हरियाणा में कृषि बीमा दावा भुगतान में गिरावट:कांग्रेस MP दीपेंद्र हुड्‌डा ने उठाए सवाल; बोले- किसानों की कमाई बीमा कंपनियां लूट रहीं

हरियाणा में कृषि बीमा दावा भुगतान में गिरावट:कांग्रेस MP दीपेंद्र हुड्‌डा ने उठाए सवाल; बोले- किसानों की कमाई बीमा कंपनियां लूट रहीं

हरियाणा के रोहतक से सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के अंतर्गत हरियाणा के किसानों के लिए कृषि बीमा दावों के भुगतान में आई 90% की भारी गिरावट को लेकर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि बीमा दावों के निपटान में भारी गिरावट किसानों के लिए गंभीर आर्थिक संकट पैदा कर सकती है, और योजना के प्रति उनके भरोसे को भी कमजोर करती है। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि फसल बीमा योजना किसानों के खून-पसीने की कमाई लूटकर निजी बीमा कंपनियों की तिजोरी भरो योजना बन गई है। सांसद द्वारा 4 फरवरी 2025 को लोकसभा में पूछे गए प्रश्न संख्या 431 के उत्तर में सरकार के आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत वर्ष 2022-23 में जहां 2,496.89 रुपए करोड़ का भुगतान हुआ, वहीं 2023-24 में यह गिरकर सिर्फ 224.43 करोड़ रुपए रह गया, जो 90% से अधिक की बड़ी गिरावट है। 15,504.87 करोड़ रुपए तक की गिरावट आई संसद में सरकार की तरफ से कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर द्वारा दिए गए जवाब के अनुसार, देशभर में किसानों को किए गए दावों के भुगतान में 2022-23 के 18,211.73 करोड़ रुपए से घटकर 2023-24 में 15,504.87 करोड़ रुपए तक की गिरावट आई है। कई राज्यों में यह गिरावट बेहद चिंताजनक है। हरियाणा के अलावा, राजस्थान 4,141.98 करोड़ रुपए (2022-23) से घटकर 2,066.02 करोड़ रुपए (2023-24); ओडिशा 568.01 करोड़ रुपए (2022-23) से घटकर 209.03 करोड़ रुपए (2023-24); मध्य प्रदेश 1,027.48 करोड़ रुपए (2022-23) से घटकर 565.28 करोड़ रुपए (2023-24) रह गया है। कंपनियां प्रीमियम लेती हैं, भुगतान नहीं करतीं दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि फसल नुकसान की गणना करने वाली समिति में किसानों का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। सरकार और बीमा कंपनियां मिलकर क्लेम निपटारे में मनमानी कर रही हैं, जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि हरियाणा के किसानों से बीमा कंपनियां प्रीमियम तो काट लेती हैं लेकिन जब मुआवजा देने की बारी आती है तो किसानों को दर- दर की ठोकर खानी पड़ती है। किसानों का योजना से भरोसा उठ रहा कांग्रेस सांसद ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों का भरोसा उठता जा रहा है। बीमा दावों के लंबित रहने के कारणों के रूप में राज्य सरकारों की अनुदान राशि में देरी, फसल उत्पादन के आंकड़ों में विसंगतियां और अन्य प्रक्रियात्मक बाधाएं बताई गई हैं, जिन्हें तत्काल सुलझाने की आवश्यकता है ताकि प्रभावित किसानों को उनका हक समय पर मिल सके। हरियाणा के रोहतक से सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के अंतर्गत हरियाणा के किसानों के लिए कृषि बीमा दावों के भुगतान में आई 90% की भारी गिरावट को लेकर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि बीमा दावों के निपटान में भारी गिरावट किसानों के लिए गंभीर आर्थिक संकट पैदा कर सकती है, और योजना के प्रति उनके भरोसे को भी कमजोर करती है। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि फसल बीमा योजना किसानों के खून-पसीने की कमाई लूटकर निजी बीमा कंपनियों की तिजोरी भरो योजना बन गई है। सांसद द्वारा 4 फरवरी 2025 को लोकसभा में पूछे गए प्रश्न संख्या 431 के उत्तर में सरकार के आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत वर्ष 2022-23 में जहां 2,496.89 रुपए करोड़ का भुगतान हुआ, वहीं 2023-24 में यह गिरकर सिर्फ 224.43 करोड़ रुपए रह गया, जो 90% से अधिक की बड़ी गिरावट है। 15,504.87 करोड़ रुपए तक की गिरावट आई संसद में सरकार की तरफ से कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर द्वारा दिए गए जवाब के अनुसार, देशभर में किसानों को किए गए दावों के भुगतान में 2022-23 के 18,211.73 करोड़ रुपए से घटकर 2023-24 में 15,504.87 करोड़ रुपए तक की गिरावट आई है। कई राज्यों में यह गिरावट बेहद चिंताजनक है। हरियाणा के अलावा, राजस्थान 4,141.98 करोड़ रुपए (2022-23) से घटकर 2,066.02 करोड़ रुपए (2023-24); ओडिशा 568.01 करोड़ रुपए (2022-23) से घटकर 209.03 करोड़ रुपए (2023-24); मध्य प्रदेश 1,027.48 करोड़ रुपए (2022-23) से घटकर 565.28 करोड़ रुपए (2023-24) रह गया है। कंपनियां प्रीमियम लेती हैं, भुगतान नहीं करतीं दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि फसल नुकसान की गणना करने वाली समिति में किसानों का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। सरकार और बीमा कंपनियां मिलकर क्लेम निपटारे में मनमानी कर रही हैं, जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि हरियाणा के किसानों से बीमा कंपनियां प्रीमियम तो काट लेती हैं लेकिन जब मुआवजा देने की बारी आती है तो किसानों को दर- दर की ठोकर खानी पड़ती है। किसानों का योजना से भरोसा उठ रहा कांग्रेस सांसद ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों का भरोसा उठता जा रहा है। बीमा दावों के लंबित रहने के कारणों के रूप में राज्य सरकारों की अनुदान राशि में देरी, फसल उत्पादन के आंकड़ों में विसंगतियां और अन्य प्रक्रियात्मक बाधाएं बताई गई हैं, जिन्हें तत्काल सुलझाने की आवश्यकता है ताकि प्रभावित किसानों को उनका हक समय पर मिल सके।   हरियाणा | दैनिक भास्कर