हरियाणा में तपस्या करते जान गंवाने वाले महंत की कहानी:ट्रक चलाते थे, पत्नी से अनबन पर घर छोड़ा, साधु बने, पिता आर्मी में थे

हरियाणा में तपस्या करते जान गंवाने वाले महंत की कहानी:ट्रक चलाते थे, पत्नी से अनबन पर घर छोड़ा, साधु बने, पिता आर्मी में थे

हरियाणा के चरखी दादरी जिले में खड़ी तपस्या कर रहे साधु मुख्तानाथ की मौत हो गई। यह साधु 41 दिन से तपस्या में लीन थे, जिसके लिए उन्होंने अन्न भी त्याग रखा था। खड़े होकर तपस्या करते हुए वह बेहोश होकर गिर पड़े, जिसके बाद दोबारा नहीं उठे। अब मुख्तानाथ की तपस्या और साधु बनने के पीछे की कहानी सामने आई है। उनके करीबियों ने बताया है कि मुख्तानाथ ट्रक चलाते थे। पत्नी से झगड़ा करने के बाद वह घर से चले गए थे। इसके बाद वह साधु बनकर लौटे। उनके 2 बच्चे हैं। पिता फौज में थे। दादरी जिले के नौसवां गांव के रहने वाले 52 वर्षीय मुख्तानाथ का असली नाम मुकेश कुमार है। इनके शव को पोस्टमॉर्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया गया है। पुलिस का कहना है कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत की सही वजह पता चलेगी। पहले जानिए मुकेश कुमार के मुख्तानाथ बनने की कहानी… अब 5 पॉइंट्स में पढ़िए उस तपस्या के बारे में, जिसमें साधु की मौत हुई… 1 मई से शुरू की थी तपस्या: अटेला नया के ग्रामीणों के मुताबिक, महंत ने जन कल्याण के लिए मंडालिया धाम में 1 मई को खड़े होकर तपस्या शुरू की थी, जो 10 जून तक चलनी थी। साधु ने 41 दिन की तपस्या का प्रण लिया था। इसकी शुरुआत के लिए छोटा सा कार्यक्रम भी किया गया था। मंदिर के कमरे में की गई तपस्या की व्यवस्था: ग्रामीणों के अनुसार, मंडालिया धाम के एक कमरे में महंत मुख्तानाथ की तपस्या की व्यवस्था की गई थी। वह एक ड्रम के सहारे दिन-रात खड़े होकर तपस्या करते थे। दिन के समय मंदिर परिसर में ही थोड़ा टहलते भी थे। बिना अन्न के चल रही थी तपस्या: लोगों ने बताया है कि मुख्तानाथ ने तपस्या के दौरान किसी तरह का अन्न ग्रहण न करने का व्रत लिया था। आहार के रूप में महंत केवल गाय का दूध, चाय और पानी पीते थे। मंगलवार को बेहोश होकर गिरे, मौत हुई: लोगों का कहना है कि मंगलवार को मुख्तानाथ की तपस्या का 21वां दिन था। दोपहर के समय वह ड्रम के सहारे खड़े होकर तपस्या कर रहे थे, कि अचानक बेहोश होकर गिर पड़े। उन्हें गिरता देख फौरन लोगों ने उन्हें संभाला और उनके मुंह पर पानी के छींटे मारे, लेकिन उन्होंने आंखें नहीं खोलीं। अस्पताल में महंत को मृत घोषित किया: इसके बाद लोगों ने डायल-112 पर कॉल किया। थोड़ी देर में पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने गाड़ी से महंत को सिविल अस्पताल पहुंचाया। यहां डॉक्टरों ने महंत को मृत बता दिया। बुधवार सुबह पुलिस ने सिविल अस्पताल में ही शव का पोस्टमॉर्टम करवाया और परिजनों को सौंप दिया। ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ यह खबर भी पढ़ें… हरियाणा में खड़ी तपस्या कर रहे महंत की मौत:41 दिन का व्रत लिया, केवल दूध पीते थे, 21वें दिन बेहोश होकर जमीन पर गिरे हरियाणा के चरखी दादरी में 21 दिन से खड़े होकर तपस्या कर रहे महंत की मौत हो गई है। बुधवार को सिविल अस्पताल में उनके शव का पोस्टमॉर्टम करवाकर परिजनों को सौंप दिया गया। पुलिस के अनुसार, महंत तपस्या करते हुए अचानक गिर पड़े थे। पूरी खबर पढ़ें… हरियाणा के चरखी दादरी जिले में खड़ी तपस्या कर रहे साधु मुख्तानाथ की मौत हो गई। यह साधु 41 दिन से तपस्या में लीन थे, जिसके लिए उन्होंने अन्न भी त्याग रखा था। खड़े होकर तपस्या करते हुए वह बेहोश होकर गिर पड़े, जिसके बाद दोबारा नहीं उठे। अब मुख्तानाथ की तपस्या और साधु बनने के पीछे की कहानी सामने आई है। उनके करीबियों ने बताया है कि मुख्तानाथ ट्रक चलाते थे। पत्नी से झगड़ा करने के बाद वह घर से चले गए थे। इसके बाद वह साधु बनकर लौटे। उनके 2 बच्चे हैं। पिता फौज में थे। दादरी जिले के नौसवां गांव के रहने वाले 52 वर्षीय मुख्तानाथ का असली नाम मुकेश कुमार है। इनके शव को पोस्टमॉर्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया गया है। पुलिस का कहना है कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत की सही वजह पता चलेगी। पहले जानिए मुकेश कुमार के मुख्तानाथ बनने की कहानी… अब 5 पॉइंट्स में पढ़िए उस तपस्या के बारे में, जिसमें साधु की मौत हुई… 1 मई से शुरू की थी तपस्या: अटेला नया के ग्रामीणों के मुताबिक, महंत ने जन कल्याण के लिए मंडालिया धाम में 1 मई को खड़े होकर तपस्या शुरू की थी, जो 10 जून तक चलनी थी। साधु ने 41 दिन की तपस्या का प्रण लिया था। इसकी शुरुआत के लिए छोटा सा कार्यक्रम भी किया गया था। मंदिर के कमरे में की गई तपस्या की व्यवस्था: ग्रामीणों के अनुसार, मंडालिया धाम के एक कमरे में महंत मुख्तानाथ की तपस्या की व्यवस्था की गई थी। वह एक ड्रम के सहारे दिन-रात खड़े होकर तपस्या करते थे। दिन के समय मंदिर परिसर में ही थोड़ा टहलते भी थे। बिना अन्न के चल रही थी तपस्या: लोगों ने बताया है कि मुख्तानाथ ने तपस्या के दौरान किसी तरह का अन्न ग्रहण न करने का व्रत लिया था। आहार के रूप में महंत केवल गाय का दूध, चाय और पानी पीते थे। मंगलवार को बेहोश होकर गिरे, मौत हुई: लोगों का कहना है कि मंगलवार को मुख्तानाथ की तपस्या का 21वां दिन था। दोपहर के समय वह ड्रम के सहारे खड़े होकर तपस्या कर रहे थे, कि अचानक बेहोश होकर गिर पड़े। उन्हें गिरता देख फौरन लोगों ने उन्हें संभाला और उनके मुंह पर पानी के छींटे मारे, लेकिन उन्होंने आंखें नहीं खोलीं। अस्पताल में महंत को मृत घोषित किया: इसके बाद लोगों ने डायल-112 पर कॉल किया। थोड़ी देर में पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने गाड़ी से महंत को सिविल अस्पताल पहुंचाया। यहां डॉक्टरों ने महंत को मृत बता दिया। बुधवार सुबह पुलिस ने सिविल अस्पताल में ही शव का पोस्टमॉर्टम करवाया और परिजनों को सौंप दिया। ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ यह खबर भी पढ़ें… हरियाणा में खड़ी तपस्या कर रहे महंत की मौत:41 दिन का व्रत लिया, केवल दूध पीते थे, 21वें दिन बेहोश होकर जमीन पर गिरे हरियाणा के चरखी दादरी में 21 दिन से खड़े होकर तपस्या कर रहे महंत की मौत हो गई है। बुधवार को सिविल अस्पताल में उनके शव का पोस्टमॉर्टम करवाकर परिजनों को सौंप दिया गया। पुलिस के अनुसार, महंत तपस्या करते हुए अचानक गिर पड़े थे। पूरी खबर पढ़ें…   हरियाणा | दैनिक भास्कर