हरियाणा में लोकसभा चुनाव खत्म होते ही भाजपा ने संगठन पर जोर देना शुरू कर दिया है। संगठन को मजबूत करने के पहले फेज में प्रदेश अध्यक्ष पर नया चेहरा लाने की तैयारी है। अभी सीएम नायब सैनी के पास ही अध्यक्ष का पद है। इस बार भाजपा नए अध्यक्ष के लिए ब्राह्मण और दलित चेहरे पर दांव खेल सकती है। सबसे अहम बात यह है कि करनाल लोकसभा सीट से टिकट कटने के बाद संजय भाटिया का नाम प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में था, लेकिन अब नए समीकरणों को देखते हुए उन्हें बाहर कर दिया गया है। हालांकि वह अभी पार्टी के अध्यक्ष के लिए लॉबिंग करने में जुटे हुए हैं, लेकिन अभी तक उन्हें कोई सफलता नहीं मिल पाई है। दलित-ब्राह्मण पर भाजपा का क्यों फोकस?
हरियाणा में अब भाजपा दलित और ब्राह्मण पर ही फोकस क्यों कर रही है। इसकी एक बड़ी वजह हैं। पहली वजह इनका वोट प्रतिशत है। हरियाणा में दलित और ओबीसी का बहुत बड़ा वोट प्रतिशत है, दलित 21 प्रतिशत और ओबीसी 30 प्रतिशत, इन दोनों को यदि मिला दिया जाए तो यह 51% हो जाता है। आने वाले विधानसभा को देखते हुए भाजपा इस पर फोकस कर रही है। वहीं ब्राह्मण का सूबे में 8% वोट है, प्रतिशत कम है, लेकिन दो लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जिन पर इनका खासा प्रभाव है। ब्राह्मणों में ये चेहरे दौड़ में
भाजपा यदि किसी ब्राह्मण को प्रदेश अध्यक्ष बनाती है, तो पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सबसे भरोसेमंद पूर्व राजनीतिक सचिव अजय गौड़ का नाम सबसे मजबूत है। अजय गौड़ फरीदाबाद लोकसभा सीट के प्रभारी भी हैं। उनकी गिनती पार्टी के प्रमुख रणनीतिकारों में होती है। पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा भी ब्राह्मणों में भाजपा का बड़ा चेहरा हैं। पार्टी इन पर भी दांव खेल सकती है। दलित में ये चेहरे दौड़ में
दलित नेताओं में राज्यसभा MP कृष्ण लाल पंवार का नाम काफी मजबूत है, लेकिन वह INLD से आए हैं। ऐसे में बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता रह चुके एवं मुख्यमंत्री के चीफ मीडिया कार्डिनेटर सुदेश कटारिया के नाम पर पार्टी विचार कर सकती है। सुदेश कटारिया पूर्व सीएम और सीएम के भरोसेमंद सहयोगियों में हैं। इस लोकसभा चुनाव में भी उन्हें अहम जिम्मेदारियां दी गई हैं। भाजपा में सीएम के पूर्व राजनीतिक सचिव एवं पूर्व मंत्री कृष्ण कुमार बेदी का नाम भी प्रदेश अध्यक्ष के लिए चर्चा में है। वैश्यों को भी साध सकती है बीजेपी
हरियाणा में भाजपा वैश्यों को भी साध सकती है। यदि पार्टी वैश्य चेहरा लेकर आती है तो पूर्व उद्योग मंत्री विपुल गोयल और सीएम के पूर्व मीडिया सलाहकार राजीव जैन के नामों पर भी विचार कर सकती है। पंजाबी नेताओं में पूर्व सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर का नाम सबसे अधिक मजबूत माना जाता है। इसलिए दौड़ से बाहर हो गए संजय भाटिया
करनाल लोकसभा से टिकट कटने के बाद यह चर्चा थी कि संजय भाटिया को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनाएगी। चूंकि भाटिया पंजाब समुदाय से आते हैं, और भाजपा में पहले ही दो बड़े पंजाबी चेहरे पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर और पूर्व गृह मंत्री अनिल विज हैं। ऐसे में भाजपा अब पंजाबियों के अलावा अन्य वर्ग पर फोकस करना चाहती है। भाटिया को भी इसका एहसास हो चुका है, इसलिए वह करनाल में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान एक्टिव नहीं दिखे। वह सिर्फ मनोहर लाल के नॉमिनेशन में ही पहुंचे थे, इसके बाद वह ग्राउंड में नहीं दिखाई दिए। हरियाणा में लोकसभा चुनाव खत्म होते ही भाजपा ने संगठन पर जोर देना शुरू कर दिया है। संगठन को मजबूत करने के पहले फेज में प्रदेश अध्यक्ष पर नया चेहरा लाने की तैयारी है। अभी सीएम नायब सैनी के पास ही अध्यक्ष का पद है। इस बार भाजपा नए अध्यक्ष के लिए ब्राह्मण और दलित चेहरे पर दांव खेल सकती है। सबसे अहम बात यह है कि करनाल लोकसभा सीट से टिकट कटने के बाद संजय भाटिया का नाम प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में था, लेकिन अब नए समीकरणों को देखते हुए उन्हें बाहर कर दिया गया है। हालांकि वह अभी पार्टी के अध्यक्ष के लिए लॉबिंग करने में जुटे हुए हैं, लेकिन अभी तक उन्हें कोई सफलता नहीं मिल पाई है। दलित-ब्राह्मण पर भाजपा का क्यों फोकस?
हरियाणा में अब भाजपा दलित और ब्राह्मण पर ही फोकस क्यों कर रही है। इसकी एक बड़ी वजह हैं। पहली वजह इनका वोट प्रतिशत है। हरियाणा में दलित और ओबीसी का बहुत बड़ा वोट प्रतिशत है, दलित 21 प्रतिशत और ओबीसी 30 प्रतिशत, इन दोनों को यदि मिला दिया जाए तो यह 51% हो जाता है। आने वाले विधानसभा को देखते हुए भाजपा इस पर फोकस कर रही है। वहीं ब्राह्मण का सूबे में 8% वोट है, प्रतिशत कम है, लेकिन दो लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जिन पर इनका खासा प्रभाव है। ब्राह्मणों में ये चेहरे दौड़ में
भाजपा यदि किसी ब्राह्मण को प्रदेश अध्यक्ष बनाती है, तो पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सबसे भरोसेमंद पूर्व राजनीतिक सचिव अजय गौड़ का नाम सबसे मजबूत है। अजय गौड़ फरीदाबाद लोकसभा सीट के प्रभारी भी हैं। उनकी गिनती पार्टी के प्रमुख रणनीतिकारों में होती है। पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा भी ब्राह्मणों में भाजपा का बड़ा चेहरा हैं। पार्टी इन पर भी दांव खेल सकती है। दलित में ये चेहरे दौड़ में
दलित नेताओं में राज्यसभा MP कृष्ण लाल पंवार का नाम काफी मजबूत है, लेकिन वह INLD से आए हैं। ऐसे में बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता रह चुके एवं मुख्यमंत्री के चीफ मीडिया कार्डिनेटर सुदेश कटारिया के नाम पर पार्टी विचार कर सकती है। सुदेश कटारिया पूर्व सीएम और सीएम के भरोसेमंद सहयोगियों में हैं। इस लोकसभा चुनाव में भी उन्हें अहम जिम्मेदारियां दी गई हैं। भाजपा में सीएम के पूर्व राजनीतिक सचिव एवं पूर्व मंत्री कृष्ण कुमार बेदी का नाम भी प्रदेश अध्यक्ष के लिए चर्चा में है। वैश्यों को भी साध सकती है बीजेपी
हरियाणा में भाजपा वैश्यों को भी साध सकती है। यदि पार्टी वैश्य चेहरा लेकर आती है तो पूर्व उद्योग मंत्री विपुल गोयल और सीएम के पूर्व मीडिया सलाहकार राजीव जैन के नामों पर भी विचार कर सकती है। पंजाबी नेताओं में पूर्व सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर का नाम सबसे अधिक मजबूत माना जाता है। इसलिए दौड़ से बाहर हो गए संजय भाटिया
करनाल लोकसभा से टिकट कटने के बाद यह चर्चा थी कि संजय भाटिया को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनाएगी। चूंकि भाटिया पंजाब समुदाय से आते हैं, और भाजपा में पहले ही दो बड़े पंजाबी चेहरे पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर और पूर्व गृह मंत्री अनिल विज हैं। ऐसे में भाजपा अब पंजाबियों के अलावा अन्य वर्ग पर फोकस करना चाहती है। भाटिया को भी इसका एहसास हो चुका है, इसलिए वह करनाल में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान एक्टिव नहीं दिखे। वह सिर्फ मनोहर लाल के नॉमिनेशन में ही पहुंचे थे, इसके बाद वह ग्राउंड में नहीं दिखाई दिए। हरियाणा | दैनिक भास्कर