हरियाणा के फतेहाबाद में राज्यसभा सांसद सुभाष बराला ने सरपंचों द्वारा सरकार के विरोध के किए गए ऐलान पर बोलते हुए कहा कि सरकार लगातार चुने गए प्रतिनिधियों का मान-सम्मान बढ़ा रही है। कल मुख्यमंत्री सरपंचों से मीटिंग करेंगे, जरूर कोई न कोई समाधान निकल आएगा। सुभाष बराला आज फतेहाबाद डीपीआरसी भवन में मुख्यमंत्री शहरी स्वामित्व योजना के तहत प्रदेश स्तरीय रजिस्ट्री वितरण कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। बराला ने कहा कि सरपंचों को 21 लाख रुपए तक के काम बिना टेंडर कराने की अनुमति दे दी गई है, इसके अलावा भी बहुत सी घोषणाएं की गई हैं। इसलिए कहीं कोई गतिरोध होना नहीं चाहिए। प्रदेश में बढ़ते अपराध पर बोलते हुए बराला ने कहा कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी लगातार अधिकारियों के साथ बैठकें कर रहे हैं और निर्देश दे रहे हैं कि अपराधियों को उनकी भाषा में ही जवाब दिया जाए, कोई अपराधी बचेगा नहीं। उन्होंने कहा कि जिन घरों के लोग जा चुके हैं, उन्हें तो वापस नहीं लाया जा सकता, लेकिन उन्हें विश्वास दिलाते हैं कि अपराधी कानून के शिकंजे से बचेंगे नहीं। इनेलो और बसपा के गठबंधन के सवाल पर बराला ने कहा कि ऐसे गठबंधन पहले भी बहुत हुए हैं, लेकिन यह कभी सिरे नहीं चढ़े, समय आने पर यह टूट जाते हैं, ये दल ऐसा न करें और अपने वोटरों का भी ख्याल रखें। जजपा नेता देवेंद्र बबली द्वारा खुद को आधा भाजपाई बताने के सवाल पर बराला ने कहा कि आधा अधूरा होने से काम नहीं चलता, जहां हो, वहां संपूर्ण समर्पण होना जरूरी है। तभी संपूर्ण कल्याण होता है। जहां आधा अधूरा समर्पण होगा, वहां कल्याण गुंजाइश कम होती है। बराला ने बताया कि आज मुख्यमंत्री द्वारा हरियाणा के लाखों ऐसे परिवारों को रजिस्ट्री कार्ड बांटे जा रहे हैं, जो वर्षों से किसी ऐसी भूमि पर रह रहे थे या दुकानें चला रहे थे, जिन पर उनका मालिकाना हक नहीं था। आज फतेहाबाद में भी 4 हजार ऐसे परिवारों को भूमि स्वामित्व के लिए रजिस्ट्री बांटी जा रही हैं। हरियाणा के फतेहाबाद में राज्यसभा सांसद सुभाष बराला ने सरपंचों द्वारा सरकार के विरोध के किए गए ऐलान पर बोलते हुए कहा कि सरकार लगातार चुने गए प्रतिनिधियों का मान-सम्मान बढ़ा रही है। कल मुख्यमंत्री सरपंचों से मीटिंग करेंगे, जरूर कोई न कोई समाधान निकल आएगा। सुभाष बराला आज फतेहाबाद डीपीआरसी भवन में मुख्यमंत्री शहरी स्वामित्व योजना के तहत प्रदेश स्तरीय रजिस्ट्री वितरण कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। बराला ने कहा कि सरपंचों को 21 लाख रुपए तक के काम बिना टेंडर कराने की अनुमति दे दी गई है, इसके अलावा भी बहुत सी घोषणाएं की गई हैं। इसलिए कहीं कोई गतिरोध होना नहीं चाहिए। प्रदेश में बढ़ते अपराध पर बोलते हुए बराला ने कहा कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी लगातार अधिकारियों के साथ बैठकें कर रहे हैं और निर्देश दे रहे हैं कि अपराधियों को उनकी भाषा में ही जवाब दिया जाए, कोई अपराधी बचेगा नहीं। उन्होंने कहा कि जिन घरों के लोग जा चुके हैं, उन्हें तो वापस नहीं लाया जा सकता, लेकिन उन्हें विश्वास दिलाते हैं कि अपराधी कानून के शिकंजे से बचेंगे नहीं। इनेलो और बसपा के गठबंधन के सवाल पर बराला ने कहा कि ऐसे गठबंधन पहले भी बहुत हुए हैं, लेकिन यह कभी सिरे नहीं चढ़े, समय आने पर यह टूट जाते हैं, ये दल ऐसा न करें और अपने वोटरों का भी ख्याल रखें। जजपा नेता देवेंद्र बबली द्वारा खुद को आधा भाजपाई बताने के सवाल पर बराला ने कहा कि आधा अधूरा होने से काम नहीं चलता, जहां हो, वहां संपूर्ण समर्पण होना जरूरी है। तभी संपूर्ण कल्याण होता है। जहां आधा अधूरा समर्पण होगा, वहां कल्याण गुंजाइश कम होती है। बराला ने बताया कि आज मुख्यमंत्री द्वारा हरियाणा के लाखों ऐसे परिवारों को रजिस्ट्री कार्ड बांटे जा रहे हैं, जो वर्षों से किसी ऐसी भूमि पर रह रहे थे या दुकानें चला रहे थे, जिन पर उनका मालिकाना हक नहीं था। आज फतेहाबाद में भी 4 हजार ऐसे परिवारों को भूमि स्वामित्व के लिए रजिस्ट्री बांटी जा रही हैं। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा के पूर्व कांग्रेसी मंत्री की किरकिरी:अपने गढ़ में राज बब्बर को नहीं जिता पाए; दावा था-मुझे टिकट देते तो 1 लाख वोटों से जीतता
हरियाणा के पूर्व कांग्रेसी मंत्री की किरकिरी:अपने गढ़ में राज बब्बर को नहीं जिता पाए; दावा था-मुझे टिकट देते तो 1 लाख वोटों से जीतता मुझे टिकट दी जाती तो भाजपा उम्मीदवार राव इंद्रजीत सिंह को कम से कम एक लाख वोटों से हराता। जातीय समीकरण को मैं जानता हूं। इसमें राज बब्बर की कोई गलती नहीं है। टिकट दिलाने वालों की चूक है। ये बात 2 दिन पहले कांग्रेस नेता कैप्टन यादव ने कही थी, लेकिन चुनाव के रिजल्ट पर नजर दौड़ाएं तो उनके गढ़ में ही पार्टी का कैंडिडेट हार गया। हरियाणा की गुरुग्राम लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने पूर्व वित्त मंत्री और 6 बार विधायक रहे कैप्टन अजय सिंह यादव की टिकट काटकर फिल्म स्टार राज बब्बर को चुनावी मैदान में उतारा। टिकट कटने की नाराजगी पर कुछ समय के लिए कैप्टन ने विरोधी सुर भी अपनाए। बाद में राज बब्बर के चुनावी प्रचार में बेटे सहित कूद गए, लेकिन चुनावी परिणाम सामने आए तो कैप्टन के गढ़ रेवाड़ी में राज बब्बर हार गए। रेवाड़ी-बावल दोनों विधानसभा में राज बब्बर को हार का सामना करना पड़ा। जबकि बावल के मुकाबले रेवाड़ी में हार का मार्जिन ज्यादा रहा। यहां से कांग्रेस को सबसे ज्यादा उम्मीद थी, क्योंकि इस सीट पर कैप्टन के बेटे चिरंजीव राव MLA हैं। रेवाड़ी से राव इंद्रजीत को 96,938 वोट और राज बब्बर को 60,409 वोट मिले। बब्बर को सिर्फ नूंह जिले की 3 विधानसभाओं में लीड मिल पाई
वहीं कैप्टन के पैतृक गांव साहरनवास में राज बब्बर दोनों बूथ पर जीते, लेकिन शहर से लगते गांव गोकलगढ़ में 5 में से 4 बूथ पर हार का सामना करना पड़ा। गांव गोकलगढ़ में कैप्टन अजय सिंह यादव का ससुराल है। राज बब्बर को गुरुग्राम लोकसभा में नूंह जिले की तीनों विधानसभा सीट को छोड़कर किसी अन्य विधानसभा में लीड नहीं मिल पाई। हालांकि सोहना से उन्हें जितनी उम्मीद थी, उससे कहीं ज्यादा वोट मिले हैं। बावल में रामपुरा हाउस का दबदबा होने के बावजूद राज बब्बर 63 हजार से ज्यादा वोट लेने में कामयाब रहे। गुरुग्राम सीट पर बीजेपी के राव इंद्रजीत सिंह ने लगातार चौथी बार जीत दर्ज की है। राव इंद्रजीत ने राज बब्बर को इस बार 70 हजार से ज्यादा वोटों से हराया है। पिछला चुनाव कैप्टन ने लड़ा, इस बार कटी टिकट
2019 में गुरुग्राम सीट पर कैप्टन अजय सिंह यादव ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन राव इंद्रजीत सिंह के सामने कैप्टन बुरी तरह हार गए थे। इस बार भी कैप्टन ने गुरुग्राम सीट पर दावेदारी ठोकी हुई थी। एक साल पहले ही चुनाव की तैयारी भी शुरू कर दी थी, लेकिन चुनाव से ठीक पहले टिकट कटने की आशंका के बीच कैप्टन ने एक तरह से विरोधी सुर अपना लिए थे। कैप्टन को भी अभास हो गया था कि इस बार उन्हें टिकट नहीं मिलेगी। आखिर में कांग्रेस हाईकमान ने कैप्टन की टिकट काटकर राज बब्बर को चुनावी मैदान में उतारा। इसके बाद कैप्टन ने प्रदेश की लीडरशिप पर सवाल खड़ कर दिए। हालांकि राज बब्बर ने खुद कैप्टन अजय को मनाया। कैप्टन भी अपने बेटे विधायक चिरंजीव के साथ प्रचार में उतर गए। रेवाड़ी से 36 हजार से ज्यादा वोटों से हारे
कैप्टन और चिरंजीव राव ने रेवाड़ी विधानसभा सीट पर राज बब्बर के लिए काफी जनसभाएं भी की। इतना ही नहीं प्रचार के अंतिम दौर में अपने गढ़ रेवाड़ी शहर में राज बब्बर का रोड शो भी निकलवाया, लेकिन जिस तरह की उम्मीद कांग्रेस पार्टी को रेवाड़ी सीट से थी, उसके अनुरूप यहां से कांग्रेस कैंडिडेट को बढ़त नहीं मिल पाई। राज बब्बर रेवाड़ी से 36 हजार से ज्यादा वोटों से हार गए।
माता-पिता जहां से विधायक बने, अब बेटे की तैयारी:उचाना से ताल ठोकेंगे पूर्व IAS बृजेंद्र सिंह, यहां चौटाला परिवार की स्थिति खराब
माता-पिता जहां से विधायक बने, अब बेटे की तैयारी:उचाना से ताल ठोकेंगे पूर्व IAS बृजेंद्र सिंह, यहां चौटाला परिवार की स्थिति खराब चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह ने उचाना विधानसभा से अभी से तैयारियों में जुट गए हैं। दशकों से बीरेंद्र सिंह का परिवार उचाना से लड़ता आया है। इस बार बीरेंद्र सिंह अपनी अगली पीढ़ी को उचाना से लड़वाना चाहते हैं। उनके बेटे पूर्व IAS बृजेंद्र सिंह इस बार उचाना से ताल ठोकने को तैयार हैं। उन्होंने अभी से गांव-गांव जाकर जनसंपर्क शुरू कर दिया है। वह अपने पुराने समर्थकों से मिल रहे हैं और वहीं नए लोगों को भी अपने साथ जोड़ने में लगे हैं। उचाना में इस बार चौटाला परिवार की स्थिति सबसे खराब रही। यहां से विधायक दुष्यंत चौटाला अपनी मां नैना चौटाला को मात्र 4210 वोट ही दिलवा सके। इसके अलावा भाजपा से चुनाव लड़ने वाले रणजीत चौटाला को उचाना विधानसभा से 44885 वोट मिले। वहीं कांग्रेस के जयप्रकाश को 82204 वोट मिले थे। इन नतीजों से बीरेंद्र सिंह का परिवार उत्साहित है और उन्होंने बेटे बृजेंद्र सिंह को इस सेफ सीट से चुनाव लड़वाने के लिए अभी से तैयारी शुरू करवा दी है। बृजेंद्र सिंह हिसार से रह चुके सांसद
बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह ने 2019 में लोकसभा चुनाव हिसार से जीता था। राजनीति की शुरुआत उन्होंने भाजपा से की। हिसार से रिकॉर्ड वोटों से वह जीते मगर 2024 के लोकसभा चुनाव आते-आते उनका भाजपा से मोह भंग हो गया। किसान आंदोलन, अग्निवीर और महिला पहलवानों के यौन शोषण जैसे मुद्दों पर उनकी भाजपा से ठन गई। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने पाला बदल लिया और कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस से उनको लोकसभा का टिकट मिलने की उम्मीद थी मगर उनको टिकट नहीं मिला। अब वह पिता की पारंपरिक सीट रही उचाना से विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। बीरेंद्र सिंह और पत्नी प्रेमलता पहली बार यहीं से लड़े
उचाना विधानसभा की हरियाणा की राजनीति में अलग ही पहचान है। यहां से चुने विधायकों ने हरियाणा की राजनीति को प्रभावित किया है। अब बृजेंद्र सिंह यहां से चुनाव जीतकर हरियाणा की राजनीति में बड़ा रोल अदा करना चाहते हैं। चौधरी बीरेंद्र सिंह और उनकी पत्नी प्रेमलता विधानसभा का पहला चुनाव यहीं से लड़े और राजनीति में मुकाम हासिल किया। बीरेंद्र सिंह 5 बार उचाना से जीतकर हरियाणा विधानसभा में विधायक बने (1977-82, 1982-84, 1991-96, 1996-2000 और 2005-09) और 3 बार हरियाणा में कैबिनेट मंत्री रहे। उन्होंने 3 बार सांसद का चुनाव जीता। बीरेंद्र सिंह ने अपना पहला चुनाव 1972 में लड़ा और 1972 से 1977 तक वे ब्लॉक समिति उचाना के चेयरमैन रहे। उन्होंने 1977 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के टिकट पर उचाना कलां निर्वाचन क्षेत्र से विधान सभा चुनाव लड़ा और देश में कांग्रेस विरोधी लहर के बावजूद, एक बड़े अंतर से सीट जीती। वहीं पत्नी प्रेमलता ने बीजेपी से 2014 में चुनाव लड़ा और दुष्यंत चौटाला को हराकर विधायक बनी। 2009 से 2014 तक रहा इनेलो का वर्चस्व
वर्ष 2009 से 2014 तक लोकसभा चुनावों में यहां इनेलो का वर्चस्व रहा। 2009 में इनेलो के संपत सिंह को 47 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। इसके बाद 2014 में हिसार से इनेलो कैंडिडेट रहे दुष्यंत चौटाला को 87,243 वोट मिले थे। उस दौरान कांग्रेस, हजकां, बसपा समेत सभी उम्मीदवारों को मिले कुल वोटों की संख्या भी दुष्यंत के वोटों से कम थी। कुल मतदान के 57 प्रतिशत वोट दुष्यंत को मिले थे। मगर दुष्यंत द्वारा भाजपा सरकार को समर्थन के बाद से ही उनकी पकड़ हलके में कमजोर होती गई। वहीं बाकी कसर किसान आंदोलन और सत्ता विरोधी लहर ने पूरी कर दी। जानिए, इस चुनाव में उचाना में कैसे हुआ उलटफेर
1. नैना चौटाला को 77 बूथों पर मिले 10 से कम वोट
हिसार संसदीय क्षेत्र के उचाना विधानसभा क्षेत्र को पहले इनेलो, उसके बाद बीरेंद्र सिंह और अब तक दुष्यंत चौटाला का गढ़ माना जा रहा था, लेकिन अब दुष्यंत के इस गढ़ में जयप्रकाश उर्फ जेपी ने सेंधमारी कर डाली है। वर्तमान में विधायक दुष्यंत चौटाला की पार्टी से प्रत्याशी उनकी मां नैना चौटाला को 77 बूथों पर तो 10 वोट भी नहीं मिल पाए हैं। बूथ नंबर 83 और 181 पर तो जजपा का खाता भी नहीं खुला। 102 नंबर बूथ पर केवल एक वोट आया। विधानसभा के 66 गांवों में से 59 गांवों में जयप्रकाश और छह गांवों में रणजीत सिंह को बढ़त मिली। वहीं डूमरखां कलां में दोनों कैंडिडेट बराबरी पर रहे। हलके के गांव खांडा के बूथ नंबर 192 और 194 को छोड़ दें तो बाकी किसी भी बूथ पर जेपी के वोटों की संख्या 100 से नीचे नहीं आई। 2. खांडा समेत छह गांवों में ही रणजीत को मिली लीड, 59 में जेपी आगे
भाजपा उम्मीदवार रणजीत सिंह चौटाला को हलके के केवल छह गांवों खांडा, बिघाना, भगवानपुरा, उचाना मंडी, कसूहन और जीवनपुर में ही लीड मिली। बाकी 59 गांवों में जेपी को ज्यादा वोट मिले। वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के गांव डूमरखां कलां में मुकाबला बराबरी पर रहा। जयप्रकाश की सबसे बड़ी जीत छात्तर गांव में 2700 से अधिक मतों से रही तो रणजीत चौटाला की सबसे अधिक जीत खांडा गांव में 1061 मतों की रही। 3. दुष्यंत चौटाला के लिए वोट रिकवरी बनेगी चुनौती
वर्ष 2019 में हुए विधानसभा चुनावों में दुष्यंत सिंह चौटाला ने 47 हजार वोटों की रिकॉर्ड जीत प्राप्त की थी। विधानसभा चुनाव में दुष्यंत चौटाला को 92 हजार वोट मिले थे। अब आगामी विधानसभा चुनावों में वोटों की रिकवरी करना दुष्यंत चौटाला के लिए बड़ी चुनौती रहेगी। क्योंकि इस बार भी दुष्यंत चौटाला का सामना बीरेंद्र सिंह के परिवार से ही होगा। अगर बीरेंद्र परिवार कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ता है तो फिर उनका खुद का वोट बैंक के अलावा कांग्रेस से जुड़े वोटों का साथ रहेगा।
रोहतक में राजस्थान के ट्रक ड्राइवर से लूट:बंधक बनाकर भिवानी में फेंका, हिसार से लोहे के पाइप लेकर जा रहा था जयपुर
रोहतक में राजस्थान के ट्रक ड्राइवर से लूट:बंधक बनाकर भिवानी में फेंका, हिसार से लोहे के पाइप लेकर जा रहा था जयपुर रोहतक में राजस्थान के ट्रक ड्राइवर से लूट की वारदात सामने आई है। वारदात उस समय हुई जब ट्रक ड्राइवर अपने ट्रक में हिसार से लोहे के पाइप लेकर जयपुर जा रहा था। इसी दौरान बीच रास्ते में रोहतक के खरकड़ा मोड के नजदीक कार सवार बदमाशों ने उसे बंधक बनाकर ट्रक लूट लिया। वहीं, आरोपी ट्रक ड्राइवर को भिवानी के गांव शेरला में फेंककर फरार हो गए। जिसकी शिकायत पुलिस को दी गई है। राजस्थान के जिला दौसा के गांव बासडी निवासी झूथाराम ने महम पुलिस थाना में लूट की शिकायत दी। शिकायत में बताया कि वह 4 जून को हिसार से ट्रक में लोहे के पाइप लोड करके जयपुर जा रहा था। इसी दौरान बीच रास्ते में वह रोहतक में खरकड़ा बाईपास के नजदीक स्थित एक ढाबे पर उन्होंने अपने ट्रक को खड़ा कर दिया। वहीं खाना खाने के बाद स्नान किया और ट्रक के अंदर कपड़े सुखाने लगा। इसी दौरान तीन युवक उसके ट्रक के अंदर घुस आए और उसे दबोच लिया। बंधक बनाकर भिवानी के गांव शेरला में फेंका
ट्रक चालक ने पुलिस को बताया कि, तीनों युवकों ने उसके हाथ-पैर बांधकर गाड़ी की सीट पर पीछे डालकर गाड़ी को ले गए। करीब आधा घंटे बाद आरोपियों ने उसे ट्रक से उतारकर कार में डाल दिया। वहीं, रात को करीब 8 बजे उसे भिवानी के लोहारू एरिया स्थित गांव शेरला के पास फेंक दिया। इसके बाद आरोपी वहां से फरार हो गए और इसकी सूचना मालिक को दी। इधर, महम थाने में आकर इसकी शिकायत दी गई। मामला दर्ज करके जांच में जुटी पुलिस
महम थाना प्रभारी सत्यपाल ने बताया कि ट्रक ड्राइवर में लूट की शिकायत दी है। जिसके आधार पर अज्ञात आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। पुलिस आरोपियों की तलाश में जुटी है। लेकिन अभी तक आरोपी गिरफ्तार नहीं हुए। जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।