हरियाणा में बारिश के बाद अब ठंड की शुरुआत शुरू हो गई है। धीरे-धीरे न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज की जा रही है। शनिवार को हरियाणा का न्यूनतम तापमान हिसार में 17.1 डिग्री सेल्सियस रहा। जो सामान्य से 1.9 डिग्री सेल्सियस कम रहा। जिसकी वजह से रात के वक्त ठंड का अहसास होना शुरू हो गया है। इसके अलावा 4 जिले ऐसे रहे, जहां का न्यूनतम तापमान 17 डिग्री से कम रिकॉर्ड किया गया। इनमें करनाल, जींद, महेंद्रगढ़ और सोनीपत जिले शामिल हैं। इसके अलावा अधिकतम तापमान सिरसा में 36.5 डिग्री सेल्सियस रहा। जो सामान्य से 0.4 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा। बारिश के बाद हरियाणा में ठंड की शुरुआत मौसम विभाग के मुताबिक आने वाले दिनों में हरियाणा में मौसम शुष्क रहेगा। 15 अक्टूबर के बाद मौसम में थोड़ा बदलाव हो सकता है। पिछले 4-5 दिनों से तापमान घट रहा है, जिसके चलते लोगों को ठंड का अहसास हो रहा है। अधिकारिक तौर पर हरियाणा से मानसून की विदाई हो चुकी है। इस बार मानसून सीजन में सामान्य से 5 प्रतिशत बारिश कम हुई है। मौसम विभाग के मुताबिक अब मौसम साफ ही रहने की उम्मीद है। क्या बोले मौसम विशेषज्ञ ? हिसार के चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉक्टर एमएल खिचड़ ने बताया कि 15 अक्टूबर तक हरियाणा का मौसम शुष्क रहने की संभावना है। रात के वक्त ये और नीचे जाने की संभावना है। हल्की गति से उतर पश्चिम हवाएं चलने की संभावना है। शहर में वायु की गुणवत्ता खराब हो गई है। इस स्थिति में फेफड़े, अस्थमा और हृदय रोग से पीड़ित लोग को सांस लेने में तकलीफ हो सकती और पीड़ा झेलनी पड़ सकती है। प्रदेश के लिए अच्छा रहा मानसून राज्य में मानसून का प्रदर्शन अब तक संतोषजनक रहा है। कुल मिलाकर अब तक 424.6 मिमी बारिश के मुकाबले 406.4 मिमी बारिश दर्ज की गई है। जो सामान्य से महज 4% कम है। यानी बारिश का कोटा लगभग पूरा हो चुका है। दूसरी ओर, अगर जिले के हिसाब से बारिश की स्थिति देखें तो 10 जिले ऐसे हैं, जिनमें 10 से 38% कम बारिश दर्ज की गई है। 12 जिलों में सामान्य से 10 से 71% अधिक बारिश हुई है। 3 जिलों में सबसे ज्यादा बारिश इस बार मानसून सीजन नूंह, गुरुग्राम और महेंद्रगढ़ पर ज्यादा मेहरबान रहा। नूंह में सामान्य से 71 फीसदी, गुरुग्राम में 53 फीसदी और महेंद्रगढ़ में सामान्य से 43 फीसदी अधिक बारिश हुई है। इन 3 जिलों में अत्यधिक बारिश हुई है। हालांकि झज्जर, चरखी दादरी, रेवाड़ी, पलवल, सिरसा और कुरुक्षेत्र में भी सामान्य से अधिक बारिश हुई है। ये 3 जिले सबसे सूखे रहे हालांकि मानसून अब तक 10 जिलों में बारिश का कोटा पूरा नहीं कर पाया है, लेकिन सबसे अधिक बेरुखी करनाल, यमुनानगर और पंचकूला की रही। करनाल में सामान्य से 38 फीसदी, यमुनानगर में 33 फीसदी और पंचकूला में सामान्य से 32 फीसदी कम बारिश हुई है। मानसून कभी भी विदा हो सकता है, इसलिए इन जिलों के लिए बारिश का कोटा पूरा करना संभव नहीं लगता। हरियाणा में बारिश के बाद अब ठंड की शुरुआत शुरू हो गई है। धीरे-धीरे न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज की जा रही है। शनिवार को हरियाणा का न्यूनतम तापमान हिसार में 17.1 डिग्री सेल्सियस रहा। जो सामान्य से 1.9 डिग्री सेल्सियस कम रहा। जिसकी वजह से रात के वक्त ठंड का अहसास होना शुरू हो गया है। इसके अलावा 4 जिले ऐसे रहे, जहां का न्यूनतम तापमान 17 डिग्री से कम रिकॉर्ड किया गया। इनमें करनाल, जींद, महेंद्रगढ़ और सोनीपत जिले शामिल हैं। इसके अलावा अधिकतम तापमान सिरसा में 36.5 डिग्री सेल्सियस रहा। जो सामान्य से 0.4 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा। बारिश के बाद हरियाणा में ठंड की शुरुआत मौसम विभाग के मुताबिक आने वाले दिनों में हरियाणा में मौसम शुष्क रहेगा। 15 अक्टूबर के बाद मौसम में थोड़ा बदलाव हो सकता है। पिछले 4-5 दिनों से तापमान घट रहा है, जिसके चलते लोगों को ठंड का अहसास हो रहा है। अधिकारिक तौर पर हरियाणा से मानसून की विदाई हो चुकी है। इस बार मानसून सीजन में सामान्य से 5 प्रतिशत बारिश कम हुई है। मौसम विभाग के मुताबिक अब मौसम साफ ही रहने की उम्मीद है। क्या बोले मौसम विशेषज्ञ ? हिसार के चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉक्टर एमएल खिचड़ ने बताया कि 15 अक्टूबर तक हरियाणा का मौसम शुष्क रहने की संभावना है। रात के वक्त ये और नीचे जाने की संभावना है। हल्की गति से उतर पश्चिम हवाएं चलने की संभावना है। शहर में वायु की गुणवत्ता खराब हो गई है। इस स्थिति में फेफड़े, अस्थमा और हृदय रोग से पीड़ित लोग को सांस लेने में तकलीफ हो सकती और पीड़ा झेलनी पड़ सकती है। प्रदेश के लिए अच्छा रहा मानसून राज्य में मानसून का प्रदर्शन अब तक संतोषजनक रहा है। कुल मिलाकर अब तक 424.6 मिमी बारिश के मुकाबले 406.4 मिमी बारिश दर्ज की गई है। जो सामान्य से महज 4% कम है। यानी बारिश का कोटा लगभग पूरा हो चुका है। दूसरी ओर, अगर जिले के हिसाब से बारिश की स्थिति देखें तो 10 जिले ऐसे हैं, जिनमें 10 से 38% कम बारिश दर्ज की गई है। 12 जिलों में सामान्य से 10 से 71% अधिक बारिश हुई है। 3 जिलों में सबसे ज्यादा बारिश इस बार मानसून सीजन नूंह, गुरुग्राम और महेंद्रगढ़ पर ज्यादा मेहरबान रहा। नूंह में सामान्य से 71 फीसदी, गुरुग्राम में 53 फीसदी और महेंद्रगढ़ में सामान्य से 43 फीसदी अधिक बारिश हुई है। इन 3 जिलों में अत्यधिक बारिश हुई है। हालांकि झज्जर, चरखी दादरी, रेवाड़ी, पलवल, सिरसा और कुरुक्षेत्र में भी सामान्य से अधिक बारिश हुई है। ये 3 जिले सबसे सूखे रहे हालांकि मानसून अब तक 10 जिलों में बारिश का कोटा पूरा नहीं कर पाया है, लेकिन सबसे अधिक बेरुखी करनाल, यमुनानगर और पंचकूला की रही। करनाल में सामान्य से 38 फीसदी, यमुनानगर में 33 फीसदी और पंचकूला में सामान्य से 32 फीसदी कम बारिश हुई है। मानसून कभी भी विदा हो सकता है, इसलिए इन जिलों के लिए बारिश का कोटा पूरा करना संभव नहीं लगता। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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सिरसा में एक और युवक की नशे से मौत:कालांवाली में झाड़ियों में मिला शव; 15 दिनों में 4 युवाओं की जा चुकी जान
सिरसा में एक और युवक की नशे से मौत:कालांवाली में झाड़ियों में मिला शव; 15 दिनों में 4 युवाओं की जा चुकी जान हरियाणा के सिरसा में पुलिस जिला डबवाली में नशे के कारण होने वाली मौतों का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। रोजाना किसी न किसी युवक की नशे के कारण मौत सामने आ रही है। कई मामलों को परिवार के बीच ही दबा दिया जाता है। वहीं पुलिस अपनी कार्रवाई में इत्फ़ाकिया मौत दर्शा कर मामले से पल्ला झाड़ लेती है। लेकिन नशे से हो रही मौतों की हकीकत इससे कुछ अलग है। कालांवाली में शनिवार को एक युवक रेलवे लाइन के पास झाड़ियों में मृत मिला। उसके पास ही एक इंजेक्शन भी पड़ा हुआ पुलिस को मिला है। इससे युवक की मौत का कारण नशे की ओवरडोज को माना जा रहा है। युवक कालांवाली के वार्ड नंबर 8 का रहने वाला था। लोगों का कहना है कि अक्सर यहां नशे की पूर्ति के लिए युवा आते हैं। दो-तीन बार पुलिस को भी इसके बारे में सूचना दी गई है। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर निरीक्षण भी किया था।तब पुलिस को देखकर नशेड़ी किस्म के युवक यहां से भाग खड़े हुए थे। लेकिन शनिवार को एक युवक नशे का शिकार हो गया और उसका शव झाड़ियों में मिला। बता दे कि इससे पहले डबवाली में रविवार को 23 जून को एक युवा पेंटर की नशे के कारण मौत हो गई थी जिसके पास भी इंजेक्शन पाया गया था। वही कुछ दिन पहले ही महाग्राम गंगा के 20 वर्षीय युवक की जब चिट्टे की तलब पूरी न हुई थी तो वह गोलियों का घोल बनाकर ही इंजेक्शन लगने लगा था और पिछले 4 साल से नशे की चपेट में था। जिसकी हालत गंभीर होने के कारण उसके परिजन 27 जून को डबवाली से सिरसा इलाज के लिए लेकर गए थे लेकिन उसने भी दम तोड़ दिया था। वही 15 जून को डबवाली के लोग में एक युवक की नशे के कारण मौत हो गई थी उसकी उम्र भी लगभग 21 साल थी लेकिन एक माह में ही नशे के चार मामले सामने आना नशे पर काबू न पाया जाना कहीं ना कहीं सरकार के ड्रग विभाग और प्रशासन की नाकामी साबित हो रही है।
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करनाल में बसताड़ा टोल फ्री करने की मांग:किसान यूनियन और सरपंचों का प्रदर्शन, बोले- सिक्योरिटी करती है गंदा व्यवहार करनाल के बसताड़ा टोल प्लाजा पर किसान यूनियन और सरपंचों ने टोल प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शनकारी लोकल वाहनों के लिए टोल फ्री करने की मांग कर रहे है। प्रदर्शनकारियों ने टोल प्रबंधन से बात की तो प्रबंधन की तरफ से मासिक लाेकल पास बनाए जाने की बात कही गई। जिसके बाद प्रदर्शनकारियों ने टोल प्रबंधन को एक हफ्ते का अल्टीमेटम दिया है। किसानों ने धमकी दी है कि अगर इसके बाद भी लोकल वाहन चालकों के लिए टोल फ्री नहीं होता है तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा।शनिवार को भारतीय किसान यूनियन सर छोटू राम के प्रदेश कोर कमेटी सदस्य जगदीप औलख की अगुवाई में आसपास के गांवों के सरपंच बसताड़ा टोल प्लाजा पर पहुंचे। प्रधान जगदीप औलख, सरपंच नवीन राणा बरसत, बलविंद्र सिंह जमालपुर, अजय राणा गढ़ीखजूर, रिंकू राणा ने कहा कि बसताड़ा टोल प्लाजा आसपास के गांवों के वाहन चालकों के लिए सिरदर्द बना हुआ है। दो किलोमीटर पर बसे गांवों को भी करनाल जाने के लिए टैक्स देने के लिए मजबूर किया जा रहा है। टोल सिक्योरिटी गंदा व्यवहार करती हैं
इतना ही नहीं जब लोकल वाहन चालक अपनी बात रखते है तो उनके साथ टोल की सिक्योरिटी गंदा व्यवहार करती है। यहां पर हर साल यही होता है क्योंकि हर साल नई कंपनी को टेंडर मिलता है और कंपनी अपनी मनमानी करती है। हमें बार-बार आंदोलन करके वाहन चालकों को टोल फ्री करवाना पड़ता है। अब नई कंपनी ने टोल का चार्ज संभाला है। लोकल वाहन चालकों को भी मंथली पास बनवाने का फरमान सुना दिया गया है, जबकि पहले वाहन चालक अपनी आरसी दिखाकर टोल क्रॉस कर जाते थे। टोल प्रबंधन एनएचएआई के नियमों का हवाला दे रहा है, लेकिन पहले भी यहां पर कंपनियां आकर गई है, क्या उनके लिए नियम नहीं थे, उन्होंने भी तो लोकल वाहन चालकों का सहयोग किया। हमने टोल मैनेजर से बात की है, वे भी यहीं बात कह रहे है कि मंथली पास बनवाना पड़ेगा। हमने टोल मैनेजर को खुली चेतावनी दी है। यदि एक हफ्ते के अंदर लोकल वाहनों के लिए टोल फ्री नहीं हुआ तो यहां पर उग्र प्रदर्शन होगा। 9 अगस्त को भी किया गया था प्रदर्शन
9 अगस्त को भी घरौंडा की शिव शक्ति टैक्सी यूनियन ने टोल फ्री की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था और टोल सिक्योरिटी पर गुंडागर्दी के आरोप लगाए थे। उनको भी टोल मैनेजर ने मंथली पास बनवाने के लिए कहा था। वे भी आज तक अपनी इस समस्या से जूझ रहे हैं। उनकी भी कोई सुनवाई नहीं हुई। टोल मैनेजर मुकेश शर्मा का कहना है कि किसान यूनियन और सरपंच मिले थे, वे लोकल वाहनों के लिए टोल फ्री की मांग कर रहे है, लेकिन एनएचएआई की गाइडलाइंस के अनुसार ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। हालांकि 20 किलोमीटर के दायरे में आने वाले स्थानीय वाहन चालकों के लिए 340 रुपए की सुविधा उपलब्ध है, जिसमें कितनी बार भी वाहन चालक आ जा सकते है। फोटो कैप्शन-बसताड़ा टोल प्लाजा पर टोल प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी करते किसान व सरपंच, जानकारी देते सरदार जगदीप औलख, सरपंच नवीन राणा व अन्य
20 साल में पहली दफा नेता-प्रतिपक्ष के लिए इतना इंतजार:वजह-कांग्रेस की लगातार 3 हार और नेताओं की खींचतान; CM सैनी कह चुके-ढूंढवाओ
20 साल में पहली दफा नेता-प्रतिपक्ष के लिए इतना इंतजार:वजह-कांग्रेस की लगातार 3 हार और नेताओं की खींचतान; CM सैनी कह चुके-ढूंढवाओ तारीख : 27 अक्टूबर 2024 हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने पानीपत में मैराथन के बाद मीडिया से कहा- ‘आप लोग कांग्रेस का नेता प्रतिपक्ष ढूंढवाओ।’ 20 वर्षों में ऐसा पहली बार हो रहा है कि किसी पार्टी को राज्य में नेता प्रतिपक्ष का नाम फाइनल करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। इसका मुख्य कारण पिछले 3 चुनाव में कांग्रेस को लगातार मिली हार है। साल 2009 में कांग्रेस बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन बहुमत से पीछे रह गई। तब कांग्रेस को जनहित कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों के सहारे सरकार बनानी पड़ी। इसके बाद कांग्रेस सत्ता में नहीं आई। ऐसे में हुड्डा विरोधी खेमा हरियाणा में एक्टिव होता गया और अब हालात ये हैं कि खुद हाईकमान भी हुड्डा के साथ खड़ा नहीं दिख रहा। 2005, 2009, 2014 और 2019 में चुनाव रिजल्ट के बाद करीब 15 दिन के अंदर नेता प्रतिपक्ष चुन लिए गए थे। साल 2024 में कांग्रेस सरकार बनाने का सपना देख रही थी, लेकिन पार्टी को 37 सीट ही मिलीं। इसके बाद नेता प्रतिपक्ष के नाम को लेकर घमासान हो गया। केंद्र के तरफ से 4 ऑब्जर्वर भी आए, लेकिन बावजूद इसके अभी तक नेता प्रतिपक्ष के नाम का ऐलान नहीं हो पाया। नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस हाईकमान की पसंद का होगा
18 अक्टूबर को हरियाणा में कांग्रेस विधायक दल का नेता चुनने को लेकर चंडीगढ़ में मीटिंग हुई। करीब डेढ़ घंटे चली मीटिंग में ऑब्जर्वर के तौर पर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, राज्यसभा सांसद अजय माकन, पंजाब के नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा के अलावा छत्तीसगढ़ के पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंह देव शामिल हुए। मीटिंग में ऑब्जर्वरों ने सभी विधायकों से विधायक दल के नेता का नाम फाइनल करने के लिए वन टु वन बातचीत कर उनकी राय जानी। पार्टी सूत्रों के मुताबिक अधिकतर विधायकों ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम ही विधायक दल के नेता के लिए रखा। कुमारी सैलजा गुट के कुछ विधायकों ने नए चेहरे को जिम्मेदारी देने की बात कही। मीटिंग के बाद अशोक गहलोत और अजय माकन ने कहा- ‘विधायक दल के नेता का चयन हाईकमान करेगा। विधायकों की राय हाईकमान तक पहुंचा दी जाएगी।’ नवंबर में शुरू होगा शीतकालीन सत्र
हरियाणा विधानसभा का शीतकालीन सत्र नवंबर में शुरू हो सकता है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली ने इसको लेकर जानकारी दी है। ऐसे में कांग्रेस को नवंबर के पहले हफ्ते में विधायक दल के नेता का चयन करना होगा, नहीं तो बिना नेता प्रतिपक्ष के सदन चलेगा। हुड्डा और सैलजा गुट में खींचतान
2019 में विपक्ष का नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा को बनाया गया था। हालांकि इस बार विधानसभा चुनाव में हुई हार के लिए हुड्डा को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। ऐसे में सिरसा सांसद कुमारी सैलजा का गुट हुड्डा को फिर विपक्षी दल नेता बनाने का विरोध कर रहा है। इसे देखते हुए कुछ दिन पहले 31 विधायक इकट्ठा कर हुड्डा दिल्ली में अपनी ताकत दिखा चुके हैं। हुड्डा के विरोध की सूरत में उनके गुट से झज्जर की विधायक गीता भुक्कल और थानेसर से अशोक अरोड़ा का नाम भी चर्चा में है। वहीं सैलजा गुट से पंचकूला के विधायक चंद्रमोहन बिश्नोई का नाम आगे किया जा रहा है। हार के कारण जानने को कांग्रेस ने कमेटी बनाई थी
विधानसभा चुनाव में अच्छे माहौल के बावजूद हारी कांग्रेस ने इसके कारण तलाशे। शुरुआत में कांग्रेस हाईकमान ने इसके लिए 2 मेंबरी फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाई। जिसमें छत्तीसगढ़ के पूर्व CM भूपेश बघेल और राजस्थान के कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी शामिल रहे। दोनों नेताओं ने खुद बैठकर जूम मीटिंग के जरिए एक-एक नेता से वन टु वन बात की। किसी उम्मीदवार को इसकी रिकॉर्डिंग नहीं करने दी गई। प्रदेश के 90 में से चुनाव हारे 53 नेताओं से उनकी बातचीत हुई। कमेटी ने चुनाव हारे उम्मीदवारों से 4 तरह के सवाल पूछे। जिसके बाद कमेटी ने इसकी लिखित रिपोर्ट तैयार की है। जिसमें EVM से ज्यादा चुनाव के बीच तालमेल की कमी और गुटबाजी की वजह सामने आई है।