हरियाणा में करनाल जिले की असंध विधानसभा से कांग्रेस के पूर्व विधायक शमशेर सिंह गोगी ने कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया को बीजेपी का एजेंट बताया है। दैनिक भास्कर के साथ बातचीत में गोगी ने विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को मिली हार का जिम्मेदार दीपक बाबरिया को ही ठहराया है। गोगी ने कहा कि हरियाणा में चुनाव के दौरान कांग्रेस का कोई प्रभारी नहीं था। कांग्रेस ने बाबरिया को प्रभारी बनाया हुआ था, लेकिन मेरे हिसाब से वह BJP का एजेंट था। कांग्रेस का सत्यानाश होने में बाबरिया का भी बहुत बड़ा योगदान है। वहीं उन्होंने हुड्डा गुट द्वारा हाल ही में बनाई गई 8 सदस्यीय कमेटी के गठन को लेकर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि जो खुद ही हारे हुए हैं वे दूसरों की रिपोर्ट लेंगे, हाईकमान को इन्हीं से रिपोर्ट लेनी चाहिए, ये क्यों हारे? गोगी से की गई बातचीत के प्रमुख अंश… सवाल- क्या कांग्रेस के नेता आपको प्रदेश अध्यक्ष बनने देंगे? जवाब- मैं पार्टी का एक वफादार कार्यकर्ता हूं। मुझे प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए या नहीं, यह सिर्फ एक कल्पना है। पता नहीं क्या-क्या करेंगे लोग। फैसला हाईकमान का ही होगा। सब लोग मेरा समर्थन क्यों करेंगे? मेरा समर्थन वो लोग नहीं करेंगे जो लोग स्वार्थी हैं। क्योंकि मुझे सीधी बात करनी होती है। जो टिकट तक के कांग्रेसी होंगे उनको कभी मैं बढ़ावा नहीं दूंगा। जो कांग्रेस के लिए कांग्रेसी है उसी को बढ़ावा दिया जाएगा, बाकी के फैसले हाईकमान करेगा। सवाल- उदयभान द्वारा हाल ही में बनाई गई 8 सदस्यीय कमेटी पर आपकी क्या राय है? जवाब- मैंने कमेटी देखी है, लेकिन कमेटी की लिस्ट देखकर मुझे अच्छा नहीं लगा। कमेटी देखकर मुझे तो यही लगा कि अभी भी लीपापोती के प्रयास जारी हैं। जब फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की रिपोर्ट हाईकमान को पहले ही मिल चुकी है, तो यह कौन सी कमेटी है, जो जांच करेगी। इसमें तो आफताब को छोड़कर लगभग सभी हारे हुए कैंडिडेट हैं, इनसे जांच नहीं करवानी चाहिए, बल्कि इनसे तो रिपोर्ट लेनी चाहिए, ये क्यों हारे। सवाल- आपके हिसाब से पार्टी इस वक्त क्या गलती कर रही है? जवाब- जो लोग चुनाव लड़ रहे थे, उन्हीं के इशारे पर कमेटी बनाई जा रही है तो हार की समीक्षा कैसे होगी? सच्चाई को झुठलाने की कोशिश हो रही है। सच्चाई को मानकर आत्ममंथन करने की जरूरत है। सुधार करने की कोशिश तो हो ही नहीं रही। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने बनाई 8 सदस्यों की कमेटी
विधानसभा चुनाव में मिली हार के कारणों का पता लगाने के लिए हरियाणा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष चौधरी उदयभान ने एक कमेटी बनाई है। 8 सदस्यों की इस कमेटी के अध्यक्ष पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समधी करण सिंह दलाल हैं। कमेटी के सदस्यों में पार्टी के लीगल सेल के अध्यक्ष केसी भाटिया और नूंह के विधायक आफताब अहमद के अलावा चुनाव हारने वाले पांच नेता शामिल हैं। इनमें घरौंडा सीट से कैंडिडेट रहे वीरेंद्र राठौड़, बड़खल से कैंडिडेट रहे विजय प्रताप सिंह, पानीपत सिटी से चुनाव हारे वीरेंद्र बुल्ले शाह, दादरी सीट से उम्मीदवार रहीं डॉ. मनीषा सांगवान और सोनीपत जिले की खरखौदा सीट से चुनाव हारे पूर्व विधायक जयवीर वाल्मीकि शामिल हैं। उदयभान की कमेटी में भी दिखी गुटबाजी
चौधरी उदयभान की ओर से बनाई गई ये कमेटी भी नेताओं की गुटबाजी से अछूती नहीं रही। कमेटी के सभी मेंबर हुड्डा गुट से जुड़े हैं और इसमें कांग्रेस सांसद सैलजा से जुड़े किसी नेता को जगह नहीं दी गई। यही नहीं, सैलजा के मौजूदा संसदीय क्षेत्र सिरसा और पुराने क्षेत्र अंबाला से ताल्लुक रखने वाला कोई नेता भी इस कमेटी में शामिल नहीं किया गया। 5 नवंबर को हुई मीटिंग, अगली बैठक 9 को
मंगलवार (5 नवंबर) को दिल्ली में इस 8 सदस्यीय कमेटी की मीटिंग हुई। मीटिंग की अध्यक्षता हरियाणा के सह प्रभारी जितेंद्र बघेल और प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान ने की। मीटिंग में कमेटी के चेयरमैन करण सिंह दलाल भी मौजूद रहे। करीब डेढ़ घंटे चली मीटिंग में तय हुआ कि 9 नवंबर को दोपहर 12 बजे दिल्ली में दोबारा मीटिंग की जाएगी और इसमें चुनाव हारने वाले 53 नेताओं को बुलाया जाएगा। इन नेताओं से न केवल हार के कारण पूछे जाएंगे, बल्कि इनके सबूत भी मांगे जाएंगे। इन सबूतों का कांग्रेस की लीगल टीम अध्ययन करेगी और अदालत का दरवाजा खटखटाएगी। कांग्रेस हाईकमान ने भी बनाई थी फैक्ट फाइंडिंग कमेटी
उदयभान द्वारा बनाई गई कमेटी से पहले भी कांग्रेस हाईकमान हार की समीक्षा के लिए एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बना चुका है, इसमें हरियाणा के सभी नेताओं से वन टू वन बात की गई थी। इस कमेटी में छत्तीसगढ़ के पूर्व CM भूपेश बघेल और राजस्थान के कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी शामिल थे। कमेटी ने हरियाणा में चुनाव हारे 53 नेताओं से बातचीत की थी। हर नेता से 4 तरह के सवाल पूछे थे, जिसके बाद कमेटी ने इसकी लिखित रिपोर्ट तैयार की। उसमें EVM से ज्यादा चुनाव के बीच तालमेल की कमी और गुटबाजी की वजह सामने आई थी। हरियाणा में करनाल जिले की असंध विधानसभा से कांग्रेस के पूर्व विधायक शमशेर सिंह गोगी ने कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया को बीजेपी का एजेंट बताया है। दैनिक भास्कर के साथ बातचीत में गोगी ने विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को मिली हार का जिम्मेदार दीपक बाबरिया को ही ठहराया है। गोगी ने कहा कि हरियाणा में चुनाव के दौरान कांग्रेस का कोई प्रभारी नहीं था। कांग्रेस ने बाबरिया को प्रभारी बनाया हुआ था, लेकिन मेरे हिसाब से वह BJP का एजेंट था। कांग्रेस का सत्यानाश होने में बाबरिया का भी बहुत बड़ा योगदान है। वहीं उन्होंने हुड्डा गुट द्वारा हाल ही में बनाई गई 8 सदस्यीय कमेटी के गठन को लेकर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि जो खुद ही हारे हुए हैं वे दूसरों की रिपोर्ट लेंगे, हाईकमान को इन्हीं से रिपोर्ट लेनी चाहिए, ये क्यों हारे? गोगी से की गई बातचीत के प्रमुख अंश… सवाल- क्या कांग्रेस के नेता आपको प्रदेश अध्यक्ष बनने देंगे? जवाब- मैं पार्टी का एक वफादार कार्यकर्ता हूं। मुझे प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए या नहीं, यह सिर्फ एक कल्पना है। पता नहीं क्या-क्या करेंगे लोग। फैसला हाईकमान का ही होगा। सब लोग मेरा समर्थन क्यों करेंगे? मेरा समर्थन वो लोग नहीं करेंगे जो लोग स्वार्थी हैं। क्योंकि मुझे सीधी बात करनी होती है। जो टिकट तक के कांग्रेसी होंगे उनको कभी मैं बढ़ावा नहीं दूंगा। जो कांग्रेस के लिए कांग्रेसी है उसी को बढ़ावा दिया जाएगा, बाकी के फैसले हाईकमान करेगा। सवाल- उदयभान द्वारा हाल ही में बनाई गई 8 सदस्यीय कमेटी पर आपकी क्या राय है? जवाब- मैंने कमेटी देखी है, लेकिन कमेटी की लिस्ट देखकर मुझे अच्छा नहीं लगा। कमेटी देखकर मुझे तो यही लगा कि अभी भी लीपापोती के प्रयास जारी हैं। जब फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की रिपोर्ट हाईकमान को पहले ही मिल चुकी है, तो यह कौन सी कमेटी है, जो जांच करेगी। इसमें तो आफताब को छोड़कर लगभग सभी हारे हुए कैंडिडेट हैं, इनसे जांच नहीं करवानी चाहिए, बल्कि इनसे तो रिपोर्ट लेनी चाहिए, ये क्यों हारे। सवाल- आपके हिसाब से पार्टी इस वक्त क्या गलती कर रही है? जवाब- जो लोग चुनाव लड़ रहे थे, उन्हीं के इशारे पर कमेटी बनाई जा रही है तो हार की समीक्षा कैसे होगी? सच्चाई को झुठलाने की कोशिश हो रही है। सच्चाई को मानकर आत्ममंथन करने की जरूरत है। सुधार करने की कोशिश तो हो ही नहीं रही। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने बनाई 8 सदस्यों की कमेटी
विधानसभा चुनाव में मिली हार के कारणों का पता लगाने के लिए हरियाणा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष चौधरी उदयभान ने एक कमेटी बनाई है। 8 सदस्यों की इस कमेटी के अध्यक्ष पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समधी करण सिंह दलाल हैं। कमेटी के सदस्यों में पार्टी के लीगल सेल के अध्यक्ष केसी भाटिया और नूंह के विधायक आफताब अहमद के अलावा चुनाव हारने वाले पांच नेता शामिल हैं। इनमें घरौंडा सीट से कैंडिडेट रहे वीरेंद्र राठौड़, बड़खल से कैंडिडेट रहे विजय प्रताप सिंह, पानीपत सिटी से चुनाव हारे वीरेंद्र बुल्ले शाह, दादरी सीट से उम्मीदवार रहीं डॉ. मनीषा सांगवान और सोनीपत जिले की खरखौदा सीट से चुनाव हारे पूर्व विधायक जयवीर वाल्मीकि शामिल हैं। उदयभान की कमेटी में भी दिखी गुटबाजी
चौधरी उदयभान की ओर से बनाई गई ये कमेटी भी नेताओं की गुटबाजी से अछूती नहीं रही। कमेटी के सभी मेंबर हुड्डा गुट से जुड़े हैं और इसमें कांग्रेस सांसद सैलजा से जुड़े किसी नेता को जगह नहीं दी गई। यही नहीं, सैलजा के मौजूदा संसदीय क्षेत्र सिरसा और पुराने क्षेत्र अंबाला से ताल्लुक रखने वाला कोई नेता भी इस कमेटी में शामिल नहीं किया गया। 5 नवंबर को हुई मीटिंग, अगली बैठक 9 को
मंगलवार (5 नवंबर) को दिल्ली में इस 8 सदस्यीय कमेटी की मीटिंग हुई। मीटिंग की अध्यक्षता हरियाणा के सह प्रभारी जितेंद्र बघेल और प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान ने की। मीटिंग में कमेटी के चेयरमैन करण सिंह दलाल भी मौजूद रहे। करीब डेढ़ घंटे चली मीटिंग में तय हुआ कि 9 नवंबर को दोपहर 12 बजे दिल्ली में दोबारा मीटिंग की जाएगी और इसमें चुनाव हारने वाले 53 नेताओं को बुलाया जाएगा। इन नेताओं से न केवल हार के कारण पूछे जाएंगे, बल्कि इनके सबूत भी मांगे जाएंगे। इन सबूतों का कांग्रेस की लीगल टीम अध्ययन करेगी और अदालत का दरवाजा खटखटाएगी। कांग्रेस हाईकमान ने भी बनाई थी फैक्ट फाइंडिंग कमेटी
उदयभान द्वारा बनाई गई कमेटी से पहले भी कांग्रेस हाईकमान हार की समीक्षा के लिए एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बना चुका है, इसमें हरियाणा के सभी नेताओं से वन टू वन बात की गई थी। इस कमेटी में छत्तीसगढ़ के पूर्व CM भूपेश बघेल और राजस्थान के कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी शामिल थे। कमेटी ने हरियाणा में चुनाव हारे 53 नेताओं से बातचीत की थी। हर नेता से 4 तरह के सवाल पूछे थे, जिसके बाद कमेटी ने इसकी लिखित रिपोर्ट तैयार की। उसमें EVM से ज्यादा चुनाव के बीच तालमेल की कमी और गुटबाजी की वजह सामने आई थी। हरियाणा | दैनिक भास्कर