हरियाणा की राजनीति में लालों के नाम से मशहूर चौधरी देवीलाल, चौधरी बंसीलाल और चौधरी भजनलाल किसी जमाने में आपस में राजनीतिक धुर विरोधी रहे, लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा कि तीनों के परिवार अब एक ही पार्टी के बैनर के नीचे राजनीति करने को मजबूर हो गए। तीनों ने अलग-अलग पार्टियां भी बनाई, लेकिन देवीलाल की बनाई पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल को छोड़कर बंसीलाल की हविपा और भजनलाल की हजकां का पहले ही विलय हो चुका है। तीनों ही हरियाणा के कद्दावर नेता के साथ कई बार हरियाणा के मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार में बड़े मंत्रालयों को संभाल चुके हैं। चौधरी भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई ने अगस्त 2022 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी जॉइन की तो चौधरी देवीलाल के बेटे रणजीत चौटाला ने इसी साल लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी जॉइन की है। हालांकि रणजीत चौटाला 2019 से ही निर्दलीय विधायक के तौर पर बीजेपी सरकार को समर्थन देते आ रहे थे, लेकिन बीजेपी में शामिल होने के बाद उन्हें हिसार से टिकट दी गई। हालांकि रणजीत चौटाला कांग्रेस कैंडिडेट जयप्रकाश से चुनाव हार गए। इसी तरह लोकसभा चुनाव निपटने के बाद एक और लाल चौधरी बंसीलाल के परिवार से किरण चौधरी और श्रुति चौधरी भी अब बीजेपी में शामिल हो रही हैं। तीन बार CM और केंद्र कृषि मंत्री बने भजनलाल
हिसार जिले से ताल्लुक रखने वाले चौधरी भजनलाल कई दशकों तक कांग्रेस में रहे। इस दौरान तीन बार भजनलाल ने हरियाणा की सत्ता की बागडोर संभाली। पहली बार 1979 में हरियाणा के सीएम बने। इसके बाद वे 1882 और 1991 में भी मुख्यमंत्री बने। साथ ही एक बार केंद्र सरकार में कृषि मंत्री बने। हालांकि 2005 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री बनाए जाने से भजनलाल नाराज हो गए। उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी बड़े बेटे कुलदीप बिश्नोई के साथ भजनलाल ने 2007 में कांग्रेस से अलग होकर नई पार्टी हजकां बना ली। हालांकि भजनलाल के निधन के बाद 2016 में कुलदीप बिश्नोई अपनी पार्टी हजकां का विलय कर फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए। इसके ठीक 6 साल बाद फिर से कुलदीप बिश्वोई कांग्रेस से नाराज हुए और 2022 में बीजेपी जॉइन कर ली। कुलदीप बिश्नोई प्रदेशाध्यक्ष नहीं बनाए जाने से नाराज थे। उनकी नाराजगी की वजह पूर्व सीएम हुड्डा के करीबी चौधरी उदयभान को प्रदेशाध्यक्ष बनाए जाने से थी। फिलहाल कुलदीप बिश्नोई के अलावा उनके बेटे भव्य बिश्नोई एक्टिव राजनीति में है। भव्य अपनी पैतृक आदमपुर सीट से बीजेपी के विधायक बने हैं। देवीलाल के परिवार से रणजीत चौटाला बन चुके भाजपाई
2 बार 1977 और 1987 में हरियाणा के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल चुके चौधरी देवीलाल के परिवार की राजनीतिक धमक आज भी बरकरार है। चौधरी देवीलाल 1989 से 21 जून 1991 तक देश के उपप्रधानमंत्री रह चुके हैं। उनके तीसरे नंबर के बेटे रणजीत चौटाला लंबे समय तक कांग्रेस में रहे। उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का करीबी कहा जाता है, लेकिन 2019 में रानियां सीट से टिकट कटने के बाद रणजीत चौटाला ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और वे जीत गए। संयोग से बहुमत नहीं मिलने के कारण बीजेपी को चौटाला की जरूरत पड़ी और उन्हें कैबिनेट मंत्री बना दिया गया। बीजेपी से करीबी बढ़ने के बाद चौटाला अप्रैल 2024 में बीजेपी में शामिल हो गए। चौधरी देवीलाल के परिवार की बात करें तो उनके बड़े बेटे ओमप्रकाश चौटाला अपनी खुद की पार्टी इनेलो को संभाल रहे हैं, जबकि ओपी चौटाला के बड़े बेटे अजय चौटाला अपने दोनों बेटों दुष्यंत और दिग्विजय के साथ मिलकर जेजेपी बना चुके हैं। बंसीलाल 4 बार सीएम रहे, बेटा मंत्री बना
हरियाणा में एक और परिवार चौधरी बंसीलाल की किसी समय में सूबे की राजनीति में तूती बोलती थी। उन्होंने अपनी खुद की पार्टी हविपा बनाकर भी सरकार बनाई। चौधरी बंसीलाल चार बार 1967, 1972, 1986, 1996 में हरियाणा के सीएम बने। इसके अलावा केंद्र सरकार में भी अहम मंत्रालयों में पदभार संभाला। लंबे समय तक कांग्रेस की राजनीति करने वाले चौधरी बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र सिंह भी हरियाणा सरकार में पूर्व मंत्री रहे, लेकिन उनके निधन के बाद बंसीलाल की राजनीतिक विरासत को पुत्रवधु किरण चौधरी ने संभाला। किरण चौधरी 2005 में पहली बार चुनाव लड़ीं और MLA बनकर तत्कालीन हुड्डा सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बन गईं। खुद राजनीति में एडजस्ट होने के बाद किरण ने अपनी बेटी श्रुति चौधरी को भी पूरी तरह राजनीति में एक्टिव कर दिया। 2009 में श्रुति ने अपना पहला चुनाव भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से लड़ा और पहले ही चुनाव में सांसद चुनी गईं। इसके बाद किरण चौधरी तो लगातार अपनी पैतृक सीट तोशाम विधानसभा से जीत दर्ज करती रहीं, लेकिन श्रुति 2014 और 2019 के दोनों चुनाव में हार गईं, जिसके चलते 2024 में उनकी टिकट कटी और अब वे आगे की राजनीति के लिए बीजेपी जॉइन कर रही हैं। हरियाणा की राजनीति में लालों के नाम से मशहूर चौधरी देवीलाल, चौधरी बंसीलाल और चौधरी भजनलाल किसी जमाने में आपस में राजनीतिक धुर विरोधी रहे, लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा कि तीनों के परिवार अब एक ही पार्टी के बैनर के नीचे राजनीति करने को मजबूर हो गए। तीनों ने अलग-अलग पार्टियां भी बनाई, लेकिन देवीलाल की बनाई पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल को छोड़कर बंसीलाल की हविपा और भजनलाल की हजकां का पहले ही विलय हो चुका है। तीनों ही हरियाणा के कद्दावर नेता के साथ कई बार हरियाणा के मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार में बड़े मंत्रालयों को संभाल चुके हैं। चौधरी भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई ने अगस्त 2022 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी जॉइन की तो चौधरी देवीलाल के बेटे रणजीत चौटाला ने इसी साल लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी जॉइन की है। हालांकि रणजीत चौटाला 2019 से ही निर्दलीय विधायक के तौर पर बीजेपी सरकार को समर्थन देते आ रहे थे, लेकिन बीजेपी में शामिल होने के बाद उन्हें हिसार से टिकट दी गई। हालांकि रणजीत चौटाला कांग्रेस कैंडिडेट जयप्रकाश से चुनाव हार गए। इसी तरह लोकसभा चुनाव निपटने के बाद एक और लाल चौधरी बंसीलाल के परिवार से किरण चौधरी और श्रुति चौधरी भी अब बीजेपी में शामिल हो रही हैं। तीन बार CM और केंद्र कृषि मंत्री बने भजनलाल
हिसार जिले से ताल्लुक रखने वाले चौधरी भजनलाल कई दशकों तक कांग्रेस में रहे। इस दौरान तीन बार भजनलाल ने हरियाणा की सत्ता की बागडोर संभाली। पहली बार 1979 में हरियाणा के सीएम बने। इसके बाद वे 1882 और 1991 में भी मुख्यमंत्री बने। साथ ही एक बार केंद्र सरकार में कृषि मंत्री बने। हालांकि 2005 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री बनाए जाने से भजनलाल नाराज हो गए। उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी बड़े बेटे कुलदीप बिश्नोई के साथ भजनलाल ने 2007 में कांग्रेस से अलग होकर नई पार्टी हजकां बना ली। हालांकि भजनलाल के निधन के बाद 2016 में कुलदीप बिश्नोई अपनी पार्टी हजकां का विलय कर फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए। इसके ठीक 6 साल बाद फिर से कुलदीप बिश्वोई कांग्रेस से नाराज हुए और 2022 में बीजेपी जॉइन कर ली। कुलदीप बिश्नोई प्रदेशाध्यक्ष नहीं बनाए जाने से नाराज थे। उनकी नाराजगी की वजह पूर्व सीएम हुड्डा के करीबी चौधरी उदयभान को प्रदेशाध्यक्ष बनाए जाने से थी। फिलहाल कुलदीप बिश्नोई के अलावा उनके बेटे भव्य बिश्नोई एक्टिव राजनीति में है। भव्य अपनी पैतृक आदमपुर सीट से बीजेपी के विधायक बने हैं। देवीलाल के परिवार से रणजीत चौटाला बन चुके भाजपाई
2 बार 1977 और 1987 में हरियाणा के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल चुके चौधरी देवीलाल के परिवार की राजनीतिक धमक आज भी बरकरार है। चौधरी देवीलाल 1989 से 21 जून 1991 तक देश के उपप्रधानमंत्री रह चुके हैं। उनके तीसरे नंबर के बेटे रणजीत चौटाला लंबे समय तक कांग्रेस में रहे। उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का करीबी कहा जाता है, लेकिन 2019 में रानियां सीट से टिकट कटने के बाद रणजीत चौटाला ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और वे जीत गए। संयोग से बहुमत नहीं मिलने के कारण बीजेपी को चौटाला की जरूरत पड़ी और उन्हें कैबिनेट मंत्री बना दिया गया। बीजेपी से करीबी बढ़ने के बाद चौटाला अप्रैल 2024 में बीजेपी में शामिल हो गए। चौधरी देवीलाल के परिवार की बात करें तो उनके बड़े बेटे ओमप्रकाश चौटाला अपनी खुद की पार्टी इनेलो को संभाल रहे हैं, जबकि ओपी चौटाला के बड़े बेटे अजय चौटाला अपने दोनों बेटों दुष्यंत और दिग्विजय के साथ मिलकर जेजेपी बना चुके हैं। बंसीलाल 4 बार सीएम रहे, बेटा मंत्री बना
हरियाणा में एक और परिवार चौधरी बंसीलाल की किसी समय में सूबे की राजनीति में तूती बोलती थी। उन्होंने अपनी खुद की पार्टी हविपा बनाकर भी सरकार बनाई। चौधरी बंसीलाल चार बार 1967, 1972, 1986, 1996 में हरियाणा के सीएम बने। इसके अलावा केंद्र सरकार में भी अहम मंत्रालयों में पदभार संभाला। लंबे समय तक कांग्रेस की राजनीति करने वाले चौधरी बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र सिंह भी हरियाणा सरकार में पूर्व मंत्री रहे, लेकिन उनके निधन के बाद बंसीलाल की राजनीतिक विरासत को पुत्रवधु किरण चौधरी ने संभाला। किरण चौधरी 2005 में पहली बार चुनाव लड़ीं और MLA बनकर तत्कालीन हुड्डा सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बन गईं। खुद राजनीति में एडजस्ट होने के बाद किरण ने अपनी बेटी श्रुति चौधरी को भी पूरी तरह राजनीति में एक्टिव कर दिया। 2009 में श्रुति ने अपना पहला चुनाव भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से लड़ा और पहले ही चुनाव में सांसद चुनी गईं। इसके बाद किरण चौधरी तो लगातार अपनी पैतृक सीट तोशाम विधानसभा से जीत दर्ज करती रहीं, लेकिन श्रुति 2014 और 2019 के दोनों चुनाव में हार गईं, जिसके चलते 2024 में उनकी टिकट कटी और अब वे आगे की राजनीति के लिए बीजेपी जॉइन कर रही हैं। हरियाणा | दैनिक भास्कर