हरियाणा में जींद जिले के रहने वाले सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) में तैनात इंस्पेक्टर कुलदीप मलिक सोमवार को जम्मू कश्मीर के उधरमपुर के बसंतगढ़ इलाके में हुए आतंकी हमले में शहीद हो गए। कुलदीप के शहीद होने की सूचना मिलते ही गांव में मातम पसर गया। शहीद कुलदीप मलिक का पार्थिव शरीर आज दोपहर बाद गांव पहुंचने की उम्मीद है। इसके बाद उनका गांव में ही पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। DSP प्रमोट होने वाले थे कुलदीप मलिक निडानी गांव के रहने वाले थे। उनका परिवार फिलहाल दिल्ली रहता है। वह कुश्ती के नेशनल खिलाड़ी रह चुके हैं। 34 साल पहले वह खेल कोटे से CRPF में कॉन्स्टेबल भर्ती हुए थे। 54 वर्षीय कुलदीप मलिक जल्द ही DSP प्रमोट होने वाले थे। 2 बेटे, एक सेना तो दूसरा रेलवे पुलिस में उनके 2 भाई दिलबाग और सतपाल गांव में ही खेती करते हैं। कुलदीप के बड़े बेटे नवीन सेना में ड्राइवर के पद पर दिल्ली में तैनात हैं और छोटा बेटा संजय रेलवे पुलिस में अमृतसर में तैनात हैं। दोनों बेटे शादीशुदा हैं। कुलदीप की पत्नी का नाम लक्ष्मी देवी है। DIG बोले- ये हमारी ड्यूटी का पार्ट उधमपुर के DIG रईस मोहम्मद भट्ट ने कहा, ‘यह बहुत दुखद है लेकिन यह हमारी ड्यूटी का पार्ट है। यह जंगल वाला इलाका है, यहां सड़कें और नेटवर्क नहीं हैं। यहां हम कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। हम तकनीक और ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं और हम जल्द से जल्द खतरे को बेअसर करने की कोशिश कर रहे हैं।ऑपरेशन चल रहा है।’ हरियाणा में जींद जिले के रहने वाले सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) में तैनात इंस्पेक्टर कुलदीप मलिक सोमवार को जम्मू कश्मीर के उधरमपुर के बसंतगढ़ इलाके में हुए आतंकी हमले में शहीद हो गए। कुलदीप के शहीद होने की सूचना मिलते ही गांव में मातम पसर गया। शहीद कुलदीप मलिक का पार्थिव शरीर आज दोपहर बाद गांव पहुंचने की उम्मीद है। इसके बाद उनका गांव में ही पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। DSP प्रमोट होने वाले थे कुलदीप मलिक निडानी गांव के रहने वाले थे। उनका परिवार फिलहाल दिल्ली रहता है। वह कुश्ती के नेशनल खिलाड़ी रह चुके हैं। 34 साल पहले वह खेल कोटे से CRPF में कॉन्स्टेबल भर्ती हुए थे। 54 वर्षीय कुलदीप मलिक जल्द ही DSP प्रमोट होने वाले थे। 2 बेटे, एक सेना तो दूसरा रेलवे पुलिस में उनके 2 भाई दिलबाग और सतपाल गांव में ही खेती करते हैं। कुलदीप के बड़े बेटे नवीन सेना में ड्राइवर के पद पर दिल्ली में तैनात हैं और छोटा बेटा संजय रेलवे पुलिस में अमृतसर में तैनात हैं। दोनों बेटे शादीशुदा हैं। कुलदीप की पत्नी का नाम लक्ष्मी देवी है। DIG बोले- ये हमारी ड्यूटी का पार्ट उधमपुर के DIG रईस मोहम्मद भट्ट ने कहा, ‘यह बहुत दुखद है लेकिन यह हमारी ड्यूटी का पार्ट है। यह जंगल वाला इलाका है, यहां सड़कें और नेटवर्क नहीं हैं। यहां हम कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। हम तकनीक और ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं और हम जल्द से जल्द खतरे को बेअसर करने की कोशिश कर रहे हैं।ऑपरेशन चल रहा है।’ हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा की पूर्व महिला कप्तान का हॉकी से संन्यास:कुरुक्षेत्र के शाहाबाद से शुरू किया था सफर, पिता चलाते थे तांगा भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान रानी रामपाल ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर संन्यास का ऐलान कर दिया है। रानी रामपाल हरियाणा राज्य के कुरूक्षेत्र जिले के शाहाबाद कस्बे की रहने वाली है। जिन्होंने देश का नाम महिला हॉकी में अंतरराष्ट्रीय पटल पर चमकाने का काम किया है। रानी रामपाल का हॉकी करियर करीब 16 साल का रहा है। इस दौरान उन्होंने हॉकी में कई बड़े मुकाम हासिल किए। रानी रामपाल लगातार दो बार ओलिंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तानी भी कर चुकी है। पिता की मेहनत, नया आयाम स्थापित रानी रामपाल का जन्म कुरूक्षेत्र जिले के शाहबाद में 1994 में हुआ था। रानी रामपाल गरीब परिवार से आती हैं। उनके पिता रामपाल घोड़ा तांगा चलाते थे और अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे थे। जब रानी ने हॉकी खेलने की जिद की, तो परिवार के पास इतने पैसे नहीं थे कि वो रानी की जरूरतें पूरी कर सकें। उनके पिता ने तांगा चलाकर किसी तरह परिवार का गुजारा किया। पिता की मेहनत की बदौलत उन्होंने हॉकी में एक नया आयाम स्थापित किया। रानी की जिद के आगे झुका परिवार रानी रामपाल 7 वर्ष की आयु में हॉकी खेलना शुरू किया था। महिला हॉकी में शाहबाद हॉकी नर्सरी ने एक अलग ही मुकाम हासिल किया है और रानी रामपाल ने भी वहीं से अपने जीवन की शुरुआत की थी। शुरुआत में घरवालों ने उसको मना किया, लेकिन रानी ने तो ठान लिया था कि हॉकी खेलनी है। रानी की इस जिद के आगे उनके पिता को झुकना पड़ा और उन्होंने रानी को का एडमिशन अकादमी में करा दिया। कोच और कुछ खिलाड़ियों की मदद से उन्हें किट मिली और उन्होंने प्रैक्टिस शुरू कर दी। जैसे-जैसे वह खेलती गई, उसके खेल में निखार आता गया और वह पहले जिला स्तर पर, स्टेट स्तर पर, नेशनल और इंटरनेशनल तक का सफर तय किया। पहली बार 2009 में हुआ था चयन रानी रामपाल का भारतीय हॉकी टीम में पहली बार 2009 में चयन हुआ था। उस समय उनकी उम्र करीब 15 साल थी, 2009 में जर्मनी में जूनियर विश्व कप खेला था। जिसमें भारत ने कांस्य पदक जीता था। रानी पहली बार भारतीय टीम में खेल रहीं थी। इंग्लैंड के खिलाफ फाइनल मुकाबले में रानी ने तीन गोल करके अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया था। वो इस प्रतियोगिता में प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट थीं। यहां के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। रानी रामपाल ने इंटरनेशनल स्तर पर काफी लंबे समय तक खेला है। जिसके चलते उन्होंने 200 से ज्यादा इंटरनेशनल मैच खेले है। पद्म श्री और राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड से सम्मानित रानी रामपाल ने हॉकी में कहीं बड़े खिताब हासिल किए हैं। रानी को 2020 में पद्म श्री और राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड से भारत सरकार द्वारा नवाजा गया था। रानी की अगुआई में भारतीय टीम ने एशियन गेम्स और एशिया कप में मेडल जीता था। रानी की कप्तानी में भारतीय महिला हॉकी टीम टोक्यो ओलिंपिक में टीम चौथे नंबर पर रही। रानी रामपाल ने फर्ज से हर्ष का सफर तय किया है और भारतीय महिला हॉकी को विश्व के पटल पर एक नई पहचान देने का काम किया है।
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