हरियाणा में मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) में इस बार अधिकारियों की एंट्री आसान नहीं होगी। सरकार इस बार फिर से मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस पर काम करेगी। इसको देखते हुए सरकार की ओर से CMO में होने वाली नियुक्तियों के लिए एक कमेटी बनाई है। इस कमेटी की अप्रूवल के बाद ही CMO में नियुक्ति की जाएगी। सरकार के विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि इस कमेटी में केंद्रीय नेताओं के साथ ही प्रदेश संगठन के नेताओं के अलावा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के सदस्यों को शामिल किया जाएगा। सेकेंड टर्म से पहले अपने कार्यकाल में मुख्यमंत्री नायब सैनी ने साढ़े 9 साल मुख्यमंत्री रहे मनोहर लाल खट्टर की टीम से ही काम चलाया। इस बार कमेटी के बनने के बाद सरकार ने बड़े बदलाव के संकेत दिए हैं। हारे हुए नेता कर रहे CMO में आने की तैयारी CMO में फेरबदल में मुख्यमंत्री नायब सिंह के चहेते अफसरों को समायोजित किया जाएगा। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मनोहर लाल के स्थान पर मुख्यमंत्री बनने वाले नायब सिंह सैनी ने पुरानी टीम से ही काम चलाया था। राजनीतिक सलाहकार से लेकर OSD सहित अन्य पदों पर मुख्यमंत्री नायब सैनी अपने चहेते और कुछ हारे हुए नेताओं को CMO में बुला सकते हैं। इनमें पूर्व मंत्री असीम गोयल और सुभाष सुधा के नाम भी शामिल हैं। हालांकि, अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व ही करेगा। मनोहर की टीम से ये नेता कर रहे लॉबिंग CMO में कुछ ऐसे पुराने चेहरे हैं, जो इस्तीफा दे चुके हैं लेकिन अब फिर से आने की तैयारी कर रहे हैं। इसमें OSD रह चुके जवाहर यादव, अभिमन्यु सिंह और भूपेश्वर दयाल शामिल हैं। इन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए सीएमओ को अलविदा कह दिया था। अब सरकार बनने के बाद फिर से ये वापसी के लिए लॉबिंग कर रहे हैं। हालांकि सरकार के द्वारा कमेटी बनाए जाने के बाद इन पुराने चेहरों की एंट्री की राह आसान नहीं दिख रही। राजेश खुल्लर की CS के पद पर नियुक्ति रोकी 18 अक्टूबर को रिटायर्ड IAS अधिकारी राजेश खुल्लर की मुख्यमंत्री नायब सैनी के चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी (CPS ) के तौर पर नियुक्ति की गई थी। रात करीब 8 बजे चीफ सेक्रेटरी की तरफ से इसे लेकर ऑर्डर जारी हुए। इसमें उन्हें कैबिनेट मिनिस्टर का रैंक दिया गया था। हालांकि, 4 घंटे बाद ही रात करीब 12 बजे दूसरा ऑर्डर जारी हो गया। जिसमें लिखा गया कि मुख्य प्रधान सचिव की नियुक्ति के संबंध में जारी आदेश अगले आदेश तक स्थगित किया जाता है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट के तीन सीनियर मंत्रियों ने खुल्लर की नियुक्ति पर सवाल उठाए। उन्होंने खुल्लर को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिए जाने पर विरोध जताया। उनका कहना था कि हम चुनाव जीतकर आए हैं। अधिकारी को बैठे-बिठाए ही यह दर्जा दिया जा रहा है। जिसके बाद आदेश वापस ले लिए गए। CMO से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें :- हरियाणा सरकार में होगी PMO की एंट्री:जोशी बन सकते हैं चीफ सेक्रेटरी, प्रिंसिपल सेक्रेटरी रह चुके; PM मोदी की गुड लिस्ट में शामिल हरियाणा सरकार में जल्द प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की एंट्री होगी। हरियाणा कैडर के 1989 बैच के IAS ऑफिसर विवेश जोशी को प्रदेश का चीफ सेक्रेटरी (CS) बनाया जा सकता है। जोशी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गुड लिस्ट में आते हैं। वह राज्य के प्रिंसिपल सेक्रेटरी के अलावा कई प्रमुख पदों पर रह चुके हैं। पूरी खबर पढ़ें… हरियाणा में मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) में इस बार अधिकारियों की एंट्री आसान नहीं होगी। सरकार इस बार फिर से मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस पर काम करेगी। इसको देखते हुए सरकार की ओर से CMO में होने वाली नियुक्तियों के लिए एक कमेटी बनाई है। इस कमेटी की अप्रूवल के बाद ही CMO में नियुक्ति की जाएगी। सरकार के विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि इस कमेटी में केंद्रीय नेताओं के साथ ही प्रदेश संगठन के नेताओं के अलावा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के सदस्यों को शामिल किया जाएगा। सेकेंड टर्म से पहले अपने कार्यकाल में मुख्यमंत्री नायब सैनी ने साढ़े 9 साल मुख्यमंत्री रहे मनोहर लाल खट्टर की टीम से ही काम चलाया। इस बार कमेटी के बनने के बाद सरकार ने बड़े बदलाव के संकेत दिए हैं। हारे हुए नेता कर रहे CMO में आने की तैयारी CMO में फेरबदल में मुख्यमंत्री नायब सिंह के चहेते अफसरों को समायोजित किया जाएगा। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मनोहर लाल के स्थान पर मुख्यमंत्री बनने वाले नायब सिंह सैनी ने पुरानी टीम से ही काम चलाया था। राजनीतिक सलाहकार से लेकर OSD सहित अन्य पदों पर मुख्यमंत्री नायब सैनी अपने चहेते और कुछ हारे हुए नेताओं को CMO में बुला सकते हैं। इनमें पूर्व मंत्री असीम गोयल और सुभाष सुधा के नाम भी शामिल हैं। हालांकि, अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व ही करेगा। मनोहर की टीम से ये नेता कर रहे लॉबिंग CMO में कुछ ऐसे पुराने चेहरे हैं, जो इस्तीफा दे चुके हैं लेकिन अब फिर से आने की तैयारी कर रहे हैं। इसमें OSD रह चुके जवाहर यादव, अभिमन्यु सिंह और भूपेश्वर दयाल शामिल हैं। इन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए सीएमओ को अलविदा कह दिया था। अब सरकार बनने के बाद फिर से ये वापसी के लिए लॉबिंग कर रहे हैं। हालांकि सरकार के द्वारा कमेटी बनाए जाने के बाद इन पुराने चेहरों की एंट्री की राह आसान नहीं दिख रही। राजेश खुल्लर की CS के पद पर नियुक्ति रोकी 18 अक्टूबर को रिटायर्ड IAS अधिकारी राजेश खुल्लर की मुख्यमंत्री नायब सैनी के चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी (CPS ) के तौर पर नियुक्ति की गई थी। रात करीब 8 बजे चीफ सेक्रेटरी की तरफ से इसे लेकर ऑर्डर जारी हुए। इसमें उन्हें कैबिनेट मिनिस्टर का रैंक दिया गया था। हालांकि, 4 घंटे बाद ही रात करीब 12 बजे दूसरा ऑर्डर जारी हो गया। जिसमें लिखा गया कि मुख्य प्रधान सचिव की नियुक्ति के संबंध में जारी आदेश अगले आदेश तक स्थगित किया जाता है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट के तीन सीनियर मंत्रियों ने खुल्लर की नियुक्ति पर सवाल उठाए। उन्होंने खुल्लर को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिए जाने पर विरोध जताया। उनका कहना था कि हम चुनाव जीतकर आए हैं। अधिकारी को बैठे-बिठाए ही यह दर्जा दिया जा रहा है। जिसके बाद आदेश वापस ले लिए गए। CMO से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें :- हरियाणा सरकार में होगी PMO की एंट्री:जोशी बन सकते हैं चीफ सेक्रेटरी, प्रिंसिपल सेक्रेटरी रह चुके; PM मोदी की गुड लिस्ट में शामिल हरियाणा सरकार में जल्द प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की एंट्री होगी। हरियाणा कैडर के 1989 बैच के IAS ऑफिसर विवेश जोशी को प्रदेश का चीफ सेक्रेटरी (CS) बनाया जा सकता है। जोशी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गुड लिस्ट में आते हैं। वह राज्य के प्रिंसिपल सेक्रेटरी के अलावा कई प्रमुख पदों पर रह चुके हैं। पूरी खबर पढ़ें… हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा में आचार संहिता लागू:भर्तियों का क्या होगा, क्या मंत्री सरकारी गाड़ी इस्तेमाल कर सकेंगे, ऐसे 11 महत्वपूर्ण सवालों के जवाब पढ़िए
हरियाणा में आचार संहिता लागू:भर्तियों का क्या होगा, क्या मंत्री सरकारी गाड़ी इस्तेमाल कर सकेंगे, ऐसे 11 महत्वपूर्ण सवालों के जवाब पढ़िए हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। इसी के साथ इन राज्यों में आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गई। मुख्य सचिव ने इसकी आधिकारिक घोषणा भी कर दी गई है। इस दौरान ज्यादातर सरकारी कामों पर अस्थाई रोक लगी रहेगी। ये वो काम होते हैं, जिनसे सरकार को फायदा होने का अंदेशा होता है। हरियाणा में राजनीतिक दलों को चुनाव प्रचार के लिए इस चुनाव में 17 अगस्त से 29 सितंबर तक कुल 44 दिन मिलेंगे। 2019 में 21 सितंबर को आचार संहिता लागू हुई थी। पिछली बार 2019 में 21 अक्टूबर को वोटिंग हुई थी। इस हिसाब से 2019 में उम्मीदवारों को प्रचार के लिए एक महीना मिला था, लेकिन इस बार अगस्त में आचार संहिता लगी है और अक्टूबर में वोटिंग होने के कारण डेढ़ महीने का समय मिल रहा है। ऐसे में आम लोगों के मन में कई तरह के सवाल हैं। मसलन- हरियाणा में सरकारी भर्तियां क्या होती रहेंगी, अगर कोई सड़क आधी बनी है तो क्या काम रुक जाएगा, क्या ड्राइविंग लाइसेंस और पासपोर्ट जैसे डॉक्यूमेंट बनने भी बंद हो जाएंगे?। सबसे पहले हरियाणा विधानसभा चुनाव का शेड्यूल जानिए… आचार संहिता से जुड़े 11 सवाल और उनके जवाब… सवाल 1 : आज से राज्य में लागू हुई आदर्श आचार संहिता होती क्या है?
जवाब : स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग ने कुछ नियम बनाए हैं, जिसे आचार संहिता कहते हैं। चुनाव के समय राजनीतिक दलों और सभी प्रत्याशियों को इसका पालन करना होता है। आचार संहिता के तहत बताया जाता है कि राजनीतिक दलों और कैंडिडेट को चुनाव के दौरान क्या करना है और क्या नहीं करना है। आचार संहिता की सबसे खास बात ये है कि ये नियम किसी कानून के जरिए नहीं बल्कि राजनीतिक पार्टियों की आपसी सहमति से बनाए गए हैं। आदर्श आचार संहिता की वजह से चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों, प्रत्याशियों और सत्ताधारी दलों के कामकाज और उनके व्यवहार पर नजर रखना संभव होता है। सवाल 2: विधानसभा चुनाव में आचार संहिता कब से कब तक लागू रहेगी?
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जवाबः आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद सरकारी खर्च पर मंत्री इलेक्शन रैली नहीं कर सकते हैं। इस दौरान मंत्री सरकारी वाहनों का इस्तेमाल भी सिर्फ अपने निवास से ऑफिस तक जाने के लिए कर सकते हैं। चुनावी रैलियों और यात्राओं के लिए इनका इस्तेमाल नहीं हो सकता। सवाल 10: क्या आचार संहिता के दौरान मंत्री अपने आधिकारिक दौरे के समय चुनाव प्रचार कर सकते हैं?
जवाब : नहीं, आचार संहिता लागू होने के बाद मंत्री अपने आधिकारिक दौरे के समय चुनाव प्रचार नहीं कर सकते हैं। यहां तक की चुनाव प्रचार के लिए सरकारी गाड़ियों, विमानों या किसी दूसरे सुविधाओं का भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। सवाल 11 : क्या शराब के ठेकों, तेंदू की पत्तियों के टेंडर की नीलामी की जा सकती है?
जवाब : नहीं, इस तरह के किसी टेंडर की नीलामी नहीं की जा सकती है। सरकार जरूरी होने पर आचार संहिता से पहले ही कोई तत्कालीन व्यवस्था कर सकती है। इसके अलावा नगर निगम, नगर पंचायत, नगर क्षेत्र समिति राजस्व संग्रहण का काम जारी रख सकती है।