (कनीना), अजय सिंह (कैथल), राजेश कुमार सोनी (घरौंडा) ), अमन कुमार (पेहोवा), गौरव चौहान (पंचकूला), नसीब कुमार (लाडवा) और विजय कुमार यादव (कोसली) के नाम शामिल हैं। इनकी तैनाती को लेकर आयोग में शिकायत भी भेजी गई है। हिसार के नए एसडीएम भी 2020 बैच के भारतीय चुनाव आयोग (ECI) के निर्देश पर हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव के कार्मिक विभाग द्वारा एक आदेश हिसार के उप-मंडल अधिकारी (नागरिक) अर्थात एसडीओ (सिविल) जिसे एसडीएम भी कहा जाता है के पद पर 2020 बैच के एचसीएस अधिकारी हरबीर सिंह की तैनाती की गई है, इससे पूर्व 2013 बैच के एचसीएस हिसार के SDM जगदीप ढांडा तैनात थे। पॉलिटिकल कनेक्शन होने के कारण उनका आयोग के निर्देश पर ट्रांसफर किया गया है। CS के इस ऑर्डर से फंसा पेंच प्रशासनिक मामलों के जानकार और हाईकोर्ट अधिवक्ता हेमंत कुमार ने बताया कि आज से करीब 4 साल पहले अक्टूबर, 2020 में प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव विजय (CS) वर्धन द्वारा HCS कैडर संख्या निर्धारण आदेश, जो मोजूदा तौर पर भी लागू है। क्योंकि आज तक इस ताज़ा आदेश जारी नहीं किया गया है। आदेश के अनुसार एसडीओ (सिविल) अर्थात एसडीएम के पदों को स्पष्ट तौर पर सीनियर स्केल और सिलेक्शन ग्रेड अर्थात 5 वर्ष से 15 वर्ष तक की एचसीएस सेवा वाले अधिकारियों के लिए दर्शाया गया है। चुनाव ड्यूटी में ट्रांसफर-पोस्टिंग जरूरी हेमंत ने बताया कि कोई संदेह नहीं कि एचसीएस अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग करने की पावर राज्य सरकार (CM) के पास होती है। लेकिन इसमें प्रशासनिक सिद्धांतों की अनुपालना आवश्यक है, ताकि ट्रांसफर-पोस्टिंग पर किसी प्रकार का कोई सवाल खड़ा न हो। यदि एचसीएस कैडर निर्धारण आदेश में स्पष्ट तौर पर मिनिमम 5 वर्ष की एचसीएस सेवा वाले अधिकारी को ही एसडीओ (सी)/एसडीएम पद के लिए योग्य माना गया है, तो इसकी सख्त अनुपालना की जानी चाहिए। विशेष तौर पर तब विधानसभा आम चुनाव के दृष्टिगत प्रदेश के उप-मंडलों में तैनात ऐसे एचसीएस अधिकारियों को भारतीय चुनाव आयोग द्वारा आरओ के तौर पर पदांकित किया गया हो। इसी के दृष्टिगत भारतीय चुनाव आयोग और मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ), हरियाणा को लिखित शिकायत भेजी गई है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
Related Posts
रेवाड़ी में फॉरच्यूनर का शीशा तोड़ कैश चोरी:1.14 लाख रुपए और डेढ़ लाख का फोन चुराया; सोसाइट में घर के बाहर खड़ी थी कार
रेवाड़ी में फॉरच्यूनर का शीशा तोड़ कैश चोरी:1.14 लाख रुपए और डेढ़ लाख का फोन चुराया; सोसाइट में घर के बाहर खड़ी थी कार हरियाणा के रेवाड़ी शहर में एक सोसाइटी में घर के बाहर खड़ी फॉरच्यूनर कार का शीशा तोड़कर बदमाशों ने 1.14 लाख रुपए कैश और करीब डेढ़ लाख रुपए कीमत का मोबाइल फोन चुरा लिया। सुबह कार का शीशा टूटा हुआ देख वारदात का पता चला। मॉडल टाउन थाना पुलिस ने चोरी का केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है। मिली जानकारी के अनुसार, रेवाड़ी शहर के हूडा बाइपास स्थित सेक्टर-19 में अंसल टाउनशिप में रहने वाले सचिन यादव ने बताया कि वह खुद का बिजनेस करते हैं। उनकी फॉरच्यूनर कार HR 36 AP 6000 उनके भाई गुरूदत के नाम पर रजिस्टर्ड है। रोजाना की तरह उन्होंने अपनी कार को घर के बाहर खड़ा किया हुआ था। कैश और मोबाइल फोन चुराया रात के समय वह अपनी कार के अंदर ही 1 लाख 14 हजार रुपए और सेमसंग कंपनी का करीब डेढ़ लाख रुपए कीमत वाला फोन कार में भूल गए। सुबह जब वह कार के पास पहुंचे तो गाड़ी के पिछली साइड वाला शीशा टूटा हुआ था। इतना ही नहीं गाड़ी का डेसबोर्ड उखड़ा हुआ मिला। डेसबोर्ड में ही कैश और मोबाइल फोन रखा हुआ था। बदमाशों ने फोन और कैश चुरा लिया। सचिन ने तुरंत इसकी सूचना मॉडल टाउन थाना पुलिस को दी। सूचना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस टीम ने चोरी का केस दर्ज कर मामले में कार्रवाई शुरू कर दी है।
गुरूग्राम में राशन डिपो पर सीएम उडनदस्ते का छापा:जांच के दौरान कम मात्रा में मिला सामान, राशन नहीं देने की हुई थी शिकायत
गुरूग्राम में राशन डिपो पर सीएम उडनदस्ते का छापा:जांच के दौरान कम मात्रा में मिला सामान, राशन नहीं देने की हुई थी शिकायत गुरूग्राम में डिपो धारक विभागीय अधिकारियों से मिलीभगत कर गरीब लोगों का राशन डकारने में लगे हुए हैं। जिले में ऐसे डिपो धारकों पर मुख्यमंत्री उड़नदस्ता की टीम लगातार कार्रवाई कर रही है। बावजूद इसके डिपो धारक सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। इसी कड़ी में आज मुख्यमंत्री उडनदस्ता गुरुग्राम व खाद्य एवं पूर्ति विभाग की संयुक्त टीम द्वारा डिपो धारक, थाना क्षेत्र न्यू कालोनी में रूपेश डिपो होल्डर के सभी गोदामों पर छापेमारी की गई। काफी मात्रा में कम मिला सामान छापेमारी के दौरान डिपो धारक रूपेश डिपो होल्डर के 4 पीओएस के रिकॉर्ड अनुसार 9365 किलोग्राम (93.65 क्विंटल) गेंहू मात्रा से कम, 650 किलोग्राम (6.50 क्विंटल) चीनी मात्रा से कम, 46190 किलोग्राम (461.90 क्विंटल) बाजरा मात्रा से कम व 3931 लीटर सरसों का तेल मात्रा से कम पाये गये। जिसकी बाजार के भाव के अनुसार कीमत लगभग 25 लाख रूपये है। जिसके बाद जिला खाद्य आपूर्ति विभाग गुरुग्राम द्वारा जांच करने के उपरांत उपरोक्त डिपो धारक के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। पहले भी हुई थी छापेमारी डीएसपी देवेन्द्र सिंह मुख्यमंत्री उड़नदस्ता गुरुग्राम ने बताया कि उनकी टीम को एक सूचना मिली की डिपो होल्डर रूपेश के डिपो पर गरीब लोगों को राशन ठीक प्रकार से नहीं बांटा जा रहा था ओर इसमें भारी अनियमितता होने का अनुमान था। इस सूचना पर छापेमारी के दौरान डिपो होल्डर रूपेश मौके पर हाजिर मिला तथा उसने अपने सामने राशन डिपो की भौतिक जांच पड़ताल करवााई। उक्त राशन डिपो होल्डर रूपेश पर पहले भी मुख्यमंत्री उडनदस्ता द्वारा छापेमारी की जा चुकी है।
हरियाणा चुनाव में अकेले पड़े BJP मंत्री:गुप्ता ने कहा- राम-राम; चंद्रा बोले- क्या काम है, 5 साल बाद आई मेरी याद
हरियाणा चुनाव में अकेले पड़े BJP मंत्री:गुप्ता ने कहा- राम-राम; चंद्रा बोले- क्या काम है, 5 साल बाद आई मेरी याद हरियाणा की हिसार विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे डॉ. कमल गुप्ता चुनावी जंग में अकेले पड़ गए हैं। पहले जिंदल परिवार और अब पूर्व राज्यसभा सांसद सुभाष चंद्रा ने भी भाजपा के मंत्री का साथ छोड़ दिया है। पूर्व राज्यसभा सांसद ने खुद सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी है। सुभाष चंद्रा ने कहा कि मंत्री बनने के बाद कमल गुप्ता को 5 साल बाद मेरी याद आई। कम से कम वह मुझे तीज-त्योहार पर बधाई तो दे सकते हैं। हिसार की जनता भी भाजपा के मंत्री से नाराज है, इसलिए इस बार मैं मदद नहीं कर पाऊंगा। बता दें कि सुभाष चंद्रा बड़े कारोबारी और पूर्व राज्यसभा सांसद हैं। सुभाष चंद्रा ने 2014 के विधानसभा चुनाव में सावित्री जिंदल के खिलाफ डॉ. कमल गुप्ता की खुलकर मदद की थी और उन्हें चुनाव जिताया था। कमल गुप्ता के एक फैसले को पलटा तब से खटास
कमल गुप्ता और सुभाष चंद्रा के बीच रिश्ते उस समय खराब हो गए थे, जब चंद्रा ने विधायक के प्रोजेक्ट पर अड़ंगा लगा दिया था। दरअसल कमल गुप्ता ने हिसार में पारिजात चौक से बस स्टैंड तक का रूट ग्रोवर मार्केट से होते हुए पारिजात चौक से नागोरी गेट तक का रूट वन वे कर दिया था। डॉ. गुप्ता का तर्क था कि इससे जाम खत्म हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। शहर के व्यापारियों ने इसका विरोध किया और आरोप लगाया कि एक खास व्यक्ति को फायदा पहुंचाया जा रहा है। इसके बाद चंद्रा ने व्यापारियों का समर्थन किया। इसके बाद कमल गुप्ता को फैसला वापस लेना पड़ा। दूसरी ओर, चंद्रा ने 2018 में हिसार एयरपोर्ट पर बयान दिया था कि हिसार में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर मुख्यमंत्री को पूरी तरह गुमराह किया गया है। अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट ऐसे ही नहीं बन जाता। इसके लिए जरूरी है कि एयरपोर्ट पर विमानों की लगातार आवाजाही होती रहे। हिसार में अब तक ऐसा संभव नहीं हो पाया है। जब यहां से उड़ानें शुरू हो जाएंगी, उसके बाद सरकार को अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के लिए आवेदन कर देना चाहिए था। हिसार एयरपोर्ट भी डॉ. कमल गुप्ता का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है। इसलिए पड़ी सुभाष चंद्रा की जरूरत
2014 के विधानसभा चुनाव में कमल गुप्ता को पहली बार विधानसभा पहुंचाने में सुभाष चंद्रा की सबसे बड़ी भूमिका रही थी। यह अपनी तरह का पहला चुनाव था जिसे सुभाष चंद्रा ने जिंदल परिवार के खिलाफ पूरी ताकत से लड़ा था। उस समय कांग्रेस सरकार में मंत्री रहते हुए सावित्री जिंदल ने लगातार तीसरी बार हिसार से चुनाव लड़ा था। भाजपा ने उनके खिलाफ डॉ. कमल गुप्ता को मैदान में उतारा था। कमल गुप्ता के चुनाव की कमान सुभाष चंद्रा ने अपने हाथों में ली थी। इस चुनाव में चंद्रा की वजह से ही कमल गुप्ता सावित्री जिंदल को हराने में कामयाब हो पाए थे। 2019 में कमल गुप्ता कांग्रेस के रामनिवास राड़ा को हराकर दोबारा विधानसभा पहुंचने में कामयाब हो गए थे, लेकिन उन्होंने सुभाष चंद्रा से खुद को लगभग दूर कर लिया था। अब जब जिंदल परिवार कमल गुप्ता के खिलाफ चुनाव लड़ सकता है तो कमल गुप्ता को फिर चंद्रा की याद आ गई। सावित्री जिंदल ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का किया था ऐलान
हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने 67 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की थी। सूची जारी होते ही पार्टी में बगावत शुरू हो गई। कई पदाधिकारियों ने सोशल मीडिया पर इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद भाजपा से टिकट न मिलने पर सावित्री जिंदल ने हिसार से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। सावित्री जिंदल ने समर्थकों से कहा- मैं भाजपा की प्राथमिक सदस्य नहीं हूं। चुनाव न लड़ने की बात कहकर दिल्ली से लौटी थी, लेकिन आपका प्यार और विश्वास देखकर चुनाव लड़ूंगी। सावित्री प्रसिद्ध उद्योगपति और कुरुक्षेत्र से भाजपा सांसद नवीन जिंदल की मां हैं। चुनाव लड़ेंगी तो सावित्री जिंदल दे सकती हैं कड़ी टक्कर
सावित्री जिंदल अगर हिसार विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ती हैं तो वह अपने विरोधियों को कड़ी टक्कर दे सकती हैं। जिंदल परिवार 1991 से हिसार सीट से चुनाव लड़ता आ रहा है। सबसे पहले दिवंगत ओपी जिंदल ने चौधरी बंसीलाल की हरियाणा विकास पार्टी के टिकट पर हिसार से चुनाव लड़ा था और पहला ही चुनाव जीत गए थे। राजनीति के साथ-साथ जिंदल परिवार ने हिसार में स्कूल और अस्पताल जैसे सेवा के कई माध्यम खोले हैं। इसके अलावा हिसार में जिंदल इंडस्ट्रीज में कई स्थानीय लोगों को नौकरी दी गई है। ये सभी जिंदल हाउस से जुड़े हैं। जिंदल परिवार का कोर वोटर हिसार में है, जो जिंदल हाउस के आदेश पर ही काम करता है। डॉ. कमल गुप्ता मंत्री थे, लेकिन हिसार में उनके खिलाफ नाराजगी सामने आती रही। इसका फायदा सावित्री जिंदल को मिल सकता है।