करनाल के घरौंडा से BJP विधायक हरविंदर कल्याण हरियाणा विधानसभा के नए अध्यक्ष बन गए हैं। शुक्रवार को CM नायब सैनी ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा। जिसे सर्वसम्मति से पास कर दिया गया। कल्याण विधानसभा के 18वें अध्यक्ष होंगे। कल्याण लगातार तीसरी बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। उनकी जीत के बाद से ही उनके सरकार में शामिल होने की चर्चा थी, लेकिन मंत्रिमंडल गठन में उनका नाम नहीं आया। जिसके बाद उन्हें अध्यक्ष बनाने की चर्चा तेज हो गई और आखिरकार पार्टी हाईकमान ने उन्हें अध्यक्ष बनाने का फैसला ले लिया। कल्याण के पिता ने भी लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़े लेकिन जीत नहीं पाए। उनकी विधानसभा पहुंचने की इच्छा कल्याण ने ही पूरी की। कांग्रेस में रहते उनकी टिकट काट दी गई थी। बसपा से वह चुनाव हार गए लेकिन भाजपा में आते ही जीत की हैट्रिक लगा दी। पूर्व CM मनोहर लाल के करीबी हरविंदर कल्याण केंद्रीय मंत्री एवं पूर्व सीएम मनोहर लाल के करीबी माने जाते हैं। पूर्व सीएम के कार्यकाल में उन्होंने अपने क्षेत्र में अच्छे विकास कार्य कराए हैं। पूर्व सीएम मनोहर लाल जब भी करनाल आते हैं तो कल्याण से जरूर मिलते हैं। कई बार मनोहर लाल उनके आवास पर आते हैं। खट्टर के सीएम रहते कल्याण ने अपने विधानसभा क्षेत्र में पंडित दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय बनवाया है। कल्याण को पार्टी ने कभी मंत्री नहीं बनाया, लेकिन उन्होंने कभी इसका विरोध भी नहीं किया। अपनी ईमानदार छवि और अपने क्षेत्र में करोड़ों रुपए के विकास कार्य करवाने के कारण कल्याण पूर्व सीएम की गुड लिस्ट में रहे हैं। कल्याण के बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल होने के पीछे भी मनोहर लाल का ही हाथ है। हरियाणा गठन के एक साल बाद जन्म हुआ
हरविंदर कल्याण का जन्म हरियाणा गठन के एक साल बाद करनाल के मधुबन के कुटैल गांव के किसान परिवार में हुआ। किसान परिवार से आने वाले हरविंदर सिंह ने अपने राजनीतिक करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। 18 साल की उम्र में कल्याण ने महाराष्ट्र के यवतमाल जिले के पुसाद में स्थित बाबासाहेब नाइक कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से सिविल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की पढ़ाई शुरू की। उनकी पत्नी, रेशमा कल्याण, गृहिणी और लेखिका हैं। रेशमा के पिता मनोहर नाइक महाराष्ट्र विधानसभा में पुसद विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं। 2004 में की थी गांव-गांव की पद यात्रा
वर्ष-2004 में हरविंदर कल्याण कांग्रेस में प्रदेश महासचिव के पद पर थे। 2005 में होने वाले विधानसभा चुनावों में कल्याण का नाम टिकट के प्रबल दावेदारों में शामिल था। इसी बीच लोगों से जुड़ने के लिए और गांवों के हालातों का जायजा लेने के लिए इन्होंने पदयात्रा शुरू की थी। हरविंदर कल्याण की यह पदयात्रा 18 दिन तक चली थी। 18 दिन तक वे घर से बाहर ही रहे थे। रात को ग्रामीणों के बीच ही रहा करते थे। उन्हीं के बीच खाते थे और उन्हीं के बीच सो जाते थे। इन्होंने अपनी यात्रा के दौरान गांव की प्रत्येक समस्या को जाना था और ग्रामीणों को भी आश्वस्त किया था कि अगर उन्हें विधानसभा का टिकट और जनता का आशीर्वाद मिलता है तो वे गांव की समस्याओं को जड़ से खत्म करने का काम करेंगे। मगर, 2005 के चुनाव में कांग्रेस ने उनकी जगह विरेंद्र सिंह राठौर को टिकट दे दिया था। पिता के सपने को साकार करने वाले बेटे हरिवंदर कल्याण
हरविंदर कल्याण के नजदीकियों की मानें तो हरविंदर के पिता देवी सिंह कल्याण राजनीति में गहरी रुचि रखते थे। उन्होंने राजनीति में किस्मत अजमाई। सांसद और विधायक के चुनाव भी लड़े, लेकिन कोई सफलता नहीं मिल पाई। हालांकि उन्हें हरियाणा एग्रो इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन लिमिटेड में अध्यक्ष तो बनाया गया, लेकिन कहीं न कहीं विधानसभा या फिर संसद में पहुंचने का उनका सपना अधूरा रह गया। हरविंदर कल्याण अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए राजनीति के मैदान में कूद गए और अपनी कड़ी मेहनत के बल पर अपनी पहचान बनाई। 2005 में विधानसभा के टिकट के दावेदारों में शामिल हुए, लेकिन टिकट नहीं मिला। 2009 में कांग्रेस को छोड़ा और बहुजन समाज पार्टी में शामिल होकर बीएसपी की टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन तीसरे स्थान पर रहे। 2014 में टर्निंग प्वाइंट आया और इन्होंने बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ा और भारी मतों से जीत दर्ज की। इसके बाद इन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। लगातार सफलता हासिल करते गए और आज स्पीकर के पद तक पहुंचे है। इन्होंने अपने पिता के सपने को साकार किया। हरविंदर कल्याण की एक बेटी, फाउंडेशन चलाती हैं
हरविंदर कल्याण और रेशमा कल्याण की एक बेटी है। जिसका नाम ऐषणा कल्याण है। ऐषणा की शादी मुंबई में हो चुकी है और उनके पति चंडीगढ़ में जॉब करते है। ऐषणा ने हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में डटकर मोर्चा संभाला और महिलाओं की एक बड़ी टीम खड़ी की। ऐषणा कल्याण अपना एक फाउंडेशन भी चलाती हैं, जिसका नाम वरित्रा फाउंडेशन है। जिसके माध्यम से वह समाज सेवा का कार्य करती हैं। यह खबर भी पढ़ें… कल्याण हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष, मिड्ढा उपाध्यक्ष बने:सर्वसम्मति से चुने गए; हुड्डा बोले- विज-ढांडा को कसके रखना, सदन अच्छा चलेगा हरियाणा विधानसभा का नया अध्यक्ष हरविंदर कल्याण को चुना गया है। शुक्रवार को विधानसभा सत्र में CM नायब सैनी ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा। इसके बाद CM ने हरविंदर कल्याण को गले मिलकर बधाई दी। CM ने कल्याण को कुर्सी पर बैठाया। वहीं विधानसभा उपाध्यक्ष (डिप्टी स्पीकर) डॉ. कृष्ण मिड्ढा को चुना गया। कैबिनेट मंत्री कृष्णलाल पंवार ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा। (पूरे खबर पढ़ें) करनाल के घरौंडा से BJP विधायक हरविंदर कल्याण हरियाणा विधानसभा के नए अध्यक्ष बन गए हैं। शुक्रवार को CM नायब सैनी ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा। जिसे सर्वसम्मति से पास कर दिया गया। कल्याण विधानसभा के 18वें अध्यक्ष होंगे। कल्याण लगातार तीसरी बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। उनकी जीत के बाद से ही उनके सरकार में शामिल होने की चर्चा थी, लेकिन मंत्रिमंडल गठन में उनका नाम नहीं आया। जिसके बाद उन्हें अध्यक्ष बनाने की चर्चा तेज हो गई और आखिरकार पार्टी हाईकमान ने उन्हें अध्यक्ष बनाने का फैसला ले लिया। कल्याण के पिता ने भी लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़े लेकिन जीत नहीं पाए। उनकी विधानसभा पहुंचने की इच्छा कल्याण ने ही पूरी की। कांग्रेस में रहते उनकी टिकट काट दी गई थी। बसपा से वह चुनाव हार गए लेकिन भाजपा में आते ही जीत की हैट्रिक लगा दी। पूर्व CM मनोहर लाल के करीबी हरविंदर कल्याण केंद्रीय मंत्री एवं पूर्व सीएम मनोहर लाल के करीबी माने जाते हैं। पूर्व सीएम के कार्यकाल में उन्होंने अपने क्षेत्र में अच्छे विकास कार्य कराए हैं। पूर्व सीएम मनोहर लाल जब भी करनाल आते हैं तो कल्याण से जरूर मिलते हैं। कई बार मनोहर लाल उनके आवास पर आते हैं। खट्टर के सीएम रहते कल्याण ने अपने विधानसभा क्षेत्र में पंडित दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय बनवाया है। कल्याण को पार्टी ने कभी मंत्री नहीं बनाया, लेकिन उन्होंने कभी इसका विरोध भी नहीं किया। अपनी ईमानदार छवि और अपने क्षेत्र में करोड़ों रुपए के विकास कार्य करवाने के कारण कल्याण पूर्व सीएम की गुड लिस्ट में रहे हैं। कल्याण के बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल होने के पीछे भी मनोहर लाल का ही हाथ है। हरियाणा गठन के एक साल बाद जन्म हुआ
हरविंदर कल्याण का जन्म हरियाणा गठन के एक साल बाद करनाल के मधुबन के कुटैल गांव के किसान परिवार में हुआ। किसान परिवार से आने वाले हरविंदर सिंह ने अपने राजनीतिक करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। 18 साल की उम्र में कल्याण ने महाराष्ट्र के यवतमाल जिले के पुसाद में स्थित बाबासाहेब नाइक कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से सिविल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की पढ़ाई शुरू की। उनकी पत्नी, रेशमा कल्याण, गृहिणी और लेखिका हैं। रेशमा के पिता मनोहर नाइक महाराष्ट्र विधानसभा में पुसद विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं। 2004 में की थी गांव-गांव की पद यात्रा
वर्ष-2004 में हरविंदर कल्याण कांग्रेस में प्रदेश महासचिव के पद पर थे। 2005 में होने वाले विधानसभा चुनावों में कल्याण का नाम टिकट के प्रबल दावेदारों में शामिल था। इसी बीच लोगों से जुड़ने के लिए और गांवों के हालातों का जायजा लेने के लिए इन्होंने पदयात्रा शुरू की थी। हरविंदर कल्याण की यह पदयात्रा 18 दिन तक चली थी। 18 दिन तक वे घर से बाहर ही रहे थे। रात को ग्रामीणों के बीच ही रहा करते थे। उन्हीं के बीच खाते थे और उन्हीं के बीच सो जाते थे। इन्होंने अपनी यात्रा के दौरान गांव की प्रत्येक समस्या को जाना था और ग्रामीणों को भी आश्वस्त किया था कि अगर उन्हें विधानसभा का टिकट और जनता का आशीर्वाद मिलता है तो वे गांव की समस्याओं को जड़ से खत्म करने का काम करेंगे। मगर, 2005 के चुनाव में कांग्रेस ने उनकी जगह विरेंद्र सिंह राठौर को टिकट दे दिया था। पिता के सपने को साकार करने वाले बेटे हरिवंदर कल्याण
हरविंदर कल्याण के नजदीकियों की मानें तो हरविंदर के पिता देवी सिंह कल्याण राजनीति में गहरी रुचि रखते थे। उन्होंने राजनीति में किस्मत अजमाई। सांसद और विधायक के चुनाव भी लड़े, लेकिन कोई सफलता नहीं मिल पाई। हालांकि उन्हें हरियाणा एग्रो इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन लिमिटेड में अध्यक्ष तो बनाया गया, लेकिन कहीं न कहीं विधानसभा या फिर संसद में पहुंचने का उनका सपना अधूरा रह गया। हरविंदर कल्याण अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए राजनीति के मैदान में कूद गए और अपनी कड़ी मेहनत के बल पर अपनी पहचान बनाई। 2005 में विधानसभा के टिकट के दावेदारों में शामिल हुए, लेकिन टिकट नहीं मिला। 2009 में कांग्रेस को छोड़ा और बहुजन समाज पार्टी में शामिल होकर बीएसपी की टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन तीसरे स्थान पर रहे। 2014 में टर्निंग प्वाइंट आया और इन्होंने बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ा और भारी मतों से जीत दर्ज की। इसके बाद इन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। लगातार सफलता हासिल करते गए और आज स्पीकर के पद तक पहुंचे है। इन्होंने अपने पिता के सपने को साकार किया। हरविंदर कल्याण की एक बेटी, फाउंडेशन चलाती हैं
हरविंदर कल्याण और रेशमा कल्याण की एक बेटी है। जिसका नाम ऐषणा कल्याण है। ऐषणा की शादी मुंबई में हो चुकी है और उनके पति चंडीगढ़ में जॉब करते है। ऐषणा ने हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में डटकर मोर्चा संभाला और महिलाओं की एक बड़ी टीम खड़ी की। ऐषणा कल्याण अपना एक फाउंडेशन भी चलाती हैं, जिसका नाम वरित्रा फाउंडेशन है। जिसके माध्यम से वह समाज सेवा का कार्य करती हैं। यह खबर भी पढ़ें… कल्याण हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष, मिड्ढा उपाध्यक्ष बने:सर्वसम्मति से चुने गए; हुड्डा बोले- विज-ढांडा को कसके रखना, सदन अच्छा चलेगा हरियाणा विधानसभा का नया अध्यक्ष हरविंदर कल्याण को चुना गया है। शुक्रवार को विधानसभा सत्र में CM नायब सैनी ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा। इसके बाद CM ने हरविंदर कल्याण को गले मिलकर बधाई दी। CM ने कल्याण को कुर्सी पर बैठाया। वहीं विधानसभा उपाध्यक्ष (डिप्टी स्पीकर) डॉ. कृष्ण मिड्ढा को चुना गया। कैबिनेट मंत्री कृष्णलाल पंवार ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा। (पूरे खबर पढ़ें) हरियाणा | दैनिक भास्कर