हरियाणा के 3 लालों के 13 लाल मैदान में:चाचा-भतीजा, दादा-पोता, भाई-बहन आमने-सामने, 7 अलग-अलग सीट से रण में कूदे

हरियाणा के 3 लालों के 13 लाल मैदान में:चाचा-भतीजा, दादा-पोता, भाई-बहन आमने-सामने, 7 अलग-अलग सीट से रण में कूदे

हरियाणा के 3 लालों के 13 लाल विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमा रहे हैं। इसमें ताऊ देवीलाल, चौधरी बंसीलाल और भजनलाल का परिवार शामिल है। तीनों परिवार का हरियाणा की राजनीति में प्रदेश के गठन से लेकर आज तक दखल रहा है। इन तीनों परिवारों के बिना हरियाणा की राजनीति अधूरी मानी जाती है। यह परिवार समय के साथ अपना वजूद बचाने के लिए एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं। भजनलाल परिवार को छोड़ दिया जाए तो देवीलाल परिवार और बंसीलाल परिवार एक-दूसरे के आगे चुनाव लड़ता आया है। चौधरी देवीलाल देश के उप प्रधानमंत्री से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। वहीं चौधरी बंसीलाल और भजनलाल ने बारी-बारी प्रदेश पर राज किया। 2005 के बाद से इन तीनों परिवारों का कोई सदस्य मुख्यमंत्री की कुर्सी तक नहीं पहुंच पाया है। हालांकि भजनलाल परिवार और देवीलाल परिवार के पास डिप्टी सीएम के पद रहे। किंग मेकर की भूमिका में परिवार रहे। मगर सरकार के मुखिया नहीं बन पाए। देवीलाल परिवार आपस में लड़ रहा
चुनाव में देवीलाल परिवार के 8 सदस्य मैदान में हैं। अकेले डबवाली में 3 सदस्य आमने-सामने हैं। डबवाली में इनेलो से खड़े चाचा आदित्य चौटाला का मुकाबला 2 भतीजों दिग्विजय चौटाला और अमित सिहाग से है। दिग्विजय जजपा और अमित कांग्रेस से चुनावी रण में हैं। इसी तरह रानियां हलके में दादा रणजीत चौटाला के सामने पोता अर्जुन चौटाला मैदान में है। रणजीत चौटाला का भाजपा ने टिकट काट दिया था और अभ वह निर्दलीय लड़ रहे हैं। जबकि अर्जुन चौटाला इनेलो के प्रत्याशी हैं। वहीं अभय चौटाला ऐलनाबाद हलके से चुनाव लड़ रहे हैं। दुष्यंत उचाना और सुनैना चौटाला फतेहाबाद से मैदान में हैं। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में भी हिसार लोकसभा सीट पर चौटाला परिवार के सदस्यों ने 3 अलग-अलग पार्टियों भाजपा, जजपा और इनेलो से चुनाव लड़ा। तीनों ही चुनाव हार गए थे। इसमें चाचा ससुर रणजीत चौटाला, जेठानी नैना चौटाला और देवरानी सुनैना चौटाला में मुकाबला था। बंसी लाल परिवार: चचेरे भाई-बहन में मुकाबला
भिवानी जिले की तोशाम विधानसभा में चचेरे भाई-बहन में मुकाबला है। कांग्रेस की तरफ से बंसीलाल के बड़े बेटे रणबीर महेंद्रा के बेटे अनिरुद्ध चौधरी और बंसीलाल के छोटे बेटे सुरेंद्र सिंह की बेटी श्रुति चौधरी भाजपा से मैदान में है। श्रुति चौधरी और उनकी मां किरण चौधरी लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गईं थीं। किरण चौधरी भाजपा की राज्यसभा सांसद हैं। भजन लाल परिवार के 3 सदस्य चुनाव में
इस चुनाव में भजनलाल परिवार के 3 सदस्य मैदान में है। भजन लाल के बड़े बेटे चंद्रमोहन कांग्रेस में हैं और पंचकूला से चुनाव लड़ेंगे। इसके अलावा दुड़ाराम भाजपा में हैं और फतेहाबाद से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं भव्य बिश्नोई भाजपा की टिकट पर आदमपुर का गढ़ बचाने के लिए मैदान में है। आदमपुर 56 साल से बिश्नोई परिवार का गढ़ रहा है। यहां पहला चुनाव 1967 में चौधरी भजन लाल ने जीता था। तब से लेकर अब तक इस सीट पर भजन लाल परिवार ही लड़ता आया है। पहले भी आपस में लड़ता रहा है परिवार
1. 1998 लोकसभा चुनाव में परिवार आमने-सामने हो चुका है। बंसीलाल और उनके छोटे बेटे सुरेंद्र सिंह हरियाणा विकास पार्टी चला रहे थे। जबकि बंसीलाल के बड़े बेटे रणबीर महेंद्रा उस वक्त भी कांग्रेस में थे। 1998 के लोकसभा चुनाव के दौरान भिवानी लोकसभा सीट से सुरेंद्र सिंह हरियाणा विकास पार्टी के टिकट पर मैदान में उतरे। कांग्रेस ने उनके बड़े भाई रणबीर महेंद्रा को भिवानी सीट से टिकट दे दिया। इस चुनाव में जीत सुरेंद्र को मिली थी। महेंद्रा तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि देवीलाल के पोते अजय चौटाला दूसरे नंबर पर रहे थे। 2. इसी तरह से साल 2000 में रोड़ी विधानसभा सीट से पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला के सामने उनके ही छोटे भाई रणजीत सिंह ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा था। इसके बाद साल 2009 में डबवाली से अजय चौटाला इनेलो के प्रत्याशी थे तो उनके चचेरे भाई रवि चौटाला ने बतौर आजाद प्रत्याशी चुनाव लड़ा था। हरियाणा के 3 लालों के 13 लाल विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमा रहे हैं। इसमें ताऊ देवीलाल, चौधरी बंसीलाल और भजनलाल का परिवार शामिल है। तीनों परिवार का हरियाणा की राजनीति में प्रदेश के गठन से लेकर आज तक दखल रहा है। इन तीनों परिवारों के बिना हरियाणा की राजनीति अधूरी मानी जाती है। यह परिवार समय के साथ अपना वजूद बचाने के लिए एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं। भजनलाल परिवार को छोड़ दिया जाए तो देवीलाल परिवार और बंसीलाल परिवार एक-दूसरे के आगे चुनाव लड़ता आया है। चौधरी देवीलाल देश के उप प्रधानमंत्री से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। वहीं चौधरी बंसीलाल और भजनलाल ने बारी-बारी प्रदेश पर राज किया। 2005 के बाद से इन तीनों परिवारों का कोई सदस्य मुख्यमंत्री की कुर्सी तक नहीं पहुंच पाया है। हालांकि भजनलाल परिवार और देवीलाल परिवार के पास डिप्टी सीएम के पद रहे। किंग मेकर की भूमिका में परिवार रहे। मगर सरकार के मुखिया नहीं बन पाए। देवीलाल परिवार आपस में लड़ रहा
चुनाव में देवीलाल परिवार के 8 सदस्य मैदान में हैं। अकेले डबवाली में 3 सदस्य आमने-सामने हैं। डबवाली में इनेलो से खड़े चाचा आदित्य चौटाला का मुकाबला 2 भतीजों दिग्विजय चौटाला और अमित सिहाग से है। दिग्विजय जजपा और अमित कांग्रेस से चुनावी रण में हैं। इसी तरह रानियां हलके में दादा रणजीत चौटाला के सामने पोता अर्जुन चौटाला मैदान में है। रणजीत चौटाला का भाजपा ने टिकट काट दिया था और अभ वह निर्दलीय लड़ रहे हैं। जबकि अर्जुन चौटाला इनेलो के प्रत्याशी हैं। वहीं अभय चौटाला ऐलनाबाद हलके से चुनाव लड़ रहे हैं। दुष्यंत उचाना और सुनैना चौटाला फतेहाबाद से मैदान में हैं। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में भी हिसार लोकसभा सीट पर चौटाला परिवार के सदस्यों ने 3 अलग-अलग पार्टियों भाजपा, जजपा और इनेलो से चुनाव लड़ा। तीनों ही चुनाव हार गए थे। इसमें चाचा ससुर रणजीत चौटाला, जेठानी नैना चौटाला और देवरानी सुनैना चौटाला में मुकाबला था। बंसी लाल परिवार: चचेरे भाई-बहन में मुकाबला
भिवानी जिले की तोशाम विधानसभा में चचेरे भाई-बहन में मुकाबला है। कांग्रेस की तरफ से बंसीलाल के बड़े बेटे रणबीर महेंद्रा के बेटे अनिरुद्ध चौधरी और बंसीलाल के छोटे बेटे सुरेंद्र सिंह की बेटी श्रुति चौधरी भाजपा से मैदान में है। श्रुति चौधरी और उनकी मां किरण चौधरी लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गईं थीं। किरण चौधरी भाजपा की राज्यसभा सांसद हैं। भजन लाल परिवार के 3 सदस्य चुनाव में
इस चुनाव में भजनलाल परिवार के 3 सदस्य मैदान में है। भजन लाल के बड़े बेटे चंद्रमोहन कांग्रेस में हैं और पंचकूला से चुनाव लड़ेंगे। इसके अलावा दुड़ाराम भाजपा में हैं और फतेहाबाद से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं भव्य बिश्नोई भाजपा की टिकट पर आदमपुर का गढ़ बचाने के लिए मैदान में है। आदमपुर 56 साल से बिश्नोई परिवार का गढ़ रहा है। यहां पहला चुनाव 1967 में चौधरी भजन लाल ने जीता था। तब से लेकर अब तक इस सीट पर भजन लाल परिवार ही लड़ता आया है। पहले भी आपस में लड़ता रहा है परिवार
1. 1998 लोकसभा चुनाव में परिवार आमने-सामने हो चुका है। बंसीलाल और उनके छोटे बेटे सुरेंद्र सिंह हरियाणा विकास पार्टी चला रहे थे। जबकि बंसीलाल के बड़े बेटे रणबीर महेंद्रा उस वक्त भी कांग्रेस में थे। 1998 के लोकसभा चुनाव के दौरान भिवानी लोकसभा सीट से सुरेंद्र सिंह हरियाणा विकास पार्टी के टिकट पर मैदान में उतरे। कांग्रेस ने उनके बड़े भाई रणबीर महेंद्रा को भिवानी सीट से टिकट दे दिया। इस चुनाव में जीत सुरेंद्र को मिली थी। महेंद्रा तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि देवीलाल के पोते अजय चौटाला दूसरे नंबर पर रहे थे। 2. इसी तरह से साल 2000 में रोड़ी विधानसभा सीट से पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला के सामने उनके ही छोटे भाई रणजीत सिंह ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा था। इसके बाद साल 2009 में डबवाली से अजय चौटाला इनेलो के प्रत्याशी थे तो उनके चचेरे भाई रवि चौटाला ने बतौर आजाद प्रत्याशी चुनाव लड़ा था।   हरियाणा | दैनिक भास्कर