प्रयागराज महाकुंभ से लौटे नागा साधुओं को धूल से एलर्जी हो गई है। यह बात आईएमएस बीएचयू के न्यूरोलॉजी विभाग की ओर से किए जा रहे जांच में सामने आई है। वहीं BHU की दूसरी टीम रिसर्च के लिए जेनेटिक्स टेस्ट के लिए सैंपल इकट्ठा कर रही है। यह टीम प्रतिदिन शाम 5 बजे तुलसी घाट से दशाश्वमेध घाट सैंपल ले रही है। न्यूरोलॉजी विभाग के प्रो. वीएन मिश्रा ने बताया- जांच के दौरान कई साधुओं के फेफड़े में इन्फेक्शन और एलर्जी की समस्या मिल रही है। महाकुंभ में करीब महीने भर तक प्रयागराज में गंगा किनारे रहने के बाद नागा साधु काशी आ रहे हैं। इनमें किसी को सर्दी-जुकाम है तो कोई एलर्जी से परेशान है। सभी की जांच की जा रही है। 200 से अधिक नागा संन्यासी का कर चुके हैं इलाज
प्रो. वीएन मिश्रा ने बताया- संगम किनारे रहने के दौरान रेत के कण शरीर में आ गए हैं। इससे उन्हें ये समस्या हो रही है। उन्होंने बताया-घाटवॉक के तहत नियमित ओपीडी चलाई जा रही है। अब तक करीब 200 से अधिक साधुओं को इसका लाभ पहुंचाया गया। मौके पर बीपी जांच व अन्य जरूरी जांच की जा रही है। दवा लेने से कर दे रहे इनकार
मौके पर डॉक्टरों की टीम भले ही नागा साधुओं को उनके बीमारी के बारे में बता रही है लेकिन 30% नागा साधु ऐसे भी हैं जो दवा लेने से इनकार करते रहे हैं। उनका कहना है कि भगवान शिव की साधना ही सबसे बड़ी दवा है इसलिए हमें किसी भी दवा की जरूरत नहीं है। एंटीबॉडी टेस्ट से पता चलेगा नागाओं का इम्यूनिटी
टीम में शामिल प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया- महाकुंभ में अमृत स्नान के कर नागा साधु काशी आये है। ऐसे में हम लोग इस रिसर्च को दो तरीके से कर रहे हैं। इस जिसमें एंटीबॉडी टेस्ट किया जा रहा है। जिससे ये पता चलेगा कि लोगों में कितनी इम्यूनिटी है। यह इम्यूनिटी कोविड के साथ अन्य रोगों से लड़ने के लिए भी हमारे शरीर को मदद करेगी। हमने कुछ नागा साधुओं से बात की आए जानते हैं उन्होंने क्या कहा
जूना अखाड़े के अजय पुरी महज 15 वर्ष की उम्र में सन्यासी हो गए। उन्होंने बताया कि शुरू से ही हमारे पिताजी साधु संतों की सेवा किया करते थे। पढ़ाई लिखाई के बाद हमें यह समझ में आया कि हम गृहस्थी नहीं संभाल पाएंगे। उसके बाद हमने नागा बनने का फैसला लिया। उन्होंने कहा- सनातन धर्म कठिनाइयों से गुजर रहा है। 10 साल तक बीजेपी सरकार रही तो अखंड भारत बन जाएगा। उन्होंने कहा कि हम सनातनी ही अन्य धर्म को शरण देते हैं। अभी कागजों में लिखना है और आने वाले समय में इन्हें लिखना ही पड़ेगा। काशी हमारा महत्वपूर्ण स्थान है। हम यहां भगवान शिव के साथ मसाने की होली खेलकर अपने स्थान पर चले जाएंगे। पानी बदलने से गला हो गया खराब
संतोष पुरी महराज ने कहा- प्रयागराज से महात्मा शिवरात्रि तक काशी आ जाएंगे और यहां हम लोग भव्य यात्रा निकालेंगे। उन्होंने कहा कि प्रयागराज में धूल उड़ रही थी। पानी बदलने से हमारे गले खराब हो गए हैं। कुछ स्वास्थ्य भी खराब हो गया है। यहां डॉक्टर साहब आकर दवा दे रहे हैं यह काफी अच्छी सेवा है। ………….. ये खबर भी पढ़िए… महाकुंभ में जबरदस्त भीड़, संगम आने वाले रास्ते जाम:अब तक 54 करोड़ ने डुबकी लगाई महाकुंभ में अब सिर्फ 8 दिन बचे हैं, लेकिन श्रद्धालुओं की भीड़ कम नहीं हो रही है। 37 दिनों में 54 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं। मंगलवार सुबह भी जबरदस्त भीड़ है। संगम आने वाले रास्तों पर लंबा जाम लगा है। पुलिस डायवर्जन के लिए टीन शेड लगा रहीं हैं। पढ़िए पूरी खबर प्रयागराज महाकुंभ से लौटे नागा साधुओं को धूल से एलर्जी हो गई है। यह बात आईएमएस बीएचयू के न्यूरोलॉजी विभाग की ओर से किए जा रहे जांच में सामने आई है। वहीं BHU की दूसरी टीम रिसर्च के लिए जेनेटिक्स टेस्ट के लिए सैंपल इकट्ठा कर रही है। यह टीम प्रतिदिन शाम 5 बजे तुलसी घाट से दशाश्वमेध घाट सैंपल ले रही है। न्यूरोलॉजी विभाग के प्रो. वीएन मिश्रा ने बताया- जांच के दौरान कई साधुओं के फेफड़े में इन्फेक्शन और एलर्जी की समस्या मिल रही है। महाकुंभ में करीब महीने भर तक प्रयागराज में गंगा किनारे रहने के बाद नागा साधु काशी आ रहे हैं। इनमें किसी को सर्दी-जुकाम है तो कोई एलर्जी से परेशान है। सभी की जांच की जा रही है। 200 से अधिक नागा संन्यासी का कर चुके हैं इलाज
प्रो. वीएन मिश्रा ने बताया- संगम किनारे रहने के दौरान रेत के कण शरीर में आ गए हैं। इससे उन्हें ये समस्या हो रही है। उन्होंने बताया-घाटवॉक के तहत नियमित ओपीडी चलाई जा रही है। अब तक करीब 200 से अधिक साधुओं को इसका लाभ पहुंचाया गया। मौके पर बीपी जांच व अन्य जरूरी जांच की जा रही है। दवा लेने से कर दे रहे इनकार
मौके पर डॉक्टरों की टीम भले ही नागा साधुओं को उनके बीमारी के बारे में बता रही है लेकिन 30% नागा साधु ऐसे भी हैं जो दवा लेने से इनकार करते रहे हैं। उनका कहना है कि भगवान शिव की साधना ही सबसे बड़ी दवा है इसलिए हमें किसी भी दवा की जरूरत नहीं है। एंटीबॉडी टेस्ट से पता चलेगा नागाओं का इम्यूनिटी
टीम में शामिल प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया- महाकुंभ में अमृत स्नान के कर नागा साधु काशी आये है। ऐसे में हम लोग इस रिसर्च को दो तरीके से कर रहे हैं। इस जिसमें एंटीबॉडी टेस्ट किया जा रहा है। जिससे ये पता चलेगा कि लोगों में कितनी इम्यूनिटी है। यह इम्यूनिटी कोविड के साथ अन्य रोगों से लड़ने के लिए भी हमारे शरीर को मदद करेगी। हमने कुछ नागा साधुओं से बात की आए जानते हैं उन्होंने क्या कहा
जूना अखाड़े के अजय पुरी महज 15 वर्ष की उम्र में सन्यासी हो गए। उन्होंने बताया कि शुरू से ही हमारे पिताजी साधु संतों की सेवा किया करते थे। पढ़ाई लिखाई के बाद हमें यह समझ में आया कि हम गृहस्थी नहीं संभाल पाएंगे। उसके बाद हमने नागा बनने का फैसला लिया। उन्होंने कहा- सनातन धर्म कठिनाइयों से गुजर रहा है। 10 साल तक बीजेपी सरकार रही तो अखंड भारत बन जाएगा। उन्होंने कहा कि हम सनातनी ही अन्य धर्म को शरण देते हैं। अभी कागजों में लिखना है और आने वाले समय में इन्हें लिखना ही पड़ेगा। काशी हमारा महत्वपूर्ण स्थान है। हम यहां भगवान शिव के साथ मसाने की होली खेलकर अपने स्थान पर चले जाएंगे। पानी बदलने से गला हो गया खराब
संतोष पुरी महराज ने कहा- प्रयागराज से महात्मा शिवरात्रि तक काशी आ जाएंगे और यहां हम लोग भव्य यात्रा निकालेंगे। उन्होंने कहा कि प्रयागराज में धूल उड़ रही थी। पानी बदलने से हमारे गले खराब हो गए हैं। कुछ स्वास्थ्य भी खराब हो गया है। यहां डॉक्टर साहब आकर दवा दे रहे हैं यह काफी अच्छी सेवा है। ………….. ये खबर भी पढ़िए… महाकुंभ में जबरदस्त भीड़, संगम आने वाले रास्ते जाम:अब तक 54 करोड़ ने डुबकी लगाई महाकुंभ में अब सिर्फ 8 दिन बचे हैं, लेकिन श्रद्धालुओं की भीड़ कम नहीं हो रही है। 37 दिनों में 54 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं। मंगलवार सुबह भी जबरदस्त भीड़ है। संगम आने वाले रास्तों पर लंबा जाम लगा है। पुलिस डायवर्जन के लिए टीन शेड लगा रहीं हैं। पढ़िए पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
महाकुंभ के धूल से नागा साधुओं को एलर्जी:BHU के डॉक्टरों की टीम इलाज में जुटी, जीन वैज्ञानिक कर रहे एंटीबॉडी टेस्ट
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