हरियाणा में तीन माह बाद अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर हलचल तेज हो गई हैं। कांग्रेस की तरफ से सभी 90 विधानसभा सीटों पर टिकट के लिए आवेदन मांगे गए हैं। आवेदन करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई हैं। लेकिन इससे दो दिन पहले तक ही 1 हजार से ज्यादा आवेदन आ चुके हैं। यानि एक सीट पर 10 से 15 दावेदार चुनाव लड़ने की दावेदारी पेश कर रहे हैं। बढ़ते आवेदन से कांग्रेस को भी अपने फेवर में माहौल नजर आने लगा हैं। हरियाणा कांग्रेस में दो स्तर पर आवेदन लिए जा रहे हैं। एक आवेदन प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ले रहे हैं, तो दूसरी तरफ सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा भी अपने समर्थकों से आवेदन मांग रही है, जिससे वह ज्यादा से ज्यादा समर्थकों को टिकट दिला सकें। दरअसल, हरियाणा कांग्रेस में कई गुट बने हुए हैं। एक गुट पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा तो दूसरा कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला का है। कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला भी अपने समर्थकों को विधानसभा चुनाव में टिकट दिलाकर चुनाव लड़वाने की तैयारी में हैं। कांग्रेस के प्रदेश मीडिया प्रभारी चांदवीर हुड्डा ने बताया कि प्रभारी दीपक बाबरिया की तरफ से लिए जा रहे आवेदन की तिथि 31 जुलाई हैं। लोकसभा चुनाव रिजल्ट के बाद बढ़ी दावेदारी बता दें कि, हाल में हुए लोकसभा चुनाव में हरियाणा में कांग्रेस ने पिछले बार के चुनाव के मुकाबले अच्छी वापसी की है। साल 2019 के चुनाव के मुकाबले इस बार कांग्रेस के मतों में करीब 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। कांग्रेस ने पिछले चुनाव में एक भी लोकसभा सीट पर जीत हासिल नहीं की थी। इस बार के चुनाव में पांच लोकसभा सीटें जीतने के साथ ही कांग्रेस ने 46 विधानसभा सीटों पर भी बढ़त हासिल की। जिसके बाद से ही कांग्रेस के रणनीतिकार ही नहीं, बल्कि चुनाव लड़ने वाले नेता भी उत्साहित हैं। यहीं कारण है कि 90 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस की टिकट की चाह रखने वाले नेताओं की कतार लंबी हो चुकी हैं। भीतरघात का भी खतरा चुनाव लड़ने वाले नेताओं की कतार लंबी होने के साथ ही चुनाव के वक्त टिकट कटने पर कांग्रेस को भीतरघात का भी सामना करना पड़ सकता हैं। कांग्रेस में सबसे बड़ी मुसीबत गुटबाजी है। अगर हाईकमान गुटबाजी पर लगाम नहीं लगा पाया तो उनके खुद के नेता ही एक दूसरे का कांटा निकालने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। गुटबाजी के कारण ही कुलदीप बिश्नोई, किरण चौधरी शरीके कई सीनियर नेता पार्टी तक छोड़ चुके हैं। हालांकि कांग्रेस को अभी हरियाणा में खुद के फेवर में माहौल नजर आ रही है। इसी के कारण कांग्रेस के सीनियर नेता अपने ज्यादा से ज्यादा समर्थकों को टिकट दिलाने की चाहत रखे हुए हैं। हुड्डा और सैलजा दोनों अलग-अलग कर रहे यात्रा बता दें कि, विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा जहां हर जिले में जाकर धन्यवाद जनसभा कर रहे हैं, तो उनके सांसद बेटे दीपेंद्र हुड्डा ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ पदयात्रा के जरिए पूरे प्रदेश का भ्रमण कर रहे हैं। वहीं, दूसरी तरह हुड्डा की तरह सांसद कुमारी सैलजा ने कांग्रेस संदेश यात्रा शुरू कर दी है। इस यात्रा के जरिए सैलजा प्रदेश के शहरी क्षेत्रों का दौरा कर रही है। दोनों ही सीनियर नेता एक-दूसरे की यात्रा से दूरी बनाए हुए हैं। यहां तक की कई प्रोग्राम में तो इन दोनों ही नेताओं के समर्थक एक-दूसरे के होर्डिंग या फ्लैक्स पर फोटो तक नहीं लगाते। हरियाणा में तीन माह बाद अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर हलचल तेज हो गई हैं। कांग्रेस की तरफ से सभी 90 विधानसभा सीटों पर टिकट के लिए आवेदन मांगे गए हैं। आवेदन करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई हैं। लेकिन इससे दो दिन पहले तक ही 1 हजार से ज्यादा आवेदन आ चुके हैं। यानि एक सीट पर 10 से 15 दावेदार चुनाव लड़ने की दावेदारी पेश कर रहे हैं। बढ़ते आवेदन से कांग्रेस को भी अपने फेवर में माहौल नजर आने लगा हैं। हरियाणा कांग्रेस में दो स्तर पर आवेदन लिए जा रहे हैं। एक आवेदन प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ले रहे हैं, तो दूसरी तरफ सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा भी अपने समर्थकों से आवेदन मांग रही है, जिससे वह ज्यादा से ज्यादा समर्थकों को टिकट दिला सकें। दरअसल, हरियाणा कांग्रेस में कई गुट बने हुए हैं। एक गुट पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा तो दूसरा कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला का है। कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला भी अपने समर्थकों को विधानसभा चुनाव में टिकट दिलाकर चुनाव लड़वाने की तैयारी में हैं। कांग्रेस के प्रदेश मीडिया प्रभारी चांदवीर हुड्डा ने बताया कि प्रभारी दीपक बाबरिया की तरफ से लिए जा रहे आवेदन की तिथि 31 जुलाई हैं। लोकसभा चुनाव रिजल्ट के बाद बढ़ी दावेदारी बता दें कि, हाल में हुए लोकसभा चुनाव में हरियाणा में कांग्रेस ने पिछले बार के चुनाव के मुकाबले अच्छी वापसी की है। साल 2019 के चुनाव के मुकाबले इस बार कांग्रेस के मतों में करीब 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। कांग्रेस ने पिछले चुनाव में एक भी लोकसभा सीट पर जीत हासिल नहीं की थी। इस बार के चुनाव में पांच लोकसभा सीटें जीतने के साथ ही कांग्रेस ने 46 विधानसभा सीटों पर भी बढ़त हासिल की। जिसके बाद से ही कांग्रेस के रणनीतिकार ही नहीं, बल्कि चुनाव लड़ने वाले नेता भी उत्साहित हैं। यहीं कारण है कि 90 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस की टिकट की चाह रखने वाले नेताओं की कतार लंबी हो चुकी हैं। भीतरघात का भी खतरा चुनाव लड़ने वाले नेताओं की कतार लंबी होने के साथ ही चुनाव के वक्त टिकट कटने पर कांग्रेस को भीतरघात का भी सामना करना पड़ सकता हैं। कांग्रेस में सबसे बड़ी मुसीबत गुटबाजी है। अगर हाईकमान गुटबाजी पर लगाम नहीं लगा पाया तो उनके खुद के नेता ही एक दूसरे का कांटा निकालने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। गुटबाजी के कारण ही कुलदीप बिश्नोई, किरण चौधरी शरीके कई सीनियर नेता पार्टी तक छोड़ चुके हैं। हालांकि कांग्रेस को अभी हरियाणा में खुद के फेवर में माहौल नजर आ रही है। इसी के कारण कांग्रेस के सीनियर नेता अपने ज्यादा से ज्यादा समर्थकों को टिकट दिलाने की चाहत रखे हुए हैं। हुड्डा और सैलजा दोनों अलग-अलग कर रहे यात्रा बता दें कि, विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा जहां हर जिले में जाकर धन्यवाद जनसभा कर रहे हैं, तो उनके सांसद बेटे दीपेंद्र हुड्डा ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ पदयात्रा के जरिए पूरे प्रदेश का भ्रमण कर रहे हैं। वहीं, दूसरी तरह हुड्डा की तरह सांसद कुमारी सैलजा ने कांग्रेस संदेश यात्रा शुरू कर दी है। इस यात्रा के जरिए सैलजा प्रदेश के शहरी क्षेत्रों का दौरा कर रही है। दोनों ही सीनियर नेता एक-दूसरे की यात्रा से दूरी बनाए हुए हैं। यहां तक की कई प्रोग्राम में तो इन दोनों ही नेताओं के समर्थक एक-दूसरे के होर्डिंग या फ्लैक्स पर फोटो तक नहीं लगाते। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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