हरियाणा में सितंबर-अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा के साथ कांग्रेस भी तैयारी में जुटी हुई है। 10 सालों से सत्ता में बैठी BJP को हराने के लिए कांग्रेस ने अब पार्टी के पंजाबी वैक्यूम पर नजर गड़ा दी है। भाजपा के 2 बड़े पंजाबी चेहरे पार्टी से दूर हो गए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर लोकसभा चुनाव जीतकर दिल्ली में मोदी कैबिनेट में पहुंच गए हैं। वहीं, दूसरे बड़े पंजाबी चेहरे पूर्व गृहमंत्री अनिल विज घर बैठे हुए हैं। वह सिर्फ अपनी विधानसभा अंबाला कैंट में ही सक्रिय दिख रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस सूबे में चुनाव की नजदीकियों को देखते हुए पंजाबी वोट बैंक को रिझाने में जुट गई है। कांग्रेस की ओर से इसके लिए राष्ट्रीय पंजाबी महासभा (RPM) को जिम्मेदारी दी गई है। जानिए, क्यों BJP से दूर हुए पंजाबी नेता… पूर्व CM मनोहर लाल खट्टर : हरियाणा में भाजपा में पंजाबी समुदाय का यह बड़ा चेहरा थे। 2014 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीतने के बाद वह सूबे में BJP की सरकार में लगातार दो टर्म के मुख्यमंत्री रहे। 2024 में लोकसभा चुनाव जीतकर अब दिल्ली में केंद्रीय मंत्री की जिम्मेदारी देख रहे हैं। अनिल विज : हरियाणा के पूर्व गृह मंत्री भाजपा के बड़े नेताओं में शामिल हैं। यह भी पंजाबी समुदाय से आते हैं। खट्टर को हटाने के बाद केंद्रीय नेतृत्व ने नायब सैनी को CM बना दिया था, जिसके बाद से वह लगातार नाराज हैं। लोकसभा चुनाव में भी वह अपनी विधानसभा अंबाला कैंट में ही सक्रिय रहे। संदीप सिंह : पूर्व अंतरराष्ट्रीय हॉकी प्लेयर संदीप सिंह हरियाणा में भाजपा से जुड़े हैं। खट्टर के कार्यकाल में पहली बार विधानसभा चुनाव जीतने के बाद ही उन्हें खेल मंत्री बना दिया गया। हालांकि, इस दौरान उन पर जूनियर महिला कोच ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगा दिए, जिसके बाद अब वह भाजपा से अलग-थलग पड़े हुए हैं। पंजाबियों का सूबे में 34 से 40% वोट
हरियाणा की करीब ढाई करोड़ आबादी में पंजाबी समुदाय 34 से 40 फीसदी तक है। इसके साथ ही 25 से 26 विधानसभा ऐसी हैं, जहां पंजाबी बिरादरी की पकड़ है। इन इलाकों में पंजाबी बिरादरी के उम्मीदवार जीतते रहे हैं। 1991 में चौधरी भजनलाल के शासन काल में हरियाणा सरकार में 17 मंत्री अकेले पंजाबी समुदाय के थे, लेकिन आज के राजनीतिक दौर में उनका हिस्सा बहुत कम है। जबकि, चाहे लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा, इस समुदाय की भूमिका निर्णायक होती है। भाजपा से पहले यह समुदाय कांग्रेस के साथ था, लेकिन अनदेखी के कारण यह पंजाबी समुदाय कांग्रेस से टूट कर दूसरे दलों में बिखर गया है। अब कांग्रेस ने इसे साधने के लिए विशेष रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। अभी की सियासत में पंजाबियों का क्या योगदान
हरियाणा की सियासत में पंजाबियों का बड़ा योगदान रहा है। हालांकि, इसके बाद भी किसी भी पार्टी के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी पंजाबियों को नहीं दी गई। चौधरी भजनलाल के कार्यकाल को छोड़ दें तो 2014 से लेकर 2024 तक भाजपा ने सरकार में पंजाबियों को ठीक नेतृत्व दिया। मनोहर लाल खट्टर को CM बनाया। उन्हीं की कैबिनेट में अनिल विज को गृह मंत्री और संदीप सिंह को खेल मंत्री की जिम्मेदारी दी गई, लेकिन इसके बाद अब सूबे की सियासत में कोई भी पंजाबी समुदाय का बड़ा नेता न ही सरकार में और न ही विपक्ष में एक्टिव है। एक्टिव हुए कांग्रेस से जुड़े पंजाबी नेता
हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस से जुड़े पंजाबी नेताओं ने पार्टी में और टिकट के मामले में समुदाय को पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए खुद को संगठित करना शुरू कर दिया है। इस उद्देश्य से समुदाय के नेता अगस्त में करनाल में एक पंजाबी सम्मेलन आयोजित करेंगे। इसमें राष्ट्रीय पंजाबी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक मेहता सम्मेलन के राज्य समन्वयक होंगे। इस कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान भी शामिल होंगे। टिकट के लिए पैरवी करेगा RPM
RPM ने पंजाबी समुदाय के संभावित उम्मीदवारों से कहा है कि वे टिकट के लिए कांग्रेस में आवेदन करें। इसके साथ ही वह अपने आवेदन की एक प्रति RPM को भेजें, जिससे नेताओं की उम्मीदवारी का समर्थन किया जा सके। आम चुनाव में कांग्रेस ने पंजाबी समुदाय को 2 टिकट दिए थे। विधानसभा चुनाव में इस समुदाय से जुड़े नेताओं को उम्मीद है कि पार्टी उन्हें पर्याप्त प्रतिनिधित्व देगी। हरियाणा में सितंबर-अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा के साथ कांग्रेस भी तैयारी में जुटी हुई है। 10 सालों से सत्ता में बैठी BJP को हराने के लिए कांग्रेस ने अब पार्टी के पंजाबी वैक्यूम पर नजर गड़ा दी है। भाजपा के 2 बड़े पंजाबी चेहरे पार्टी से दूर हो गए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर लोकसभा चुनाव जीतकर दिल्ली में मोदी कैबिनेट में पहुंच गए हैं। वहीं, दूसरे बड़े पंजाबी चेहरे पूर्व गृहमंत्री अनिल विज घर बैठे हुए हैं। वह सिर्फ अपनी विधानसभा अंबाला कैंट में ही सक्रिय दिख रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस सूबे में चुनाव की नजदीकियों को देखते हुए पंजाबी वोट बैंक को रिझाने में जुट गई है। कांग्रेस की ओर से इसके लिए राष्ट्रीय पंजाबी महासभा (RPM) को जिम्मेदारी दी गई है। जानिए, क्यों BJP से दूर हुए पंजाबी नेता… पूर्व CM मनोहर लाल खट्टर : हरियाणा में भाजपा में पंजाबी समुदाय का यह बड़ा चेहरा थे। 2014 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीतने के बाद वह सूबे में BJP की सरकार में लगातार दो टर्म के मुख्यमंत्री रहे। 2024 में लोकसभा चुनाव जीतकर अब दिल्ली में केंद्रीय मंत्री की जिम्मेदारी देख रहे हैं। अनिल विज : हरियाणा के पूर्व गृह मंत्री भाजपा के बड़े नेताओं में शामिल हैं। यह भी पंजाबी समुदाय से आते हैं। खट्टर को हटाने के बाद केंद्रीय नेतृत्व ने नायब सैनी को CM बना दिया था, जिसके बाद से वह लगातार नाराज हैं। लोकसभा चुनाव में भी वह अपनी विधानसभा अंबाला कैंट में ही सक्रिय रहे। संदीप सिंह : पूर्व अंतरराष्ट्रीय हॉकी प्लेयर संदीप सिंह हरियाणा में भाजपा से जुड़े हैं। खट्टर के कार्यकाल में पहली बार विधानसभा चुनाव जीतने के बाद ही उन्हें खेल मंत्री बना दिया गया। हालांकि, इस दौरान उन पर जूनियर महिला कोच ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगा दिए, जिसके बाद अब वह भाजपा से अलग-थलग पड़े हुए हैं। पंजाबियों का सूबे में 34 से 40% वोट
हरियाणा की करीब ढाई करोड़ आबादी में पंजाबी समुदाय 34 से 40 फीसदी तक है। इसके साथ ही 25 से 26 विधानसभा ऐसी हैं, जहां पंजाबी बिरादरी की पकड़ है। इन इलाकों में पंजाबी बिरादरी के उम्मीदवार जीतते रहे हैं। 1991 में चौधरी भजनलाल के शासन काल में हरियाणा सरकार में 17 मंत्री अकेले पंजाबी समुदाय के थे, लेकिन आज के राजनीतिक दौर में उनका हिस्सा बहुत कम है। जबकि, चाहे लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा, इस समुदाय की भूमिका निर्णायक होती है। भाजपा से पहले यह समुदाय कांग्रेस के साथ था, लेकिन अनदेखी के कारण यह पंजाबी समुदाय कांग्रेस से टूट कर दूसरे दलों में बिखर गया है। अब कांग्रेस ने इसे साधने के लिए विशेष रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। अभी की सियासत में पंजाबियों का क्या योगदान
हरियाणा की सियासत में पंजाबियों का बड़ा योगदान रहा है। हालांकि, इसके बाद भी किसी भी पार्टी के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी पंजाबियों को नहीं दी गई। चौधरी भजनलाल के कार्यकाल को छोड़ दें तो 2014 से लेकर 2024 तक भाजपा ने सरकार में पंजाबियों को ठीक नेतृत्व दिया। मनोहर लाल खट्टर को CM बनाया। उन्हीं की कैबिनेट में अनिल विज को गृह मंत्री और संदीप सिंह को खेल मंत्री की जिम्मेदारी दी गई, लेकिन इसके बाद अब सूबे की सियासत में कोई भी पंजाबी समुदाय का बड़ा नेता न ही सरकार में और न ही विपक्ष में एक्टिव है। एक्टिव हुए कांग्रेस से जुड़े पंजाबी नेता
हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस से जुड़े पंजाबी नेताओं ने पार्टी में और टिकट के मामले में समुदाय को पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए खुद को संगठित करना शुरू कर दिया है। इस उद्देश्य से समुदाय के नेता अगस्त में करनाल में एक पंजाबी सम्मेलन आयोजित करेंगे। इसमें राष्ट्रीय पंजाबी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक मेहता सम्मेलन के राज्य समन्वयक होंगे। इस कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान भी शामिल होंगे। टिकट के लिए पैरवी करेगा RPM
RPM ने पंजाबी समुदाय के संभावित उम्मीदवारों से कहा है कि वे टिकट के लिए कांग्रेस में आवेदन करें। इसके साथ ही वह अपने आवेदन की एक प्रति RPM को भेजें, जिससे नेताओं की उम्मीदवारी का समर्थन किया जा सके। आम चुनाव में कांग्रेस ने पंजाबी समुदाय को 2 टिकट दिए थे। विधानसभा चुनाव में इस समुदाय से जुड़े नेताओं को उम्मीद है कि पार्टी उन्हें पर्याप्त प्रतिनिधित्व देगी। हरियाणा | दैनिक भास्कर