हरियाणा सरकार ने कबूतर बाजों पर नकेल कसने का मन बना लिया है। विधान सभा के बजट सत्र में ही इस आशय का बिल लाकर कानून बनाया जाएगा। यह संकेत मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी दे चुके हैं। इसके बाद कबूतरबाजी पर नकेल कसने के लिए प्रस्तावित कानून को लेकर बिल का मसौदा गृह विभाग ने मुख्यमंत्री को भेज दिया है। प्रदेश के गृह विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) सुमिता मिश्रा ने बताया कि इस सत्र में संशोधित बिल लाया जाएगा। इससे पहले भी विधानसभा में इस प्रकार के बिल पर चर्चा हो चुकी है और पास करके केंद्र को भेजा गया था, लेकिन खामियों के चलते इसे लौटा दिया गया। सुमिता मिश्रा ने बताया कि प्रदेश सरकार ने 26 कबूतर बाजों के खिलाफ केस दर्ज किए हैं। इसके अलावा सूबे के सभी जिला उपायुक्तों को कबूतर बाजों के खिलाफ सख्त रहने के निर्देश दिए हैं। केंद्र पहले एक्ट को कर चुका खारिज हरियाणा में पिछले साल गृह विभाग की ओर से कबूतरबाजों पर कार्रवाई के लिए रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन ऑफ दी ट्रैवल एजेंसी एक्ट (RRTAA) ड्राफ्ट तैयार किया गया था। जिसको दिसंबर में विधानसभा के विंटर सेशन में पेश किया गया था। हालांकि विधानसभा से पास होने के बाद इसको केंद्र सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था, लेकिन कुछ खामियों के कारण इसको वापस भेज दिया गया था। इसके बाद अब नए सिरे से गृह विभाग इसका मसौदा तैयार कर रहा है। एक्ट में ये थे कड़े प्रावधान हरियाणा रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन आफ दी ट्रैवल एजेंसी एक्ट (2024) में कबूतर बाजों पर शिकंजा कसने के लिए कई कड़े प्रावधान रखे गए थे। इस एक्ट के कई पहलू पंजाब की ओर से बनाए गए पंजाब ट्रैवल प्रोफेशनल्स रेगुलेशन एक्ट 2013 से लिए गए थे। इसमें ट्रैवल एजेंसी, जनरल सेल्स एजेंट, आइलेट्स कोचिंग सेंटर, पासपोर्ट और टिकटिंग सहित तमाम तरह की सेवाएं देने वालों को शामिल किया गया था ट्रैवल एजेंट के लिए 10 साल तक की सजा एक्ट के अनुसार इस तरह की सेवा देने के लिए सरकार से अधिकृत फीस चुकाकर लाइसेंस लेना जरूरी किया गया था। इस कानून के प्रभावी होने के बाद प्रदेश में कोई भी अनधिकृत तरीके से कहीं पर भी विदेश भेजने के नाम का दफ्तर नहीं खोल सकेगा। विधेयक में ट्रैवल एजेंटों के अनिवार्य रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य किया गया है और मानव तस्करी के अपराध के लिए 10 साल तक की कैद, 2 से 5 लाख रुपए का जुर्माना और संपत्तियों की कुर्की की कड़ी सजा का प्रावधान किया गया था। फर्जी दस्तावेज पर लोगों को विदेश भेजना भी शामिल है जिसे स्थानीय भाषा में ‘डंकी रूट’ कहा जाता है। प्रॉपर्टी कुर्क कर सकेगी कोर्ट अगर एजेंट आपराधिक गतिविधियों में लिप्त पाया जाता है या प्रमाण पत्र की शर्तों का उल्लंघन करता है या दिवालिया हो जाता है तो रजिस्ट्रेशन प्रमाणपत्र रद्द कर दिया जाएगा। विधेयक में यह भी प्रावधान था कि अदालत ट्रैवल एजेंटों के खिलाफ मामलों का फैसला करते समय उनकी अवैध रूप से अर्जित संपत्तियों को जब्त करने का आदेश भी दे सकती है। हरियाणा में अभी कोई सिस्टम नहीं विदेश भेजने के नाम पर दफ्तर चलाने वालों की मॉनिटरिंग करने के लिए हरियाणा सरकार में अभी किसी तरह का कोई लाइसेंस सिस्टम नहीं है। यही कारण है प्रदेश भर में आए दिन कबूतरबाजी के मामले सामने आ रहे हैं। पुलिस के आंकड़ों पर गौर करें तो प्रदेश में विदेश भेजने के नाम पर करीब 10 हजार छोटे-बड़े एजेंट आफिस खोलकर बैठे हैं, जो बड़े-बड़े दावे कर लोगों को लुभाने का काम कर रहे हैं। इनमें पुलिस के पास सबसे ज्यादा मामले अंबाला, यमुनानगर, कैथल, कुरुक्षेत्र, करनाल और पानीपत सरीखे जिलों से आ रहे हैं। हरियाणा सरकार ने कबूतर बाजों पर नकेल कसने का मन बना लिया है। विधान सभा के बजट सत्र में ही इस आशय का बिल लाकर कानून बनाया जाएगा। यह संकेत मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी दे चुके हैं। इसके बाद कबूतरबाजी पर नकेल कसने के लिए प्रस्तावित कानून को लेकर बिल का मसौदा गृह विभाग ने मुख्यमंत्री को भेज दिया है। प्रदेश के गृह विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) सुमिता मिश्रा ने बताया कि इस सत्र में संशोधित बिल लाया जाएगा। इससे पहले भी विधानसभा में इस प्रकार के बिल पर चर्चा हो चुकी है और पास करके केंद्र को भेजा गया था, लेकिन खामियों के चलते इसे लौटा दिया गया। सुमिता मिश्रा ने बताया कि प्रदेश सरकार ने 26 कबूतर बाजों के खिलाफ केस दर्ज किए हैं। इसके अलावा सूबे के सभी जिला उपायुक्तों को कबूतर बाजों के खिलाफ सख्त रहने के निर्देश दिए हैं। केंद्र पहले एक्ट को कर चुका खारिज हरियाणा में पिछले साल गृह विभाग की ओर से कबूतरबाजों पर कार्रवाई के लिए रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन ऑफ दी ट्रैवल एजेंसी एक्ट (RRTAA) ड्राफ्ट तैयार किया गया था। जिसको दिसंबर में विधानसभा के विंटर सेशन में पेश किया गया था। हालांकि विधानसभा से पास होने के बाद इसको केंद्र सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था, लेकिन कुछ खामियों के कारण इसको वापस भेज दिया गया था। इसके बाद अब नए सिरे से गृह विभाग इसका मसौदा तैयार कर रहा है। एक्ट में ये थे कड़े प्रावधान हरियाणा रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन आफ दी ट्रैवल एजेंसी एक्ट (2024) में कबूतर बाजों पर शिकंजा कसने के लिए कई कड़े प्रावधान रखे गए थे। इस एक्ट के कई पहलू पंजाब की ओर से बनाए गए पंजाब ट्रैवल प्रोफेशनल्स रेगुलेशन एक्ट 2013 से लिए गए थे। इसमें ट्रैवल एजेंसी, जनरल सेल्स एजेंट, आइलेट्स कोचिंग सेंटर, पासपोर्ट और टिकटिंग सहित तमाम तरह की सेवाएं देने वालों को शामिल किया गया था ट्रैवल एजेंट के लिए 10 साल तक की सजा एक्ट के अनुसार इस तरह की सेवा देने के लिए सरकार से अधिकृत फीस चुकाकर लाइसेंस लेना जरूरी किया गया था। इस कानून के प्रभावी होने के बाद प्रदेश में कोई भी अनधिकृत तरीके से कहीं पर भी विदेश भेजने के नाम का दफ्तर नहीं खोल सकेगा। विधेयक में ट्रैवल एजेंटों के अनिवार्य रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य किया गया है और मानव तस्करी के अपराध के लिए 10 साल तक की कैद, 2 से 5 लाख रुपए का जुर्माना और संपत्तियों की कुर्की की कड़ी सजा का प्रावधान किया गया था। फर्जी दस्तावेज पर लोगों को विदेश भेजना भी शामिल है जिसे स्थानीय भाषा में ‘डंकी रूट’ कहा जाता है। प्रॉपर्टी कुर्क कर सकेगी कोर्ट अगर एजेंट आपराधिक गतिविधियों में लिप्त पाया जाता है या प्रमाण पत्र की शर्तों का उल्लंघन करता है या दिवालिया हो जाता है तो रजिस्ट्रेशन प्रमाणपत्र रद्द कर दिया जाएगा। विधेयक में यह भी प्रावधान था कि अदालत ट्रैवल एजेंटों के खिलाफ मामलों का फैसला करते समय उनकी अवैध रूप से अर्जित संपत्तियों को जब्त करने का आदेश भी दे सकती है। हरियाणा में अभी कोई सिस्टम नहीं विदेश भेजने के नाम पर दफ्तर चलाने वालों की मॉनिटरिंग करने के लिए हरियाणा सरकार में अभी किसी तरह का कोई लाइसेंस सिस्टम नहीं है। यही कारण है प्रदेश भर में आए दिन कबूतरबाजी के मामले सामने आ रहे हैं। पुलिस के आंकड़ों पर गौर करें तो प्रदेश में विदेश भेजने के नाम पर करीब 10 हजार छोटे-बड़े एजेंट आफिस खोलकर बैठे हैं, जो बड़े-बड़े दावे कर लोगों को लुभाने का काम कर रहे हैं। इनमें पुलिस के पास सबसे ज्यादा मामले अंबाला, यमुनानगर, कैथल, कुरुक्षेत्र, करनाल और पानीपत सरीखे जिलों से आ रहे हैं। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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