हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने OBC कार्ड खेला:हुड्‌डा बोले- सरकार बनी तो जातिगत जनगणना कराएंगे; भाजपा CM बना क्रीमीलेयर सीमा बढ़ा चुकी

हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने OBC कार्ड खेला:हुड्‌डा बोले- सरकार बनी तो जातिगत जनगणना कराएंगे; भाजपा CM बना क्रीमीलेयर सीमा बढ़ा चुकी

हरियाणा में 3 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले OBC वोटर्स को रिझाने के लिए कांग्रेस ने जातीय जनगणना का दांव खेल दिया है। कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्‌डा ने कहा- ”हमारी सरकार अगर प्रदेश में आई तो हम जातिगत जनगणना कराएंगे। हमने पहले भी 15% आरक्षण बढ़ाया था और उसी अनुसार आगे भी संवैधानिक आधार पर OBC समाज के लिए बढ़ाने का काम करेंगे।” हालांकि BJP केंद्रीय स्तर पर भी इसके पक्ष में नहीं है। ऐसे में जातीय जनगणना के दांव से जहां कांग्रेस OBC और SC वोट बैंक को साधने की कोशिश में है। वहीं भाजपा के लिए यह चुनावी मुसीबत बन सकता है। हालांकि OBC वर्ग से नायब सैनी को मुख्यमंत्री बना भाजपा जरूर कांग्रेस के दांव को फेल करने की कोशिश कर रही है। जातीय जनगणना में हर जाति की आबादी की गिनती की जाएगी। उसके हिसाब से आरक्षण की स्थिति तय की जा सकती है। सबसे पहले 5 पॉइंट में जातीय जनगणना और आरक्षण के बारे में जानिए .. 1. जातीय जनगणना का इतिहास क्या है?
देश में 1881 में पहली बार जातीय जनगणना हुई। तब देश की आबादी करीब 23.58 करोड़ थी। इसके बाद 1931 तक जातीय जनगणना होती रही। हालांकि इसके आंकड़े 1941 में भी जुटाए गए लेकिन इन्हें सार्वजनिक नहीं किया गया। देश के आजाद होने के बाद 1951 में भी जातीय जनगणना हुई लेकिन उस वक्त सिर्फ अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) की ही गणना हुई। 2. जातीय जनगणना बड़ा मुद्दा क्यों है?
जानकारों की मानें तो आरक्षण की सीमा निर्धारित होने की वजह से यह बड़ा मुद्दा है। चूंकि 1951 से सिर्फ SC और ST का ही आंकड़ा जारी होता है। ऐसे में OBC का अनुमान लगाना आसान नहीं है। 1990 में जब देश में मंडल आयोग की सिफारिशें लागू की गई तो उन्होंने OBC की आबादी 52% होने का अनुमान लगाया। हालांकि OBC वर्ग को जो 27% आरक्षण दिया गया, वह 1931 की जनगणना के आधार पर ही दिया गया था। जानकार कहते हैं कि SC/ST को तो आबादी के आधार पर आरक्षण मिलता है लेकिन OBC के आरक्षण का यह आधार नहीं है। 3. देश में जातिगत आरक्षण की व्यवस्था क्या है?
शुरुआत में आरक्षण सिर्फ 10 साल के लिए था लेकिन अब इसे हर 10 साल बाद आगे बढ़ा दिया जाता है। 1992 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकारी नौकरियों समेत अन्य जगहों पर आरक्षण की मियाद 50% से ज्यादा नहीं हो सकती। जिसके बाद SC, ST और OBC को इसी सीमा के भीतर आरक्षण मिलता है। देश में अभी जातिगत आरक्षण 49.5% है। जिसमें OBC को 27%, SC को 15% और ST को 7.5% आरक्षण मिलता है। इसके अलावा सवर्ण वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े (EWS) कैटेगरी में 10% आरक्षण दिया जा रहा है। इसके बाद आरक्षण 50% पार जरूर हुआ लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने माना कि EWS को आरक्षण का फैसला सही है। 4. जातिगत जनगणना बड़ा मुद्दा कैसे बनी?
इसकी शुरुआत राहुल गांधी ने की। उन्होंने कहा कि UPA सरकार ने 2011 में जातिगत जनगणना कराई थी, केंद्र सरकार उसके आंकड़े सार्वजनिक करे। हालांकि 2016 में मोदी सरकार ने जातिगत छोड़ इसके बाकी आंकड़े जारी कर दिए। राहुल गांधी की मांग पर NDA सरकार का कहना है कि उस जातिगत जनगणना में खामियां हैं, इसलिए उसे सार्वजनिक नहीं कर सकते। 5. जातिगत जनगणना हुई तो आरक्षण पर क्या असर पड़ेगा
जानकार बताते हैं कि अभी OBC को अनुमान के आधार पर आरक्षण है। अगर जातिगत जनगणना में उनकी आबादी ज्यादा निकली तो आरक्षण बढ़ाना पड़ सकता है। वहीं SC वर्ग को अभी 15% आरक्षण मिलता है। अगर उनकी आबादी ज्यादा निकली तो फिर वह आरक्षण बढ़ाने की मांग कर सकते हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के तय किए 50% के आरक्षण के फैसले से आंकड़ा बढ़ सकता है। जातिगत जनगणना का हरियाणा की राजनीति में क्या असर… 1. राज्य में OBC वर्ग की कितनी आबादी?
हरियाणा में OBC वर्ग की करीब 40% आबादी है। इसमें 78 जातियां आती हैं। जातिगत वोट बैंक के लिहाज से देखें तो करीब 21% वोटर्स OBC वर्ग से हैं। जातिगत जनगणना हुई तो सबसे बड़ा फायदा OBC वर्ग का ही माना जा रहा है। जिन्हें अभी आबादी के लिहाज से आरक्षण में हिस्सेदारी नहीं मिलती। 2. कांग्रेस इसमें क्या फायदा देख रही?
कांग्रेस इसी OBC वोट बैंक को रिझाने की कोशिश में है। जातिगत जनगणना होने से OBC वर्ग को ज्यादा आरक्षण मिल सकता है, ऐसे में यह वोटर्स कांग्रेस की तरफ आ सकते हैं। वहीं आबादी ज्यादा होने पर SC वर्ग को भी आरक्षण की लिमिट बढ़ने की उम्मीद होगी। ऐसे में कांग्रेस को इसका भी फायदा हो सकता है। इसके अलावा हरियाणा में भाजपा की नॉन जाट पॉलिटिक्स और किसान आंदोलन की वजह से सबसे ज्यादा 22.2% जाट वोटर BJP से नाराज हैं। लोकसभा चुनाव में SC वोटर भी भाजपा से छिटक गए। ऐसे में जाट, SC के बाद OBC ने भी कांग्रेस को वोट दिया तो फिर विधानसभा चुनाव में फायदा हो सकता है। 3. BJP ने इसका क्या तोड़ निकाला?
साढ़े 9 साल सरकार चलाने के बाद BJP ने अचानक पंजाबी समुदाय से आते मनोहर लाल खट्‌टर को सीएम कुर्सी से हटा दिया। उनकी जगह नायब सैनी को CM बना दिया। सैनी OBC वर्ग से आते हैं। इसके अलावा OBC वर्ग के लिए आरक्षण की क्रीमीलेयर की सीमा की सालाना इनकम 6 लाख से बढ़ा 8 लाख कर दी। महेंद्रगढ़ में हुए पिछड़ा वर्ग सम्मेलन में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने यह भी घोषणा की कि OBC​-B बी वर्ग के लिए 5% आरक्षण, OBC-A वर्ग के लिए पहले से लागू 8% कोटे के अतिरिक्त होगा। हरियाणा में 3 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले OBC वोटर्स को रिझाने के लिए कांग्रेस ने जातीय जनगणना का दांव खेल दिया है। कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्‌डा ने कहा- ”हमारी सरकार अगर प्रदेश में आई तो हम जातिगत जनगणना कराएंगे। हमने पहले भी 15% आरक्षण बढ़ाया था और उसी अनुसार आगे भी संवैधानिक आधार पर OBC समाज के लिए बढ़ाने का काम करेंगे।” हालांकि BJP केंद्रीय स्तर पर भी इसके पक्ष में नहीं है। ऐसे में जातीय जनगणना के दांव से जहां कांग्रेस OBC और SC वोट बैंक को साधने की कोशिश में है। वहीं भाजपा के लिए यह चुनावी मुसीबत बन सकता है। हालांकि OBC वर्ग से नायब सैनी को मुख्यमंत्री बना भाजपा जरूर कांग्रेस के दांव को फेल करने की कोशिश कर रही है। जातीय जनगणना में हर जाति की आबादी की गिनती की जाएगी। उसके हिसाब से आरक्षण की स्थिति तय की जा सकती है। सबसे पहले 5 पॉइंट में जातीय जनगणना और आरक्षण के बारे में जानिए .. 1. जातीय जनगणना का इतिहास क्या है?
देश में 1881 में पहली बार जातीय जनगणना हुई। तब देश की आबादी करीब 23.58 करोड़ थी। इसके बाद 1931 तक जातीय जनगणना होती रही। हालांकि इसके आंकड़े 1941 में भी जुटाए गए लेकिन इन्हें सार्वजनिक नहीं किया गया। देश के आजाद होने के बाद 1951 में भी जातीय जनगणना हुई लेकिन उस वक्त सिर्फ अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) की ही गणना हुई। 2. जातीय जनगणना बड़ा मुद्दा क्यों है?
जानकारों की मानें तो आरक्षण की सीमा निर्धारित होने की वजह से यह बड़ा मुद्दा है। चूंकि 1951 से सिर्फ SC और ST का ही आंकड़ा जारी होता है। ऐसे में OBC का अनुमान लगाना आसान नहीं है। 1990 में जब देश में मंडल आयोग की सिफारिशें लागू की गई तो उन्होंने OBC की आबादी 52% होने का अनुमान लगाया। हालांकि OBC वर्ग को जो 27% आरक्षण दिया गया, वह 1931 की जनगणना के आधार पर ही दिया गया था। जानकार कहते हैं कि SC/ST को तो आबादी के आधार पर आरक्षण मिलता है लेकिन OBC के आरक्षण का यह आधार नहीं है। 3. देश में जातिगत आरक्षण की व्यवस्था क्या है?
शुरुआत में आरक्षण सिर्फ 10 साल के लिए था लेकिन अब इसे हर 10 साल बाद आगे बढ़ा दिया जाता है। 1992 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकारी नौकरियों समेत अन्य जगहों पर आरक्षण की मियाद 50% से ज्यादा नहीं हो सकती। जिसके बाद SC, ST और OBC को इसी सीमा के भीतर आरक्षण मिलता है। देश में अभी जातिगत आरक्षण 49.5% है। जिसमें OBC को 27%, SC को 15% और ST को 7.5% आरक्षण मिलता है। इसके अलावा सवर्ण वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े (EWS) कैटेगरी में 10% आरक्षण दिया जा रहा है। इसके बाद आरक्षण 50% पार जरूर हुआ लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने माना कि EWS को आरक्षण का फैसला सही है। 4. जातिगत जनगणना बड़ा मुद्दा कैसे बनी?
इसकी शुरुआत राहुल गांधी ने की। उन्होंने कहा कि UPA सरकार ने 2011 में जातिगत जनगणना कराई थी, केंद्र सरकार उसके आंकड़े सार्वजनिक करे। हालांकि 2016 में मोदी सरकार ने जातिगत छोड़ इसके बाकी आंकड़े जारी कर दिए। राहुल गांधी की मांग पर NDA सरकार का कहना है कि उस जातिगत जनगणना में खामियां हैं, इसलिए उसे सार्वजनिक नहीं कर सकते। 5. जातिगत जनगणना हुई तो आरक्षण पर क्या असर पड़ेगा
जानकार बताते हैं कि अभी OBC को अनुमान के आधार पर आरक्षण है। अगर जातिगत जनगणना में उनकी आबादी ज्यादा निकली तो आरक्षण बढ़ाना पड़ सकता है। वहीं SC वर्ग को अभी 15% आरक्षण मिलता है। अगर उनकी आबादी ज्यादा निकली तो फिर वह आरक्षण बढ़ाने की मांग कर सकते हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के तय किए 50% के आरक्षण के फैसले से आंकड़ा बढ़ सकता है। जातिगत जनगणना का हरियाणा की राजनीति में क्या असर… 1. राज्य में OBC वर्ग की कितनी आबादी?
हरियाणा में OBC वर्ग की करीब 40% आबादी है। इसमें 78 जातियां आती हैं। जातिगत वोट बैंक के लिहाज से देखें तो करीब 21% वोटर्स OBC वर्ग से हैं। जातिगत जनगणना हुई तो सबसे बड़ा फायदा OBC वर्ग का ही माना जा रहा है। जिन्हें अभी आबादी के लिहाज से आरक्षण में हिस्सेदारी नहीं मिलती। 2. कांग्रेस इसमें क्या फायदा देख रही?
कांग्रेस इसी OBC वोट बैंक को रिझाने की कोशिश में है। जातिगत जनगणना होने से OBC वर्ग को ज्यादा आरक्षण मिल सकता है, ऐसे में यह वोटर्स कांग्रेस की तरफ आ सकते हैं। वहीं आबादी ज्यादा होने पर SC वर्ग को भी आरक्षण की लिमिट बढ़ने की उम्मीद होगी। ऐसे में कांग्रेस को इसका भी फायदा हो सकता है। इसके अलावा हरियाणा में भाजपा की नॉन जाट पॉलिटिक्स और किसान आंदोलन की वजह से सबसे ज्यादा 22.2% जाट वोटर BJP से नाराज हैं। लोकसभा चुनाव में SC वोटर भी भाजपा से छिटक गए। ऐसे में जाट, SC के बाद OBC ने भी कांग्रेस को वोट दिया तो फिर विधानसभा चुनाव में फायदा हो सकता है। 3. BJP ने इसका क्या तोड़ निकाला?
साढ़े 9 साल सरकार चलाने के बाद BJP ने अचानक पंजाबी समुदाय से आते मनोहर लाल खट्‌टर को सीएम कुर्सी से हटा दिया। उनकी जगह नायब सैनी को CM बना दिया। सैनी OBC वर्ग से आते हैं। इसके अलावा OBC वर्ग के लिए आरक्षण की क्रीमीलेयर की सीमा की सालाना इनकम 6 लाख से बढ़ा 8 लाख कर दी। महेंद्रगढ़ में हुए पिछड़ा वर्ग सम्मेलन में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने यह भी घोषणा की कि OBC​-B बी वर्ग के लिए 5% आरक्षण, OBC-A वर्ग के लिए पहले से लागू 8% कोटे के अतिरिक्त होगा।   हरियाणा | दैनिक भास्कर