हरियाणा सरकार द्वारा नियुक्त किए गए सूचना आयुक्तों की नियुक्ति को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। हाईकोर्ट में इस मामले की आज (28 मई) सुनवाई होनी है। हरियाणा सरकार द्वारा पूर्व मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद को हरियाणा का मुख्य सूचना आयुक्त लगाया गया है। इसके अलावा अमरजीत सिंह, नीता खेड़ा, कर्मवीर सैनी व संजय मदान को सूचना आयुक्त लगाया गया। हाईकोर्ट के वकील जगमोहन भट्टी ने एक याचिका दायर करते हुए कहा है कि जिन व्यक्तियों को सूचना आयुक्त लगाया गया है वह हरियाणा के सत्तारूढ़ राजनीतिक दल से संबंधित हैं। यह संविधान के नियमों का उलंघन है। याचिका में इन नियुक्तियों पर तुरंत रोक लगाने की मांग की गई। हाईकोर्ट की रजिस्ट्री ब्रांच में भट्टी की याचिका में कुछ तकनीकी खामियां बता दी। जिसके बाद भट्टी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष पेश हुए और शपथ ग्रहण से पहले इस याचिका पर सुनवाई की मांग की। चीफ जस्टिस ने भट्टी के आग्रह पर सुनवाई बुधवार तक स्थगित कर दी। विवादों में हैं इस बार के सूचना आयुक्तों की नियुक्ति… भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष की बेटी प्रियंका धूपड़ की नियुक्ति का दरअसल, प्रियंका धूपड़ की नियुक्ति इस बार सरकार ने सूचना आयुक्त के पद पर की थी। जबकि एडवोकेट प्रियंका धूपड़ पर दो ऐसे आरोप लगे हैं, जिनसे वह विवादों में घिरी हुई हैं। पहला विवाद तब सामने आया जब उन्होंने दूसरी एडवोकेट मोनिका जैन से 18 लाख रुपए क्लर्क के जरिए लेने और उसे नहीं लौटाए। इस पर भिवानी बार एसोसिएशन ने उन्हें डी-बार कर दिया था। वहीं दूसरा विवाद में उन्होंने बच्ची के गैंगरेप केस वापसी का दबाव बनाया। यही वजह रही कि असम की बच्ची से गैंगरेप और छेड़छाड़ के मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और हरियाणा बाल संरक्षण आयोग ने अपनी एक रिपोर्ट 2021 में जारी की थी। रिपोर्ट में भिवानी से बाल कल्याण समिति की मेंबर प्रियंका धूपड़, जिला बाल कल्याण अधिकारी नरेंद्र और मनोज एलपीओ को निलंबित करने की सिफारिश की थी। नीता खेड़ा की नियुक्ति भी विवादों में आई हरियाणा सरकार ने शुक्रवार को 5 सूचना आयुक्तों के नियुक्ति आदेश जारी किए थे। इनमें रिटायर्ड HCS अधिकारी अमरजीत सिंह, कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए कर्मवीर सैनी, हरियाणा टैक्स बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष करनाल के संजय मदान, हरियाणा लोक सेवा आयोग की सदस्य रह चुकी नीता खेड़ा शामिल हैं। अंबाला कैंट की निवासी नीता खेड़ा अगस्त 2016 से अगस्त 2022 तक HPSC की सदस्य रह चुकी हैं। नियम के तहत नहीं हो सकती नियुक्ति नियमानुसार, संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की चेयरपर्सन या सदस्य अथवा राज्य लोक सेवा आयोग की चेयरपर्सन नियुक्त हो सकती हैं, परंतु केंद्र सरकार और हरियाणा सहित राज्य सरकार के अधीन किसी पद पर उनकी नियुक्ति नहीं हो सकती। इससे पहले, अप्रैल 2023 में डॉ. कुलबीर छिकारा को भी सूचना आयुक्त बनाया गया था, जो जून 2015 से जून 2021 तक एचपीएससी के सदस्य रह चुके हैं। सूचना आयुक्त के तौर पर उनका कार्यकाल अप्रैल 2026 तक है। कानूनी जानकार बोले- धारा 319(D) का उल्लंघन पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट और संवैधानिक मामलों के जानकार हेमंत कुमार के मुताबिक राज्य सूचना आयुक्त वैधानिक पद है जो संसद द्वारा अधिनियमित सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के अंतर्गत आता है।संविधान के अनुच्छेद 319 (डी) के अनुसार राज्य लोक सेवा आयोग के पूर्व सदस्य की ऐसे वैधानिक पद पर नियुक्ति नहीं की जा सकती है। अगर कोई नीता खेड़ा और यहां तक कि दो वर्षों से कार्यरत डॉ. कुलबीर छिकारा की सूचना आयुक्त के तौर पर नियुक्ति को हाई कोर्ट में चुनौती देता है तो अदालत दोनों की नियुक्ति को खारिज भी कर सकती है।सवा 2 लाख होगी सैलरी मौजूदा कानूनी प्रावधानों के अनुसार मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य सूचना आयुक्त का कार्यकाल पदभार संभालने से लेकर तीन वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है, जबकि वर्ष 2019 से पहले कार्यकाल की समय अवधि पांच वर्ष हुआ करती थी। इन पदों का मासिक वेतन सवा दो लाख रुपए है। इसके अलावा सरकारी आवास-कोठी और गाड़ी की सुविधा भी सरकार देती है। राज्य सूचना आयोग में 10 सूचना आयुक्त लग सकते हैं, जबकि दो पद अभी खाली रह गए हैं। इन पदों के लिए 14 रिटायर्ड व कार्यरत आईएएस अधिकारियों समेत करीब साढ़े तीन सौ लोगों ने आवेदन किए थे। हरियाणा सरकार द्वारा नियुक्त किए गए सूचना आयुक्तों की नियुक्ति को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। हाईकोर्ट में इस मामले की आज (28 मई) सुनवाई होनी है। हरियाणा सरकार द्वारा पूर्व मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद को हरियाणा का मुख्य सूचना आयुक्त लगाया गया है। इसके अलावा अमरजीत सिंह, नीता खेड़ा, कर्मवीर सैनी व संजय मदान को सूचना आयुक्त लगाया गया। हाईकोर्ट के वकील जगमोहन भट्टी ने एक याचिका दायर करते हुए कहा है कि जिन व्यक्तियों को सूचना आयुक्त लगाया गया है वह हरियाणा के सत्तारूढ़ राजनीतिक दल से संबंधित हैं। यह संविधान के नियमों का उलंघन है। याचिका में इन नियुक्तियों पर तुरंत रोक लगाने की मांग की गई। हाईकोर्ट की रजिस्ट्री ब्रांच में भट्टी की याचिका में कुछ तकनीकी खामियां बता दी। जिसके बाद भट्टी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष पेश हुए और शपथ ग्रहण से पहले इस याचिका पर सुनवाई की मांग की। चीफ जस्टिस ने भट्टी के आग्रह पर सुनवाई बुधवार तक स्थगित कर दी। विवादों में हैं इस बार के सूचना आयुक्तों की नियुक्ति… भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष की बेटी प्रियंका धूपड़ की नियुक्ति का दरअसल, प्रियंका धूपड़ की नियुक्ति इस बार सरकार ने सूचना आयुक्त के पद पर की थी। जबकि एडवोकेट प्रियंका धूपड़ पर दो ऐसे आरोप लगे हैं, जिनसे वह विवादों में घिरी हुई हैं। पहला विवाद तब सामने आया जब उन्होंने दूसरी एडवोकेट मोनिका जैन से 18 लाख रुपए क्लर्क के जरिए लेने और उसे नहीं लौटाए। इस पर भिवानी बार एसोसिएशन ने उन्हें डी-बार कर दिया था। वहीं दूसरा विवाद में उन्होंने बच्ची के गैंगरेप केस वापसी का दबाव बनाया। यही वजह रही कि असम की बच्ची से गैंगरेप और छेड़छाड़ के मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और हरियाणा बाल संरक्षण आयोग ने अपनी एक रिपोर्ट 2021 में जारी की थी। रिपोर्ट में भिवानी से बाल कल्याण समिति की मेंबर प्रियंका धूपड़, जिला बाल कल्याण अधिकारी नरेंद्र और मनोज एलपीओ को निलंबित करने की सिफारिश की थी। नीता खेड़ा की नियुक्ति भी विवादों में आई हरियाणा सरकार ने शुक्रवार को 5 सूचना आयुक्तों के नियुक्ति आदेश जारी किए थे। इनमें रिटायर्ड HCS अधिकारी अमरजीत सिंह, कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए कर्मवीर सैनी, हरियाणा टैक्स बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष करनाल के संजय मदान, हरियाणा लोक सेवा आयोग की सदस्य रह चुकी नीता खेड़ा शामिल हैं। अंबाला कैंट की निवासी नीता खेड़ा अगस्त 2016 से अगस्त 2022 तक HPSC की सदस्य रह चुकी हैं। नियम के तहत नहीं हो सकती नियुक्ति नियमानुसार, संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की चेयरपर्सन या सदस्य अथवा राज्य लोक सेवा आयोग की चेयरपर्सन नियुक्त हो सकती हैं, परंतु केंद्र सरकार और हरियाणा सहित राज्य सरकार के अधीन किसी पद पर उनकी नियुक्ति नहीं हो सकती। इससे पहले, अप्रैल 2023 में डॉ. कुलबीर छिकारा को भी सूचना आयुक्त बनाया गया था, जो जून 2015 से जून 2021 तक एचपीएससी के सदस्य रह चुके हैं। सूचना आयुक्त के तौर पर उनका कार्यकाल अप्रैल 2026 तक है। कानूनी जानकार बोले- धारा 319(D) का उल्लंघन पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट और संवैधानिक मामलों के जानकार हेमंत कुमार के मुताबिक राज्य सूचना आयुक्त वैधानिक पद है जो संसद द्वारा अधिनियमित सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के अंतर्गत आता है।संविधान के अनुच्छेद 319 (डी) के अनुसार राज्य लोक सेवा आयोग के पूर्व सदस्य की ऐसे वैधानिक पद पर नियुक्ति नहीं की जा सकती है। अगर कोई नीता खेड़ा और यहां तक कि दो वर्षों से कार्यरत डॉ. कुलबीर छिकारा की सूचना आयुक्त के तौर पर नियुक्ति को हाई कोर्ट में चुनौती देता है तो अदालत दोनों की नियुक्ति को खारिज भी कर सकती है।सवा 2 लाख होगी सैलरी मौजूदा कानूनी प्रावधानों के अनुसार मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य सूचना आयुक्त का कार्यकाल पदभार संभालने से लेकर तीन वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है, जबकि वर्ष 2019 से पहले कार्यकाल की समय अवधि पांच वर्ष हुआ करती थी। इन पदों का मासिक वेतन सवा दो लाख रुपए है। इसके अलावा सरकारी आवास-कोठी और गाड़ी की सुविधा भी सरकार देती है। राज्य सूचना आयोग में 10 सूचना आयुक्त लग सकते हैं, जबकि दो पद अभी खाली रह गए हैं। इन पदों के लिए 14 रिटायर्ड व कार्यरत आईएएस अधिकारियों समेत करीब साढ़े तीन सौ लोगों ने आवेदन किए थे। हरियाणा | दैनिक भास्कर
