पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा के शिक्षा विभाग पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पद की अनुपलब्धता उस आवेदक को नियुक्ति से इनकार करने का आधार नहीं हो सकती है। जिसके साथ राज्य की मनमानी कार्रवाई के कारण अन्याय हुआ है। पंचकूला स्थित हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एच.एस.एस.सी.) की ओर से 2019 में जारी एक विज्ञापन के अनुसार विधिवत चयनित होने के बावजूद याचिकाकर्ता को प्रतीक्षा सूची में रखा गया। शिक्षा विभाग ने बिना किसी औचित्य के प्रक्रिया में देरी की, जिससे प्रतीक्षा सूची की वैधता अवधि समाप्त हो गई। जस्टिस त्रिभुवन दहिया ने प्रदेश सरकार की संस्थाओं के इस रवैये पर नाराजगी जाहिर करते हुए शिक्षा विभाग पर 50 हजार रुपए जुर्माना लगाया। याचिकाकर्ता को इस आधार पर नियुक्ति पत्र जारी नहीं किया गया कि मुख्य चयन सूची के साथ ही प्रतीक्षा सूची की भी वैधता समाप्त हो चुकी थी। नहीं आया कोई जवाब याचिकाकर्ता ने प्रतीक्षा सूची की वैधता बढ़ाने के लिए आवेदन किया था। इस आवेदन के बाद वैधता को 6 माह के लिए बढ़ाया तो गया, लेकिन याचिकाकर्ता को कभी भी बुलाया नहीं गया। इसके अलावा उनके आवेदन का भी कोई जवाब नहीं दिया। दलीलें सुनने के बाद पीठ ने कहा कि यह केवल विभागीय सुस्ती के कारण था कि याचिकाकर्ता को समय पर नियुक्ति की पेशकश नहीं की जा सकी। राज्य सरकार की उस दलील को भी नकार दिया गया, जिसमें पद उपलब्ध नहीं होने के बारे बताया गया था। पीठ ने पूर्व के कुछ मामलों का जिक्र करते हुए आदेश दिया कि पुरानी तिथि से नियुक्ति देने के साथ ही सभी लाभ भी उपलब्ध करवाएं। तबला वादक के पद नियुक्त किया जाए हाईकोर्ट द्वारा आदेश में कहा गया कि याचिकाकर्ता संजीव कुमार को तबला वादक के पद नियुक्त किया जाए। याची ने हरियाणा सरकार और अन्य अधिकारियों को याचिकाकर्ता की सभी लाभ के साथ तबला वादक के पद पर नियुक्ति पत्र -जारी करने का निर्देश देने की मांग की थी। याचिकाकर्ता प्रतीक्षा सूची में पहले नंबर पर था। पीठ को बताया गया कि चुने गए उम्मीदवारों में से 2 ने पद ग्रहण नहीं किया था। इसलिए विभाग को तुरंत बाद उनकी उम्मीदवारी रद्द करनी चाहिए थी, लेकिन यह कार्य 2020 में जारी सार्वजनिक नोटिस के माध्यम से 8 महीने से अधिक की अवधि के बाद किया गया था। बाद में उम्मीदवारों को दस्तावेज के सत्यापन के लिए बुलाया गया था। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा के शिक्षा विभाग पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पद की अनुपलब्धता उस आवेदक को नियुक्ति से इनकार करने का आधार नहीं हो सकती है। जिसके साथ राज्य की मनमानी कार्रवाई के कारण अन्याय हुआ है। पंचकूला स्थित हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एच.एस.एस.सी.) की ओर से 2019 में जारी एक विज्ञापन के अनुसार विधिवत चयनित होने के बावजूद याचिकाकर्ता को प्रतीक्षा सूची में रखा गया। शिक्षा विभाग ने बिना किसी औचित्य के प्रक्रिया में देरी की, जिससे प्रतीक्षा सूची की वैधता अवधि समाप्त हो गई। जस्टिस त्रिभुवन दहिया ने प्रदेश सरकार की संस्थाओं के इस रवैये पर नाराजगी जाहिर करते हुए शिक्षा विभाग पर 50 हजार रुपए जुर्माना लगाया। याचिकाकर्ता को इस आधार पर नियुक्ति पत्र जारी नहीं किया गया कि मुख्य चयन सूची के साथ ही प्रतीक्षा सूची की भी वैधता समाप्त हो चुकी थी। नहीं आया कोई जवाब याचिकाकर्ता ने प्रतीक्षा सूची की वैधता बढ़ाने के लिए आवेदन किया था। इस आवेदन के बाद वैधता को 6 माह के लिए बढ़ाया तो गया, लेकिन याचिकाकर्ता को कभी भी बुलाया नहीं गया। इसके अलावा उनके आवेदन का भी कोई जवाब नहीं दिया। दलीलें सुनने के बाद पीठ ने कहा कि यह केवल विभागीय सुस्ती के कारण था कि याचिकाकर्ता को समय पर नियुक्ति की पेशकश नहीं की जा सकी। राज्य सरकार की उस दलील को भी नकार दिया गया, जिसमें पद उपलब्ध नहीं होने के बारे बताया गया था। पीठ ने पूर्व के कुछ मामलों का जिक्र करते हुए आदेश दिया कि पुरानी तिथि से नियुक्ति देने के साथ ही सभी लाभ भी उपलब्ध करवाएं। तबला वादक के पद नियुक्त किया जाए हाईकोर्ट द्वारा आदेश में कहा गया कि याचिकाकर्ता संजीव कुमार को तबला वादक के पद नियुक्त किया जाए। याची ने हरियाणा सरकार और अन्य अधिकारियों को याचिकाकर्ता की सभी लाभ के साथ तबला वादक के पद पर नियुक्ति पत्र -जारी करने का निर्देश देने की मांग की थी। याचिकाकर्ता प्रतीक्षा सूची में पहले नंबर पर था। पीठ को बताया गया कि चुने गए उम्मीदवारों में से 2 ने पद ग्रहण नहीं किया था। इसलिए विभाग को तुरंत बाद उनकी उम्मीदवारी रद्द करनी चाहिए थी, लेकिन यह कार्य 2020 में जारी सार्वजनिक नोटिस के माध्यम से 8 महीने से अधिक की अवधि के बाद किया गया था। बाद में उम्मीदवारों को दस्तावेज के सत्यापन के लिए बुलाया गया था। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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फतेहाबाद में एक्सईएन पर हमला:अधिकारी बोले- काम ठीक नहीं किया तो बिल रोका, थार में आए ठेकेदार ने की हाथापाई फतेहाबाद में लोक निर्माण विभाग के एक्सईएन (कार्यकारी अभियंता) ने ठेकेदार पर उनके सरकारी निवास में घुसकर हाथापाई का प्रयास करने और जान से मारने की धमकी देने के आरोप लगाए हैं। आरोप यह भी है कि निर्माण कार्य के गलत बिल पास न करने पर हाथापाई का प्रयास किया गया है। इस सम्बन्ध में शहर थाना में शिकायत दी गई है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। आरोप है कि ठेकेदार का काम जांच में सही नहीं मिला और निर्माण में पत्थर की जगह मिट्टी की मात्रा ज्यादा मिली है जो कि नियम अनुसार ठीक नहीं है। मामले में शहर थाना पुलिस ने कार्यकारी अभियंता कश्मीर चंद कंबोज की शिकायत पर आरोपी ठेकेदार रमेश पूनिया के खिलाफ मामला दर्ज किया है। पुलिस को दी शिकायत में कार्यकारी अभियंता कश्मीर चंद ने बताया कि 10 जनवरी की शाम को ठेकेदार रमेश पूनिया लोक निर्माण विभाग के कार्यालय में आया। इस दौरान उसने गलत कार्य की पेमेंट करने और सिक्योरिटी का उसी समय भुगतान करने के लिए कहा। मैंने उसे कहा कि गलत कार्य की पेमेंट नहीं की जा सकती है। उसके किए काम को बीत दिन ही चेक किया गया है। जिसमें पत्थर की जगह मिट्टी की मात्रा अधिक है और कार्य लोक निर्माण विभाग के नियम अनुसार नहीं है। काम ठीक कराया जाए और इसके बाद पेमेंट का भुगतान कर दिया जाएगा। इसके बाद जब कार्यालय से अपने सरकारी आवास पर जाने लगा तो आरोपी ठेकेदार रमेश पूनिया पीछे आ गया और सरकारी आवास में घुस आया। इसके बाद उसने रास्ता रोककर जान से मारने की धमकी दी और हाथापाई का प्रयास किया। इस दौरान चौकीदार सुभाष ने रोकने का प्रयास किया तो उसके साथ हाथापाई की गई। इसके बाद आरोपी ठेकेदार अपनी थार गाड़ी में बैठकर जान से मारने की धमकी देते हुए चला गया। फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज करके जांच शुरू कर दी है।
हरियाणा में क्यों एक्टिव हुआ हुड्डा खेमा:5 में से 4 विनिंग कैंडिडेट होने समेत 3 बड़ी वजहें; विधानसभा चुनाव टारगेट, SRK से सैलजा सक्रिय
हरियाणा में क्यों एक्टिव हुआ हुड्डा खेमा:5 में से 4 विनिंग कैंडिडेट होने समेत 3 बड़ी वजहें; विधानसभा चुनाव टारगेट, SRK से सैलजा सक्रिय हरियाणा में लोकसभा चुनाव में 5 सीटों पर जीत मिलने के बाद कांग्रेस का पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा खेमा एक्टिव हो गया है। पूर्व CM हुड्डा ने 3 दिन तक रोहतक में रिव्यू मीटिंग के बाद गुट के सभी नेताओं को लेकर दिल्ली में डेरा डाल दिया है। उनके साथ प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान भी हैं। वह दिल्ली में केंद्रीय नेताओं से मिलकर हरियाणा का फीडबैक दे रहे हैं। साथ ही आने वाले विधानसभा चुनाव की प्लानिंग भी कर रहे हैं। वहीं पार्टी के दूसरे खेमे रणदीप सुरजेवाला, किरण चौधरी, कुमारी सैलजा (SRK) गुट में सन्नाटा पसरा हुआ है। सिरसा से कुमारी सैलजा बड़े मार्जिन से जीत कर सांसद बनी हैं, इसलिए अभी सिर्फ वह ही एक्टिव हैं। जीतने के बाद वह भी दिल्ली पहुंच गई हैं। अब पढ़िए हुड्डा कैंप के एक्टिव होने की 3 वजहें 5 में से 4 सीटों के विनिंग कैंडिडेट हुड्डा गुट के
इस बार लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारे में पूरी तरह से हुड्डा गुट का दबदबा रहा। जीते 5 कैंडिडेट में से 4 हुड्डा गुट के हैं। अब हुड्डा गुट पार्टी हाईकमान को ये दर्शाने में लगा हुआ है कि टिकट का बंटवारा सही हुआ है। इसी वजह से 0 से पांच पर पहुंचे। अब ये संभावना जताई जा रही है कि विधानसभा चुनाव में भी टिकट बंटवारे में हुड्डा गुट का पूरा दबदबा रहेगा। पार्टी के 18% बढ़े वोट शेयर को भुना रहे
हुड्डा कैंप के एक्टिव होने की दूसरी बड़ी वजह यह है कि इस चुनाव में हरियाणा में कांग्रेस पार्टी के वोट शेयर में 18% की बढ़ोतरी हुई है। पार्टी को सूबे की 9 लोकसभा सीटों में 47.07 प्रतिशत वोट पड़े हैं, जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को भाजपा के मुकाबले सिर्फ 28% वोट ही मिले थे। अब हुड्डा गुट के नेता हरियाणा में बढ़े वोट शेयर को भुनाने में लगे हैं। 5 लोकसभा की 45 विधानसभा सीटों पर नजर
तीसरी बड़ी वजह यह है कि हुड्डा गुट की हरियाणा की 5 लोकसभा की 45 विधानसभा सीटों पर नजर है। हिसार, सिरसा, रोहतक, सोनीपत और अंबाला में ज्यादातर सीटों पर वोटों में बढ़ोतरी दर्ज हुई है। कुछ सीटें ऐसी भी हैं, जहां कांग्रेस को भाजपा से भी अच्छा वोट पड़े हैं। SRK गुट में क्यों पसरा है सन्नाटा
हुड्डा के विपरीत चलने वाला SRK गुट सन्नाटे में है। इसकी वजह यह है कि इस गुट के नेताओं को इस लोकसभा चुनाव में कुछ खास नहीं मिल पाया। किरण चौधरी भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट पर अपनी बेटी के लिए टिकट मांग रही थी, लेकिन हाईकमान ने टिकट काटकर कांग्रेस विधायक राव दान सिंह को दे दी। इसके बाद उन पर चुनाव में दान सिंह के खिलाफ प्रचार करने के भी आरोप लगे हैं। दिल्ली में हुड्डा गुट इसको खूब भुना रहा है। हालांकि अभी इस मामले में हाईकमान की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। वहीं रणदीप सुरजेवाला भी अभी शांत हैं। इसकी वजह यह बताई जा रही है कि कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से इंडिया गठबंधन के कैंडिडेट डॉ सुशील गुप्ता को भी वह अपने गृह क्षेत्र कैथल से जीत नहीं दिला पाए। SRK गुट की सिर्फ सैलजा क्यों एक्टिव
लोकसभा चुनाव में सिरसा से बड़े मार्जिन से जीतने वाली कुमारी सैलजा ही अपने गुट में एक्टिव हैं। वह लगातार यह मैसेज दे रही हैं कि प्रदेश में कांग्रेस की ये जीत विधानसभा तक जारी रहेगी। इसको लेकर उनके समर्थक लगातार पोस्टर भी जारी कर रहे हैं। वह भी लगातार इस संबंध में बयान दे रही हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि सैलजा की जीत से यह बात तो तय है कि आने वाले विधानसभा में हुड्डा गुट के लिए सैलजा राह को मुश्किल जरूर करेंगी।