इमरान मसूद सहारनपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर सांसद बन गए। उन्होंने कांग्रेस के बढ़ते जनाधार की वजह भारत जोड़ो यात्रा को बताया। राहुल गांधी को इस बदलाव का हीरो बताया। सपा मुखिया अखिलेश यादव की सोशल इंजीनियरिंग और टिकट वितरण की तारीफ की। उनका कहना है, दोनों युवा नेताओं की मेहनत की वजह से ये रिजल्ट आया। बसपा सुप्रीमो मायावती पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा- बहनजी अगर गठबंधन के साथ होतीं तो वो इन हालात में देश की प्रधानमंत्री बन सकती थीं। यही मैंने बसपा में रहते हुए समझाया था, लेकिन मुझे पार्टी से ही निकाल दिया। नतीजा यूपी में बसपा शून्य पर आ गई। वह गठबंधन के साथ होतीं तो उनकी पार्टी की स्थिति ये न होती। यूपी में गठबंधन और भी कमाल कर सकता था। इमरान मसूद ने दैनिक भास्कर से बातचीत की। पढ़िए पूरा इंटरव्यू… सवाल: सहारनपुर से कांग्रेस का 40 साल बाद सूखा खत्म हुआ। आप 12 साल बाद चुनाव जीते?
जवाब: सुखद अनुभव है। लोगों ने साथ और मोहब्बतें दी। मुझे हर वर्ग के लोगों ने वोट दिया। इमरान मसूद को कोई भी ये नहीं कह सकता कि ये किसी एक वर्ग का वोट लेकर चुनाव जीता है। भरपूर वोट दिया और तभी मेरी जीत संभव हुई। सवाल: बसपा ने आपको पार्टी से निकाल दिया, क्या जीत से सियासी बदला पूरा हो गया?
जवाब: बसपा ने मुझे निकालकर अपना बहुत बड़ा नुकसान किया। बसपा आज कहां खड़ी है? मैंने जो बात बहनजी को कही थी। अगर बहनजी ने मेरी बात मानी होती तो देश में राजनीति परिस्थिति दूसरी होती। बहनजी ने मेरी बात मानी नहीं। अपना नुकसान किया और पूरे गठबंधन का नुकसान किया। सवाल: आप सपा को छोड़कर कांग्रेस में आए, अखिलेश से तालमेल कैसे बैठेगा?
जवाब: अखिलेश जी से मेरा तालमेल बहुत अच्छा है। वह यूपी के बड़े नेता हैं। अगर तालमेल न होता, तो क्या मैं चुनाव लड़ता। सवाल: यूपी में सपा को 37 और कांग्रेस को 6 सीटें मिलीं। किसे क्रेडिट देंगे?
जवाब: भारत जोड़ो यात्रा के बाद राहुल गांधी ने एक माहौल बना दिया। सीटों के अंदर वो किस प्रकार से तब्दील हुआ, ये अलग विषय है। पूरे देश में मिले जनाधार का क्रेडिट राहुल गांधी को है। उन्होंने देश के नौजवानों और किसानों के अंदर एक क्रांति पैदा की। यह उसी का नतीजा है। कोई डाउट नहीं अखिलेश यादव ने यूपी में बहुत अच्छी सोशल इंजीनियरिंग की। उन्होंने जो टिकट दिए, वो बेहतरीन रहा। इसलिए ये सब संभव हो सका। सवाल: आपके चुनाव हमेशा हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण के इर्द-गिर्द रहे। जीत का कारण क्या है?
जवाब: (हंसते हुए) रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाई पर वचन न जाई। जिस प्रकार जनता ने अपना वचन निभाया। अब मेरी बारी है, वचन निभाने की। सवाल: इस बार चुनाव में आपने सीमित भाषणबाजी की। क्या आलाकमान से हिदायत थी?
जवाब: नहीं, आलाकमान से कोई हिदायत नहीं थी। मैं कभी गलत भाषणबाजी नहीं करता। मेरी परवरिश और लालन-पालन उस परिवेश में हुआ है, जहां सांप्रदायिकता नाम की कोई चीज नहीं। हम लोगों के लिए सब लोग बराबर हैं। अब मैं चुनाव जीत गया हूं। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, किसने मुझे वोट दिया और किसने नहीं। जिसने वोट नहीं दिया, उसका भी काम करेंगे। हमारे पास जो भी आएगा, सभी का काम कराया जाएगा। सवाल: राम मंदिर बनवाने के बाद भी अयोध्या सीट भाजपा हार गई। क्या कहेंगे?
जवाब: भाजपा से रामजी नाराज हैं। भाजपा को मंथन और चिंतन करना चाहिए। रामजी क्यों नाराज हैं? इन्होंने नारा दिया था- जो राम को लाए हैं, हम उनको लाएंगे। क्या ये लोग राम को लाने वाले हैं। राम हम सबके हैं। उनका आशीर्वाद हमें भी मिलता है, मिला भी। तभी जीत हासिल की। सवाल: नगीना सीट से चंद्रशेखर आजाद चुनाव जीते हैं। क्या कहेंगे?
जवाब: चंद्रशेखर मेरा छोटा भाई है। उसको शुभकामनाएं। उसने संघर्ष और मेहनत की है। उसके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं। सवाल: बसपा का सूपड़ा साफ हो गया। इसका जिम्मेदार मायावती को मानते हैं?
जवाब: राजनीति के अंदर समीकरण दिखाई देते हैं, कोई भविष्यवाणी नहीं थी। बसपा ने यूपी में भाजपा की B-टीम के रूप में काम किया। गठबंधन को 16 सीटें हरवाने का काम किया। अगर ये 16 सीटें गठबंधन जीत जाता, तो देश के अंदर राजनीतिक परिस्थिति दूसरी होती। अगर बहनजी गठबंधन का पार्ट होतीं, तो उनकी पार्टी की परिस्थिति भी दूसरी होती। हो सकता था, इस हालात में देश की प्रधानमंत्री बन जाती। मैंने यही बात कह दी थी, तो मुझे पार्टी से निकाल दिया था। सवाल: अमेठी में भाजपा से स्मृति ईरानी चुनाव हार गईं, इस पर क्या कहेंगे?
जवाब: मैं कुछ भी नहीं कहूंगा। वो कोई मुद्दा ही नहीं हैं। वो एक हवा के बुलबुले की तरह थीं। आईं और चली गईं। उनके बारे में क्या कहना? उनका कोई मुकाबला है, जो उनके बारे में चर्चा करें। सवाल: सहारनपुर में क्या काम करेंगे, जो आपको लगता था कि होना चाहिए था?
जवाब: सबसे पहले स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना है। सहारनपुर में हेल्थ सेक्टर इतना कमजोर है कि यहां के मरीजों को रेफर किया जाता है। हेल्थ सेक्टर को मजबूत करने के लिए मुझसे जो हो सकेगा, करूंगा। 40 साल बाद कांग्रेस को सहारनपुर लोकसभा सीट पर मिली जीत
सहारनपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस को 40 साल बाद जीत मिली। इमरान मसूद 12 साल बाद चुनाव जीते। 1984 में आखिरी बार कांग्रेस के टिकट से चौधरी यशपाल सिंह सांसद बने थे। वहीं, 23 साल बाद काजी परिवार संसद की चौखट पर पहुंचा। 2001 में इमरान मसूद के चाचा काजी रशीद मसूद सपा के टिकट पर जीतकर संसद में पहुंचे थे। अगर इमरान मसूद की बात करें, तो 12 साल में कोई चुनाव जीते। इससे पहले वो 2007 में मुजफ्फराबाद विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव जीते थे। इमरान मसूद की जीत के 3 कारण इमरान मसूद सहारनपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर सांसद बन गए। उन्होंने कांग्रेस के बढ़ते जनाधार की वजह भारत जोड़ो यात्रा को बताया। राहुल गांधी को इस बदलाव का हीरो बताया। सपा मुखिया अखिलेश यादव की सोशल इंजीनियरिंग और टिकट वितरण की तारीफ की। उनका कहना है, दोनों युवा नेताओं की मेहनत की वजह से ये रिजल्ट आया। बसपा सुप्रीमो मायावती पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा- बहनजी अगर गठबंधन के साथ होतीं तो वो इन हालात में देश की प्रधानमंत्री बन सकती थीं। यही मैंने बसपा में रहते हुए समझाया था, लेकिन मुझे पार्टी से ही निकाल दिया। नतीजा यूपी में बसपा शून्य पर आ गई। वह गठबंधन के साथ होतीं तो उनकी पार्टी की स्थिति ये न होती। यूपी में गठबंधन और भी कमाल कर सकता था। इमरान मसूद ने दैनिक भास्कर से बातचीत की। पढ़िए पूरा इंटरव्यू… सवाल: सहारनपुर से कांग्रेस का 40 साल बाद सूखा खत्म हुआ। आप 12 साल बाद चुनाव जीते?
जवाब: सुखद अनुभव है। लोगों ने साथ और मोहब्बतें दी। मुझे हर वर्ग के लोगों ने वोट दिया। इमरान मसूद को कोई भी ये नहीं कह सकता कि ये किसी एक वर्ग का वोट लेकर चुनाव जीता है। भरपूर वोट दिया और तभी मेरी जीत संभव हुई। सवाल: बसपा ने आपको पार्टी से निकाल दिया, क्या जीत से सियासी बदला पूरा हो गया?
जवाब: बसपा ने मुझे निकालकर अपना बहुत बड़ा नुकसान किया। बसपा आज कहां खड़ी है? मैंने जो बात बहनजी को कही थी। अगर बहनजी ने मेरी बात मानी होती तो देश में राजनीति परिस्थिति दूसरी होती। बहनजी ने मेरी बात मानी नहीं। अपना नुकसान किया और पूरे गठबंधन का नुकसान किया। सवाल: आप सपा को छोड़कर कांग्रेस में आए, अखिलेश से तालमेल कैसे बैठेगा?
जवाब: अखिलेश जी से मेरा तालमेल बहुत अच्छा है। वह यूपी के बड़े नेता हैं। अगर तालमेल न होता, तो क्या मैं चुनाव लड़ता। सवाल: यूपी में सपा को 37 और कांग्रेस को 6 सीटें मिलीं। किसे क्रेडिट देंगे?
जवाब: भारत जोड़ो यात्रा के बाद राहुल गांधी ने एक माहौल बना दिया। सीटों के अंदर वो किस प्रकार से तब्दील हुआ, ये अलग विषय है। पूरे देश में मिले जनाधार का क्रेडिट राहुल गांधी को है। उन्होंने देश के नौजवानों और किसानों के अंदर एक क्रांति पैदा की। यह उसी का नतीजा है। कोई डाउट नहीं अखिलेश यादव ने यूपी में बहुत अच्छी सोशल इंजीनियरिंग की। उन्होंने जो टिकट दिए, वो बेहतरीन रहा। इसलिए ये सब संभव हो सका। सवाल: आपके चुनाव हमेशा हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण के इर्द-गिर्द रहे। जीत का कारण क्या है?
जवाब: (हंसते हुए) रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाई पर वचन न जाई। जिस प्रकार जनता ने अपना वचन निभाया। अब मेरी बारी है, वचन निभाने की। सवाल: इस बार चुनाव में आपने सीमित भाषणबाजी की। क्या आलाकमान से हिदायत थी?
जवाब: नहीं, आलाकमान से कोई हिदायत नहीं थी। मैं कभी गलत भाषणबाजी नहीं करता। मेरी परवरिश और लालन-पालन उस परिवेश में हुआ है, जहां सांप्रदायिकता नाम की कोई चीज नहीं। हम लोगों के लिए सब लोग बराबर हैं। अब मैं चुनाव जीत गया हूं। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, किसने मुझे वोट दिया और किसने नहीं। जिसने वोट नहीं दिया, उसका भी काम करेंगे। हमारे पास जो भी आएगा, सभी का काम कराया जाएगा। सवाल: राम मंदिर बनवाने के बाद भी अयोध्या सीट भाजपा हार गई। क्या कहेंगे?
जवाब: भाजपा से रामजी नाराज हैं। भाजपा को मंथन और चिंतन करना चाहिए। रामजी क्यों नाराज हैं? इन्होंने नारा दिया था- जो राम को लाए हैं, हम उनको लाएंगे। क्या ये लोग राम को लाने वाले हैं। राम हम सबके हैं। उनका आशीर्वाद हमें भी मिलता है, मिला भी। तभी जीत हासिल की। सवाल: नगीना सीट से चंद्रशेखर आजाद चुनाव जीते हैं। क्या कहेंगे?
जवाब: चंद्रशेखर मेरा छोटा भाई है। उसको शुभकामनाएं। उसने संघर्ष और मेहनत की है। उसके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं। सवाल: बसपा का सूपड़ा साफ हो गया। इसका जिम्मेदार मायावती को मानते हैं?
जवाब: राजनीति के अंदर समीकरण दिखाई देते हैं, कोई भविष्यवाणी नहीं थी। बसपा ने यूपी में भाजपा की B-टीम के रूप में काम किया। गठबंधन को 16 सीटें हरवाने का काम किया। अगर ये 16 सीटें गठबंधन जीत जाता, तो देश के अंदर राजनीतिक परिस्थिति दूसरी होती। अगर बहनजी गठबंधन का पार्ट होतीं, तो उनकी पार्टी की परिस्थिति भी दूसरी होती। हो सकता था, इस हालात में देश की प्रधानमंत्री बन जाती। मैंने यही बात कह दी थी, तो मुझे पार्टी से निकाल दिया था। सवाल: अमेठी में भाजपा से स्मृति ईरानी चुनाव हार गईं, इस पर क्या कहेंगे?
जवाब: मैं कुछ भी नहीं कहूंगा। वो कोई मुद्दा ही नहीं हैं। वो एक हवा के बुलबुले की तरह थीं। आईं और चली गईं। उनके बारे में क्या कहना? उनका कोई मुकाबला है, जो उनके बारे में चर्चा करें। सवाल: सहारनपुर में क्या काम करेंगे, जो आपको लगता था कि होना चाहिए था?
जवाब: सबसे पहले स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना है। सहारनपुर में हेल्थ सेक्टर इतना कमजोर है कि यहां के मरीजों को रेफर किया जाता है। हेल्थ सेक्टर को मजबूत करने के लिए मुझसे जो हो सकेगा, करूंगा। 40 साल बाद कांग्रेस को सहारनपुर लोकसभा सीट पर मिली जीत
सहारनपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस को 40 साल बाद जीत मिली। इमरान मसूद 12 साल बाद चुनाव जीते। 1984 में आखिरी बार कांग्रेस के टिकट से चौधरी यशपाल सिंह सांसद बने थे। वहीं, 23 साल बाद काजी परिवार संसद की चौखट पर पहुंचा। 2001 में इमरान मसूद के चाचा काजी रशीद मसूद सपा के टिकट पर जीतकर संसद में पहुंचे थे। अगर इमरान मसूद की बात करें, तो 12 साल में कोई चुनाव जीते। इससे पहले वो 2007 में मुजफ्फराबाद विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव जीते थे। इमरान मसूद की जीत के 3 कारण उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर