हरियाणा के बजट साइज बढ़ने के साथ ही जिस तेजी से सूबे पर कर्ज बढ़ रहा है, उतनी तेजी के साथ सरकारी विभागों के अधिकारी बजट का पूरा इस्तेमाल भी नहीं कर पा रहे हैं। राज्य सरकार योजनाएं तो बना रही है, लेकिन सरकारी विभाग इन योजनाओं को ग्राउंड पर उतारने के लिए सरकार द्वारा दिए जाने वाले पैसे के खर्च को लेकर गंभीर नहीं है। कई सरकारी विभागों द्वारा बजट का इस्तेमाल नहीं किए जाने के कारण वह लैप्स हो रहा है। साल 2024-25 के हरियाणा के एक लाख 89 हजार करोड़ रुपए के बजट में करीब 25% पैसा कई सरकारी विभागों के द्वारा यूज नहीं किया गया है। इसे लेकर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भी नाराजगी जताई है। उन्होंने सीएमओ ऑफिस को भी इस पर एक बड़ा और प्रभावी प्लान बनाने के निर्देश दिए हैं। 24 विभाग बजट खर्च करने में फिसड्डी बजट लैप्स हो जाने का सबसे बड़ा नुकसान यह हो रहा है कि अगले बजट में सरकार इन विभागों को चिन्हित कर पहले से कम बजट आवंटित करती हैं। फिर कम बजट का रोना रोते हुए सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं होने में असमर्थता जता दी जाती है। राज्य के करीब पांच दर्जन बड़े सरकारी विभागों में 24 के आसपास ऐसे हैं जो अपने बजट का पूरा इस्तेमाल नहीं कर पाते। ऐसी स्थिति पिछले कई सालों से बनी हुई है। कुछ विभाग ऐसे भी हैं, जो अपना पूरा बजट खर्च करते हैं और सरकार से अतिरिक्त बजट मांगते हुए फिर संशोधित अनुमान विधानसभा में पेश करवाते हैं। तीसरी और चौथी तिमाही में खर्च करने में आती है दिक्कत सबसे ज्यादा दिक्कत बजट खर्च करने को तीसरी और चौथी तिमाही में आती है। चौथी तिमाही में 31 मार्च से पहले-पहले समस्त बजट को खर्च दिखाकर उसे शून्य पर लाने के कागजी आंकड़ों से सरकार का विजन, योजनाएं और भविष्य की परियोजनाओं का काम ऐसा प्रभावित होता है, जिसका सीधा असर प्रदेश की जनता पर पड़ता है। राज्य का बजट खर्च करने में स्वास्थ्य विभाग, शहरी निकाय विभाग, सिंचाई विभाग, वन एवं पर्यावरण संरक्षण विभाग, बागवानी विभाग, उद्योग एवं वाणिज्य विभाग तथा पर्यटन विभाग सबसे अधिक फिसड्डी है। सबसे ज्यादा खराब हालत पर्यटन विभाग की है। इस विभाग के पास पैसे की कमी नहीं है। पर्यटन का बुरा हाल पर्यटन विभाग अपनी स्वयं की योजनाएं बनाकर तथा नये टूरिस्ट पैलेस विकसित कर पैसों की ढेरी लगा सकता है। अधिकारियों में काम करने की इच्छा शक्ति पूरी तरह से मर चुकी है। चार दर्जन ऐसी साइट हैं, जो ऐतिहासिक विरासत से जुड़ी हैं, मगर उन्हें विकसित करने की दिशा में किसी का ध्यान नहीं है। प्रदेश में बिजली विभाग, प्राथमिक शिक्षा विभाग, आयुष विभाग, उच्च शिक्षा विभाग और पीडब्ल्यूडी का रिजल्ट भी बजट खर्च करने में अच्छा नहीं है। कैग रिपोर्ट में हो चुका खुलासा अधिकतर सरकारी विभाग वित्तीय वर्ष समाप्त होने के नजदीक आने के दौरान बजट को खर्च करने के नाम पर आनन-फानन में उसका उपयोग-दुरुपयोग करते हैं। विधानसभा में पेश होने वाली अधिकतर कैग की रिपोर्ट में सरकारी विभागों की इन्हीं अनियमितताओं को हर साल उजागर किया जाता है, मगर सरकारी विभागों के अधिकारी है कि अपनी कार्यप्रणाली में सुधार के लिए तैयार नहीं हो पाते। राज्य में शहरी निकाय विभाग ने तीसरी तिमाही तथा ग्रामीण एवं पंचायत विकास विभाग ने तीसरी व चौथी तिमाही तक जरूर पैसा खर्च करने में दरियादिली दिखाई है, मगर कई विभाग ऐसे हैं, जिन्होंने बजट की तीसरी तिमाही तक मात्र 45 प्रतिशत पैसा ही खर्च किया था, जिससे सरकार नाराज है। हरियाणा के बजट साइज बढ़ने के साथ ही जिस तेजी से सूबे पर कर्ज बढ़ रहा है, उतनी तेजी के साथ सरकारी विभागों के अधिकारी बजट का पूरा इस्तेमाल भी नहीं कर पा रहे हैं। राज्य सरकार योजनाएं तो बना रही है, लेकिन सरकारी विभाग इन योजनाओं को ग्राउंड पर उतारने के लिए सरकार द्वारा दिए जाने वाले पैसे के खर्च को लेकर गंभीर नहीं है। कई सरकारी विभागों द्वारा बजट का इस्तेमाल नहीं किए जाने के कारण वह लैप्स हो रहा है। साल 2024-25 के हरियाणा के एक लाख 89 हजार करोड़ रुपए के बजट में करीब 25% पैसा कई सरकारी विभागों के द्वारा यूज नहीं किया गया है। इसे लेकर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भी नाराजगी जताई है। उन्होंने सीएमओ ऑफिस को भी इस पर एक बड़ा और प्रभावी प्लान बनाने के निर्देश दिए हैं। 24 विभाग बजट खर्च करने में फिसड्डी बजट लैप्स हो जाने का सबसे बड़ा नुकसान यह हो रहा है कि अगले बजट में सरकार इन विभागों को चिन्हित कर पहले से कम बजट आवंटित करती हैं। फिर कम बजट का रोना रोते हुए सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं होने में असमर्थता जता दी जाती है। राज्य के करीब पांच दर्जन बड़े सरकारी विभागों में 24 के आसपास ऐसे हैं जो अपने बजट का पूरा इस्तेमाल नहीं कर पाते। ऐसी स्थिति पिछले कई सालों से बनी हुई है। कुछ विभाग ऐसे भी हैं, जो अपना पूरा बजट खर्च करते हैं और सरकार से अतिरिक्त बजट मांगते हुए फिर संशोधित अनुमान विधानसभा में पेश करवाते हैं। तीसरी और चौथी तिमाही में खर्च करने में आती है दिक्कत सबसे ज्यादा दिक्कत बजट खर्च करने को तीसरी और चौथी तिमाही में आती है। चौथी तिमाही में 31 मार्च से पहले-पहले समस्त बजट को खर्च दिखाकर उसे शून्य पर लाने के कागजी आंकड़ों से सरकार का विजन, योजनाएं और भविष्य की परियोजनाओं का काम ऐसा प्रभावित होता है, जिसका सीधा असर प्रदेश की जनता पर पड़ता है। राज्य का बजट खर्च करने में स्वास्थ्य विभाग, शहरी निकाय विभाग, सिंचाई विभाग, वन एवं पर्यावरण संरक्षण विभाग, बागवानी विभाग, उद्योग एवं वाणिज्य विभाग तथा पर्यटन विभाग सबसे अधिक फिसड्डी है। सबसे ज्यादा खराब हालत पर्यटन विभाग की है। इस विभाग के पास पैसे की कमी नहीं है। पर्यटन का बुरा हाल पर्यटन विभाग अपनी स्वयं की योजनाएं बनाकर तथा नये टूरिस्ट पैलेस विकसित कर पैसों की ढेरी लगा सकता है। अधिकारियों में काम करने की इच्छा शक्ति पूरी तरह से मर चुकी है। चार दर्जन ऐसी साइट हैं, जो ऐतिहासिक विरासत से जुड़ी हैं, मगर उन्हें विकसित करने की दिशा में किसी का ध्यान नहीं है। प्रदेश में बिजली विभाग, प्राथमिक शिक्षा विभाग, आयुष विभाग, उच्च शिक्षा विभाग और पीडब्ल्यूडी का रिजल्ट भी बजट खर्च करने में अच्छा नहीं है। कैग रिपोर्ट में हो चुका खुलासा अधिकतर सरकारी विभाग वित्तीय वर्ष समाप्त होने के नजदीक आने के दौरान बजट को खर्च करने के नाम पर आनन-फानन में उसका उपयोग-दुरुपयोग करते हैं। विधानसभा में पेश होने वाली अधिकतर कैग की रिपोर्ट में सरकारी विभागों की इन्हीं अनियमितताओं को हर साल उजागर किया जाता है, मगर सरकारी विभागों के अधिकारी है कि अपनी कार्यप्रणाली में सुधार के लिए तैयार नहीं हो पाते। राज्य में शहरी निकाय विभाग ने तीसरी तिमाही तथा ग्रामीण एवं पंचायत विकास विभाग ने तीसरी व चौथी तिमाही तक जरूर पैसा खर्च करने में दरियादिली दिखाई है, मगर कई विभाग ऐसे हैं, जिन्होंने बजट की तीसरी तिमाही तक मात्र 45 प्रतिशत पैसा ही खर्च किया था, जिससे सरकार नाराज है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
