हरियाणा में अब साइबर ठग IPS ऑफिसरों के नाम से फर्जी फेसबुक ID बनाकर व उनकी फोटो लगाकर लोगों को अपने जाल में फांस रहे है। ऐसे दो मामले सामने आ चुके हैं। जिनमें साइबर ठगों ने दो बड़े IPS अधिकारियों की फर्जी फेसबुक ID बनाई है। जिनमें से कुछ लोगों से रुपए भी मांगे है। इन दोनों अधिकारियों में एक IPS अधिकारी डॉ. राजश्री है, डॉ. राजश्री मौजूदा समय में मधुबन की हरियाणा पुलिस अकादमी में IG पद पर तैनात है। वह करनाल में भी ट्रैफिक एंड हाईवे करनाल में IG पद पर भी रह चुकी हैं। आईजी की नकली आईडी से साइबर ठग लोगों को मैसेज करते है और पुलिस में नौकरी लगवाने के नाम पर पैसे मांगते है। ID ने इसको लेकर एफआईआर तो करवाई ही है, साथ ही अपनी फेसबुक से पोस्ट भी डाली है और बताया है कि उनकी ओरिजिनल फेसबुक पर ब्लू टिक है, इसलिए किसी ओर ID से कोई मैसेज आता है तो उत्तर न दे। DIG पंकज नैन की भी फर्जी ID साइबर ठगों ने एंटी करप्शन ब्यूरो के DIG IPS पंकज नैन की भी फर्जी फेसबुक ID बनाई हुई है। जिसमें साइबर ठग ने उस फर्जी फेसबुक ID की प्रोफाइल पर एक लड़की की फोटो लगाई हुई थी तो वहीं कवर फोटो पर IPS पंकज नैन की वर्दी में फोटो लगाई हुई थी। इस फर्जी ID में स्क्रीनशॉट को ब्लॉक किया हुआ था यानी उस फर्जी फेसबुक ID का मोबाइल से स्क्रीनशॉट नहीं लिया गया। अलग-अलग तरीको से मांगते है रुपए साइबर अपराधी फर्जी ID से लोगों पर मैसेज कर अलग अलग तरीकों से रुपये मांगते हैं। इसके लिए वह बैंक खाता नंबर व मोबाइल नंबर मैसेज में भेजते हैं। जब उस मोबाइल नंबर को व्हाट्सएप पर चेक किया जाता है तो उस नंबर पर भी उस अधिकारी की फोटो लगाई होती है, ताकि रुपए भेज रहा है तो उसे विश्वास हो जाए कि अधिकारी असली है। जिसे सच मानकर लोग पैसे भेज देते है और उन्हें बाद में पता चलता है कि आप लोगों के साथ धोखा हुआ है। क्या बोली IG राजश्री IG डॉ. राजश्री सिंह से बात की गई तो उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी ने मेरी फेसबुक ID फर्जी बनाई हुई है। जो रुपए मांगने के लिए मैसेज कर रहे है। अगर किसी के पास मैसेज आ रहा है तो एक बार संबंधित व्यक्ति से कॉल पर बात जरूर कर ले, और बिना बात किए, किसी को भी पैसे ट्रांसफर न करे। अब उठे सवाल साइबर ठग इतने शातिर हो चुके है कि अब वे अधिकारियों की ही फर्जी ID बनाकर पैसे मांग रहे है। ऐसे में पैसे डालने वाला व्यक्ति भी जल्द ही विश्वास में आ जाता है और पैसे भेज भी देता है। अगर अधिकारियों की ही आईडी फर्जी बनाई जा रही है तो आम जन की तो कोई भी आसानी से फर्जी आईडी बना सकता है। ऐसे में साइबर ठगों के हौसले काफी बढ़ चुके है। अगर समय रहते पुलिस ने कोई बड़ा एक्शन नहीं लिया तो साइबर ठगी का बाजार और भी ज्यादा बढ़ता चला जाएगा। हरियाणा में अब साइबर ठग IPS ऑफिसरों के नाम से फर्जी फेसबुक ID बनाकर व उनकी फोटो लगाकर लोगों को अपने जाल में फांस रहे है। ऐसे दो मामले सामने आ चुके हैं। जिनमें साइबर ठगों ने दो बड़े IPS अधिकारियों की फर्जी फेसबुक ID बनाई है। जिनमें से कुछ लोगों से रुपए भी मांगे है। इन दोनों अधिकारियों में एक IPS अधिकारी डॉ. राजश्री है, डॉ. राजश्री मौजूदा समय में मधुबन की हरियाणा पुलिस अकादमी में IG पद पर तैनात है। वह करनाल में भी ट्रैफिक एंड हाईवे करनाल में IG पद पर भी रह चुकी हैं। आईजी की नकली आईडी से साइबर ठग लोगों को मैसेज करते है और पुलिस में नौकरी लगवाने के नाम पर पैसे मांगते है। ID ने इसको लेकर एफआईआर तो करवाई ही है, साथ ही अपनी फेसबुक से पोस्ट भी डाली है और बताया है कि उनकी ओरिजिनल फेसबुक पर ब्लू टिक है, इसलिए किसी ओर ID से कोई मैसेज आता है तो उत्तर न दे। DIG पंकज नैन की भी फर्जी ID साइबर ठगों ने एंटी करप्शन ब्यूरो के DIG IPS पंकज नैन की भी फर्जी फेसबुक ID बनाई हुई है। जिसमें साइबर ठग ने उस फर्जी फेसबुक ID की प्रोफाइल पर एक लड़की की फोटो लगाई हुई थी तो वहीं कवर फोटो पर IPS पंकज नैन की वर्दी में फोटो लगाई हुई थी। इस फर्जी ID में स्क्रीनशॉट को ब्लॉक किया हुआ था यानी उस फर्जी फेसबुक ID का मोबाइल से स्क्रीनशॉट नहीं लिया गया। अलग-अलग तरीको से मांगते है रुपए साइबर अपराधी फर्जी ID से लोगों पर मैसेज कर अलग अलग तरीकों से रुपये मांगते हैं। इसके लिए वह बैंक खाता नंबर व मोबाइल नंबर मैसेज में भेजते हैं। जब उस मोबाइल नंबर को व्हाट्सएप पर चेक किया जाता है तो उस नंबर पर भी उस अधिकारी की फोटो लगाई होती है, ताकि रुपए भेज रहा है तो उसे विश्वास हो जाए कि अधिकारी असली है। जिसे सच मानकर लोग पैसे भेज देते है और उन्हें बाद में पता चलता है कि आप लोगों के साथ धोखा हुआ है। क्या बोली IG राजश्री IG डॉ. राजश्री सिंह से बात की गई तो उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी ने मेरी फेसबुक ID फर्जी बनाई हुई है। जो रुपए मांगने के लिए मैसेज कर रहे है। अगर किसी के पास मैसेज आ रहा है तो एक बार संबंधित व्यक्ति से कॉल पर बात जरूर कर ले, और बिना बात किए, किसी को भी पैसे ट्रांसफर न करे। अब उठे सवाल साइबर ठग इतने शातिर हो चुके है कि अब वे अधिकारियों की ही फर्जी ID बनाकर पैसे मांग रहे है। ऐसे में पैसे डालने वाला व्यक्ति भी जल्द ही विश्वास में आ जाता है और पैसे भेज भी देता है। अगर अधिकारियों की ही आईडी फर्जी बनाई जा रही है तो आम जन की तो कोई भी आसानी से फर्जी आईडी बना सकता है। ऐसे में साइबर ठगों के हौसले काफी बढ़ चुके है। अगर समय रहते पुलिस ने कोई बड़ा एक्शन नहीं लिया तो साइबर ठगी का बाजार और भी ज्यादा बढ़ता चला जाएगा। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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बवानी खेड़ा में चुनाव में विकास बना मुद्दा:लोग बोले- काम करते तो बन जाती बात; कांग्रेस व बीजेपी से कई दावेदार हरियाणा में विधानसभा चुनावों को लेकर बिगुल बज चुका है। चुनाव आयोग ने तारीख निर्धारित कर दी है। बवानी खेड़ा विधान सभा की बात की जाए तो कांग्रेस से लगभग 78 दावेदार है, तो बीजेपी में भी दर्जनों उम्मीदवार दावेदारी कर रहे हैं। विधानसभा चुनाव को लेकर लोगों ने कहा कि पार्टी उम्मीदवार चुनाव से पहले कस्बा में रिहायश बनाकर यहां विकास के साथ हर दुख सुख में साथी बनने का वायदा करता है। लेकिन कस्बा की किस्मत इस मामले में फूटी हुई है। यहां से जीतने के बाद यहां का नुमाईंदा यहां शकल दिखाना भी पसंद नहीं करता। जनता के फोन उठाने में भी नुमांदों को शर्म आने लगती है। लेकिन इस बार 2024 के चुनावों में बड़ा उलटफेर होने का अंदेशा साफ दिखाई दे रहा है। टिकट न मिलने पर दूसरी पार्टी के टच में नेता बवानी खेड़ा में कांग्रेस पार्टी से लगभग 78 दावेदार है, तो बीजेपी में भी दर्जनों उम्मीदवार है जो टिकट का दावा कर रहे हैं। लेकिन टिकट एक को ही मिलनी है, कुछ उम्मीदवार ऐसे हैं जो पिछले काफी समय से अपने आकाओं को संतुष्ट करने के लिए काम-दाम-दंड-भेद सब अपना कर भीड़ दिखाने का प्रयास रहे हैं। लेकिन उनकी स्वयं की हरकतों से अब उन्हें अंदेशा होने लगा है कि उनके हाथ टिकट नहीं आने वाली जिसके कारण वे दूसरी पार्टी में सेटिंग के लिए जुगाड़ भिड़ा रहे हैं चाहे दूसरी पार्टियों के चर्चे भी कुछ खास न हो। चाहे चुनाव का परिणाम जो भी हो लेकिन उनकी मंशा विधानसभा चुनाव लड़ना है। जनता में आकर उनकी सुनते तो बन सकती थी फिर बात बवानी खेड़ा से ऐसे-ऐसे नेता भी हैं जिन्होंने जनता की सुनी और उनके दिल पर राज किया और जनता ने भी उन्हें पलकों पर बैठाया और हैट्रिक का तोहफा दिया। लेकिन कुछ नेता ऐसे भी हैं यदि पार्टी उन्हें टिकट दे, तो हैट्रिक बना सकते थे यदि जनता के बीच आकर दुख-दर्द के साथी बनते। लेकिन अब कुछ लोगों तक ही सिमट कर रह गए। इसबार कस्बा की जनता चाहती है हलके की बागडोर स्थानीय नेता को दी जाए, ताकि यहीं रहकर कस्बा सहित हलके का विकास करे। लेकिन ये तो वक्त बताएगा की पार्टी किसको टिकट देती है और जनता किसके पक्ष में मतदान करती है। करोड़ों खर्च किए पर नहीं बन पाई बात बवानी खेड़ा में भाजपा सरकार के विकास की बात करें तो पंडित दीन दयाल उपाध्याय पर्यटन स्थल जिसका टैंडर लगभग एक करोड़ से कम का था। इसे रिवाइज करके तीन करोड़ पहुंचा दिया लेकिन ये झील कभी पूरी हो ही नहीं पाई। पहले यहां पालतू पशु पानी पीते थे। आज यह डरावना कुंआ बना हुआ है। इसी झील की दो बार विजिलेंस इंक्वारी हुई लेकिन कुछ हल नहीं निकला। वहीं हांसी चुंगी पर करोड़ों की लागत से अग्निशमन केन्द्र व डॉ. हेडग्वार सभागार बनाया गया। जिसे बने हुए लगभग तीन वर्ष हो चुके हैं लेकिन इसका उद्घाटन अभी तक नहीं हुआ और ये भन जर्जर हालत में हो रहे हैं। इसके अलावा सीवरेज व्यवस्था पर करोड़ों खर्च हुए लेकिन ये कस्बावासियों के गले की फांस बनी हुई है। ऐसा रहा बवानी खेड़ा विधान सभा का इतिहास इतिहास खंगालने व जानकारों की मानें तो 1967 में जगन्नाथ, 1968 में सूबेदार प्रभु सिंह, 1972 अमर सिंह, 1977 जगन्नाथ, 1982 में अमर सिंह, 1987 में जगन्नाथ, 1991 में अमर सिंह, 1996 में जगन्नाथ, 2000-2005-2009 रामकिशन फौजी, 2014, 2019 विशंभर वाल्मीकि ने विजय हासिल की। यहां से नेताओं को मंत्रिमंडल में भी स्थान मिला। लेकिन विकास के नाम पर क्या और कितना हुआ किसी से छिपा नहीं। आज करोड़ों रूपए लगाने पश्चात भवन खंडहर बनने को मजबूर दिखाई दे रहे हैं। मंत्री बनने के बाद हलका विकास के मामले में चमकना चाहिए था। लेकिन विकास कस्बा व हलके से कोसों दूर दिखाई देता है।
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रात को 2 बजे बुलाया, फिर की हत्या योजनानुसार 8 जून को नीलम कंपनी में पुष्पेन्द्र से मिली और उसे 8/9 जून की रात को 2 बजे अपने कमरे पर आने के लिए कहा। नीलम के कहे अनुसार पुष्पेन्द्र बताए गए समय पर नीलम के कमरे पर पहुंच गया। इसके बाद नीलम ने अपने पति रामनिवास के साथ मिलकर पुष्पेन्द्र के मुंह में कपड़ा डालकर व उसका गला दबाकर उसकी हत्या कर दी। शव को कट्टे में बांध नहर में फेंका हत्या करने के बाद इन्होंने शव को एक कट्टे में बांध दिया, फिर आरोपी रामनिवास शव को अपने ऑटो रिक्शा में रखकर धनकोट नहर पर ले गया और नहर में फेंककर अपने कमरे पर वापस आ गया। पुलिस से बचने के लिए इन्होंने उसी दिन अपना किराये का कमरा भी बदल लिया था।फिलहाल पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर आगे की कार्यवाही शुरू कर दी है।