पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह हत्याकांड में दोषी परमजीत भ्यौरा की याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने बुधवार को चंडीगढ़ के गृह सचिव और बुड़ैल जेल के अधीक्षक को नोटिस जारी किया है। भ्यौरा, जो पिछले 28 वर्षों से जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है, ने पेट में संक्रमण के इलाज के लिए पीजीआई में भर्ती करने की मांग की है। भ्यौरा ने अपनी याचिका में कहा कि पेट में गंभीर संक्रमण के कारण वह खाना पचाने में असमर्थ है और पेशाब में संक्रमण के कारण उसे तेज दर्द हो रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि जेल प्रशासन बार-बार शिकायत के बावजूद उचित इलाज उपलब्ध नहीं करा रहा है और केवल दर्द निवारक दवाएं दी जा रही हैं, जिससे उनकी तबीयत और बिगड़ती जा रही है। मौलिक अधिकारों का उल्लंघन भ्यौरा के वकील ने कोर्ट को बताया कि जेल अधिकारियों की लापरवाही उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है, जो संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सभी नागरिकों को प्राप्त हैं। सुप्रीम कोर्ट के “सुनील बत्रा बनाम दिल्ली प्रशासन” मामले का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि कैदियों को भी उचित इलाज का अधिकार है। याचिकाकर्ता ने अधिकारियों को बताई समस्या भ्यौरा ने बताया कि उसने 30 अक्टूबर को प्रशासक को ईमेल के माध्यम से और 7 नवंबर को महानिरीक्षक (जेल) को पंजीकृत डाक के जरिए अपनी समस्या बताई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। बेअंत सिंह हत्याकांड और भ्यौरा की सजा 31 अगस्त 1995 को चंडीगढ़ के सेक्टर-3 पुलिस स्टेशन में दर्ज मामले में भ्यौरा को धारा 302, 307, 120-बी आईपीसी और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया था। उसे प्राकृतिक मृत्यु तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। अदालत का नोटिस हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए चंडीगढ़ के गृह सचिव और बुड़ैल जेल के अधीक्षक को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई जल्द होने की उम्मीद है। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह हत्याकांड में दोषी परमजीत भ्यौरा की याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने बुधवार को चंडीगढ़ के गृह सचिव और बुड़ैल जेल के अधीक्षक को नोटिस जारी किया है। भ्यौरा, जो पिछले 28 वर्षों से जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है, ने पेट में संक्रमण के इलाज के लिए पीजीआई में भर्ती करने की मांग की है। भ्यौरा ने अपनी याचिका में कहा कि पेट में गंभीर संक्रमण के कारण वह खाना पचाने में असमर्थ है और पेशाब में संक्रमण के कारण उसे तेज दर्द हो रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि जेल प्रशासन बार-बार शिकायत के बावजूद उचित इलाज उपलब्ध नहीं करा रहा है और केवल दर्द निवारक दवाएं दी जा रही हैं, जिससे उनकी तबीयत और बिगड़ती जा रही है। मौलिक अधिकारों का उल्लंघन भ्यौरा के वकील ने कोर्ट को बताया कि जेल अधिकारियों की लापरवाही उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है, जो संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सभी नागरिकों को प्राप्त हैं। सुप्रीम कोर्ट के “सुनील बत्रा बनाम दिल्ली प्रशासन” मामले का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि कैदियों को भी उचित इलाज का अधिकार है। याचिकाकर्ता ने अधिकारियों को बताई समस्या भ्यौरा ने बताया कि उसने 30 अक्टूबर को प्रशासक को ईमेल के माध्यम से और 7 नवंबर को महानिरीक्षक (जेल) को पंजीकृत डाक के जरिए अपनी समस्या बताई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। बेअंत सिंह हत्याकांड और भ्यौरा की सजा 31 अगस्त 1995 को चंडीगढ़ के सेक्टर-3 पुलिस स्टेशन में दर्ज मामले में भ्यौरा को धारा 302, 307, 120-बी आईपीसी और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया था। उसे प्राकृतिक मृत्यु तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। अदालत का नोटिस हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए चंडीगढ़ के गृह सचिव और बुड़ैल जेल के अधीक्षक को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई जल्द होने की उम्मीद है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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गोल्डन टेंपल योगा केस में नोटिस पीरियड आज खत्म:अमृतसर पुलिस के सामने मकवाना को होना है पेश, कहा- फाइट के लिए तैयार गोल्डन टेंपल में योग करने वाली सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर अर्चना मकवाना को पंजाब पुलिस की तरफ से दिया गया नोटिस पीरियड आज खत्म हो रहा है। अर्चना को भेजे गए नोटिस के अनुसार उसे आज अमृतसर के थाना ई-डिवीजन में पहुंच जवाब देना होगा। वहीं, दूसरी तरफ अर्चना घोषणा कर चुकी है कि अगर SGPC शिकायत वापस नहीं लेगी तो वे जवाब देने के लिए तैयार है। अर्चना मकवाना को एक सप्ताह पहले 26 जून को अमृतसर पुलिस की तरफ से नोटिस भेजा गया था। जिसमें उसे अमृतसर पुलिस के समक्ष आज रविवार 30 जून को पेश होकर अपना पक्ष रखना है। देखना होगा कि अर्चना इस नोटिस पर जवाब देती है या पुलिस से और समय मांगती है। हालांकि, बीते दिन अर्चना ने सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीरों को फिर से पोस्ट किया था। जिसमें उसने लिखा था कि वाहेगुरु जी आप सच्चाई जानते हैं, कृपया न्याय करें।’ SGPC की शिकायत का जवाब देगी अर्चना अर्चना मकवाना ने 2 दिन पहले ही SGPC को शिकायत वापस लेने की बात कही थी। अर्चना ने अपनी वीडियो में कहा था- 21 जून को जब मैं शीर्षासन कर रही थी गोल्डन टेंपल में, वहां हजारों सिख मौजूद थे। जिसने फोटो खींचा वे भी सरदार जी थे। वो तो मेरे से पहले भी फोटो खींच रहे थे। वहां जो सेवादार खड़े थे, उन्होंने भी नहीं रोका। सेवादार भी पक्षपाती ही हैं, वे किसी को रोकते हैं, किसी को नहीं रोकते। इसलिए मैंने भी कहा एक फोटो खींच लेती हूं, मुझे गलत नहीं लग रहा। जब मैं फोटो कर रही थी, तब लाइव जितने भी सिख खड़े थे, उनके आस्था को तो दुख नहीं पहुंचा। तो मुझे नहीं लगा मैंने कुछ गलत किया। लेकिन 7 समंदर पार किसी को लगा कि मैंने गलत किया। नेगेटिव तरीके से मेरा फोटो वायरल कर दिया। उस पर SGPC ऑफिस ने मेरे पर बेसलैस FIR दर्ज करवा दी। जिसके बाद ये और बुरा होगा, अन्यथा मेरा इरादा बुरा नहीं था। अब सीसीटीवी कैमरे का सारा वीडियो वायरल कर दो। वहां कहीं नियम नहीं लिखे हैं। सिख, जो वहां रोज जाते हैं, उन्हें नियम नहीं पता, तो जो लड़की पहली बार गुजरात से आई है, उसे कैसे पता होगा। वहां किसी ने मुझे रोका नहीं। रोका होता तो डिलीट कर देती फोटो। मेरे खिलाफ ये फालतू की FIR करने की जरूरत क्या थी। इतना सारा मैंटल टॉर्चर मेरे को हुआ, उसका क्या। अभी भी टाइम है, FIR वापस ले लीजिए, अन्यथा मैं और मेरी लीगल टीम फाइट करने के लिए तैयार है। 21 मई को सोशल मीडिया पर डाली फोटो दरअसल, अर्चना मकवाना ने योग दिवस (21 मई) के दिन गोल्डन टेंपल की परिक्रमा में योग करते हुए तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी। अर्चना मकवाना ने सोशल मीडिया पर 2 तस्वीरें पोस्ट कीं। इनमें वह ध्यान और शीर्षासन करते नजर आ रही हैं। यह योगासन उन्होंने गोल्डन टेंपल की परिक्रमा में किए। जिसके बार ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं और SGPC की तरफ से उसके खिलाफ FIR दर्ज करवा दी गई। FIR में गोल्डन टेंपल के जनरल मैनेजर भगवंत सिंह ने लिखवाया है कि 22 जून 2024 को हम अपनी ड्यूटी पर मौजूद थे कि यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर एक वीडियो वायरल की गई है। इसमें अर्चना मकवाना श्री दरबार साहिब की परिक्रमा में शहीद बाबा दीप सिंह जी के स्थान के पास जगह पर ऐतराज योग्य फोटो खींची और जानबूझ कर वायरल कर रही है। इससे सिख भावनाओं को ठेस पहुंची है। 5 सेकेंड में ही किए योगासन गोल्डन टेंपल के जनरल मैनेजर भगवंत सिंह ने बताया कि CCTV कैमरों की जांच से पता चला कि युवती ने योग करने की हरकत केवल 5 सेकेंड में ही पूरी कर डाली। इस दौरान 3 सुरक्षाकर्मी वहां ड्यूटी पर थे। शुरुआती जांच के बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है, जबकि एक कर्मचारी को 5 हजार रुपए जुर्माना कर गुरुद्वारा गढ़ी साहिब गुरदास नंगल में ट्रांसफर कर दिया गया है।
पंजाब में राज्यपाल ही रहेंगे यूनिवर्सिटी के चांसलर:राष्ट्रपति ने यूनिवर्सिटी कानून संशोधन बिल को नहीं दी मंजूरी, वापस भेजा
पंजाब में राज्यपाल ही रहेंगे यूनिवर्सिटी के चांसलर:राष्ट्रपति ने यूनिवर्सिटी कानून संशोधन बिल को नहीं दी मंजूरी, वापस भेजा पंजाब यूनिवर्सिटी कानून संशोधन बिल 2023 को राष्ट्रपति ने बिना मंजूरी से राज्य सरकार को वापस भेज दिया है। यह बिल गत साल 21 जून को सर्वसम्मति से पास किया गया था। बिल के तहत सूबे की 12 स्टेट यूनिवर्सिटी की कुलपति की शक्ति राज्यपाल से लेकर मुख्यमंत्री को दी गई थी। हालांकि उक्त बिल वापस होने के चलते राज्यपाल ही अब राज्य की सारी यूनिवर्सिटी के चांसलर रहेंगे। तीन बिल भेजे थे मंजूरी के लिए सूत्रों से पता चला है कि राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजे गए तीन बिलों में से यह बिल वापस भेज दिया गया है। पंजाब के राज्यपाल ने पंजाब विधानसभा की तरफ पास किए तीनों बिल भारतीय संविधान की धारा 200 अधीन भारत के राष्ट्रपति के लिए अपने पास रिजर्व रख लिए थे। इसके बाद उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी कानून संशोधन बिल 2023, पंजाब पुलिस संशोधन बिल व सिख गुरुद्वारा संशोधन बिल राष्ट्रपति के पास भेज दिए थे। काफी समय से पेंडिंग पड़े थे बिल यह बिल काफी समय से पेडिंग पड़े हुए थे। क्योंकि राज्यपाल ने जून 2023 के सेशन को गैर कानूनी घोषित कर दिया था। फिर सुप्रीम कोर्ट ने मामला पहुंचा था। साथ ही कोर्ट के आदेश पर सेशन में पास किए गए सारे बिलों को जायज करार देते हुए फैसला लेने के लिए कहा था। इसके बाद राज्यपाल ने पंंजाब एफिलिएटेड कॉलेज सेवा की सुरक्षा संशोधन बिल को मंजूरी दी थी।
याद रहे कि गत साल पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना और बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज फरीदकोट के कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर पंजाब के राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच गतिरोध हुआ था। इसके बाद पंजाब विधानसभा द्वारा यह विधेयक पारित किया गया था।