हरियाणा में 7 मार्च से शुरू होने जा रहे विधानसभा के बजट सत्र में राज्य गीत मिल जाएगा। ‘जय जय जय हरियाणा’ गीत में हरियाणवी संस्कृति के बारे में बताया गया है। 21 लाइनों में कुरुक्षेत्र की धरती, किसानों, खिलाड़ियों, सैनिकों और दूध दही के खाने को प्रमुखता से रखा गया है। इस गीत को पानीपत के डॉ. बालकिशन शर्मा ने लिखा है। डॉ. श्याम शर्मा गायक, पारस चोपड़ा कम्पोजर और रोहतक की मालविका पंडित ने डायरेक्ट किया है। इस गीत को विधानसभा कमेटी ने फाइनल कर दिया है। गीत में हरियाणा के रहन-सहन और भाईचारे काे बताया
3 मिनट के गीत में हरियाणा को वेदों की पावन धरती के रूप में प्रस्तुत किया गया है। कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्ण ने गीता का ज्ञान दिया और महाभारत का इतिहास रचा गया। भौगोलिक दृष्टि से हरियाणा की विशेषता बताते हुए गीत में शिवालिक पर्वत श्रृंखला, अरावली पर्वत और यमुना नदी का जिक्र किया गया है। साथ ही प्राचीन सरस्वती नदी के महत्व को भी दर्शाया गया है। हरियाणवी जीवनशैली की सादगी को दूध-दही के खानपान के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। गीत में राज्य की सामाजिक-सांस्कृतिक एकता को बताया गया है। यहां होली, दिवाली, ईद और गुरुपर्व जैसे सभी धर्मों के त्योहार मिलजुल कर मनाए जाते हैं। राज्य की प्रगति को शिक्षा और व्यापार के विकास से जोड़ा गया है। सांग और रागनी जैसी लोक कलाओं का भी उल्लेख है। हरियाणा के राष्ट्रीय योगदान को भी गीत में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। राज्य के किसानों द्वारा सोने जैसी फसलें उगाने, खिलाड़ियों द्वारा देश के लिए मेडल जीतने और सैनिकों द्वारा सीमाओं की रक्षा करने का गौरवपूर्ण जिक्र किया गया है। गीत के समापन में बताया गया है कि कैसे छोटा होने के बावजूद हरियाणा देश की विशेष शान है, जहां ‘अतिथि देवो भव’ की परंपरा आज भी है। बालकिशन शर्मा 8 किताबें लिख चुके
गीत के लेखक डॉ. बालकिशन शर्मा पानीपत के रहने वाले हैं। वह SD पीजी कॉलेज के पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर हैं। वे हिंदी विभाग के अध्यक्ष भी रहे हैं। हिंदी व हरियाणवी लोक साहित्य के जाने-माने विद्वान हैं। डॉ. शर्मा हिंदी सलाहकार समिति के सदस्य रह चुके हैं। उनकी लिखी 8 पुस्तकें प्रकाशित हैं, इनमें गांव की छांव, काव्य संग्रह और हरया-भरया हरियाणा हरियाणवी काव्य संग्रह विशेष रूप से चर्चित रही हैं। उन्होंने हरियाणवी फिल्म ‘आठवां वचन’ के गीत भी लिखे हैं। हरियाणवी लोक साहित्य को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में उनका विशेष योगदान रहा है। हरियाणवी लोक साहित्य के लेखन में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें जन कवि फौजी मेहर सिंह सम्मान के रूप में 2 लाख रुपए का पुरस्कार हरियाणा सरकार द्वारा प्रदान किया गया था। कमेटी के 5 सदस्यों ने गीत किया फाइनल
राज्य गीत फाइनल करने के लिए हरियाणा विधानसभा की तरफ से कमेटी बनाई गई थी। जिसमें रेवाड़ी से भाजपा विधायक लक्ष्मण सिंह यादव को अध्यक्ष बनाया गया। इनके अलावा, झज्जर से कांग्रेस विधायक गीता भुक्कल, हांसी से भाजपा विधायक विनोद भयाना, फतेहाबाद से कांग्रेस विधायक बलवान सिंह दौलतपुरिया और रानियां से इनेलो विधायक आदित्य देवीलाल को सदस्य के रूप में शामिल किया गया। सूत्रों के मुताबिक कमेटी के पास 204 गीत पहुंचे थे। इनमें से कमेटी ने 3 गीत सिलेक्टर किए। आखिरी मंथन के बाद ‘जय जय जय हरियाणा’ गीत को फाइनल किया गया। हरियाणा में 7 मार्च से शुरू होने जा रहे विधानसभा के बजट सत्र में राज्य गीत मिल जाएगा। ‘जय जय जय हरियाणा’ गीत में हरियाणवी संस्कृति के बारे में बताया गया है। 21 लाइनों में कुरुक्षेत्र की धरती, किसानों, खिलाड़ियों, सैनिकों और दूध दही के खाने को प्रमुखता से रखा गया है। इस गीत को पानीपत के डॉ. बालकिशन शर्मा ने लिखा है। डॉ. श्याम शर्मा गायक, पारस चोपड़ा कम्पोजर और रोहतक की मालविका पंडित ने डायरेक्ट किया है। इस गीत को विधानसभा कमेटी ने फाइनल कर दिया है। गीत में हरियाणा के रहन-सहन और भाईचारे काे बताया
3 मिनट के गीत में हरियाणा को वेदों की पावन धरती के रूप में प्रस्तुत किया गया है। कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्ण ने गीता का ज्ञान दिया और महाभारत का इतिहास रचा गया। भौगोलिक दृष्टि से हरियाणा की विशेषता बताते हुए गीत में शिवालिक पर्वत श्रृंखला, अरावली पर्वत और यमुना नदी का जिक्र किया गया है। साथ ही प्राचीन सरस्वती नदी के महत्व को भी दर्शाया गया है। हरियाणवी जीवनशैली की सादगी को दूध-दही के खानपान के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। गीत में राज्य की सामाजिक-सांस्कृतिक एकता को बताया गया है। यहां होली, दिवाली, ईद और गुरुपर्व जैसे सभी धर्मों के त्योहार मिलजुल कर मनाए जाते हैं। राज्य की प्रगति को शिक्षा और व्यापार के विकास से जोड़ा गया है। सांग और रागनी जैसी लोक कलाओं का भी उल्लेख है। हरियाणा के राष्ट्रीय योगदान को भी गीत में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। राज्य के किसानों द्वारा सोने जैसी फसलें उगाने, खिलाड़ियों द्वारा देश के लिए मेडल जीतने और सैनिकों द्वारा सीमाओं की रक्षा करने का गौरवपूर्ण जिक्र किया गया है। गीत के समापन में बताया गया है कि कैसे छोटा होने के बावजूद हरियाणा देश की विशेष शान है, जहां ‘अतिथि देवो भव’ की परंपरा आज भी है। बालकिशन शर्मा 8 किताबें लिख चुके
गीत के लेखक डॉ. बालकिशन शर्मा पानीपत के रहने वाले हैं। वह SD पीजी कॉलेज के पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर हैं। वे हिंदी विभाग के अध्यक्ष भी रहे हैं। हिंदी व हरियाणवी लोक साहित्य के जाने-माने विद्वान हैं। डॉ. शर्मा हिंदी सलाहकार समिति के सदस्य रह चुके हैं। उनकी लिखी 8 पुस्तकें प्रकाशित हैं, इनमें गांव की छांव, काव्य संग्रह और हरया-भरया हरियाणा हरियाणवी काव्य संग्रह विशेष रूप से चर्चित रही हैं। उन्होंने हरियाणवी फिल्म ‘आठवां वचन’ के गीत भी लिखे हैं। हरियाणवी लोक साहित्य को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में उनका विशेष योगदान रहा है। हरियाणवी लोक साहित्य के लेखन में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें जन कवि फौजी मेहर सिंह सम्मान के रूप में 2 लाख रुपए का पुरस्कार हरियाणा सरकार द्वारा प्रदान किया गया था। कमेटी के 5 सदस्यों ने गीत किया फाइनल
राज्य गीत फाइनल करने के लिए हरियाणा विधानसभा की तरफ से कमेटी बनाई गई थी। जिसमें रेवाड़ी से भाजपा विधायक लक्ष्मण सिंह यादव को अध्यक्ष बनाया गया। इनके अलावा, झज्जर से कांग्रेस विधायक गीता भुक्कल, हांसी से भाजपा विधायक विनोद भयाना, फतेहाबाद से कांग्रेस विधायक बलवान सिंह दौलतपुरिया और रानियां से इनेलो विधायक आदित्य देवीलाल को सदस्य के रूप में शामिल किया गया। सूत्रों के मुताबिक कमेटी के पास 204 गीत पहुंचे थे। इनमें से कमेटी ने 3 गीत सिलेक्टर किए। आखिरी मंथन के बाद ‘जय जय जय हरियाणा’ गीत को फाइनल किया गया। हरियाणा | दैनिक भास्कर
