हरियाणा के गुरुग्राम में बिजली के तारों में शॉर्ट सर्किट के बाद मकान में आग लग गई। इससे मकान में सो रहे 4 युवक जिंदा जल गए। सूचना के बाद फायर ब्रिगेड की टीमें मौके पर पहुंची और कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। जली हालत में मिले शवों को बाहर निकाल कर पोस्टमॉर्टम के लिए नागरिक अस्पताल भेजा गया है। हादसे को लेकर पुलिस की छानबीन जारी है। जानकारी के अनुसार हादसा गुरुग्राम के सेक्टर-10 स्थित सरस्वती एनक्लेव में शुक्रवार रात को हुआ। यहां अचानक से आग लग गई। इस मकान में गारमेंट्स कंपनी में काम करने वाले कुछ युवक रहते थे। वे नींद में ही मौत के आगोश में समा गए। मृतकों की पहचान नूर आलम, मुश्ताक, अमन और साहिल के रूप में हुई है। इनके परिजन दूसरे कमरों में सो रहे थे। ये बिहार के रहने वाले हैं। इनकी 20 से 30 वर्ष के बीच बताई जा रही है। पुलिस मामले की छानबीन में लगी है। परिजनों के बयान के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल आग का कारण बिजली के तारों में शॉर्ट सर्किट माना जा रहा है। हम खबर को अपडेट कर रहे हैं… हरियाणा के गुरुग्राम में बिजली के तारों में शॉर्ट सर्किट के बाद मकान में आग लग गई। इससे मकान में सो रहे 4 युवक जिंदा जल गए। सूचना के बाद फायर ब्रिगेड की टीमें मौके पर पहुंची और कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। जली हालत में मिले शवों को बाहर निकाल कर पोस्टमॉर्टम के लिए नागरिक अस्पताल भेजा गया है। हादसे को लेकर पुलिस की छानबीन जारी है। जानकारी के अनुसार हादसा गुरुग्राम के सेक्टर-10 स्थित सरस्वती एनक्लेव में शुक्रवार रात को हुआ। यहां अचानक से आग लग गई। इस मकान में गारमेंट्स कंपनी में काम करने वाले कुछ युवक रहते थे। वे नींद में ही मौत के आगोश में समा गए। मृतकों की पहचान नूर आलम, मुश्ताक, अमन और साहिल के रूप में हुई है। इनके परिजन दूसरे कमरों में सो रहे थे। ये बिहार के रहने वाले हैं। इनकी 20 से 30 वर्ष के बीच बताई जा रही है। पुलिस मामले की छानबीन में लगी है। परिजनों के बयान के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल आग का कारण बिजली के तारों में शॉर्ट सर्किट माना जा रहा है। हम खबर को अपडेट कर रहे हैं… हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा के सीएम का कांग्रेस पर तंज:नायब सैनी बोले- युवाओं को उपयोग करके हालत पर छोड़ देते थे, भाजपा में मिल रहा अवसर
हरियाणा के सीएम का कांग्रेस पर तंज:नायब सैनी बोले- युवाओं को उपयोग करके हालत पर छोड़ देते थे, भाजपा में मिल रहा अवसर रोहतक में भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा की तरफ से युवा सदस्यता ग्रहण समारोह आयोजित किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के तौर पर सीएम नायब सिंह सैनी और भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सांसद तेजस्वी सूर्या पहुंचे। इस दौरान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कांग्रेस पर निशाना साधा। सीएम ने कहा कि कांग्रेस राज में युवाओं को राजनीति में मौका नहीं मिलता था, लेकिन भाजपा ने युवाओं को मौका दिया है। मेरे जैसा साधारण-सा कार्यकर्ता यहां तक पहुंच सकता है तो दूसरे युवाओं के पास भी अवसर हैं। भाजपा ने युवाओं के लिए अवसर पैदा किए
उन्होंने कहा कि भाजपा ने युवाओं के लिए अवसर पैदा किए है। लेकिन कांग्रेस सरकार में युवाओं को नौकरी के लिए भी नेताओं व बिचौलियों के चक्कर काटने पड़ते थे। जिसके कारण युवाओं में अविश्वास की भावना पैदा हो गई थी। लेकिन अब युवाओं में विश्वास व जज्बा पैदा हुआ है कि वे भी कुछ कर सकते हैं। कांग्रेस सरकार में युवाओं को उपयोग किया जाता था। युवाओं को उपयोग करके उनके हालात पर छोड़ दिया जाता था। जिसके कारण युवाओं में हीन भावना पैदा हो गई थी। इस दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली, युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक भव्य बिश्नोई आदि नेता भी मौजूद रहे। हुड्डा पर साधा निशाना
भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सांसद तेजस्वी सूर्या ने संबोधित करते हुए युवाओं को कहा कि वे एक ऐसी पार्टी को ज्वाइन कर रहे हैं। जिसमें एक बूथ अध्यक्ष भी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकते हैं और यह केवल भाजपा पार्टी में ही संभव है। उन्होंने पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा से सवाल पूछा कि उनकी पार्टी (कांग्रेस) में जो युवा जाते हैं और पार्टी में काम करते हैं। उनके लिए नारे लगातें हैं या उनके लिए पर्ची बांटते हैं और झंडा लगाते हैं। क्या ऐसे कार्यकर्ता उनकी पार्टी से चुनाव लड़कर हरियाणा के मुख्यमंत्री बन सकते हैं। कभी संभव नहीं। उनकी पार्टी के नेता सोचते हैं कि वे रिजर्व हैं। लेकिन भाजपा में आम कार्यकर्ता जो राजनीति में आकर व संगठन में काम करके वह मुख्यमंत्री बन सकता है।
करनाल में धान खरीद में फर्जीवाड़ा:फिजिकल वैरिफिकेशन में कम मिला 4 हजार क्विंटल, राइस मिलर्स के खिलाफ जांच शुरू
करनाल में धान खरीद में फर्जीवाड़ा:फिजिकल वैरिफिकेशन में कम मिला 4 हजार क्विंटल, राइस मिलर्स के खिलाफ जांच शुरू हरियाणा के करनाल में फर्जी धान की खरीद का मामला एक फिर से उठा है। विभागीय जांच के दौरान 4 हजार क्विंटल धान गायब पाई गई है। मामला सुर्खियों में आने के बाद जिला उपायुक्त ने भी मामले पर संज्ञान लिया और गड़बड़ी वाली मिलों की भी पीवी करवाने के निर्देश जारी कर दिए। अब प्रशासन यह जानने का प्रयास कर रहा है कि आखिर गड़बड़ी कितनी हुई है। पहली ही पीवी में 4 हजार क्विंटल कम आईएएस अधिकारी योगेश सैनी के नेतृत्व में राइस मिल में फिजिकल वैरिफिकेशन की गई। प्रशासनिक जांच का यह पहला फेस था और पहले फेस ने ही बड़ा झटका दे दिया। करीब चार हजार क्विंटल धान कम मिली। जब पहले फेस में ही यह हालात है तो आगे फिजिकल वैरिफिकेशन होगी तो भ्रष्टाचार की ओर भी परते हटती नजर आएगी। इतनी स्पीड से काटे गए गेट पास जब भी गेट पास काटा जाता है तो उसे में औसतन दो से तीन मिनट लगता है। लेकिन जिले कई मंडियों में तो तेज रफ्तार से गेट पास काटकर रख दिए। शक ऐसे भी गहराता है कि जिस गेट पास को कटने में दो से तीन मिनट का टाइम लगता है, उन्हीं गेट पास को 41 सेकेंड दो बार और 2 मिनट 35 सेकेंड में तीन बार काट दिया जाता है। जिसके बाद निसिंग मंडी में 772 गेट पास कैंसिल किए गए। जिसका वजन 42 हजार 633 क्विंटल बनता था। निगदू, इंद्री, तरावड़ी, घरौंडा, करनाल और असंध की मंडियों गेट पास का यही तरीका है। वहीं डीएफएससी की माने तो पूरे मामले की जांच जारी है और गड़बड़ी करने वालों पर एक्शन लिया जाएगा। सवालों के घेरे में मंडी से जुड़े अधिकारी, कर्मचारी और व्यापारी भ्रष्टाचार की जड़े कुरेदी गई और खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारियों की चूल्ले हिल गई। अब जिम्मेदार खुद को बचाने की जुगत में है और हड़बड़ी में उन राइस मिलर्स के खिलाफ जांच शुरू कर दी, जहां पर धान कम पाया गया है। ऐसे में अधिकारियों की हड़बड़ाहट ने कई सवाल खड़े कर दिए है। जिनकी तरफ आखिर प्रशासन का ध्यान नहीं जाता। कागजो में ही लिखी जाती है भ्रष्टाचार की पटकथा यूथ फॉर चेंज के अध्यक्ष एडवोकेट राकेश ढुल ने बताया कि फर्जी खरीद का खेल कोई एक अधिकारी या कर्मचारी या फिर मंडी से जुड़ा व्यक्ति नहीं कर सकता। इसके लिए पूरे टीम वर्क की जरूरत होती है। कैसे धान को कागजों में उगाना है? कैसे कागजों में ही धान का फर्जी गेट पास कटेगा? कैसे आढ़ती की दुकान के कागजों में चढ़ेगा? कैसे कागजों में ही खरीद एजेंसी धान की परचेज करेगी? कैसे मिलर्स कागजों में ही धान की बोरिया ट्रक में लोड होकर जाएगी? भ्रष्टाचार की पटकथा कागजों में ही लिखी जाती है और उसी में दब जाती है, लेकिन इस तरफ किसी का भी ध्यान नहीं जाता। यह कार्य बिना किसी अधिकारी, आढ़ती या फिर सरकारी खरीद एजेंसियों के इंस्पेक्टरों की मर्जी के बिना नहीं हो सकता। कैसे रचा जाता है भ्रष्टाचार का चक्रव्यूह अक्सर यह सवाल मन में आते है कि मंडी में फर्जी खरीद होती कैसे है और कैसे भ्रष्टाचार होता है? उन्हीं को कुछ आसान तरीके से समझने का प्रयास करते है। एडवोकेट राकेश ढूल के मुताबिक, मंडी में किसान का धान आते ही गेट पर पास कट जाता है। इसमें अनुमानित वजह होता है। गेट पास के माध्यम से ही पता चलता है कि किस आढ़ती के पास धान आया और किस एजेंसी ने खरीदा और किस मिलर्स को भेजा गया। जे फार्म कटने के बाद धान की खरीद का पैसा ऑनलाइन ट्रांसफर हो जाता है। फर्जी गेट पास से शुरू होता है भ्रष्टाचार का फर्स्ट फेस भ्रष्टाचार में फर्स्ट फेस फर्जी गेट पास से शुरू होता है। सेकेंड फेज धान की परचेज से शुरू होता है। इसमें खरीद एजेंसी का निरीक्षक और आढ़ती फर्जी गेट पास के नाम पर चढ़ी धान की सरकारी कागजों में खरीद दिखा देते है, अर्थात कागजों में धान उग जाती है। इसमें आढ़ती की अमाउंट प्रतिशत पहले से ही सेट होती है। किसी किसान के नाम पर धान का जे फार्म काट देते है और फिर किसी राइस मिलर्स को सीएसआर के लिए धान अलॉट कर दी जाती है। जे फार्म वाले किसान के खाते में पैसा आ जाता है और वह सब बंट जाता है और यह काम खरीद एजेंसी के जिम्मेदारों के मार्फत हो सकता है। गरीबों के चावल पर मिलर्स का डाका जो धान कागजों में थी उसको वास्तविक रूप में दिखाने के लिए मिलर्स यूपी और बिहार से गरीबों को मिलने वाले चावल को सस्ते रेट पर खरीद लेता है। इससे मिलर्स का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि वह मिलिंग का खर्च बचा लेता है और सस्ते में चावल खरीदकर एफसीआई को भेज देता है और यूपी व बिहार के चावल माफिया द्वारा यह कार्य किया जाता है। ऐसे में एमएसपी का लाभ किसान को न जाकर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत मिलने वाले चावल को फूड माफिया के जरिए मिलर्स डकार लेते है। खानापूर्ति तक सीमित रह जाता है सब कुछ आकृति संस्था के अध्यक्ष अनुज सैनी की माने तो फिजिकल वैरिफिकेशन महज खानापूर्ति तक सीमित है। जनता को लगे कि प्रशासन द्वारा एक्शन लिया जा रहा है, इसके लिए एक नोटिस जारी कर दिया जाता है और आगे की जांच भी इंस्पेक्टर को ही करनी होती है। यहां पर तो वह कहावत चरितार्थ हो जाती है कि दूध की रखवाली बिल्ली को ही दे दी। जब तक सिस्टम में कड़ी कार्रवाई का प्रावधान नहीं होगा, इस तरह की खानापूर्ति चलती रहेगी। यह होता आया है और आगे भी इसी तरह से होता रहेगा। जांच के नाम पर महज खाना पूर्ति।
हरियाणा सरकार को हाईकोर्ट से झटका:सरकारी नौकरियों में आरक्षण खारिज, 5 नंबर असंवैधानिक करार, नई नियुक्तियों का रास्ता साफ
हरियाणा सरकार को हाईकोर्ट से झटका:सरकारी नौकरियों में आरक्षण खारिज, 5 नंबर असंवैधानिक करार, नई नियुक्तियों का रास्ता साफ हरियाणा सरकार को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट से शुक्रवार को बड़ा झटका मिला है। सरकारी नौकरियों में सामाजिक-आर्थिक आधार पर दिए जाने वाले आरक्षण को हाईकोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया है। हाईकोर्ट के इस फैसले से सूबे की रुकी हुई नियुक्तियों का रास्ता साफ हो गया है। सरकार ने नौकरियों में सामाजिक व आर्थिक आधार पर पिछले आवेदकों को 5 अंक देने का प्रावधान किया था। इस प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका के निपटारे के साथ ही प्रदेश में हजारों नियुक्तियों का रास्ता साफ हो गया है। सरकार के फैसले में क्या?
हाईकोर्ट में सरकार के सामाजिक-आर्थिक आरक्षण के विरोध में एक याचिका दाखिल की गई थी। इस याचिका में बताया गया था कि प्रदेश सरकार ने संविधान के खिलाफ जाकर सामाजिक-आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया है। इस आरक्षण के तहत जिस परिवार में कोई भी सरकारी नौकरी पर न हो और परिवार की आमदनी कम हो तो ऐसे परिवार से आने वाले आवेदक को सामाजिक व आर्थिक आधार पर 5 अतिरिक्त अंकों का लाभ देने का प्रावधान किया गया था। HC ने आरक्षण को संविधान के खिलाफ बताया
हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया था कि संविधान के अनुरूप सामाजिक व आर्थिक आधार पर आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता। हाईकोर्ट ने सामाजिक व आर्थिक आधार पर आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए नियुक्तियों पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि सामाजिक आर्थिक आधार पर आरक्षण का फैसला संविधान के खिलाफ है। इस प्रावधान को रद्द करते हुए याचिका का निपटारा कर दिया। याचिका के निपटारे के साथ ही प्रदेश में हजारों नियुक्तियों का रास्ता साफ हो गया है। इन भर्तियों पर पड़ा असर
हाईकोर्ट के इस फैसले से हरियाणा में ग्रुप सी और डी के अलावा टीजीटी भर्ती पर असर पड़ेगा। इन भर्तियों में अब 5 नंबर का फायदा नहीं मिलेगा। वहीं इन नंबरों के आधार पर जिन भर्तियों में नियुक्ति मिल चुकी है, उन पर भी दोबारा परीक्षा हो सकती है।