हरियाणा में 4 जून को लोकसभा चुनाव का परिणाम आते ही विधानसभा का नंबर गेम फिर से बदल जाएगा। इसकी वजह यह है कि इस बार लोकसभा चुनाव में दो बड़े राष्ट्रीय दल भाजपा, कांग्रेस के साथ ही क्षेत्रीय दल जजपा और इनेलों के 5 विधायक मैदान में हैं। 2024 के आम चुनाव में कांग्रेस के दो, भाजपा के एक विधायक लड़ रहे हैं। वहीं जजपा और इनेलो से भी एक-एक प्रत्याशी लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। यदि ये विधायक लोकसभा चुनाव जीत जाते हैं, तो निश्चित तौर पर कांग्रेस के 28, भाजपा के 39, जजपा के 9 विधायक विधानसभा में बचेंगे। पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला की पार्टी INLD का एक भी विधायक विधानसभा में नहीं होगा। दौलताबाद के निधन से अल्पमत में चल रही सैनी सरकार हरियाणा में गुरुग्राम के निर्दलीय विधायक के निधन से BJP सरकार पर अल्पमत का संकट गहराया हुआ है। गुरुग्राम की बादशाहपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद का कल (25 मई) को निधन हो गया है। इसके बाद विधानसभा में सदस्यों की संख्या 87 हो गई है, ऐसे में बहुमत का आंकड़ा 44 हो गया है, लेकिन भाजपा सरकार के पास अभी 42 ही विधायकों का समर्थन बचा है।ऐसे में विपक्षी फिर सरकार को फ्लोर टेस्ट करवाने के लिए घेर सकते हैं। कांग्रेस और JJP पहले ही गवर्नर को लेटर लिखकर नायब सैनी सरकार के बहुमत साबित करने की मांग कर चुकी है। यहां समझिए विधानसभा का पूरा अंकगणित जानिए.. हरियाणा विधानसभा में मौजूदा स्थिति क्या है? हरियाणा विधानसभा में कुल 90 सीटें हैं। करनाल से मनोहर लाल खट्टर और रानियां से निर्दलीय रणजीत चौटाला के इस्तीफे के बाद 88 विधायक बचे थे। इसके बाद बादशाहपुर से निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद का निधन हो गया। ऐसे में अब कुल विधायक 87 रह गए हैं और बहुमत का आंकड़ा 44 का हो गया है। ऐसे शुरू हुई अल्पमत की चर्चा लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने मनोहर लाल खट्टर को सीएम की कुर्सी से हटाकर लोकसभा टिकट दे दी। उनकी जगह नायब सैनी सीएम बनाए गए। उन्हें भाजपा के 41, हलोपा के 1 और 6 निर्दलीय समेत 48 विधायकों का समर्थन मिला था।हालांकि पहले खट्टर और फिर सरकार के समर्थन वाले रणजीत चौटाला ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद लोकसभा चुनाव के बीच 3 निर्दलीय विधायकों धर्मपाल गोंदर, रणधीर गोलन और सोमबीर सांगवान ने समर्थन वापस ले लिया। जिसके बाद सरकार के पास 43 विधायकों का समर्थन बचा।अब सरकार के साथ कितने विधायक बचे? खट्टर के इस्तीफे के बाद भाजपा के पास अपने 40 विधायक हैं। इसके अलावा उन्हें हलोपा के गोपाल कांडा और निर्दलीय नैनपाल रावत का समर्थन प्राप्त है। विपक्षी दलों की क्या स्थिति है? हरियाणा में कांग्रेस के पास 30 विधायक हैं। इसके अलावा जजपा के 10 और इनेलो का एक विधायक है। 4 निर्दलीय भी अब सरकार के विपक्ष में हैं। भाजपा के 42 के मुकाबले पूरे विपक्ष में 45 विधायक हो गए हैं।हालांकि जजपा की ओर से अपने 2 विधायक जोगीराम सिहाग और राम निवास के विरुद्ध स्पीकर को दल-बदल विरोधी कानून के अंतर्गत याचिका दी गई है, जिसमें दोनों की सदस्यता समाप्त करने की मांग की गई है। अगर यह मंजूर हुआ तो भी विपक्ष के पास ज्यादा विधायक होंगे। सैनी चुनाव जीते तो फिर सरकार और विपक्ष बराबर हो जांएगे इसमें एक और दिलचस्प स्थिति 4 जून को बनेगी। सीएम नायब सैनी खट्टर की जगह करनाल से विधानसभा उपचुनाव लड़ रहे हैं। अगर वह सीट जीत जाते हैं तो फिर सत्ता पक्ष के पास 43 विधायक हो जाएंगे। अगर जजपा के 2 विधायकों की सदस्यता रद्द हो जाती है तो फिर पक्ष और विपक्ष, दोनों बराबर हो जाएंगे। क्या हरियाणा में सरकार गिरने का खतरा है? फिलहाल ऐसा नहीं है। सीएम नायब सैनी की सरकार ने ढ़ाई महीने पहले ही 13 मार्च को बहुमत साबित किया। जिसके बाद 6 महीने तक फिर अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जाता। इतना समय बीतने के बाद अक्टूबर-नवंबर में हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं। फिर ऐसी मांग की जरूरत नहीं रहेगी। हरियाणा में 4 जून को लोकसभा चुनाव का परिणाम आते ही विधानसभा का नंबर गेम फिर से बदल जाएगा। इसकी वजह यह है कि इस बार लोकसभा चुनाव में दो बड़े राष्ट्रीय दल भाजपा, कांग्रेस के साथ ही क्षेत्रीय दल जजपा और इनेलों के 5 विधायक मैदान में हैं। 2024 के आम चुनाव में कांग्रेस के दो, भाजपा के एक विधायक लड़ रहे हैं। वहीं जजपा और इनेलो से भी एक-एक प्रत्याशी लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। यदि ये विधायक लोकसभा चुनाव जीत जाते हैं, तो निश्चित तौर पर कांग्रेस के 28, भाजपा के 39, जजपा के 9 विधायक विधानसभा में बचेंगे। पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला की पार्टी INLD का एक भी विधायक विधानसभा में नहीं होगा। दौलताबाद के निधन से अल्पमत में चल रही सैनी सरकार हरियाणा में गुरुग्राम के निर्दलीय विधायक के निधन से BJP सरकार पर अल्पमत का संकट गहराया हुआ है। गुरुग्राम की बादशाहपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद का कल (25 मई) को निधन हो गया है। इसके बाद विधानसभा में सदस्यों की संख्या 87 हो गई है, ऐसे में बहुमत का आंकड़ा 44 हो गया है, लेकिन भाजपा सरकार के पास अभी 42 ही विधायकों का समर्थन बचा है।ऐसे में विपक्षी फिर सरकार को फ्लोर टेस्ट करवाने के लिए घेर सकते हैं। कांग्रेस और JJP पहले ही गवर्नर को लेटर लिखकर नायब सैनी सरकार के बहुमत साबित करने की मांग कर चुकी है। यहां समझिए विधानसभा का पूरा अंकगणित जानिए.. हरियाणा विधानसभा में मौजूदा स्थिति क्या है? हरियाणा विधानसभा में कुल 90 सीटें हैं। करनाल से मनोहर लाल खट्टर और रानियां से निर्दलीय रणजीत चौटाला के इस्तीफे के बाद 88 विधायक बचे थे। इसके बाद बादशाहपुर से निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद का निधन हो गया। ऐसे में अब कुल विधायक 87 रह गए हैं और बहुमत का आंकड़ा 44 का हो गया है। ऐसे शुरू हुई अल्पमत की चर्चा लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने मनोहर लाल खट्टर को सीएम की कुर्सी से हटाकर लोकसभा टिकट दे दी। उनकी जगह नायब सैनी सीएम बनाए गए। उन्हें भाजपा के 41, हलोपा के 1 और 6 निर्दलीय समेत 48 विधायकों का समर्थन मिला था।हालांकि पहले खट्टर और फिर सरकार के समर्थन वाले रणजीत चौटाला ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद लोकसभा चुनाव के बीच 3 निर्दलीय विधायकों धर्मपाल गोंदर, रणधीर गोलन और सोमबीर सांगवान ने समर्थन वापस ले लिया। जिसके बाद सरकार के पास 43 विधायकों का समर्थन बचा।अब सरकार के साथ कितने विधायक बचे? खट्टर के इस्तीफे के बाद भाजपा के पास अपने 40 विधायक हैं। इसके अलावा उन्हें हलोपा के गोपाल कांडा और निर्दलीय नैनपाल रावत का समर्थन प्राप्त है। विपक्षी दलों की क्या स्थिति है? हरियाणा में कांग्रेस के पास 30 विधायक हैं। इसके अलावा जजपा के 10 और इनेलो का एक विधायक है। 4 निर्दलीय भी अब सरकार के विपक्ष में हैं। भाजपा के 42 के मुकाबले पूरे विपक्ष में 45 विधायक हो गए हैं।हालांकि जजपा की ओर से अपने 2 विधायक जोगीराम सिहाग और राम निवास के विरुद्ध स्पीकर को दल-बदल विरोधी कानून के अंतर्गत याचिका दी गई है, जिसमें दोनों की सदस्यता समाप्त करने की मांग की गई है। अगर यह मंजूर हुआ तो भी विपक्ष के पास ज्यादा विधायक होंगे। सैनी चुनाव जीते तो फिर सरकार और विपक्ष बराबर हो जांएगे इसमें एक और दिलचस्प स्थिति 4 जून को बनेगी। सीएम नायब सैनी खट्टर की जगह करनाल से विधानसभा उपचुनाव लड़ रहे हैं। अगर वह सीट जीत जाते हैं तो फिर सत्ता पक्ष के पास 43 विधायक हो जाएंगे। अगर जजपा के 2 विधायकों की सदस्यता रद्द हो जाती है तो फिर पक्ष और विपक्ष, दोनों बराबर हो जाएंगे। क्या हरियाणा में सरकार गिरने का खतरा है? फिलहाल ऐसा नहीं है। सीएम नायब सैनी की सरकार ने ढ़ाई महीने पहले ही 13 मार्च को बहुमत साबित किया। जिसके बाद 6 महीने तक फिर अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जाता। इतना समय बीतने के बाद अक्टूबर-नवंबर में हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं। फिर ऐसी मांग की जरूरत नहीं रहेगी। हरियाणा | दैनिक भास्कर
Related Posts
सिरसा में डूबने से पंजाब के युवक की मौत:गोगामेडी धोक लगाकर लौट रहा था; बच्चे के सिर से उठा पिता का साया
सिरसा में डूबने से पंजाब के युवक की मौत:गोगामेडी धोक लगाकर लौट रहा था; बच्चे के सिर से उठा पिता का साया हरियाणा के सिरसा जिला के चोपटा क्षेत्र के गांव ढूकड़ा के पास पंजाब के एक युवक की नहर में डूबने से मौत हो गई। मामले की जानकारी पुलिस को दी गई। युवक गोगामेड़ी में धोक लगाकर वापस लौट रहा था। वहीं जानकारी पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर सिरसा के सरकारी अस्पताल में भिजवाया। इसके बाद पुलिस से शव का पोस्टमॉर्टम करवाकर परिजनों को सौंप दिया। जानकारी अनुसार पंजाब के गांव झंडूके के निवासी जगसीर सिंह अपने बहन-जीजा और अन्य परिजनों के साथ राजस्थान के गोगामेड़ी मेले में गए हुए थे। तभी गोगामेडी से वापस आते समय रास्ते में पड़ने वाली नहर में डूबने से मौत हो गई। जगसीर नहर में नहाने उतरा था। और डूब गया। इसके बाद पुलिस को सुचित किया गया। पुलिस ने परिजनों के बयान के आधार पर कार्रवाई शुरू की तथा पोस्टमॉर्टम कर शव को परिजनों को सौंप दिया। परिजनों ने बताया कि वह पंजाब के गांव झंडूके के रहने वाले हैं। मृतक इकलोता बेटा था और व पांच साल के एक बच्चे का पिता भी था।
सोनीपत में सड़क पर मिले 70 ब्लड बैग:स्वास्थ्य विभाग ने किए जब्त; लोग बोले- हमारे रक्त को बेक़द्री से फेंका
सोनीपत में सड़क पर मिले 70 ब्लड बैग:स्वास्थ्य विभाग ने किए जब्त; लोग बोले- हमारे रक्त को बेक़द्री से फेंका सोनीपत की गोहाना के गुढ़ा गांव में रोहतक मोड़ के पास करीब 70 ब्लड बैग मिले हैं। जिसे देखकर आसपास के लोगों ने स्वास्थ्य विभाग को सूचना दी है। स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर पहुंची और ब्लड बैग को कब्जे में लेकर नागरिक अस्पताल भेजा दिया। स्थानीय लोगों के मुताबिक ब्लड बैग पर सैंपल लेने की तारीख 13 नवंबर लिखी हुईं है। 25 नवंबर को एक्सपायरी डेट लिखी हुई है। जहां ब्लड सैंपल से संबंधित सिरिंज व अन्य सभी सैंपल किट और ब्लड किट संबंधित अन्य सामान कोई डालकर चला गया। उन्होंने कहा कि रक्त को हम लोगों की जान बचाने के लिए डोनेट करते हैं। उसको बड़ी बेक़द्री के साथ इस प्रकार डाला गया है। मामले को लेकर जांच करने की भी मांग स्थानीय लोगों ने उठाई है। लोगों का यह भी आरोप है कि यह किसी कैंप में लिया गया ब्लड सैंपल हो सकता है। वर्ल्ड यूनिट की कुछ थैलियों में मिला रक्त सिविल हॉस्पिटल गोहाना के एसएमओ संजय छिक्कारा ने कहा कि वर्ल्ड यूनिट की कुछ थैलियों में रक्त है। अन्य बायो वेस्ट का सामान पड़ा हुआ मिला है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार से ब्लड यूनिट की थैंलियों को नहीं डाला जा सकता। नंबर के आधार पर लगाया जा रहा हॉस्पिटल का पता उन्होंने यह भी बताया कि मित्रा नाम की एक कंपनी के यूनिट बैग हैं। वहां से नंबर के आधार पर पता लगवाया जाएगा कि किस हॉस्पिटल में यह बैग भेजे गए थे। संबंधित हॉस्पिटल के खिलाफ ऐसा गलत काम करने के एवज में भी कार्रवाई की जाएगी। कुलदीप सिंह ने कहा कि सिविल सर्जन डिप्टी सिविल सर्जन और ड्रग इंस्पेक्टर संज्ञान में मामला लाया गया है।
हरियाणा में 2 भाइयों के शव रेलवे ट्रैक पर मिले:भाई दूज पर तिलक के बाद घूमने निकले; बाथरूम करने रुके, अचानक ट्रेन आ गई
हरियाणा में 2 भाइयों के शव रेलवे ट्रैक पर मिले:भाई दूज पर तिलक के बाद घूमने निकले; बाथरूम करने रुके, अचानक ट्रेन आ गई हरियाणा के पानीपत में सोमवार (4 नवंबर) को 2 भाइयों के शव रेलवे ट्रैक पर पड़े हुए मिले। दोनों भाई रविवार शाम को घर से घूमने के लिए निकले थे। रेलवे के अधिकारियों ने परिजनों को कॉल कर बताया कि उनके बेटों को चोट लगी है। जब परिवार के लोग मौके पर पहुंचे तो दोनों की मौत हो चुकी थी। परिजनों ने पूछताछ की तो सामने आया कि दोनों के शव NFL नाके के पास रेलवे ट्रैक पर पड़े थे। दोनों ट्रेन की चपेट में आए हैं। राजकीय रेलवे पुलिस (GRP) ने दोनों शवों का पंचनामा भरवा कर शगगृह में रखवा दिए हैं। पुलिस की प्राथमिक जांच में हादसे की ही बात सामने आई है। बहन से तिलक लगवा कर घूमने निकले थे दोनों
राज नगर के रहने वाले दिनेश कुमार ने बताया कि वह जिला रेडक्रॉस में कार्यरत है। वह 3 बच्चों का पिता है। जिनमें 2 बेटे थे व एक बेटी है। दोनों बेटे मनीष (28) व आशीष (25) थे। मनीष की दुकान है और आशीष एक कंपनी में काम करता था। दोनों भाइयों के पास एक-एक बेटा-बेटी है। शाम को दोनों ने अपनी बहन से भाई दूज पर तिलक लगवाया। इसके बाद दोनों स्कूटी पर सवार होकर बाहर घूमने चले गए। उन्होंने कहा कि वे अपने दोस्त से मिलने के लिए जा रहे हैं। लघुशंका करने के लिए रुका था आशीष घर से जाने के बाद आशीष की अपनी पत्नी से कॉल पर करीब साढ़े 7 बजे बात हुई। मनीष की मां ने भी 8 बजे कॉल कर बात की और घर आने के बारे में पूछा। दोनों ने ही जल्द ही घर वापस लौटने की बात कही थी। लेकिन कुछ देर बाद उनकी मौत हो गई। GRP ने अपने तौर पर जांच-पड़ताल की तो पता लगा कि आशीष रेलवे ट्रैक पर लघुशंका करने लगा था। इसी दौरान ट्रेन आ गई। वह वहां से नहीं हटा, तो बचाने के लिए मनीष दौड़ पड़ा। जिससे दोनों भाई की ट्रेन की चपेट में आने से मौत हो गई। जीआरपी को इस बारे में ट्रेन चालक ने बताया है।