हरियाणा में नगर निकाय चुनाव की तैयारी:SEC का सरकार को लेटर; मांगी वार्ड वाइज वोटर लिस्ट, 8 नगर निगम, 27 निकायों में होने हैं चुनाव

हरियाणा में नगर निकाय चुनाव की तैयारी:SEC का सरकार को लेटर; मांगी वार्ड वाइज वोटर लिस्ट, 8 नगर निगम, 27 निकायों में होने हैं चुनाव

हरियाणा में नगर निगम चुनाव को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है। राज्य चुनाव आयोग (SEC) ने सरकार इसको लेकर हरियाणा सरकार को लेटर लिखा है। इस लेटर में नगर निकाय चुनाव को लेकर वार्ड वाइज वोटर लिस्ट देने के लिए कहा है। वैसे हरियाणा में 8 नगर निगम सहित 27 निकायों में चुनाव होने हैं। लोकसभा चुनाव से पहले भी निकाय चुनाव को लेकर कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन सरकार की ओर से चुनाव आयोग को वार्ड बंदी की लिस्ट नहीं भेजी गई थी। जिसके कारण चुनाव नहीं हो पाए थे। अब संभावना यह जताई है कि विधानसभा चुनाव से पहले सरकार निकाय चुनाव को लेकर कोई फैसला ले सकती है। दिसंबर में खत्म हो चुका कार्यकाल हरियाणा में फरीदाबाद, गुरुग्राम और मानेसर नगर निगम का कार्यकाल काफी समय पहले पूरा हो चुका है। इन तीनों के चुनाव लंबे समय से लटके पड़े हैं। वहीं, हिसार, पानीपत, रोहतक, यमुनानगर, करनाल निगम का कार्यकाल दिसंबर में खत्म हो चुका है। कुछ अधिकारियों का कहना है कि सरकार आठों नगर निगम के चुनाव एक साथ करवाना चाहती है। ऐसे में निगम चुनाव विधानसभा के पहले भी करवाए जा सकते हैं। विधानसभा से पहले इसलिए सरकार ले सकती है फैसला लोकसभा चुनाव में हार का डेंट कम होगा हरियाणा में लोकसभा चुनाव में भाजपा को 5 सीटों का नुकसान हुआ है। 2019 के मुकाबले इस बार सिर्फ 5 सीटों पर ही भाजपा को जीत मिली है। पार्टी अभी इस परिणाम को एक डेंट के रूप में ही देख रही है। यदि निकाय चुनाव होते हैं और उसमें पार्टी को जीत मिलती है तो निश्चित तौर पर लोकसभा चुनाव की हार का डेंट कम होगा। लोकसभा चुनाव में शहरी सीटें ज्यादा जीतीं एक वजह यह भी है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को शहरी सीटों पर कांग्रेस के मुकाबले ज्यादा जीत मिली है। हरियाणा में कुल 23 शहरी सीटें हैं, इन सीटों पर बीजेपी ने 19 और कांग्रेस ने सिर्फ 4 सीटें जीती हैं। वहीं, शहरी ग्रामीण मिश्रित (कस्बों) की 7 सीटों में से बीजेपी ने 3 और कांग्रेस ने 4 सीटें जीती हैं। लोकसभा चुनाव के इन आंकड़ों को देखते हुए निकाय चुनाव में भाजपा को फायदा तय माना जा रहा है। विधानसभा चुनाव से पहले माहौल बनने का फायदा सूबे में यदि निकाय चुनाव में भाजपा को जीत मिलती है, तो विधानसभा से पहले पार्टी के पक्ष में माहौल बनेगा। जाहिर है कि इस जीत को पार्टी विधानसभा चुनाव में भुनाने की पूरी कोशिश करेगी। इसलिए सरकार चाहेगी कि विधानसभा चुनाव से पहले ही निकाय चुनाव करा दिए जाएं। इस चुनाव के लिए जरूरी वार्ड बंदी के काम को जल्दी कराने को लेकर सीएम नायब सैनी भी कोई बड़ा फैसला जल्दी कर सकते हैं। शहरी मतदाताओं को कई राहत दे पूर्व CM खट्‌टर पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्‌टर अपने कार्यकाल में शहरी मतदाताओं को कई राहत दे चुके हैं। सीएम शहरी क्षेत्रों में करीब 1500 कॉलोनियों को नियमित कर चुके हैं। पानी के बिलों व संपत्ति कर में भी राहत दे चुके हैं। फिलहाल अभी जिन इन आठों निगमों में चुनाव होने हैं उनमें से अधिकतर नगर निगम में भाजपा का दबदबा रहा है। हर जगह पार्टी के विधायक हैं, ऐसे में पार्टी की पूरी कोशिश रहेगी कि इन रियायतों का विधानसभा चुनाव से पहले लाभ लिया जाए। हरियाणा में नगर निगम चुनाव को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है। राज्य चुनाव आयोग (SEC) ने सरकार इसको लेकर हरियाणा सरकार को लेटर लिखा है। इस लेटर में नगर निकाय चुनाव को लेकर वार्ड वाइज वोटर लिस्ट देने के लिए कहा है। वैसे हरियाणा में 8 नगर निगम सहित 27 निकायों में चुनाव होने हैं। लोकसभा चुनाव से पहले भी निकाय चुनाव को लेकर कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन सरकार की ओर से चुनाव आयोग को वार्ड बंदी की लिस्ट नहीं भेजी गई थी। जिसके कारण चुनाव नहीं हो पाए थे। अब संभावना यह जताई है कि विधानसभा चुनाव से पहले सरकार निकाय चुनाव को लेकर कोई फैसला ले सकती है। दिसंबर में खत्म हो चुका कार्यकाल हरियाणा में फरीदाबाद, गुरुग्राम और मानेसर नगर निगम का कार्यकाल काफी समय पहले पूरा हो चुका है। इन तीनों के चुनाव लंबे समय से लटके पड़े हैं। वहीं, हिसार, पानीपत, रोहतक, यमुनानगर, करनाल निगम का कार्यकाल दिसंबर में खत्म हो चुका है। कुछ अधिकारियों का कहना है कि सरकार आठों नगर निगम के चुनाव एक साथ करवाना चाहती है। ऐसे में निगम चुनाव विधानसभा के पहले भी करवाए जा सकते हैं। विधानसभा से पहले इसलिए सरकार ले सकती है फैसला लोकसभा चुनाव में हार का डेंट कम होगा हरियाणा में लोकसभा चुनाव में भाजपा को 5 सीटों का नुकसान हुआ है। 2019 के मुकाबले इस बार सिर्फ 5 सीटों पर ही भाजपा को जीत मिली है। पार्टी अभी इस परिणाम को एक डेंट के रूप में ही देख रही है। यदि निकाय चुनाव होते हैं और उसमें पार्टी को जीत मिलती है तो निश्चित तौर पर लोकसभा चुनाव की हार का डेंट कम होगा। लोकसभा चुनाव में शहरी सीटें ज्यादा जीतीं एक वजह यह भी है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को शहरी सीटों पर कांग्रेस के मुकाबले ज्यादा जीत मिली है। हरियाणा में कुल 23 शहरी सीटें हैं, इन सीटों पर बीजेपी ने 19 और कांग्रेस ने सिर्फ 4 सीटें जीती हैं। वहीं, शहरी ग्रामीण मिश्रित (कस्बों) की 7 सीटों में से बीजेपी ने 3 और कांग्रेस ने 4 सीटें जीती हैं। लोकसभा चुनाव के इन आंकड़ों को देखते हुए निकाय चुनाव में भाजपा को फायदा तय माना जा रहा है। विधानसभा चुनाव से पहले माहौल बनने का फायदा सूबे में यदि निकाय चुनाव में भाजपा को जीत मिलती है, तो विधानसभा से पहले पार्टी के पक्ष में माहौल बनेगा। जाहिर है कि इस जीत को पार्टी विधानसभा चुनाव में भुनाने की पूरी कोशिश करेगी। इसलिए सरकार चाहेगी कि विधानसभा चुनाव से पहले ही निकाय चुनाव करा दिए जाएं। इस चुनाव के लिए जरूरी वार्ड बंदी के काम को जल्दी कराने को लेकर सीएम नायब सैनी भी कोई बड़ा फैसला जल्दी कर सकते हैं। शहरी मतदाताओं को कई राहत दे पूर्व CM खट्‌टर पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्‌टर अपने कार्यकाल में शहरी मतदाताओं को कई राहत दे चुके हैं। सीएम शहरी क्षेत्रों में करीब 1500 कॉलोनियों को नियमित कर चुके हैं। पानी के बिलों व संपत्ति कर में भी राहत दे चुके हैं। फिलहाल अभी जिन इन आठों निगमों में चुनाव होने हैं उनमें से अधिकतर नगर निगम में भाजपा का दबदबा रहा है। हर जगह पार्टी के विधायक हैं, ऐसे में पार्टी की पूरी कोशिश रहेगी कि इन रियायतों का विधानसभा चुनाव से पहले लाभ लिया जाए।   हरियाणा | दैनिक भास्कर